डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड-डी.एन.ए. (Deoxyribonucleic Acid-DNA)


(Deoxyribonucleic Acid-DNA)

DNA एक न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic acid) है जो प्रोटीन के साथ मिलकर गुणसूत्र (Chromosome) की संरचना बनाता है। यह कोशिका
के केंद्रक में धागे के रूप में फैला रहता है। डी.एन.ए. की कुछ मात्रा केंद्रक के अतिरिक्त माइटोकॉण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाई जाती है | मूल रूप से DNA एक आनुवंशिक पदार्थ (Hereditary Material) है जो लक्षणों (Traits) या गुणों को माता-पिता से संतानों में पहुँचाने का कार्य करता है। यूकैरियोटिक कोशिकाओ में DNA लंबा, अशाखित तथा सर्पिलाकार (Spiral) होता है, जबकि प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं, माइटोकॉण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में यह वृत्ताकार (Circular) होता है।
DNA अनेक न्यूक्लियोटाइड (Nucleotides) का बहुलक होता है। DNA की संरचना तीन प्रकार के पदार्थों (Materials) से होती है - 1. नाइट्रोजनी क्षार, 2. शर्करा, 3. फॉस्फेट ग्रुप।
















● एडिनीन और थायमीन के बीच दो हाइड्रोजन बंध तथा साइटोसीन एवं गुआनिन के बीच तीन हाइड्रोजन बंध होते हैं। ध्यान देने योग्य
बात है कि एडिनीन एवं थायमीन केवल आपस में ही बंध बना सकते हैं और इसी प्रकार साइटोसीन एवं गुआनिन भी केवल एक-दूसरे
के साथ ही बंध बना सकते हैं।


















● जेम्स वाट्सन तथा फ्राँसिस क्रिक ने DNA की संरचना का द्विकुंडली नमूना (Double Helical Structure) प्रस्तुत किया था, जिसके
लिये उन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

डी.एन.ए. प्रतिकृति (DNA Replication)

डी.एन.ए. प्रतिकृति ऐसी जैविक प्रक्रिया है जो सभी सजीवों में संपन्न होती है और उनके डी.एन.ए. की प्रति बनाती है। इंटरफेज के
दौरान होने वाली डी.एन.ए. प्रतिकृति जैविक वंशानुक्रम का आधार होती है। जब एक युग्मित डी.एन.ए. अणु उस अणु की एकसमान दो प्रतिकृतियाँ उत्पन्न करता है तब डी.एन.ए. प्रतिकृति की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। मूल युग्मित डी.एन.ए. अणु की 'प्रत्येक धागानुमा संरचना' पूरक धागानुमा संरचना की उत्पत्ति के लिये एक नमूने की भाँति कार्य करती है।
किसी कोशिका में विशिष्ट स्थानों पर डी.एन.ए. प्रतिकृति प्रक्रिया प्रारंभ होती है। मूल स्थान पर डी.एन.ए. के पृथक्करण और नई धागेनुमा
संरचनाओं के संश्लेषण से एक प्रतिकृति शाखा (Replication Fork) बनती है। इस शाखा से कुछ प्रोटीन जुड़े होते हैं और ये डी.एन.ए. संश्लेषण में मदद करते हैं। नमूनारूपी धागानुमा संरचना के साथ संगत न्यूक्लियोटाइड्स जोड़कर डी.एन.ए. पॉलीमरेज नए डी.एन.ए. को संश्लेषित करता है। डी.एन.ए. प्रतिकृति कोशिका के बाहर कृत्रिम रूप से भी संश्लेषित की जा सकती है। कोशिकाओं से अलग किये गए डी.एन.ए. पॉलीमरेज और कृत्रिम डी.एन.ए. प्राइमर का उपयोग डी.एन.ए. संश्लेषण को प्रारंभ करने के लिये किया जा सकता है।

राइबोन्यूक्लिक अम्ल (आर.एन.ए.)
(Ribonucleic Acid-R.N.A.)

RNA कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में बिखरा रहता है। यह एकल कुंडलित (Single Stranded) संरचना है। यह मुख्य रूप से प्रोटीन
निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेता है। यह एक गैर-आनुवंशिक पदार्थ (Non Hereditary Material) है, यद्यपि यह कुछ विषाणुओं में आनुवंशिक पदार्थ की तरह भी कार्य करता है, जैसे- टोबेको मोजेक वायरस (T.M.V.) आदि। RNA निम्न तीन प्रकार का होता है-

1. मैसेंजर आर.एन.ए. (mRNA)- यह DNA में अंकित सूचनाओं को प्रोटीन संश्लेषण स्थल (Protein Synthesis Site) पर लाने का
कार्य करता है।
2. राइबोसोमल आर.एन.ए. (rRNA)- इसका निर्माण केंद्रिका (Nucleolus) में होता है। यह कोशिका में उपस्थित समस्त RNA का लगभग 80% होता है। इसका मुख्य कार्य राइबोसोम के संरचनात्मक संगठन में सहायता प्रदान करना है।
3. ट्रांसफर आर.एन.ए. (tRNA) - यह सभी RNA में सबसे छोटा है। इसका मुख्य कार्य अमीनो अम्ल को प्रोटीन संश्लेषण स्थल पर
लाना है। 























tRNA की संरचना जानने में भारतीय मूल के जीव विज्ञानी एच. जी. खुराना (H.G. Khorana) का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उनके इस योगदान के लिये उन्हें नीरेनबर्ग (Nirenberg) तथा रॉबर्ट होले (Robert Holley) के साथ संयुक्त रूप से 1968 में  नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

जीन (Gene)

जीन आनुवंशिकता की इकाई है। जीन DNA का वह छोटा भाग है जो किसी विशिष्ट कार्य को संपादित करता है। विषाणु में जीन DNA
अथवा RNA से बना होता है, जबकि यूकैरियोटिक कोशिका वाले जीवों में यह केवल DNA का बना होता है। ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (Human Genome Project) के अनुसार मानव में लगभग 30 हजार जीन्स मौजूद हैं। जीन अपना कार्य एंजाइम के माध्यम से करता है, अर्थात् किसी जीव में प्रत्येक जीन एक विशिष्ट एंजाइम का उत्पादन करता है जो विशिष्ट उपापचयी (Metabolic) क्रिया को नियंत्रित करता है। जंपिंग जीन की अवधारणा बारबरा मैक क्लिटॉक (Barbara Mc Clintock) द्वारा मक्का पर प्रयोग के दौरान दी गई थी। ट्रांसपोजोन (Transposon) के नाम से प्रचलित जंपिंग जीन, DNA के ऐसे भाग हैं जो एक ही क्रोमोसोम में अथवा एक क्रोमोसोम से दूसरे क्रोमोसोम पर अपनी स्थिति (Position) बदलते रहते हैं।

जेनेटिक कोड (Genetic Code)

डी.एन.ए. एक द्विकुंडलित संरचना है। इसी संरचना में जीवन की संहिता सूत्रबद्ध रहती है। डी.एन.ए. की इस संहिता की अपनी कूटभाषा
(Code) होती है जिसकी वर्णमाला में निम्नलिखित चार वर्ण हैं- A-एडिनीन, G-गुआनिन, C-साइटोसीन और T-थायमीन। इन चार वर्णों अथवा क्षारों में से तीन वर्णों या क्षारों के मेल द्वारा इस कूटभाषा का एक संयुक्त अक्षर बनता है। यदि इन तीन-तीन के वर्गों को लेकर संयुक्त अक्षर बनाए जाएँ तो ऐसे कुल 64 संयुक्त अक्षर बनेंगे। डी.एन.ए. की कुंडलिनी में आनुवंशिक संहिता की कूटभाषा (Genetic Code) में यही 64 संयुक्त अक्षर बनते हैं। प्रत्येक संयुक्त अक्षर अर्थात् डी.एन.ए. के क्षारों के त्रिक (Triode) से अमीनो अम्ल का निर्धारण होता है, जो जीवन का आधार है।

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