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 जीनोम मानचित्रण (Genome Mapping)



मानव जीनोम परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य प्रत्येक मानव गुणसूत्र का एक श्रृंखलाबद्ध विस्तृत मानचित्र बनाना है। इसके तहत गुणसूत्रों को
इस प्रकार छोटे-छोटे खंडों में विभाजित किया जाएगा ताकि इन्हें प्रसारित करके विशेष रूप दिया जाए। पुन: गुणसूत्रों पर इनसे संबद्ध अवस्थितियों के अनुरूप बनाने के लिये इन्हें क्रमबद्ध किया जाएगा। मानचित्रण संपन्न होने के बाद अगले चरण में प्रत्येक क्रमबद्ध डी.एन.ए. अंश का आधारिक क्रम सुनिश्चित किया जाएगा।
जीनोम शोध का प्रमुख लक्ष्य सभी जीनों को डी.एन.ए. अनुक्रम में व्यवस्थित करना तथा मानव जीव विज्ञान और औषधि के अध्ययन के
लिये इस सूचना के ज़रिये उपकरणों का विकास करना है। एक जीनोम मानचित्र में जीनों का अनुक्रम या अन्य चिह्नांकन तथा प्रत्येक गुणसूत्र
के मध्य स्थित रिक्त स्थान की जानकारी निहित होती है।
एक जीनोम मानचित्र के जरिये अनुकूल चिह्नों की सापेक्षिक स्थिति स्पष्ट होती है। जीनोम मानचित्र में दर्शाए गए चिह्न समग्रतः मार्कर के रूप में कार्य करते हैं और ये जीन और अकूटित अनुक्रम दोनों को समाहित कर सकते हैं। 

जीनोम मानचित्रण के लाभ
(Advantages of Genome Mapping)

• जीनोम मानचित्रण का उपयोग अपराध अन्वेषण, पितृत्व जाँच और पहचान के लिये किया जाता है। साथ ही, अंग प्रत्यारोपण में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। जीन मानचित्रण के ज़रिये कैवियार, फल और शराब के मूल तत्त्वों तथा पशुधन और पशु संकरों की वंशावली को प्रमाणीकृत किया जा सकता है।

• पादपों और जंतुओं के जीनोम मानचित्रण की जानकारी से कृषिगत फसलों और संकर पशुओं का विकास किया जा सकता है। शोधकर्ता
वैसे विशिष्ट संकर पौधे तैयार कर सकते हैं जो कचरा निपटान में सहयोगी हो सकेंगे।

• सूक्ष्म जीवों के जीनोम मानचित्रण द्वारा शोधकर्ता जैव ईंधन से ऊर्जा उत्पन्न करने, विषैले अपशिष्ट कम करने, पर्यावरण हितैषी उत्पादों
का विकास करने और औद्योगिक प्रक्रियाएँ विकसित करने के लिये जीवाणु की क्षमता का दोहन कर सकते हैं।

• रोगों के मूल कारण का पता लगाने की क्षमता से दवा शोधकर्ता रोगों से संबद्ध शीघ्र प्रतिक्रिया दर्शाने वाली पर्यावरणीय परिस्थितियों
को समाप्त कर सकते हैं, विशिष्ट प्रकार से दवा निर्माण कर सकते हैं और जीन चिकित्सा के लिये तकनीक विकसित कर सकते हैं।

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