जैव प्रौद्योगिकी | Biotechnology
"जैव प्रौद्योगिकी' या 'बायोटेक्नोलॉजी' शब्द की उत्पत्ति जीव विज्ञान (Biology) और प्रौद्योगिकी (Technology) शब्दों के परस्पर
मिलने से हुई है। यह जैविक कारकों, जैसे सूक्ष्म जीवों (Micro Organisms), जंतुओं और पादप कोशिकाओं अथवा उनके अवयवों और
उनमें होने वाली क्रियाओं के नियंत्रित उपयोग से मानव के लिये उपयोगी उत्पादों का निर्माण करने वाली प्रौद्योगिकी है। जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय, 1992 के अनुच्छेद-2 के अनुसार, कोई भी तकनीकी अनुप्रयोग जिसमें जैविक प्रणालियों, सजीवों या व्युत्पन्न पदार्थ का उपयोग किसी विशिष्ट कार्य के लिये, उत्पाद या प्रक्रियाओं के निर्माण या रूपांतरण में किया जाता है, जैव प्रौद्योगिकी कहलाता है।
हजारों वर्षों से मानव कृषि, खाद्य उत्पादन और औषधि निर्माण में जैव प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करता आया है। 20वीं सदी के अंत तथा
21वीं सदी के आरंभ से जैव प्रौद्योगिकी में विज्ञान के कई अन्य आयाम, जैसे- जीनोमिक्स, रीकॉम्बिनेंट जीन प्रौद्योगिकी, अप्लायड प्रतिरक्षा
तकनीक, औषधीय चिकित्सा का विकास तथा डायग्नोस्टिक जाँच आदि सम्मिलित होने लगे हैं। जैव प्रौद्योगिकी के अंतर्गत उन तकनीकों का
वर्णन मिलता है जिनमें जीवधारियों या उनसे प्राप्त एंजाइमों का उपयोग करते हुए मनुष्य के लिये उपयोगी उत्पाद या प्रक्रमों (प्रोसेस) का विकास किया जाता है। वर्तमान में, सीमित अर्थ में जैव प्रौद्योगिकी को देखा जाए तो इसमें वे प्रक्रम आते हैं, जिनमें आनुवंशिक रूप से रूपांतरित (जेनेटिकली मोडिफाइड) जीवों का उपयोग पदार्थों के अधिक मात्रा में उत्पादन के लिये किया जाता है। उदाहरणार्थ- इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) द्वारा परखनली शिशु का निर्माण, जीन का संश्लेषण एवं उपयोग, डी.एन.ए. टीके का निर्माण या दोषयुक्त जीन का सुधार, ये सभी जैव प्रौद्योगिकी के ही भाग हैं।
नोट : Karl Ereky, a Hungarian engineer, coined the term 'Biotechnology' in 1919.
जैव प्रौद्योगिकी के सिद्धांत (Principles of Biotechnology)
आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के विकास में निम्नलिखित दो तकनीकों का सर्वाधिक योगदान है-
आनुवंशिक इंजीनियरिंग
(Genetic Engineering)
आनुवंशिक इंजीनियरिंग एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा वैज्ञानिक एक जीव के जीनोम को संशोधित (Modify) करते हैं। इसमें रिकॉम्बिनेंट
डी.एन.ए. तकनीक का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक में आनुवंशिक पदार्थों (DNA तथा RNA) के रसायन में परिवर्तन कर उसे परपोषी जीवों (Host Organism) में प्रवेश कराया जाता है, जिससे इनके फीनोटाइप में परिवर्तन आ जाता है।
रासायनिक इंजीनियरिंग
(Chemical Engineering)
इसमें रोगाणुमुक्त वातावरण के निर्माण द्वारा सिर्फ वांछित सूक्ष्मजीवों/ यूकैरियोटिक कोशिकाओं में वृद्धि कराकर अधिक मात्रा में जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों, जैसे- प्रतिजैविकों (Antibiotics), टीके, एंजाइमों आदि का निर्माण किया जाता है।
आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित शब्दावलियाँ
(Terminology related to Modern Biotechnology)
● रेड बायोटेक्नोलॉजी: जैव प्रौद्योगिकी का चिकित्सा के क्षेत्र में प्रयोग रेड बायोटेक्नोलॉजी कहलाता है।
● व्हाइट बायोटेक्नोलॉजी: औद्योगिक उत्पादन एवं प्रक्रियाओं में जैव प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग व्हाइट बायोटेक्नोलॉजी कहलाता है।
● ग्रीन बायोटेक्नोलॉजी: जैव प्रौद्योगिकी का कृषि के क्षेत्र में अनुप्रयोग ग्रीन बायोटेक्नोलॉजी कहलाता है। इसके अंतर्गत कृषि उत्पादकता
को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
● यलो बायोटेक्नोलॉजी: कीटों का जैव प्रौद्योगिकी के संसाधन के रूप में प्रयोग यलो बायोटेक्नोलॉजी कहलाता है।
● ब्लैक/डार्क बायोटेक्नोलॉजी: जैव आतंक (Bioterrorism) से संबंधित जैव प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग ब्लैक/डार्क बायोटेक्नोलॉजी
कहलाता है।
● ब्लू बायोटेक्नोलॉजी: समुद्री व अन्य जलीय जीवों से संबंधित जैव प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग ब्लू बायोटेक्नोलॉजी के अंतर्गत आता है।