JAC Board Jharkhand Class 10th Science Biology Solutions chapter -1- जैव प्रक्रम
JAC Board Jharkhand Class 10th Science Biology Solutions chapter -1- जैव प्रक्रम
जैव प्रक्रम
पोषण
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है–
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल,
(b) क्लोरोफिल,
(c) सूर्य का प्रकाश,
(d) उपर्युक्त सभी ।
उत्तर–(d)
प्रश्न 2. विषमपोषी जीव अपने पोषण के लिए प्रत्यक्ष या परोक्षरूप में आश्रित रहते हैं–
(a) कवकों पर,
(b) शैवालों पर,
(c) हरे स्वपोषी पौधों पर,
(d) मिट्टी पर ।
उत्तर–(c)
प्रश्न 3. प्रकाश-संश्लेषण क्रिया में ऑक्सीजन बाहर निकलती है–
(a) जल से,
(b) CO₂
(c) ग्लूकोज से,
(d) पूर्णहरित से।
उत्तर–(b)
प्रश्न 4. प्रकाश-संश्लेषण का अंतिम उत्पाद क्या है ?
(a) ग्लूकोज,
(b) ऑक्सीजन
(c) फल,
(d) पत्तियाँ।
उत्तर–(a)
प्रश्न 5. निम्न में से कौन प्रकाश-संश्लेषण का उत्पाद नहीं है ?
(a) कार्बन डाइऑक्साइड,
(b) ऑक्सीजन
(c) ग्लूकोज,
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर–(a)
प्रश्न 6. रन्ध्रों का खूलना और बन्द होना निर्भर है
(a) सूर्य के प्रकाश पर,
(b) प्रकाश-संश्लेषण पर,
(c) कार्बन डाइऑक्साइड के सान्द्रण पर,
(d) वायु के वेग पर ।
उत्तर–(b)
प्रश्न 7. मैग्नीशियम पाया जाता है–
(a) क्लोरोफिल में,
(b) लाल रक्त कण में,
(c) वर्णी लवक में,
(d) श्वेत रक्त कण में।
उत्तर–(a)
प्रश्न 8. एक पादप परजीवी है–
(a) नीम,
(b) अमरबेल,
(c) पीपल,
(d) बेल।
उत्तर–(b)
प्रश्न 9. निम्न में से परजीवी पादप का उदाहरण क्या है ?
(a) वैक्टीरिया
(b) कस्कूटा,
(c) विषाणु
(d) कवक ।
उत्तर–(b)
प्रश्न 10. भोजन के पाचन के समय हमारे आमाशय में उत्पन्न होने वाला अम्ल है–
(a) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल,
(b) ऑक्सैलिक अम्ल,
(c) लैक्टिक अम्ल,
(d) ऐसीटिक अम्ल ।
उत्तर–(a)
प्रश्न 11. मनुषय में वृक्क एक तंत्र का भाग है, जो सम्बन्धित है–
(a) पोषण से.
(b) श्वसन से,
(c) उत्सर्जन से,
(d) परिवहन।
उत्तर–(c)
प्रश्न 12. मानव वृक्क किस प्रणाली का एक हिस्सा है ?
(a) पोषण,
(b) श्वसन,
(c) उत्सर्जन,
(d) परिवहन।
उत्तर–(c)
प्रश्न 13. वृक्क की रचनात्मक और कार्यात्मक इकाई क्या है ?
(a) नेफ्रॉन,
(b) धमनियाँ,
(c) प्लेटलेट्स,
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर–(a)
प्रश्न 14. ये कण रक्त का थक्का बनाने में सहायक है–
(a) प्लेटलेट्स या पट्टिकाणु
(b) लाल रक्त
(c) श्वेत रक्त कण,
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-(a)
प्रश्न 15. मनुष्य और अन्य मांसाहारी जीव निम्न में से किसका पाचन नहीं कर पाते ?
(a) प्रोटीन,
(b) सेल्युलोज,
(c) वसा,
(d) इनमें सभी।
उत्तर–(b)
प्रश्न 16. मनुष्य के मुख गुहा में कितने जोड़े लार ग्रंथियाँ पाई जाती है ?
(a) एक,
(b) दो.
(c) तीन,
(d) चार।
उत्तर–(c)
प्रश्न 17. पादप में भोजन का स्थानांतरण किसके द्वारा होता है ?
(a) जाइलम,
(b) फ्लोएम.
(c) (a) और (b) दोनों,
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर–(b)
प्रश्न 18. आमाशय में कौन-सा एंजाइम पाया जाता है ?
(a) एमाइलेज (टायलिन),
(b) लाइपेज,
(c) ट्रिप्सिन,
(d) पेप्सिन ।
उत्तर–(d)
प्रश्न 19. श्वसन के अध्ययन के लिए उपयोग किए जाने वाले बीज हैं–
(a) सूखे बीज,
(b) अंकुरित बीज,
(c) उबला हुआ बीज,
(d) कुचले हुए बीज
उत्तर-(b)
प्रश्न 20. पाइरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है–
(a) कोशिका द्रव्य में,
(b) माइटोकॉड्रिया में.
(c) हरित लवक में,
(d) केन्द्रक में।
उत्तर-(a)
प्रश्न 21. श्वसन के दौरान कौन-सी गैस निकलती है ?
(a) CO₂,
(b) CO,
(c) N₂,
(d) O₂.
उत्तर–(d)
प्रश्न 22. पौधों में श्वसन क्रिया के अन्तर्गत ADP के टूटने से कितनी ऊर्जा मुक्त होती है ?
(a) 30.5kJ/mol,
(b) 305kJ/mol,
(c) 3.5k.J/mol,
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-(a)
प्रश्न 23. पौधों में श्वसन कैसे होता है ?
(a) जाइलम के द्वारा,
(b) फ्लोएम के द्वारा,
(c) स्टोमाटा के द्वारा,
(d) क्लोरोफिल के द्वारा।
उत्तर–(c)
प्रश्न 24. इनमें से कहाँ गैसीय आदान-प्रदान होता है ?
(a) नासिका,
(b) स्वर यंत्र,
(c) श्वसन नली,
(d) वायुप्रकोष्ठ ।
उत्तर–(d)
प्रश्न 25. हृदय से रक्त को संपूर्ण शरीर में पंप किया जाता है
(a) फेफड़ों द्वारा,
(b) निलय द्वारा,
(c) आलिंदों द्वारा,
(d) इनमें सभी ।
उत्तर-(b)
प्रश्न 26. मछली के हृदय में कोष्ठों की संख्या है–
(a) 2,
(b) 3,
(c) 4,
(d) केवल एक।
उत्तर-(a)
प्रश्न 27. मानव हृदय में कितने कोष्ठ होते हैं ?
(a) दो.
(b) आठ,
(c) एक,
(d) चार ।
उत्तर-(d)
प्रश्न 28. मानव हृदय में कितने अलिंद तथा कितने निलय होते हैं ?
(a) 2 अलिंद, 2 निलय,
(b) एक अलिंद, 2 निलय,
(c) 2 अलिंद 1 निलय,
(d) एक अलिंद, 1 निलtय ।
उत्तर-(a)
प्रश्न 29. मानव हृदय का औसत प्रकुंचन दाब है लगभग
(a) 120mm Hg,
(b) 150mm Hg,
(c) 90mm Hg,
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-(a)
प्रश्न 30. पौधों में जाइलम निम्नांकित में से किसके परिवहन के लिए जिम्मेदार है ?
(a) पानी,
(b) भोजन,
(c) एमीनोएसीड,
(d) ऑक्सीजन ।
उत्तर-(a)
प्रश्न 31. पौधों मे वाष्पोत्सर्जन किस भाग में होता है ?
(a) जड़,
(b) तना,
(c) पत्ता,
(d) फूल ।
उत्तर-(c)
प्रश्न 32. पौधे अतिरिक्त जल से छुटकारा पाते हैं
(a) वाष्पोत्सर्जन द्वारा,
(b) प्रकाश-संश्लेषण द्वारा,
(c) श्वसन द्वारा,
(d) पतझड़ द्वारा
उत्तर - (a)
प्रश्न 33. पादप में जाइलम उत्तरदायी है
(a) जल के वहन के लिए,
(b) भोजन के वहन के लिए,
(c) अमीनो अम्ल के वहन के लिए,
(d) ऑक्सीजन के वहन के लिए।
भोजन का अवशोषण
उत्तर - (a)
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें–
प्रश्न 1. _______एक परजीवी पौधा है।
उत्तर- अमरलता
प्रश्न 2. शरीर में पाये जाने वाले जैव उत्प्रेरक पदार्थों को ________ कहते हैं।
उत्तर- एन्जाइम
प्रश्न 3. लार (लालारस) में पाये जाने वाले एन्जाइम का नाम _______ है।
उत्तर- सैलाइवरी एमाइलेज
प्रश्न 4. भोजन का अवशोषण_______में होता है।
उत्तर-छोटी आँत
प्रश्न 5. दीर्घरोम_______में पाये जाते हैं।
उत्तर- क्षुद्रांत
प्रश्न 6. कट जाने पर_______कोशिकाएँ रक्त का बहना रोक देती है।
उत्तर-प्लेटलैट्स
प्रश्न 7. मनुष्य के हृदय में_______ कोष्ठक (चैम्बर) होते हैं।
उत्तर-चार
प्रश्न 8. मछली के हृदय के ______कोष्ठक (चैम्बर) होते है ।
उत्तर-दो
प्रश्न 9. वसा का वहन शरीर के अन्दर _______माध्यम से होता है ।
उत्तर- लसिका
प्रश्न 10. श्वसन का मध्यवर्ती पदार्थ ______है।
उत्तर- पाइरुविक अम्ल
प्रश्न 11. वृक्क की रचनात्मक और कार्यात्मक इकाई _____ है।
उत्तर-नेफ्रॉन
प्रश्न 12. प्रोटीन के यौगिकों के संश्लेषण के लिए_______तत्व अनिवार्य है।
उत्तर- नाइट्रोजन
प्रश्न 13. पादप में जाइलम ______के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर- जल के वहन के लिए
प्रश्न 14. हरितलवक में _______रंजक पाया जाता है।
उत्तर- पर्णहरित
प्रश्न 15. ग्लूकोज का निर्माण हरित लवक के ______में होता है।
उत्तर- स्ट्रोमा
प्रश्न 16. तिलचट्टे में _______के द्वारा श्वसन होता है।
उत्तर- स्पाइरैकिल्स
प्रश्न 17. आमाशय की जठर ग्रंथियाँ ________ स्रावित करती है।
उत्तर- जठर रसों का
प्रश्न 18. _________जल और कार्बन डाइऑक्साइड प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है।
उत्तर- सूर्य के प्रकाश
प्रश्न 19. ATP का पूरा नाम________है।
उत्तर- एडिनोसिन ट्राई फॉस्फेट
प्रश्न 20. ADP का पूरा नाम_______है।
उत्तर- एडिनोसिन डाई फॉस्फेट
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कवकों में किस विधि द्वारा पोषण होता है ?
उत्तर- परपोषण ।
प्रश्न 2. जीवाणुओं में किस प्रकार का पोषण पाया जाता है ?
उत्तर- परजीवी पोषण
प्रश्न 3. स्वपोषी के दो उदाहरण दें।
उत्तर - (i) हरे पादप,
(ii) क्लोरोबैक्टीरिया ।
प्रश्न 4. विषमपोषी के दो उदाहरण दें।
उत्तर - (i) मानव,
(ii) गाय ।
प्रश्न 5. वह प्रक्रिया बताएँ जिसके द्वारा स्वपोषी अपने भोजन का निर्माण करते हैं।
उत्तर - प्रकाशसंश्लेषण |
प्रश्न 6. पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में सूर्य की विकिरण ऊर्जा का रूपान्तरण किस रूप में होता है ?
उत्तर - रासायनिक ऊर्जा ।
प्रश्न 7. पत्ती की सतह पर पाये जाने वाले सूक्ष्मछिद्र जो गैसीय विनिमय में सहायक होते हैं क्या हैं ?
उत्तर- रन्ध्र ।
प्रश्न 8. उन वर्णकों के नाम लिखें जो सौर ऊर्जा को ग्रहण करते है ।
उत्तर- क्लोरोफिल (पर्णहरित ) ।
प्रश्न 9. उस रंजक का नाम लिखें जो सौर ऊर्जा का शोषण कर सकता है।
उत्तर- हरितलवक।
प्रश्न 10. हरितलवक में कौन-सा रंजक पाया जाता है ?
उत्तर- पर्णहरित।
प्रश्न 11. किसी एक प्राणीसमभोजी सूक्ष्म जन्तु का नाम लिखें।
उत्तर-अमीबा ।
प्रश्न 12. ग्लूकोज के पायरुवेट में बदलने का कार्य कोशिका के किस भाग में होता है?
उत्तर-कोशिका द्रव्य में।
प्रश्न 13. प्रोटीन के यौगिकों के संश्लेषण के लिए कौन-सा तत्व अनिवार्य है ?
उत्तर- नाइट्रोजन ।
प्रश्न 14. किसी एक पादप परजीवी का नाम लिखें।
उत्तर- अमरबेल ।
प्रश्न 15. किसी एक पादप मृतोपजीवी का नाम लिखें।
उत्तर- म्यूकर ।
प्रश्न 16. अमीबा के किस अंग में पाचन क्रिया होती है ?
उत्तर- खाद्यधानी।
प्रश्न 17. किसी रोग कारक प्रजीव (प्रोटोजोआ) का नाम लिखें।
उत्तर- एन्ट अमीबा
प्रश्न 18. किसी कीट भक्षी पादप का नाम लिखें।
उत्तर-ड्रोसेरा (घटपर्णी) |
प्रश्न 19. एक ऐसे जन्तु का नाम लिखें जो प्रकाश-संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाता है।
उत्तर- यूग्लीना ।
प्रश्न 20. शरीर में पाये जाने वाले जैव उत्प्रेरक पदार्थों को क्या कहते हैं ?
उत्तर- एन्जाइम |
प्रश्न 21. मनुष्य की लार ग्रन्थियों में कौन-सा एन्जाइम पाया जाता है ?
उत्तर-टायलीन या लार एमाइलेज ।
प्रश्न 22. लालारस या लार में पाये जाने वाले एन्जाइम का नाम लिखें।
उत्तर- सैलाइवरी एमाइलेज ।
प्रश्न 23. किसी टिड्डे के पाचन तंत्र के अंगों के नाम लिखें।
उत्तर- फोरगट, मिडगट, हिन्डगट ।
प्रश्न 24. एक फॉस्फेट जो ATP में अंतस्थ रहता है, उसके टूटने में कितनी ऊर्जा मुक्त होती है ?
उत्तर- 30.5 kJ
प्रश्न 25. दीर्घरोम कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर– क्षुद्रांत की भीतरी दीवार पर।
* श्वसन
प्रश्न 1. किस तरह के श्वसन में अधिक ऊर्जा मुक्त होती है ?
उत्तर - ऑक्सी श्वसन में।
प्रश्न 2. जड़ का कौन-सा भाग श्वसन से संबंधित गैसों के लेन-देन में सम्मिलित होता है ? ।
उत्तर- मूल रोम
प्रश्न 3. निम्नांकित जन्तुओं के श्वसन अंगों के नाम लिखें–
(i) मछली,
(ii) मच्छर,
(iii) केंचुआ,
(iv) कुत्ता ।
उत्तर - (i) मछली - गिल,
(ii) मच्छर - ट्रैकिया,
(iii) केंचुआ— त्वचा,
(iv) कुत्ता- फेफड़े ।
प्रश्न 4. निम्नांकित जन्तुओं को ऑक्सीजन कहाँ से मिलती है ?
(i) झिंगा,
(ii) चूहा।
उत्तर - (i) झिंगा- जल से,
(ii) चूहा – वायुमंडल से ।
प्रश्न 5. फुफ्फुस को ढ़कने वाली झिल्ली का नाम लिखें।
उत्तर- फुफ्फुसावरणी।
प्रश्न 6. एपीग्लॉटिस का क्या कार्य है ?
उत्तर-यह भोजन के कणों को ग्लॉटिस में जाने से रोकता है।
प्रश्न 7. टिड्डे में कौन-सा श्वसनांग पाया जाता है ?
उत्तर- ट्रैकिया या श्वसन-नलिका।
प्रश्न 8. केंचुआ किस अंग से श्वसन करता है ?
उत्तर - केंचुआ त्वचा से श्वसन करता है ।
प्रश्न 9. सरीसृपों में श्वसन क्रिया किस अंग द्वारा होती है ?
उत्तर- फेफड़ों द्वारा ।
प्रश्न 10. कोशिकीय श्वसन का सक्रिय स्थल क्या है ?
उत्तर- माइटोकॉन्ड्रिया ।
प्रश्न 11. एक ऐसे जन्तु का नाम बताएँ जो त्वचा और फेफड़े दोनों से साँस लेता हो ।
उत्तर-मेढक ।
प्रश्न 12. श्वसन और दहन में कोई एक समानता बताएँ ।
उत्तर-दोनों ऑक्सीकरण की क्रियाएँ हैं।
प्रश्न 13. उस पदार्थ का नाम बताएँ जो श्वसन के पहले चरण में बनता है।
उत्तर- पायरुवेट ।
प्रश्न 14. ग्लूकोज के एक अणु के ऑक्सीकरण से कितनी ऊर्जा मुक्त होती है ?
उत्तर- 674 किलो कैलॉरी ।
प्रश्न 15. एंजाइम क्या हैं ?
उत्तर-एंजाइम एक प्रकार का जैव-उत्प्रेरक है।
प्रश्न 16. उस इंजाइम का नाम लिखें जो स्टार्च को तोड़ता है।
उत्तर- सैलाइवरी एमाइलेज ।
प्रश्न 17. श्वसन का मध्यवर्ती पदार्थ क्या है ?
उत्तर– पायरुविक अम्ल ।
प्रश्न 18. पायरुवेट के निर्माण की क्रिया कहाँ होती है ?
उत्तर- कोशिकाद्रव्य में ।
प्रश्न 19. पायरुवेट का विखण्डन कहाँ होता है ?
उत्तर- माइटोकॉन्ड्रिया में |
प्रश्न 20. एटीपी (ATP) का पूरा नाम लिखें।
उत्तर- एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट ।
प्रश्न 21. ग्लूकोज के ऑक्सीकरण में एटीपी के कितने अणु बनते हैं ?
उत्तर-38 एटीपी अणु ।
★ वहन
प्रश्न 1. पादप में जाइलम उत्तरदायी है
उत्तर-जल, खनिज एवं लवण का वहन ।
प्रश्न 2. मानव में परिवहन के लिए उत्तरदायी तंत्र का नाम लिखें।
उत्तर- परिसंचरण तंत्र |
प्रश्न 3. पौधों में जल का परिवहन किस ऊतक द्वारा होता है ?
उत्तर- जाइलम |
प्रश्न 4. जड़ के किस भाग द्वारा मिट्टी से जल का अवशोषण होता है ?
उत्तर- मूल रोम ।
प्रश्न 5. जलीय पौधों में गैसों का आदान-प्रदान किस विधि से होता है ?
उत्तर-विसरण।
प्रश्न 6. बीजों को जल में भिगोने पर वे किस क्रिया के कारण फूल जाते हैं ?
उत्तर- अन्तः शोषण के कारण।
प्रश्न 7. पत्ती और वातावरण के बीच गैसों का आदान-प्रदान किस पादप-संरचना द्वारा होता है ?
उत्तर-वातरन्ध्र ।
प्रश्न 8. कोशिकाओं का निर्जलन किस क्रिया का उदाहरण है ?
उत्तर - बहि: परासरण ।
प्रश्न 9. कोशिका बाह्य तरल का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर- लिम्फ ।
प्रश्न 10. कट जाने पर कौन-सी कोशिकाएँ रक्त का बहना रोक देती है ?
उत्तर-प्लेटलैट्स ।
प्रश्न 11. प्लेटलैट्स अनुरक्षण का कार्य कैसे करते हैं ?
उत्तर - रक्त का थक्का बनाकर तथा रक्त के बहने का मार्ग अवरुद्ध करके।
प्रश्न 12. मनुष्य में दो तरल पदार्थों के नाम बताएँ जो वहन में शामिल हैं।
उत्तर- (i) रुधिर,
(ii) लसीका ।
प्रश्न 13. रुधिर का तरल हिस्सा क्या है ?
उत्तर - प्लाज्मा ।
प्रश्न 14. मनुष्य के चार रुधिर वर्गों के नाम लिखें।
उत्तर - A, B, AB और o रक्त समूह |
प्रश्न 15. मानव शरीर में पायी जाने वाली सबसे बड़ी धमनी का नाम लिखें।
उत्तर- महाधमनी ।
प्रश्न 16. मानव के हृदय में कितने आलिंद और कितने निलय होते हैं ?
उत्तर- दो आलिंद और दो निलय |
प्रश्न 17. एक तरल संयोजी ऊत्तक का नाम बताएँ।
उत्तर– रुधिर ।
प्रश्न 18. मनुष्य के वहन तंत्र के दो प्रमुख हिस्सों के नाम लिखें।
उत्तर - (i) हृदय,
(ii) रुधिर वाहिकाएँ ।
प्रश्न 19. मनुष्य के हृदय के दो प्रमुख हिस्सों के नाम बताएँ ।
उत्तर - (i) अलिन्द,
(ii) निलय ।
प्रश्न 20. मनुष्य के हृदय में कितने कोष्ठक (चैम्बर) हैं ?
उत्तर- चार ।
प्रश्न 21. मछली के हृदय में कितने कोष्ठक (चैम्बर) होते है ?
उत्तर-दो।
प्रश्न 22. वसा का वहन शरीर के अन्दर किसके माध्यम से होता है ?
उत्तर-लसीका।
प्रश्न 23. रक्त चाप को मापने वाले यन्त्र का नाम लिखें।
उत्तर-स्फाईग्मोमैनोमीटर ।
* उत्सर्जन
प्रश्न 1. गुर्दे की उत्सर्जन इकाई का नाम लिखें।
उत्तर- वृक्क नलिका या नेफ्रॉन ।
प्रश्न 2. वृक्ककमुख क्या है ?
उत्तर- वृक्ककमुख के एक सिरे पर स्थित कीप जैसी रचना को वृक्ककमुख कहते हैं।
प्रश्न 3. वृक्क द्वारा रक्त से उत्सर्जी पदार्थों के छानने की क्रिया नलिका के किस भाग में होती है ?
उत्तर-केशिकागुच्छ (ग्लोमेरुलस) ।
प्रश्न 4. कशेरुकी प्राणियों के प्रमुख उत्सर्जी अंगों के नाम लिखें।
उत्तर- गुर्दा (वृक्क) ।
प्रश्न 5. नेफ्रॉन या वृक्क-नलिका कहाँ पायी जाती है ?
उत्तर-गुर्दा या वृक्क के अन्दर ।
प्रश्न 6. केंचुआ में वृक्कक कहाँ मिलते हैं ?
उत्तर - केंचुआ में वृक्कक पटों से जुड़े हुए पाये जाते हैं।
प्रश्न 7. यूरेथ्रा क्या है ?
उत्तर-मूत्राशय से निकल कर मूत्र एक पेशीय नलिका में जाता है जिसे यूरेथ्रा कहते हैं।
प्रश्न 8. मूत्र वाहिनी से होकर मूत्र कहाँ जाता है ?
उत्तर- मूत्राशय में ।
प्रश्न 9. एक कृत्रिम गुर्दे की कार्य प्रणाली में प्रयुक्त होने वाले प्रक्रम का नाम लिखें।
उत्तर- डायलिसिस ।
प्रश्न 10. किन्हीं दो नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर-यूरिया और अमोनियम सल्फेट ।
प्रश्न 11. केंचुआ के उत्सर्जी अंग का नाम लिखें।
उत्तर- नेफ्रीडिया |
प्रश्न 12. हाइड्रा में अपशिष्ट पदार्थ किस अंग द्वारा विसरित होते हैं ?
उत्तर- ऑस्कुलम एवं मुखद्वार द्वारा ।
प्रश्न 13. पौधों के किन्हीं दो उत्सर्जी पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर- रेजिन, गोंद ।
प्रश्न 14. वृक्क की रचनात्मक और कार्यात्मक इकाई क्या है ?
उत्तर- नेफ्रॉन ।
प्रश्न 15. निम्नांकित जन्तुओं में उत्सर्जन के लिए उत्तरदायी अंगों के नाम लिखें।
(i) अमीबा,
(ii) टिड्डा,
(iii) केंचुआ,
(iv) फीताकृमि,
(v) झींगा।
उत्तर - (i) अमीबा - संकुचनशीलधानी,
(ii) टिड्डा - मालपीघी नलिका,
(iii) केंचुआ - नेफ्रीडिया,
(iv) फीताकृमि - फ्लेम सेल (ज्वाला कोशिका),
(v) झींगा - ग्रीन ग्लैंडस ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. जैव प्रक्रम क्या है ?
उत्तर- जीवित शरीर में होने वाले वे सभी प्रक्रम जो जीवन के लिए अनिवार्य होते जैव प्रक्रम कहलाते हैं। पोषण, श्वसन, उत्सर्जन तथा वहन जैव प्रक्रम के उदाहरण हैं।
अथवा, वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं।
प्रश्न 2. जनन एक जैव प्रक्रम नहीं है, क्यों ?
उत्तर- जनन भी सजीवों से संबंधित है परंतु ये प्रक्रम शरीर या जीवन के अनुरक्षण से सीधा संबंध नहीं रखते हैं। अतः इन्हें जैव प्रक्रम नहीं कहा जाता है।
प्रश्न 3. जीवों के लिए पोषण क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर-जैविक प्रक्रियाओं के संचालन, वृद्धि, टूट-फूट की मरम्मत आदि विभिन्न कार्यों के लिए जीवों में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा पोषण विधि से प्राप्त भोज्य पदार्थों द्वारा प्राप्त होती है।
प्रश्न 4. जीवन के लिए कौन-से प्रक्रम अनिवार्य है ?
उत्तर- श्वसन, पोषण, वृद्धि, गति, उत्सर्जन आदि ।
प्रश्न 5. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है ?
उत्तर- बहुकोशिकीय जीवों में सभी कोशिकाएँ अपने आसपास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं रह सकती। अतः साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता है।
प्रश्न 6. कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे ?
उत्तर- सजीवों की अपनी संरचनाओं की मरम्मत तथा अनुरक्षण करना आवश्यक है क्योंकि ये सभी संरचनाएँ अणुओं से मिलकर बनी है। अतः उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए। अतः अदृश्य अणुगति जीव के जीवित होने का प्रमाण है।
प्रश्न 7. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर– (i) भोजन- ऊर्जा एवं पदार्थों के रूप में।
(ii) ऑक्सीजन- भोज्य पदार्थों का विखण्डन करके ऊर्जा प्राप्त करने के लिए।
(iii) जल- भोजन के सही पाचन के लिए तथा शरीर के अन्दर अन्य जैविक प्रक्रियाओं के लिए ।
प्रश्न 8. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे ?
उत्तर– जीवन के अनुरक्षण के लिए आवश्यक प्रक्रम निम्नांकित हैं–
(i) पोषण,
(ii) श्वसन,
(iii) शरीर के अंदर पदार्थों का संवहन,
(iv) अपशिष्ट उत्पादों का उत्सर्जन ।
प्रश्न 9. पोषण की परिभाषा दें ।
उत्तर-पोषण एक ऐसी जैविक प्रक्रिया है जिसमें जीवधारी पोषकों को अंतर्ग्रहण करके उससे ऊर्जा और नया जीवद्रव्य प्राप्त करते हैं ।
प्रश्न 10. स्वयंपोषी किसे कहते हैं ?
उत्तर - जब कोई जीव अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं, स्वयंपोषी कहलाते हैं।
प्रश्न 11. विषमपोषी किसे कहते हैं ?
उत्तर-जब कोई जीव अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, विषमपोषी कहलाते हैं।
प्रश्न 12. स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है ?
उत्तर- स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में अंतर–
स्वयंपोषी पोषण
(a) स्वपोषी पोषण हरे पौधों में होता है।
(b) ये ऐसे घटक हैं जो प्रकाशसंश्लेषण द्वारा अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं ।
(c) इनमें क्लोरोफिल होता है |
(d) इनमें प्रकाश संश्लेषण होता है
(e) उदाहरण– हरे पौधे, स्वपोषी जीवाणु ।
विषमपोषी पोषण
(a) विषमपोषी पोषण हरे पौधों तथा कुछ शैवालों को छोड़कर बाकी सभी जीवों में होता है ।
(b) ये भोजन के लिए स्वपोषित घटक द्वारा संश्लेषित पदार्थों पर निर्भर होते हैं।
(c) इनमें क्लोरोफिल नहीं होता है।
(d) इनमें प्रकाश संश्लेषण नहीं होता है।
(e) उदाहरण– अमीबा, मेढक मनुष्य आदि ।
प्रश्न 13. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं ?
उत्तर- स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक शर्तें है
(i) जैव कोशिकाओं में क्लोरोफिल की उपस्थिति।
(ii) पादप कोशिकाओं या हरे हिस्सों में पानी की आपूर्ति का प्रबन्ध या तो जड़ों द्वारा या आसपास के वातावरण के द्वारा ।
(iii) पर्याप्त सूर्य प्रकाश उपलब्ध हों, क्योंकि प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश ऊर्जा आवश्यक है।
(iv) पर्याप्त CO₂, जो प्रकाश संश्लेषण के दौरान शर्करा के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण अवयव है।
स्वपोषी पोषण के उपोत्पाद - स्टार्च (शर्करा), जल तथा O₂.
प्रश्न 14. प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है ?
उत्तर - प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री को पौधा अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त करता है।
जैसे– (i) पर्णहरित- पत्ती के हरित लवक से।
(ii) कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल से ।
(iii) जल इत्यादि - मृदा से ।
प्रश्न 15. प्रकाश संश्लेषण के लिए पत्तियों में कौन-से अनुकूलन होते हैं ?
उत्तर- (i) चौड़ी सतह,
(ii) पर्णहरित,
(iii) पतली संरचना,
(iv) रंध्र,
(v) शिराओं का जाल ।
प्रश्न 16. प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर- प्रकाश संश्लेषण के दौरान निम्नांकित घटनाएँ होती हैं
(i) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण ।
(ii) प्रकाश ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन तथा जल अणु का हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में टूटना।
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड का शर्करा में अपघटन ।
प्रश्न 17. प्रकाश संश्लेषण के दौरान कौन-कौन सी घटनाएँ होती हैं ?
उत्तर- प्रकाश संश्लेषण के दौरान निम्नांकित घटनाएँ होती हैं
(i) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण ।
(ii) प्रकाश ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन तथा जल अणु का हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में टूटना।
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड का शर्करा में अपघटन ।
प्रश्न 18. हमारे अमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?
उत्तर-(i) अमाशय में पाए जाने वाले इंजाइम भोजन का पाचन अम्लीय माध्यम में करते हैं। अमाशय में अम्ल भोजन को अम्लीय बनाता है ताकि जठर रस में पाए जाने वाले इंजाइम उसे पचा सके।
(ii) यह भोजन में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देता है।
प्रश्न 19. पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है ?
उत्तर-पाचक एंजाइम उत्प्रेरक क्रिया द्वारा भोजन के जटिल अवयवों को सरल भागों में खण्डित कर देते हैं जिससे वे घुलनशील हो जाते हैं और शरीर में उनका अवशोषण हो जाता है।
प्रश्न 20. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है ?
उत्तर– क्षुद्रांत्र की आन्तरिक भित्ति पर असंख्य रसांकुर पाए जाते हैं। इनमें रक्त वाहिकाओं एवं लिम्फ वाहिनी का जाल बिछा होता है। विसरण क्रिया द्वारा जन का प्रोटीन, ग्लूकोज, खनिज, विटामिन इत्यादि रक्त में सोख लिए जाते हैं। वसीय अम्लों एवं ग्लिसरॉल का अवशोषण लिम्फ वाहिनी में होता है।
उपर्युक्त के अतिरिक्त क्षुद्रांत्र की संकुचन और अनुशिथिलन की गति भी भोजन के अवशोषण में एक सीमा तक अवश्य सहायक होती है।
प्रश्न 21. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रक्रम कहाँ होता है ?
उत्तर– मनुष्य के पाचन तंत्र में वसा का पाचन–
(i) पक्वाशय में पित्त से मिलने पर वसा का पायसीकरण (इमल्सीकरण ) होता है ।
(ii) अग्न्याशयिक रस में पाया जाने वाला लाइपेज नामक पाचक रस पायसीकृत वसा को वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में बदल देता है।
पायसीकृतवसा + लाइपेज → वसीय अम्ल + ग्लिसरॉल
(iii) वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल छोटी आँत में पाए जाने वाले दीर्घ रोमों के अंदर लिम्फ वाहिनियों में सोख लिए जाते हैं जहाँ से वे रुधिर में पहुँच जाते हैं। यह प्रक्रम क्षुद्रांत के अग्रभाग या पक्वाशय में होता है।
प्रश्न 22. वसा के पायसीकरण का क्या महत्व है ?
उत्तर– वसा के कणों का सरलीकरण ही पायसीकरण कहलाता है। इसके उपरांत अग्न्याशयिक रस भोजन से मिलता है। इसमें एमाइलेज, ट्रिप्सिन और लाइपेज नामक इन्जाइम पाये जाते हैं। लाइपेज, पायसीकृत वसा को वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल में बदल देता है ।
प्रश्न 23. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?
उत्तर-मानव के मुख में तीन जोड़ी लाला ग्रन्थियाँ होती हैं। इनमें उत्पन्न होने वाला रस लार कहलाता है। इस रस में पाया जाने वाला एन्जाइम टायलिन कहलाता है। यह एन्जाइम भोजन में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज शर्करा में परिवर्तित करता है जो सरलता से आहार नाल के अन्य भागों में पाचित होता है।
प्रश्न 24. मानव की क्षुद्रांत्र में होने वाली पाचन प्रक्रियाओं का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर– (i) अधूरे पाचित शर्करा, प्रोटीन तथा वसा क्षुद्रांत्र में पहुँचते हैं।
(ii) क्षुद्रांत्र की भित्ति में ग्रन्थि होती है जो आंत्र रस सावित करती है। यह पाचन क्रिया को पूर्णता प्रदान करते हैं, जो निम्नांकित हैं–
(a) समस्त प्रोटीन एमिनो अम्ल में पाचित हो जाते हैं।
(b) समस्त शर्करा अन्ततः ग्लूकोज में पाचित हो जाते हैं।
(c) वसा कण वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में पाचित हो जाते हैं
प्रश्न 25. क्षुद्रांत्र में पाचित भोजन के अवशोषण में प्रवध (दीर्घरोम) के योगदान संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर–पाचित भोजन को आंत्र की भित्ति अवशोषित कर लेती है। क्षुद्रांत्र के आंतरिक स्तर पर अनेक अँगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं। ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं। दीर्घरोम में रुधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाते हैं। यहाँ इसका उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने, नए उत्तकों के निर्माण और पुराने ऊत्तकों की मरम्मत में होता है।
प्रश्न 26. शाकाहारी जानवरों को अपेक्षाकृत लंबी, छोटी-आँत की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर - शाकाहारी जंतुओं के भोजन में सेलुलोज होता है क्योंकि वे अधिकतर घास खाते हैं। सेलुलोज के पाचन के लिए लंबी पाचन नली की आवश्यकता होती है। माँस का पाचन सेलुलोज की अपेक्षा शीघ्र होता है। यह कारण है कि मांसाहारी जानवरों (जैसे- शेर, चीता आदि) की छोटी-आँत शाकाहारियों की छोटी-आँत से छोटी होती है।
प्रश्न 27. बृहदांत्र का क्या कार्य है ?
उत्तर- बिना पचा भोजन बृहदांत्र में भेज दिया जाता है जहाँ अधिसंख्य दीर्घरोम इस पदार्थ में से जल का अवशोषण कर लेते हैं। अन्य पदार्थ गुदा द्वारा शरीर के बाहर कर दिये जाते हैं। इस वर्ज्य पदार्थ का बहिःक्षेपण गुदा अवरोधिनी द्वारा नियंत्रित किया जाता है ।
प्रश्न 28. ओसोफैगस क्या है ?
उत्तर - यह एक भोजन की नली है, जो गले से आमाशय तक जाती है ।
प्रश्न 29. दीर्घरोम (विलाई) के दो कार्य लिखें।
उत्तर- दीर्घरोम के दो कार्य–
(i) क्षुद्रांत में अवशोषण के सतही क्षेत्रफल को बढ़ाना,
(ii) पाचक रसों का स्राव करना ।
प्रश्न 30. यकृत और अग्न्याशय के कार्य लिखें।
उत्तर- यकृत के कार्य–
(i) यकृत की कोशिकायें पित्त का स्राव करती हैं।
(ii) अतिरिक्त ग्लूकोज ग्लाइकोजन के रूप में परिवर्तित करके यकृत में संग्रह किया जाता है।
अग्न्याशय के कार्य–
(i) यह अग्नाशयिक रस का संश्लेषण संग्रह करता है जिसमें महत्वपूर्ण प्रोटीन वसा एवं कार्बोहाइड्रेट पाचक इंजाइम होते हैं।
(ii) यह इंसुलिन और ग्लूकागान जैसे महत्वपूर्ण हॉर्मोनों का स्राव करता है।
प्रश्न 31. पित्तरस के कोई दो कार्य लिखें।
उत्तर- (i) अमाशय से आए भोजन के अम्लीय प्रभाव को क्षारीय बनाता है।
(ii) यह आँत की दीवारों को क्रमाकुंचन के लिए उत्तेजित करता है।
* श्वसन
प्रश्न 1. श्वसन को परिभाषित करें।
उत्तर– वह जटिल जैविक रासायनिक प्रक्रम जिसमें कार्बनिक पदार्थों के चरणबद्ध (ऑक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है, कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनते हैं, श्वसन कहलाती है। इसे एक रासायनिक समीकरण द्वारा इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं–
C₆H₁₂O₆ + 6O₂ → 6CO₂ + 6H₂O + ऊर्जा
प्रश्न 2. श्वसन लेना क्या है ?
उत्तर– वह क्रिया जिसमें जीव वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकालते हैं, श्वसन लेना कहलाती है।
प्रश्न 3. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है ?
उत्तर– (i) स्थलीय जीव वातावरण से ऑक्सीजन लेते हैं तथा वातावरण में ऑक्सीजन की बहुलता रहती है। इसके विपरीत जलीय जीव जल में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं जिसकी मात्रा बहुत कम होती है।
(ii) स्थलीय जीवों में ऑक्सीजन का अवशोषण भिन्न-भिन्न अंगों द्वारा किया जाता है। इन सभी अंगों में सतही क्षेत्रफल को बढ़ाने की क्षमता होती है जो ऑक्सीजन के संपर्क में रहता है। अतः इन जीवों को धीमी गति से साँस लेना पड़ता है जबकि जलीय जीवों को तेजी से साँस लेना पड़ता है।
प्रश्न 4. वायवीय श्वसन और अवायवीय श्वसन के लिए एक रासायनिक समीकरण लिखें ।
उत्तर– वायवीय– C₆H₁₂O₆ + 6O₂ → 6CO₂ + 6H₂O + ऊर्जा (674 kcal)
अवायवीय– C₆H₁₂O₆ → 2C₂H₅OH + 2CO₂ + ऊर्जा (25 kcal)
प्रश्न 5. ऑक्सी (वायवीय) और अनॉक्सी (अवायवीय) श्वसन में कोई दो अंतर लिखें।
उत्तर– ऑक्सी और अनॉक्सी श्वसन में अंतर–
ऑक्सी (वायवीय) श्वसन
(a) इस श्वसन के लिए ऑक्सीजन आवश्यक है।
(b) ऑक्सीश्वसन में अधिक ऊर्जा मुक्त होती है।
अनॉक्सी (अवायवीय) श्वसन
(a) इस श्वसन के लिए ऑक्सीजन आवश्यक नहीं है। (b) अनॉक्सीश्वसन में कम ऊर्जा मुक्त होती है।
प्रश्न 6. ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं ?
उत्तर- ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के दो पथ हो सकते हैं–
(i) 6 कार्बन वाले ग्लूकोज अणु कोशिका द्रव्य में 3 कार्बन वाले पायरुवेट अणु तथा ऊर्जा में टूटते हैं एवं ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में पायरुवेट इथेनॉल, कार्बन डाइऑक्साइड और ऊर्जा में टूटता है । यीस्ट कोशिका में यह क्रिया जाइमेज नामक एन्जाइम की उपस्थिति में होती है जिसे किण्वन कहते हैं।
ग्लूकोज ____कोशिकाद्रव्य में→पाइरुवेट ___जाइमेज/यीष्ट→ इथेनॉल + CO₂ + ऊर्जा
6C (3C) ऊर्जा
(2C)
(ii) कोशिकाद्रव्य में 6 C ग्लूकोज अणु 3 C पायरुवेट अणु में टूटता है और ऊर्जा मुक्त होती है। पुनः 3 C पायरुवेट लैक्टिक अम्ल और ऊर्जा में परिवर्तित होता है। ऐसा हमारी पेशियों में उस समय होता है जब हम अधिक कार्य करते हैं और पेशियों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इससे पेशियों में क्रैम्प होता है और हम शीघ्र थक जाते हैं।
ग्लूकोज ____कोशिकाद्रव्य में→पाइरुवेट→लैक्टिक अम्ल + ऊर्जा
(6C) (3C) + ऊर्जा (2C)
प्रश्न 7. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है ?
उत्तर- मनुष्य एक जटिल शारीरिक रचना वाला विकसित प्राणी है । अतः साधारणतः विसरण क्रिया द्वारा इसके फेफड़ों के बीच गैसीय विनिमय संभव नहीं है। कुपिका भित्तियों में पाए जाने वाले रक्त का श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से संयुक्त होकर ऑक्सी हीमोग्लोबिन बन जाता है। यह ऑक्सीजन को स्थल तक छोड़कर पुनः हीमोग्लोबिन बन जाता है। यह रक्त में घुलित कार्बन डाइऑक्साइड को भी लाकर कुपिकाओं में छोड़ता है। फेफड़ों के पिचकने पर कार्बन डाइऑक्साइड स्वतः बाहर निकल जाती है। यदि हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन नहीं होता तो फेफड़े से पैर तक ऑक्सीजन लगभग 3 वर्षों में पहुँच पाती ।
हीमोग्लोबिन + ऑक्सीजन ⇋ ऑक्सी हीमोग्लोबिन
(लाल रक्तकण में)
हीमोग्लोबिन + कार्बन डाइऑक्साइड ⇋ कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन
(लाल रक्तकण में)
प्रश्न 8. गैसों के विनिमय के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है ?
उत्तर- मानव फुफ्फुस में अनगिनत कुपिकाएँ होती हैं। यदि इनके सम्मिलित क्षेत्रफल का आकलन करें तो वह लगभग 80 वर्गमीटर के बराबर होगा। अतः इन कुपिकाओं की ही अभिकल्पना है कि हमारे फुफ्फुस (फेफड़ों) का क्षेत्रफल अधिकतम हो जाता है।
प्रश्न 9. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?
उत्तर- (i) कूपिका की भित्ति पतली होती है तथा रुधिर वाहिकाओं के जाल से ढकी हुई होती है, जिससे गैसों का आदान-प्रदान, रुधिर तथा कूपिका के अंदर भरी हवा के बीच अधिकाधिक हो सके।
(ii) कूपिका की संरचना गुब्बारे के समान है, जो गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ा देती है।
प्रश्न 10. जलीय जंतुओं में स्थलीय जंतुओं की अपेक्षा श्वसन दर अधिक तेज क्यों होती है ?
उत्तर–वायु में ऑक्सीजन की मात्रा जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा से अधिक है। अतः ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए जलीय जंतुओं को तेज दर से 'स लेना पड़ता है। वायु में पर्याप्त ऑक्सीजन होने के कारण स्थलीय जंतुओं को तेजी से साँस लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
प्रश्न 11. हीमोग्लोबीन क्या है ?
उत्तर- हीमोग्लोबीन लाल रंग का रंजक है, जो रुधिर में उपस्थित होता है। इसकी कमी से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन प्रभावित हो सकता है। या, वह पदार्थ जिससे रुधिर की कणिकाओं का रंग लाल होता है, हीमोग्लोबीन कहलाता है।
प्रश्न 12. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर- हीमोग्लोबिन लाल रंग का रंजक है जो रुधिर में उपस्थित होता है। इसकी कमी से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन प्रभावित हो सकता है। हीमोग्लोबिन फेफड़े से ऑक्सीजन प्राप्त कर उसे सारे शरीर में पहुँचाता है। यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाएगी तो शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन की आवश्यक मात्रा नहीं पहुँच सकेगी। इसके परिणामस्वरूप भोजन का ऑक्सीकरण पूर्ण रूप से नहीं हो सकेगा तथा ऊर्जा का उत्पादन कम होगा। इससे शारीरिक कमजोरी बढ़ेगी ।
हीमोग्लोबिन की कमी की स्थिति को रक्त-अल्पता के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 13. मानव के श्वसन में हीमोग्लोबिन की क्या भूमिका है ?
उत्तर- हीमोग्लोबिन एक प्रकार का परिवहन प्रोटीन है। यह रक्त से ऊतकों तक ऑक्सीजन के परिवहन का कार्य करता है ।
जब हीमोग्लोबिन आक्सीजन से संयुक्त होता है तब वह ऑक्सीहीमोग्लोबिन बन जाता है। परन्तु जब ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है तब ऑक्सीहीमोग्लोबिन पुनः हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन में टूटकर ऑक्सीजन को मुक्त कर देता है।
प्रश्न 14. फेफड़ों से ऑक्सीजन ऊतकों तक कैसे पहुँचती है ?
उत्तर- लाल रक्त कणिकाएँ श्वसन क्रिया में शरीर के अंदर ऑक्सीजन का संवहन करती है। इनके अंदर हीमोग्लोबिन नामक एक प्रोटीन पाया जाता है। यह फेफड़ों के वायु से ऑक्सीजन को अवशोषित कर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है। यह ऑक्सीहीमोग्लोबिन रुधिर के माध्यम से भ्रमण करते हुए ऊतकों में जाता है और ऑक्सीजन मुक्त करता है।
प्रश्न 15. ए० टी० पी० (ATP) क्या है ?
उत्तर– ATP अधिकांश कोशिकीय क्रियाओं के लिए ऊर्जा का स्रोत है। श्वसन की क्रिया मुक्त हुई ऊर्जा का प्रयोग ADP तथा फॉस्फेट से ATP बनाने में होता है।
ATP + P ___ऊर्जा→ ADP ~ P = ATP
यहाँ, P= फॉस्फेट
प्रश्न 16. कूपिका किसे कहते हैं ?
उत्तर- फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाता है अंत में गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है, जिसे कूपिका कहते हैं।
प्रश्न 17. श्वसन किस प्रकार श्वाँस लेने से भिन्न है ?
उत्तर–
श्वाँस लेना
(a) यह एक भौतिक प्रक्रिया है।
(b) यह श्वसन तंत्र में होती है ।
(c) कोई ऊर्जा मुक्त नहीं होती है।
श्वसन
(a) यह एक जैव रासायनिक क्रिया है।
(b) यह कोशिका के माइटोकाँड्रिया में होती है।
(c) ऊर्जा मुक्त होती है।
प्रश्न 18. श्वसन और प्रकाश संश्लेषण में अन्तर लिखें ।
उत्तर - श्वसन और प्रकाश संश्लेषण में अन्तर–
श्वसन
(a) यह एक अपचयन क्रिया है।
(b) इसमें ग्लूकोज का आक्सीकरण होता है।
(c) इसमें आक्सीजन का उपयोग होता है।
(d) यह जीवधारियों में ऊर्जा उत्पादन का एकमात्र जैविक प्रक्रम है
(e) इसके अन्त में CO₂ मुक्त होती है।
प्रकाश संश्लेषण
(a) यह एक उपचयन क्रिया है।
(b) इसमें ग्लूकोज का संश्लेषण होता है।
(c) इसमें CO₂ का उपयोग होता है।
(d) यह भोजन उत्पादन का एकमात्र प्रक्रम है।
(e) इसके अन्त में ऑक्सीजन मुक्त होती है।
* वहन
प्रश्न 1. वहन किसे कहते हैं ?
उत्तर-पौधे के एक भाग से दूसरे भागों तक जल और खनिज लवणों का परिवहन, वहन कहलाता है।
प्रश्न 2. रुधिर (रक्त) क्या है ? इसके दो कार्य लिखें ।
उत्तर- रक्त एक तरल संयोजी उत्तक है।
रक्त के कार्य - (i) शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन,
(ii) पोषक तत्त्वों का शरीर में परिवहन ।
प्रश्न 3. रक्तदाब किसे कहते हैं ? इसे किस यंत्र द्वारा मापा जाता है ?
उत्तर- रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगाता है उसे रक्तदाब कहते हैं। रक्तदाब को स्फाईग्मो मैनोमीटर नामक यंत्र से नापा जाता है।
प्रश्न 4. वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर- पादप के वायवीय भागों द्वारा वाष्प के रूप में जल की हानि वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।
प्रश्न 5. पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन का दो महत्व लिखें।
उत्तर– पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन का महत्व –
(i) जल के अवशोषण एवं जड़ से पत्तियों तक जल पहुँचाने में सहायक है।
(ii) खनिज लवणों के उपरिमुखी गति में सहायक है।
प्रश्न 6. पौधों में परिवहन के सन्दर्भ में स्थानान्तरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर– भोजन का परिवहन तनु विलयन के रूप में पौधे में होता है। पत्तियों से पौधों के अन्य भागों में भोजन के परिवहन को स्थानान्तरण कहते हैं।
प्रश्न 7. किन परिस्थितियों में पौधों में समुचित परिवहन तंत्र की उपस्थिति आवश्यक हो जाती है ?
उत्तर- पौधों के लिए आवश्यक पोषक पदार्थ मिट्टी में पाए जाते हैं परंतु भोजन का संश्लेषण पत्तियों में होता है, जो जड़ से दूर होती हैं। अतः जड़ों द्वारा अवशोषित होने के बाद ये पोषक पदार्थ विसरण द्वारा पत्तियों तक नहीं पहुँच सकते हैं। इसी प्रकार किसी वृक्ष में भोजन भी आसानी से विभिन्न भागों तक नहीं पहुँच सकता है। यही कारण है कि बड़े पौधों और वृक्षों में समुचित परिवहन तंत्र का होना अनिवार्य है।
प्रश्न 8 पदार्थों में स्थानांतरण की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-पौधों में पदार्थों का परिवहन बहुत आवश्यक होता है। पौधे जड़ों और पत्तों के द्वारा भोजन तैयार करते हैं। पत्तों के द्वारा तैयार किया भोजन जड़ों की ओर तथा जड़ों के द्वारा तैयार भोजन पत्तें की ओर जाना आवश्यक है। परिवहन के द्वारा भोजन पौधे के सभी भागों के पास पहुँच जाता है। ।
प्रश्न 9. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन से हैं ? इन घटकों के क्या कार्य हैं ?
उत्तर- मानव में वहन तंत्र के घटक और उनके कार्य निम्नांकित हैं–
(i) हृदय - रुधिर को एक पम्प की तरह शरीर के विभिन्न भागों में भेजना, अशुद्ध रक्त को शुद्ध होने के लिए फेफड़ों और गुर्दों में भेजना तथा शुद्ध रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में भेजना।
(ii) धमनियाँ - शुद्ध या ऑक्सीजनित रुधिर को हृदय से दूर शरीर के अंगों में भेजना।
(iii) शिराएँ - अशुद्ध या विऑक्सीजनित रक्त को हृदय तक लाना।
(iv) कोशिकाएँ- रक्त को शरीर के संकीर्ण भागों एवं त्वचा में भेजना।
(v) बिम्बाणु या प्लेटलेट्स- रुधिर का थक्का बनने में सहायता करना एवं अनुरक्षण।
प्रश्न 10. शरीर में रक्त को पहुँचाने के लिए हमारे शरीर को हृदय जैसे पंप की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर- रक्त या रुधिर में तरल माध्यम होता है जिसे प्लाज्मा कहते हैं। इसी में रक्त कोशिकाएँ डूबी हुई रहती है। प्लाज्मा घुलित अवस्था में पोषक पदार्थों, कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन के उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन करती है। लाल रक्त कोशिकाएँ ऑक्सीजन का परिवहन करती है। रक्त बहुत से अन्य पदार्थों जैसे लवणों का भी परिवहन करता है। यही कारण है कि रक्त को पूरे श में भेजने के लिए हृदय जैसे पंप की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 11. रुधिर और लसीका में अंतर बताएँ। उत्तर- रुधिर और लसीका में अंतर–
रुधिर
(a) यह लाल रंग का होता है।
(b) इसमें हीमोग्लोबिन होता है।
(c) इसमें लाल रक्त कणिकाएँ, श्वेत रक्त कणिकाएँ और रुधिर पट्टिकाएँ होती हैं।
(d) यह हृदय से अंगों तक बहता है और वापस आता है।
(e) इसमें श्वसन वर्णक, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और वर्ज्य पदार्थ होते हैं।
(f) इसमें सभी प्रकार के रक्त में प्रोटीन पाए जाते हैं ।
लसीका
(a) यह रंगहीन या हल्के पीले रंग का होता है।
(b) इसमें हीमोग्लोबिन नहीं होता है।
(c) इसमें कणिकाएँ नहीं होती हैं।
(d) यह केवल एक ही दिशा में बहता है अर्थात् ऊतकों से हृदय की ओर।
(e) यह शरीर की कोशिकाओं को नहलाता है।
(f) इसमें फाइब्रिनोजन नहीं होता है।
प्रश्न 12. ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर में अंतर बताएँ ।
उत्तर - ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर में अंतर–
ऑक्सीजनित रुधिर
(a) इसमें O₂ की मात्रा अधिक तथा CO₂ की मात्रा बहुत कम होती है ।
(b) यह हृदय से शरीर के समस्त भागों में जाता है।
विऑक्सीजनित रुधिर
(a) इसमें CO₂ की मात्रा अधिक तथा O₂ की मात्रा बहुत कम होती है।
(b) यह शरीर के समस्त भागों से हृदय की ओर जाता है।
प्रश्न 13. धमनी और शिरा में अंतर लिखें।
उत्तर-धमनी और शिरा में अंतर–
धमनी
(a) धमनी की दीवार मोटी होती है।
(b) धमनी हृदय से रक्त लेकर शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुँचाते हैं।
(c) इनमें बाल्व नहीं होता है।
शिरा
(a) शिरा की दीवार पतली होती है।
(b) यह शरीर के विभिन्न अंगों से रक्त लेकर हृदय में पहुँचाते
(c) इनमें बाल्व होता है।
प्रश्न 14. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है ?
उत्तर- जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में अंतर–
जाइलम
(a) जाइलम जड़ से पत्तियों तथा अन्य भागों में जल तथा घुले लवण परिवहित करते हैं ।
(b) जाइलम में पदार्थों का परिवहन वाहिकाओं तथा वाहिनियों द्वारा होता है, जो मृत ऊतक हैं।
(c) वाष्पोत्सर्जन पुल के कारण ऊपर की ओर जल तथा घुले लवणों का चढ़ना संभव हो पाता है । यह पत्ती की कोशिकाओं से जल अणुओं के वाष्पीकरण से उत्पन्न खिंचाव के कारण होता है।
(d) जल का परिवहन सरल भौतिक (गति के अन्तर्गत होता है । ऊर्जा खर्च नहीं होती है । अतः ATP की आवश्यकता नहीं है ।
फ्लोएम
(a) फ्लोएम, भोजन पदार्थों को घुली अवस्था में पत्तियों से पादप के दूसरे हिस्सों तक परिवहित करता है।
(b) फ्लोएम में पदार्थों का परिवहन चालनी ट्यूबों द्वारा सहचर कोशिकाओं की मदद से होता है, जो जैव कोशिकाएँ हैं।
(c) स्थानांतरण में, पदार्थ फ्लोएम ऊतक में ATP ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए होता है। यह परासरण दाब बढ़ा देता है जो फ्लोएम से पदार्थों को ऊतकों की ओर भेजता है, जिनमें दाब कम होता है ।
(d) फ्लोएम में स्थानांतरण एक सक्रिय क्रिया है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा ATP से प्राप्त होती है।
प्रश्न 15. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-ऑक्सीजनित एवं विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करने से शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति होती है। स्तनधारियों एवं पक्षियों में शरीर के ताप को समान बनाए रखने के लिए लगातार ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः इन प्राणियों में दोनों प्रकार के रुधिर को अलग करना आवश्यक होता है।
प्रश्न 16. उच्च संघटित पादपों में वहन तंत्र के क्या घटक हैं ?
उत्तर- उच्च संगठित पादपों में वहन तंत्र के दो प्रधान घटक हैं
(i) जाइलम जो खनिजों के जलीय घोल का वहन जड़ों से पूरे पादप में करती है।
(ii) फ्लोएम जो पत्तियों द्वारा संश्लेषित भोजन को पूरे पादप में फैलाती है।
प्रश्न 17. पादपों में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है ?
उत्तर-पादप में जल और खनिज लवण का वहन जाइलम वाहिनियों द्वारा होता है। परासरण के नियमानुसार मृदा के कणों के बीच उपस्थित खनिजों का जलीय घोल जड़ों के मूलरोमों में प्रवेश करता है और इसी प्रकार उच्च सांद्रण से निम्न सांद्रण की ओर बढ़ता हुआ जाइलम वाहिनियों में पहुँच जाता है। वाष्पोत्सर्जन के कारण उत्पन्न खिंचाव, परासरण दाब एवं कोशिका दाब के प्रभाव में जलीर घोल पौधे के शीर्ष भाग तक पहुँच जाता है। इसे रसारोहन भी कहते हैं।
प्रश्न 18. लसीका (लिम्फ) क्या है ? इसका क्या कार्य है ?
उत्तर- ऊतकों के अन्तर्कोशिकीय अवकाशों में पाया जाने वाला प्लाज्मा प्रोटीन तथा रक्त कोशिकाओं से बना रंगहीन तरल पदार्थ लसीका कहलाता है। यह कोशिका झिल्ली के छिद्रों से होकर बाहर निकले हुए प्लाज्मा, प्रोटीन तथा रक्त कोशिकाओं के मिलने बनता है।
लसीका शरीर की संक्रमण से सुरक्षा करता है, प्रोटीन एवं वसा की दीर्घाणुओं का परिवहन करता है, रक्त ऊतकों के अतिरिक्त जल को रक्त में सम्मिलित कराता है।
प्रश्न 19. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है ?
उत्तर–पादपों में भोजन का वहन पत्तियों से प्रारम्भ होकर फ्लोएम वाहिनियों द्वारा पूरे पादप शरीर में होता है। फ्लोएम वाहिनियों की चालनी नलिका में चालनी पट्ट से होकर भोजन का प्रवाह उच्च सांद्रण से निम्न सांद्रण की ओर होता है।
प्रश्न 20. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या करें।
उत्तर- मनुष्य में रक्त को हृदय से होकर दो बार गुजरना पड़ता है। इसे दोहरा परिसंचरण कहते है।
शिराओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त हृदय में लाया जाता है। हृदय उसे शुद्ध होने के लिए अलग मार्ग से फुफ्फुस में भेज देता है जहाँ कार्बन डाइऑक्साइड बाहर विसरित हो जाती है और ऑक्सीजन रक्त में आ जाती है। इस प्रकार ऑक्सीजनयुक्त रक्त पुनः हृदय में आता है जिसे शरीर के अंगों में पहुँचाने के लिए पम्प कर दिया जाता है।
प्रश्न 21. हृदय के निलय की दीवार अधिक मांसल और मोटी होती है, परंतु अलिन्दों की नहीं। क्यों ?
उत्तर-निलय द्वारा शरीर के सुदूर भागों में ऑक्सीजन युक्त रक्त भेजना पड़ता है और पुनः अशुद्ध रक्त जमा करना होता है। इस कारण से निलय की माँसपेशियों को अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है। अतः उनकी दीवार अधिक मांसल और मोटी होती है। जबकि अलिन्दों में फेफड़े से रक्त आता है, जो हृदय के निकट ही स्थित होता है। फिर वह रक्त वाल्व से होकर निलय में चला जाता है। अतः उसकी मांसपेशियों को अधिक शक्ति की आवश्यकता नहीं होती।
प्रश्न 22. हृदय में चार चैम्बरों के होने से क्या लाभ है ?
उत्तर-ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड दोनों का एक ही रक्त के माध्यम से परिवहन होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि ऑक्सीजन से समृद्ध रक्त को • कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध रक्त में मिलने से रोका जाए। कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध रक्त को फेफड़ों की भित्तियों में जाना आवश्यक होता है ताकि उसके कार्बन डाइऑक्साइड को अलग किया जा सके। इसके साथ ही ऑक्सीजन युक्त कार्बन डाइऑक्साइड विहीन रक्त को हृदय में रखना होता है ताकि उसको शरीर के अन्य अंगों में भेजा जा सके। इसलिए मानव हृदय में चार चैम्बर होते हैं।
* उत्सर्जन
प्रश्न 1. उत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर- वह जैव प्रक्रम जिसमें हानिकारक उपापचयी वर्ज्य पदार्थों (जैसे- यूरिया, अमोनिया, CO₂ तथा जल) का निष्कासन होता है, उत्सर्जन कहलाता है।
प्रश्न 2. अपोहन (डायलिसिस) किसे कहते हैं ?
उत्तर-वह प्रक्रिया जिसके द्वारा रक्त में उपस्थित पदार्थों के छोटे अणु छान लिये जाते हैं परन्तु प्रोटीन जैसे बड़े अणु नहीं छन पाते, अपोहन कहलाती है।
प्रश्न 3. डायलिसिस का नियम क्या है ?
उत्तर-अपोहन में सेल्युलोज की नलिका विलयन के टंकी से जुड़ी रहती है। जब रुधिर प्रवाहित होता है तो अशुद्धि टंकी में आ जाती है। स्वच्छ रुधिर रोगी के शरीर में पुनः प्रविष्ट करा दिया जाता है।
प्रश्न 4. नेफ्रॉन (वृक्काणु) किसे कहते हैं ? उत्सर्जन में इसकी क्या भूमिका है ?
उत्तर - गुर्दों के भीतर असंख्य वृक्क नलिकाएँ होती है जिन्हें अंग्रेजी में नेफ्रॉन कहते हैं। उत्सर्जन में नेफ्रॉन की भूमिका- वृक्क नलिकाएँ मूत्र छनन क्रिया से सीधे संबंधित होती हैं। वृक्क नलिका की रचना और कार्य का विवरण इस प्रकार हैप्रत्येक नेफ्रॉन का एक सिरा कप जैसी रचना बनाता है जिसे बोमेन कैप्सूल कहते हैं। इसके अन्दर रक्त केशिकाओं का जाल होता है जिसे केशिका गुच्छ कहते हैं।
केशिका गुच्छ में उच्च रक्त चाप के कारण उत्सर्जी पदार्थ छन कर बोमेन कैप्सूल में चले जाते हैं और वहाँ से कुंडलित नाल और हेनेल्स लूप से होते हुए संग्राहक नलिका में पहुँचते हैं। संग्राहक नलिका मूत्राशय तक जाती है। इस प्रकार छने हुए उत्सर्जी पदार्थ मूत्राशय में पहुँचते हैं जहाँ उन्हें समय-समय पर त्याग दिया जाता है।
प्रश्न 5. मानव उत्सर्जन तन्त्र का वर्णन करें।
उत्तर- गुर्दे, मूत्र-वाहिनी मूत्राशय और मूत्र उत्सर्जन नली को सम्मिलित रूप से उत्सर्जन तन्त्र कहते हैं।
मानव के शरीर में उदर भाग में पीछे की ओर दो गुर्दे होते हैं। प्रत्येक गुर्दे मूत्र वाहिनी नलिका द्वारा मूत्राशय से संबन्धित होता हैं। मूत्राशय एक थैलीनुमा रचना होती है जिसमें मूत्र इक्ट्ठा रहता है। मूत्राशय जनन नलिका द्वारा बाहर खुलता है। इसी नलिका से होकर शरीर से बाहर मूत्र का निष्कासन किया
प्रश्न 6. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है ?
उत्तर - मूत्र बनने की मात्रा का नियमन उत्सर्जी पदार्थों के सांद्रण, जल की मात्रा तंत्रिकीय आवेश तथा उत्सर्जी पदार्थों की प्रकृति द्वारा होता है।
प्रश्न 7. मानव वृक्क में मूत्र छनन क्रिया को समझाएँ ।
उत्तर - मानव वृक्क की वृक्कनलिकाओं के बोमैन कैप्सूल में रक्त की छनन क्रिया होती है। वहाँ से रक्त के उत्सर्जी पदार्थ जल के साथ संग्राहक नलिका से होते मूत्राशय तक पहुँच जाते हैं। इस प्रकार मानव वृक्क में मूत्र-छनन क्रिया सम्पन्न होती है।
प्रश्न 8. पौधों में उत्सर्जन किस प्रकार होता है ?
उत्तर- पौधों में विभिन्न पदार्थों का उत्सर्जन निम्न प्रकार से होता है
(i) प्रकाश संशलेषण की प्रक्रिया में उत्पन्न ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्सर्जी उत्पाद हैं जिनका उत्सर्जन पत्तियों में उपस्थित रघ्रों द्वारा होता है।
(ii) पौधों द्वारा प्राप्त किए गए अतिरिक्त जल का उत्सर्जन वाष्पोत्सर्जन द्वारा होता है। इसमें रंध्र मुख्य भूमिका निभाते हैं।
(iii) पत्तों के गिरने तथा छाल के उतरने से संग्रहीत उत्सर्जी पदार्थों का उत्सर्जन होता है।
प्रश्न 9. अमीबा में खाद्यों के अन्तर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण तथा अनपचे भोजन का उत्सर्जन कैसे होता है ?
उत्तर- अमीबा में खाद्यों के अन्तर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण तथा अनपचे भोजन का उत्सर्जन
(i) अमीबा अपनी सतह पर अंगुलियों जैसे अस्थायी प्रवर्ध बनाता है। इन्हें कूटपाद कहते है। कूटपाद भोजन को घेरकर एक खाद्य-धानी बनाते हैं और स्वयं गायब हो जाते हैं।
(ii) कोशिका द्रव्य में उपस्थित पाचक इन्जाइम रिक्तिका या खाद्य-धानी में प्रवेश करते हैं और भोजन को पचाते हैं। खाद्य-धानी कोशिका में भ्रमण करती रहती है और बचे हुए भोजन के कण विसरित होकर कोशिका द्रव्य में मिलते रहते हैं।
(iii) रिक्तिका घूमते-घूमते कोशिका की सतह से चिपककर फट जाती है। तब अनपचा भोजन कोशिका से बाहर निकल जाता है।
प्रश्न 10. चयनात्मक पुनरावशोषण क्या है ? यह क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- बोमैन कैप्सूल के कोशिका गुच्छ में उच्च रक्तचाप के कारण बहुत से पदार्थ छनकर संग्राहक नलिका में चले जाते हैं। इन पदार्थों में कुछ आवश्यक पोषक पदार्थ भी होते हैं। जब छने हुए पदार्थ जल के साथ आगे बढ़ते हैं तब हेनेल्स लूप एवं कुंडलित नाल से इन पदार्थों को फिर से वापस शोषित कर लिया जाता है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को चयनात्मक पुनरावशोषण कहा जाता है।
चयनात्मक पुनरावशोषण अनिवार्य प्रक्रम है क्योंकि ऐसा नहीं होने पर बहुत से पोषण तत्व रक्त से छनकर शरीर से बाहर चले जाएँगे और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। नेफ़ान और नेफ्रिडिया में अंतर लिखें।
प्रश्न 11. नेफान और नेफ़िडिया में अंतर–
नेफ्रान
(a) यह वृक्क की संरचनात्मक व कार्यात्मक इकाई है।
(b) यह मनुष्य के वृक्क में पाये जाते हैं।
(c) ये एक ही प्रकार के होते हैं. नेफ्रिडिया अध्यावरणी त्वचीय ।
(d) ये मूत्रवाहिनी में खुलते हैं।
नेफ्रिडिया
(a) यह एक उत्सर्जक अंग है।
(b) यह केचुए में पाया जाता है।
(c) ये दो प्रकार के होते हैं- पटीय नेफ्रिडिया तथा ग्रसनीय नेफ्रिडिया ।
(d) ये शरीर के बाहर, आहार नाल में खुलते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. पोषण से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न प्रकार की पोषण विधियों का उदाहरण सहित वर्णन करें।
उत्तर- किसी जीवधारी द्वारा पोषक पदार्थों के अन्तर्ग्रहण और उपयोग से सम्बन्धित जटिल प्रक्रम को पोषण कहते हैं।
पोषण की विधियों के प्रकार–
(i) स्वपोषण,
(ii) परपोषण -
(a) प्राणि समपोषण,
(b) परजीवी पोषण,
(c) मृतोपजीवी पोषण ।
(i) स्वपोषण - जब कोई जीव अपना भोजन स्वयं बनाता है तब पोषण की इस विधि को स्वपोषण कहते हैं। उदाहरण- पौधों की पोषण-विधि ।
(ii) परपोषण – जब कोई जीव अपने पोषण के लिए अन्य जीवों पर आश्रित रहता है तब पोषण की इस विधि को परपोषण कहते हैं। यह तीन प्रकार का होता है
(a) परजीवी पोषण- जब कोई जीव किसी दूसरे जीव से अपना भोजन प्राप्त करता है तो पोषण की इस विधि को परजीवी पोषण कहते हैं । ऐसे जीवों को परजीवी कहते हैं। मच्छर (बाह्य परजीवी) एवं फीता कृमि (अन्तः परजीवी) परजीवियों के उदाहरण हैं।
(b) प्राणि समपोषण– जब कोई जीव अपना भोजन ठोस टुकड़ों के रूप में ग्रहण करता है, उसे पचाता है तथा उसका अवशोषण करता है तब इस प्रकार के पोषण को प्राणि समपोषण कहते हैं। उदाहरण- अमीबा तथा मेढक में पोषण |
(c) मृतोपजीवी पोषण - जब कोई जीव अपना भोजन मृत तथा सड़ी-गली वस्तुओं से प्राप्त करता है- कवकों में इसी प्रकार का पोषण होता है।
प्रश्न 2. प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं? एक उपयुक्त प्रयोग के वर्णन द्वारा साबित करें कि प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम के लिए प्रकाश अनिवार्य है।
उत्तर- प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नांकित हैं–
(i) प्रकाश,
(ii) तापक्रम,
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड का सांद्रण। प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश की अनिवार्यता साबित करने के लिए एक साधारण प्रयोग करते हैं।
प्रयोग– एक गमले में लगे पौधे को 72 घंटे लगातार अंधकार में रखते हैं। अब उसकी एक पत्ती तोड़कर तथा एक सामान्य पौधे की कोई पत्ती तोड़कर लेते है। अब पत्तियों को गुनगुने पानी में डुबाकर मुलायम कर लेते हैं तथा दोनों पत्तियों को अलग-अलग प्लेटों में रखकर उन पर आयोडीन की कुछ बूंदे डालते हैं।
निरीक्षण- हम देखते हैं कि अंधकार में रखे गये पौधे की पत्ती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा परन्तु प्रकाश में रहने वाले पौधे की पत्ती आयोडीन डालने पर नीले रंग को प्रदर्शित करती है। स्टार्च आयोडीन के साथ नीला रंग उत्पन्न करता है। अतः प्रकाश में रहने वाली पत्ती में प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण क्रिया होने के कारण स्टार्च बना था। जो पौधा 72 घंटे से अंधेरे में था उसका सारा स्टार्च खर्च हो गया और 72 घंटे प्रकाश नहीं मिल पाने के कारण उसमें प्रकाश संश्लेषण नहीं हुआ।
निष्कर्ष - इस प्रयोग से सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण लिए प्रकाश अनिवार्य है।
प्रश्न 3. रन्ध्र क्या है ? रन्ध्र के दो कार्य लिखें। रन्ध्रों का खुलना तथा बंद होना किस प्रकार नियन्त्रित होता है ?
उत्तर- पत्ती की निचली सतह पर पाए जाने वाले छिद्रों को रन्ध्र कहते हैं।
रन्ध्र के कार्य–
(i) पादपों में, रन्ध्रों द्वारा गैसों का आदान-प्रदान होता है।
(ii) वाष्पोत्सर्जन के दौरान, रन्ध्रों के द्वारा ही जल वाष्प बनकर उड़ता है।

रन्ध्र द्वार कोशिकाओं के बीच में होते हैं। रन्ध्रों का खुलना, जल के वाष्प बनकर उड़ने की गति तथा प्रकाश उपस्थिति के स्तर, इन दो घटकों पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे प्रकाश संश्लेषण की गति बढ़ती है, वैसे-वैसे पत्ती में CO₂ की सान्द्रता कम होती जाती है तथा शर्करा बढ़ती चली जाती है। शर्करा के स्तर में अंतर, परासरण दबाव में अन्तर उत्पन्न करता है। यह दबाव रन्ध्रों को खोलता है।
इसी प्रकार, जब द्वार कोशिकाएँ सिकुड़ती हैं, तब रन्ध्र बन्द हो जाते हैं।
प्रश्न 4. पाचन किसे कहते हैं ? मनुष्य के शरीर में कार्बोहाइड्रेट का पाचन कैसे होता है ?
उत्तर- पाचन- अघुलनशील एवं जटिल भोजन को घुलनशील एवं सरल रूप में बदलना पाचन कहलाता है।
कार्बोहाइड्रेट का पाचन–
(i) मुख में लार ग्रन्थियों से निकलने वाला टायलीन नामक इन्जाइम कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज में बदल देता है।
(ii) पक्वाशय में अग्न्याशय से आने वाला पाचक एन्जाइम माल्टोज को ग्लूकोज में बदल देता है।
(iii) छोटी आँत में पाया जाने वाला इन्जाइम सक्कस इन्टेरिकस शेष बचे कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में बदल देता है।
प्रश्न 5. मनुष्य के पाचन तंत्र में प्रोटीन का पाचन कैसे होता है ?
उत्तर- प्रोटीन का पाचन–
(i) अमाशय में अमाशयिक रस (जठर रस) में पाया जाने वाला पेप्सिन नामक इन्जाइम अघुलनशील प्रोटीन को पेप्टोन में बदल देता है।
(ii) पक्वाशय में अग्न्याशयिक रस में पाया जाने वाला प्रोटीन पाचक इन्जाइम ट्रिप्सिन, पेप्टोन को अमीनो अम्ल में बदल देता है।
(iii) छोटी आँत में सक्कस इनटेरिकस द्वारा शेष बचे प्रोटीन को अमीनों अम्ल में बदल दिया जाता है।
प्रश्न 6. मनुष्य में भोजन की पाचन क्रिया का वर्णन करें ।
उत्तर- मनुष्य में भोजन का पाचन निम्नांकित चरणों में संपन्न होता है–
(i) मुख में पाचन- मुख में लार ग्रन्थियों से निकलने वाले लार में टायलीन नामक कार्बोहाइड्रेट-पाचक इन्जाइम होता है जो कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज में बदल देता है। इसके बाद भोजन अमाशय में पहुँचता है।
(ii) अमाशय में भोजन का पाचन- अमाशय की आन्तरिक भित्ति में पायी जाने वाली ग्रंथियों से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल निकलता है जो (a) माध्यम को अम्लीय बनाता है और (b) बीमारी के जीवाणुओं को नष्ट कर देता है। अमाशय की जठर ग्रंथियों से निकलने वाले जठर रस में प्रोटीन पाचक इन्जाइम पेप्सिन पाया जाता है जो प्रोटीन को घुलनशील पेप्टोन में बदल देता है। बच्चों में दूध की केसीन को पचाने के लिए रेनिन नामक अतिरिक्त इन्जाइम भी इस में पाया जाता है। अमाशय के बाद भोजन पक्वाश्य में पहुँचाता है।
(iii) पक्वाशय में पाचन- यहाँ भोजन से दो प्रकार के पदार्थों का मेल होता है
(a) पित्त और (b) अग्न्याशयिक रस । पित्त माध्यम को क्षारीय बनाता है, वसा का पायसीकरण करता है और बीमारियों के जीवाणुओं को नष्ट करता है।
अग्न्याशयिक रस में पाये जाने वाले पाचक रसों की क्रिया इस प्रकार होती है–
एमाइलेज + माल्टोज →ग्लूकोस
ट्रिप्सिन + पेप्टोन →पेप्टाइडेज
लाइपेज + पायसीकृतवसा →वसीय अम्ल + ग्लिसराल
(iv) छोटी आँत में पाचन- इसमें उपर्युक्त में से प्रत्येक पदार्थ के शेष भागों को पचाने के लिए एन्जाइम होते हैं । माल्टोज ग्लूकोज में बदल दिया जाता है और आँत में पाये जाने वाले रसाकुरों द्वारा पचा हुआ भोजन अवशोषित करके रक्त में भेज दिया जाता है।
(v) बड़ी आँत में पाचन- बड़ी आँत में अनपचे भोजन के अतिरिक्त जल का अवशोषण होता है एवं अनपचे भोजन का बहिष्करण कर दिया जाता है।
प्रश्न 7. पोषण को परिभाषित करें। अमीबा में पोषण प्रक्रिया का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर- पोषण - जीवधारियों द्वारा पोषक पदार्थों के अन्तर्ग्रहण और उपयोग की प्रक्रिया को पोषण कहते हैं ।
अमीबा में पोषण-अमीबा में कूटपादों द्वारा भोजन का अन्तर्ग्रहण होता है। भोजन खाद्य-धानी में बन्द हो जाता है । पाचक रस खाद्य-धानी में प्रवेश करके भोजन को पचाते हैं । पाचित भोजन विसरित होकर खाद्य-धानी से बाहर निकल कर जीवद्रव्य में मिलता रहता है । खाद्यधानी कोशिका में भ्रमण करती रहती है।

प्रश्न 8. पाचन तंत्र किसे कहते हैं ? मनुष्य के पाचन तंत्र के विभिन्न भागों के नाम और उनके कार्य लिखें।
उत्तर- भोजन की पाचन क्रिया और अवशोषण से संबंधित अंगों के समूह को पाचन तंत्र कहते हैं ।
मनुष्य के पाचन तंत्र के भाग और उनके कार्य इस प्रकार हैं-
(i) मुख- यह दाँतों की सहायता से भोजन को महीन टुकड़ों में बदलता है में बनने वाला लार कार्बोहाइड्रेट का पाचन करता है। और मुखगुहा
(ii) आमाशय— हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और जठर रस का स्राव करना । (iii) पक्वाशय— इसमें भोजन के प्रोटीन का पाचन होता है।
(iv) छोटी आँत— इसमें भोजन के बचे हुए शेष भागों का पाचन तथा पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है।
(v) बड़ी आँत- इसके द्वारा अनपचे भोजन के अतिरिक्त जल को सोखकर मल के रूप में उत्सर्जित कर दिया जाता है।
श्वसन
प्रश्न 1. मानव में श्वसन की क्रिया विधि का वर्णन करें।
उत्तर- श्वसन की क्रिया विधि- यह निम्नांकित चरणों में सम्पन्न होती है-
(i) ग्लाइकोलिसिस- यह आक्सीजन की अनुपस्थिति में निम्नांकित तीन भागों में पूरा होता है-
(a) फास्फोराइलेशन इस क्रिया के अन्तर्गत ग्लूकोज, ग्लूकोज-6- फास्फेट में टूटता है एवं ग्लूकोज-6- फास्फेट से फक्टोज-6 फास्फेट बनता है। पुनः उससे 3- फास्फोग्लिरेल्डिहाइड बनता है।
(b) पायरुविक अम्ल का बनना इन्जाइम के उत्प्रेरण द्वारा
3- फास्फोग्लिरेल्डिहाइड से पायरुविक अम्ल बनता है।
(ii) क्रेब्स चक्र - पायरुविक अम्ल कोशिका की माइट्रोकान्ड्रिया में प्रवेश करता है और उसका चरणबद्ध आक्सीकरण होता है। क्रेब्स चक्र में कुल 36 ATP बनते हैं। एक ATP से एक फास्फेट के अलग होने पर 7300 कैलॉरी ऊर्जा मुक्त होती है।

* वहन
प्रश्न 1. वाष्पोत्सर्जन क्या है ? पादपों में इसका महत्त्व बताएँ ।
उत्तर - पादप में पत्तियों की सतह से तथा प्ररोह के अन्य हिस्सों से, वातावरण में जल की जलवाष्प के रूप में हानि को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
पादपों में वाष्पोत्सर्जन का अत्यधिक महत्त्व है। इसके प्रमुख लाभ निम्नांकित हैं–
(i) शीतलन प्रभाव - वाष्पन तापमान को कम करता है। इसलिए वाष्पोत्सर्जन कड़ी धूप के दिनों में पादपों के लिए लाभप्रद है।
(ii) चूषण बल- वाष्पोत्सर्जन पादप के शिखर पर चूषण बल उत्पन्न करके रस के ऊपर चढ़ने में मदद करता है। पत्तियों में वाष्पन कोशिका रस को सांद्र करता है तथा उनका परासरण दाब बढ़ाता है। यह जल को नीचे स्तर की कोशिकाओं से क्रमबद्ध रूप में ऊपर की ओर खींचता है, अतः अन्त में मृदा से जल के परासरण द्वारा अवशोषण में मदद करता है।
(iii) जल का वितरण - क्योंकि पत्तियाँ शाखाओं के शिखरों पर स्थापित होती है, अतः पत्तियों की सतह से वाष्पोत्सर्जन, जल को पत्तियों की ओर खींचता है और इस प्रकार पादप शरीर के सभी हिस्सों में जल का वितरण करता है।
(iv) आधिक्य जल का निकालना- जड़ें निरन्तर बहुत बड़ी मात्रा में जल का अवशोषण करती है। वाष्पोत्सर्जन एक बहुत प्रभावी तरीका है जिसके द्वारा आधिक्य जल निकाला जा सकता है।
* उत्सर्जन
प्रश्न 1. एक चिह्नित चित्र की सहायता से, मानव के उत्सर्जन संस्थान का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर- (i) उत्सर्जन संस्थान में एक जोड़ा गुर्दे होते हैं, जो उदर में होते हैं।
(ii) प्रत्येक गुर्दे में से एक उत्सर्जन नली बाहर निकलती है, जिसे यूरेटर कहते हैं।
(iii) दोनों यूरेटर एक मूत्राशय में खुलती है।
(iv) मूत्र जो मूत्राशय में एकत्रित हो गया है, एक पेशीय नली, यूरेथ्रा (योनि) के द्वारा इसके शीर्ष पर स्थापित छिद्र के माध्यम से शरीर के बाहर फेंक दिया जाता है।

प्रश्न 2. वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रिया-विधि का वर्णन करें।
अथवा गुर्दे में मूत्र निर्माण के प्रक्रम का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर- वृक्काणु की रचना - वृक्काणु या नेफ्रॉन उत्सर्जन तन्त्र की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। इसके प्रमुख भाग हैं
(i) बोमेन सम्पुट- वृक्काणु का अग्रभाग जो प्याले जैसा होता है।
(ii) केशिका गुच्छ- वृक्क धमनी तथा वृक्क शिरा के बार-बार विभाजित होने से बना रक्त केशिकाओं का गुच्छ ।
(iii) वृक्क शिरा- वृक्क में अशुद्ध रक्त लाने वाली रक्त वाहिनी ।
(iv) वृक्क धमनी- बोमेन सम्पुट से शुद्ध रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी ।
(v) वृक्काणु का नलिकाकार भाग- हेनेल्स लूप के आगे वृक्काणु का अन्तिम छोर कुंडलित होकर इस भाग की रचना करता है इसकी सतह पर रक्त केशिकाओं का जाल बिछा होता है।
(vi) संग्राहक नलिका- नेफ्रॉन का अन्तिम छोर एक नलिका से मिलता है जो मूत्राशय तक जाती है।

चित्र- वृक्काणु की रचना
बृक्काणु की क्रिया विधि–
(i) बोमेन सम्पुट के केशिका गुच्छ में उच्च रक्त चाप के कारण उत्सर्जी पदार्थ रक्त से बाहर आ जाते हैं। ये पदार्थ जल के साथ संग्राहक नलिका में जाते हैं और मूत्राशय में पहुँच जाते हैं।
(ii) केशिका गुच्छ के उच्च रक्त चाप के कारण कुछ महत्त्वपूर्ण पदार्थ जैसे ग्लूकोज अमीनो अम्ल आदि भी छन जाते हैं जिन्हें हेनेल्स लूप और नलिकाकार भाग में फिर से सोख लिया जाता है। इसे पुनरावशोषण कहते हैं।
प्रश्न 3. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रान) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना करें।
उत्तर–
फुफ्फुस में कूपिकाएँ
(a) मानव शरीर में दो फेफड़े होते हैं जो वक्ष के भाग में स्थित होते हैं।
(b) प्रत्येक फेफड़े में बहुत अधिक संख्या में कूपिकाएँ होती हैं।
(c) प्रत्येक कूपिका प्याले के आकार की होती है।
(d) कूपिका दोहरी दीवार की बनी होती है।
(e) कूपिका की दोनों दीवारों के मध्य रुधिर कोशिकाओं का घना जाल बिछा रहता है।
(f) कूपिकाओं में वायु भरने पर वे आकार में फैल जाती हैं। |
(g) यहाँ रुधिर की लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन कूपिकाओं में भरी वायु में से ऑक्सीजन ग्रहण कर लेती है तथा प्लाज्मा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड कूपिका में चली जाती है।
(h) कूपिकाओं में गैसीय आदान प्रदान के पश्चात् फेफड़े के संकुचन से कूपिकाओं में भरी वायु नासिका रन्ध्रों द्वारा शरीर के बाहर निकाल दी जाती है।
वृक्क में वृक्काणु
(a) मानव के शरीर में वृक्क संख्या में दो होते हैं जो उदर के भाग में मेरुदंड के दोनों ओर स्थित होते हैं।
(b) प्रत्येक वृक्क में लगभग 10 लाख वृक्काणु होते हैं।
(c) प्रत्येक वृक्काणु महीन धागे की आकृति का होता है।
(d) वृक्काणु के एक सिरे पर प्याले के आकार की मैल्पीघियन सम्पुट होती है।
(e) बोमैन सम्मुट में रुधिर कोशिकाओं का गुच्छ उपस्थित होता है जिसे केशिका गुच्छ कहते हैं।
(f) वृक्काणु में इस प्रकार की क्रिया नहीं होती।
(g) केशिका गुच्छ में रुधिर में उपस्थित उपापचय द्वारा उत्पन्न वर्ज्य पदार्थ छन जाते हैं। मूत्र निवाहिका के चारों ओर उपस्थित रुधिर केशिकाओं के बने जाल में बहने वाले में उपस्थित जल अधिक मात्रा मूत्र निवाहिका में स्थानान्तरित होकर वर्ज्य पदार्थ उसमें घुलकर मूत्र बनते हैं।
(h) मूत्र निवाहिका के पश्च भाग में मूत्र बनकर मूत्रवाहिनी द्वारा मूत्राशय में एकत्र हो जाता है। वहाँ मूत्रमार्ग द्वारा शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है।
प्रश्न 4. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं?
उत्तर-उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप निम्नांकित विधियों का उपयोग करते हैं–
(i) उत्सर्जी पदार्थों को पत्तियों में जमा करना और पतझड़ के माध्यम से उनसे मुक्ति पाना।
(ii) अतिरिक्त भोजन तथा अन्य पदार्थों को फलों, फूलों तथा संग्रहकारी अंगों में जमा करना ।
(iii) लैटेक्स, रेजिन, टैनिन एवं एल्केलॉयड को पुराने उत्तकों में जमा करना ।
चित्रात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. अमीबा में पोषण प्रक्रिया का नामांकित चित्र बनाएँ।

प्रश्न 2. मानव के पाचन तन्त्र का नामांकित चित्र बनाएँ ।
उत्तर-मानव के पाचन तन्त्र का नामांकित चित्र–

प्रश्न 3. मनुष्य में श्वसन तंत्र का चित्र बनाएँ ।
उत्तर–

प्रश्न 4. मनुष्य में हृदय से होकर रक्त परिवहन का चित्र बनाएँ। अथवा, मानव हृदय के परिच्छेद हृदय का चित्र बनाएँ तथा उसके भागों को नामांकित करें।
उत्तर–

प्रश्न 5. दिए गए चित्र में (a) और (b) को नामांकित करें तथा (b) का क्या कार्य है ?
उत्तर–
(a) महाधमनी
(b) फुफ्फुस शिराएँ ।
फुफ्फुस शिराओं के कार्य–
यह फेफड़ों से रक्त लाती हैं।
प्रश्न 6. मानव उत्सर्जन तंत्र का नामांकित चित्र बनाएँ ।
प्रश्न 7. वृक्काणु (नेफ्रॉन) का नामांकित चित्र बनाएँ।
प्रश्न 8. एक पत्ती के अनुप्रस्थ काट का नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर-

प्रश्न 9. दिए गए चित्र में (a), (b) और (c) को नामांकित करें तथा (a) का क्या कार्य है ?
उत्तर–(a) द्वार कोशिकाएँ,
(b) रंध्र छिद्र
(c) हरितलवक।
द्वार कोशिकाओं के कार्य- यह खुली हुई अवस्था में गैसों के विनिमय तथा वाष्पोत्सर्जन में सहायक होती है।
प्रश्न 10. चित्र का अवलोकन करें और प्रश्नों के उत्तर दें–
(i) चित्र में क्या दर्शाया गया है ? समझाएँ ।
(ii) (a) और (b) का नाम लिखें।
उत्तर-(i) चित्र में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड कैसे प्राप्त करते हैं दर्शाया गया है।
(ii) (a) बेलजार, (b) वाच ग्लास में पोटैशियम हाइड्रोक्साइड
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