Advertica

 स्टेम सेल या स्तंभ कोशिका (Stem Cell)



ऐसी कोशिकाएँ जिनमें शरीर के किसी भी अंग की कोशिका के रूप में विकसित होने की क्षमता विद्यमान होती है, स्तंभ कोशिकाएँ
(Stem Cells) कहलाती हैं। स्तंभ कोशिकाओं में ऐसे लक्षण पाए जाते हैं कि ये विभाजन द्वारा अपनी संख्या को दीर्घकाल तक बढ़ाती रहती
हैं। साथ ही, ये कुछ निश्चित रासायनिक संकेतों को ग्रहण करने के बाद विशेषीकृत (Specialized) कोशिकाओं में विभेदित या रूपांतरित हो सकती हैं। स्तंभ कोशिकाएँ बहुकोशिकीय जीवों में पाई जाती हैं।
स्तंभ कोशिका शरीर के क्षतिग्रस्त भागों को ठीक करने में उपयोगी होती है। स्तंभ कोशिका के प्रकार-

1. भ्रूणीय स्तंभ कोशिकाएँ (Embryonic Stem Cells)
2. वयस्क स्तंभ कोशिकाएँ (Adult Stem Cells)

भ्रूणीय स्तंभ कोशिकाएँ (Embryonic Stem Cells): भ्रूण की शुरुआती अवस्था से प्राप्त की गई कोशिकाएँ 'भ्रूणीय स्तंभ कोशिकाएँ'
कहलाती हैं। इस प्रकार की स्तंभ कोशिकाओं से शरीर के लगभग प्रत्येक भाग का निर्माण किया जा सकता है। विभाजित होने की क्षमता के आधार पर इन्हें दो भागों में बाँटा जा सकता है-
टोटीपोटेंट स्तंभ कोशिकाएँ (Totipotent Stem Cells): अंडाणु (Ovum) तथा शुक्राणु (Sperm) के मिलने से इस प्रकार की स्तंभ कोशिकाओं का निर्माण होता है। इसके शुरुआती कुछ विभाजनों से भी Totipotent Stem Cells की प्राप्ति होती है। इस प्रकार की स्तंभ कोशिकाओं से पूरे जीव का निर्माण किया जा सकता है। चूँकि इस प्रकार की स्तंभ कोशिकाओं को प्राप्त करने के क्रम में भ्रूण की मृत्यु हो जाती है तथा इनका उपयोग क्लोनिंग हेतु भी किया जा सकता है, इसी कारण चिकित्सीय अनुप्रयोगों की दृष्टि से इस प्रकार की स्तंभ कोशिकाओं की प्राप्ति पर प्रत्येक देश में प्रतिबंध है। परंतु चिकित्सा के क्षेत्र में शोध की दृष्टि से यू.एस.ए. (U.S.A.), चीन, जापान जैसे देशों ने इनकी प्राप्ति की अनुमति दे रखी है। एम्स (AIIMS) में भी भ्रूणीय स्तंभ कोशिका बैंक (Embryonic Stem Cell Bank) की स्थापना की गई है, जहाँ स्टेम सेल (stem cell) चिकित्सा संबंधी रिसर्च किया जा रहा है।
• प्लूरीपोटेंट स्तंभ कोशिकाएँ (Pluripotent Stem Cells): Totipotent Stem Cells के विभाजन से Pluripotent Stem Cells का निर्माण होता है। इन्हें पश्च भ्रूणीय अवस्था (Later Embryonic Stage), गर्भनाल के रक्त से तथा गर्भपात के बाद प्राप्त हुए भ्रूण (12 सप्ताह के अंदर हुए गर्भपात) से प्राप्त किया जा सकता है। इन्हें प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान है। अतः गर्भनाल के रक्त से प्राप्त स्तंभ कोशिकाओं को स्टेम सेल बैंक में सुरक्षित रखवाया जा सकता है, ताकि आने वाले समय में चिकित्सकीय उपयोग की दृष्टि से उनका उपयोग किया जा
सके। ये स्तंभ कोशिकाएँ भी लगभग प्रत्येक प्रकार की कोशिका में बदल सकती हैं।
वयस्क स्तंभ कोशिकाएँ (Adult Stem Cells): ये स्तंभ कोशिकाएँ संपूर्ण शरीर में पाई जाती हैं। ये बच्चों में वृद्धों की अपेक्षा अधिक
संख्या में उपस्थित होती हैं। शरीर की टूट-फूट होने पर ये क्षतिपूर्ति के लिये आवश्यक होती हैं। विभाजित होने की क्षमता के आधार पर इन्हें निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-
•  मल्टीपोटेंट स्तंभ कोशिकाएँ (Multipotent Stem Cells): ये कुछ निश्चित प्रकार की कोशिकाओं में ही विभाजित हो सकती हैं। इस प्रकार की स्तंभ कोशिकाएँ अस्थि मज्जा (Bone-Marrow), वसीय ऊतकों (Adipose Tissues), अक्ल दाँत (Wisdom Tooth) एवं हृदय में पाई जाती हैं। अस्थि मज्जा की स्तंभ कोशिकाएँ ही विभाजित होकर RBCs, WBCs और Platelets बनाती हैं।
• ओलिगोपोटेंट स्तंभ कोशिकाएँ (Oligopotent Stem Cells): ये दो या तीन प्रकार की कोशिकाओं में ही विभाजित हो सकती
हैं, जैसे- Lymphoid कोशिकाएँ ही B तथा T कोशिकाएँ (WBCs के कुछ प्रकार) बनाती हैं।
यूनिपोटेंट स्तंभ कोशिकाएँ (Unipotent Stem Cells): इस प्रकार की स्तंभ कोशिकाएँ एक ही प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती हैं।
इंड्यूज्ड प्लूरीपोटेंट स्तंभ कोशिकाएँ (Induced Pluripotent Stem Cells-iPSCs): Pluripotent Stem Cells farchia दृष्टि से अत्यंत उपयोगी हैं। प्लूरीपोटेंट स्तंभ कोशिकाएँ, भ्रूणीय स्तंभ कोशिकाओं के ही प्रकार हैं। ध्यातव्य है कि भ्रूणीय स्तंभ कोशिकाएँ भ्रूण की आरंभिक अवस्था से प्राप्त की जाती हैं।
चूँकि यह प्रक्रिया अनैतिक तथा विवादित है, अत: विश्व के अधिकांश देशों में यह प्रतिबंधित है। इस कारण शिन्या यामानाका (Shinya Yamanaka) तथा जॉन बी. गर्डन (John B.Gurdon) ने वयस्क कोशिकाओं (Adult Cells) को Pluripotent Stem Cells में बदलने की विधि का आविष्कार किया, जिन्हें Induced Pluripotent Stem Cells (iPSCs) कहा जाता है। इस कार्य के लिये दोनों वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से 2012 का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। iPSC टेक्नोलॉजी की मदद से अनेक रोगों, जैसे- पार्किंसन, पेशीय दुर्विकास (Muscular Dystrophy) तथा विकलांगता को दूर किया जा सकता है।

स्तंभ कोशिकाओं की उपयोगिता (Utility of Stem Cells)

• इसके द्वारा अल्जाइमर, पाकिसन व मधुमेह जैसी बीमारियों का इलाज अत्यंत सरल हो जाएगा। इन कोशिकाओं के द्वारा मानव विकास की प्रक्रिया के उस प्रत्येक चरण को समझा जा सकेगा जिसे गर्भाशय में विकसित हो रहे भ्रूण से समझना कठिन है।
• इन कोशिकाओं में विकसित ऊतक के माध्यम से कॉर्निया का प्रत्यारोपण सुगमतापूर्वक किया जा सकेगा।
• इसके द्वारा नई अस्थियों का विकास कर अस्थि संबंधी व्याधियों के उपचार को सरल बनाया जा सकेगा।
• भविष्य में दवाओं का परीक्षण स्तंभ कोशिकाओं से बने भ्रूण पर किया जाना संभव हो सकेगा, जिससे बंदरों व चूहों की आवश्यकता
नहीं पड़ेगी।
• अस्थि-मज्जा की स्तंभ कोशिकाओं से रक्त कोशिकाएँ (Blood Cells) बनाई जा सकती हैं, जिससे रक्त संचार प्रणाली से संबंधित
बीमारियों पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा।
• एच.आई.वी. संक्रमण से नष्ट हुई कोशिकाओं को फिर से बनाया जा सकेगा।

भारत के प्रमुख स्तंभ कोशिका अनुसंधान केंद्र
(India's Leading Stem Cell Research Centre)

• नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (NCBS), बंगलूरू इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल बायोलॉजी एंड रीजेनेरेटिव मेडिसिन
(inStem), बंगलूरू
• नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस (NCCS), पुणे AMUH
• इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्टेम सेल्स, कैंसर एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICSCCB), पुणे 
• सेंटर फॉर स्टेम सेल साइंसेज (CSCS), हैदराबाद
• स्कूल ऑफ रीजेनेरेटिव मेडिसिन (SORM), मणिपाल, कर्नाटक
• एल.वी. प्रसाइ आई इंस्टीट्यूट (LVPEI), हैदराबाद
• पी.जी.आई.एम.ई.आर., चंडीगढ़
• एस.जी.पी.जी.आई.एम.एस., लखनऊ
• क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (CMC), वेल्लोर

Previous Post Next Post