Advertica

 bihar board 11 economics | आँकड़ों का संग्रह

bihar board 11 economics | आँकड़ों का संग्रह

आँकड़ों का संग्रह 

               [ Collection of Data )
                पाठ्यक्रम ( Syllabus )
• आंकड़ों के संग्रह का अर्थ तथा उसका उद्देश्य
• प्राथमिक आँकड़ों तथा द्वितीयक आँकड़ों में अंतर
• आंकड़ों को एकत्रित करने की विधा
• प्रतिचयन ( Sampling ) विधि द्वितीयक आँकड़ों के कुछ महत्वपूर्ण स्रोत ।
» याद रखने योग्य बातें ( Points to Remember ) :-
1. आंकड़ों का संकलन ( Collection of Data ) – यह सांख्यिकीय अनुसंधान के लिए प्रथम व सबसे महत्त्वपूर्ण चरण है ।
2. आंतरिक आंकड़े ( Internal Data ) – ये वे आंकड़े होते हैं जो संगठन के आंतरिक अभिलेखों से प्राप्त होते हैं तथा उनका संबंध संगठन की कार्यविधि से होता है । जैसे – भारतीय रिजर्व बैंक के निर्गमन विभाग द्वारा नोटों को छापने के आँकड़े , जनता के पास मुद्रा की मात्रा आदि रिजर्व बैंक के आतंरिक आंकड़े हैं ।
3. बाह्य आँकड़े ( External Data ) – ये वे आँकड़े होते हैं , जिनका संकलन अन्य संस्थाओं तथा स्रोतों द्वारा किया जाता है ।
4. आँकड़ों के प्रकार ( Types of Data ) – ( i ) प्राथमिक आँकड़े , ( ii ) द्वितीयक आँकड़े ।
5. प्राथमिक आँकड़े ( Primary Data ) – ( i ) ये मौलिक तथा उद्देश्यों के अनुकूल होते हैं । ( ii ) इनके प्रयोग में सतर्कता की आवश्यकता होती है ।
6. द्वितीयक आंकड़े ( Secondary Data ) – ये मौलिक नहीं होते । ये अन्य उद्देश्यों को लेकर संकलित किए जाते हैं । इनके प्रयययोग में सतर्कता की आवश्कता होती है ।
7. प्राथमिक आँकड़ों को संकलन करने की विधियाँ ( Mathods of Collection of primary Data ) – ( i ) सीधा व्यक्तिगत संपर्क , ( ii ) अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान , ( iii ) संवाददाताओं द्वारा सूनना , ( iv ) प्रश्नावली विधी , ( v ) गणकों द्वारा अनुसंधान ।
8. अनुसंधानकर्ता ( Investigator ) – अनुसंधान करने वाले व्यक्ति को अनुसंधानकर्ता कहते है ।
9 . गणक ( Enumerator ) – यह अनुसंधानकर्ता को तथ्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है ।
10. सूचक ( Respondent ) – यह अनुसंधानकर्ता या गणक को सूचना प्रदान करता है ।
11. समंको को एकत्रित करने की विधियाँ ( Methods collection of Data ) – ( i ) जनगणना या संगणना विधि . ( ii ) प्रतिचयन विधि ।
12 , जनगणना या संगणना विधि ( Census Method ) – इस विधि में अनुसंधान से संबंधित सभी इक इयों का अध्ययन किया जाता है । इस विधि में संकलित आँकड़ों में पक्षपात की भावना कम रहती है । शुद्धता का स्तर ऊंचा रहता है । परिणाम अधिक शुद्ध एवं विश्वसनीय होते हैं ।
13. प्रतिचयन विधि ( Sampling methods ) – इस विधि में प्रतिनिधि इकाइयों के समंको को संकलित किया जाता है तथा उसके आधार पर अनुमान निकाले जाते हैं ।
14. जनगणना विधि प्रतिचयन विधि में तुलना ( Comparison between Census Method and Sampling method ) – जनगणना में समष्टि की प्रत्येक इकाई के संबंध में व्यापार सूचना प्राप्त होती है । परन्तु निदर्शन में केवल प्रतिनिधि मदों की सूचना प्राप्त होती है । पहली विधि से परिणाम विश्वसनीय होते हैं , परन्तु दूसरी विधि से प्राप्त परिणामों में विश्वसनीयता का अभाव होता है ।
15. समग्र ( Population ) – अनुसंधान की सभी इकाइयों को समष्टि कहते हैं ।
16. आदर्श प्रश्नावाली की विशेषताएँ ( Characteristics ofAGood Questionnaire ) ( i ) प्रश्नों की उचित संख्या । ( ii ) प्रश्नों का सरल तथा स्पष्ट होना । ( iii ) प्रश्नों का संक्षिप्त होना । ( iv ) प्रश्नों का सम्माजनक होना । ( v ) उत्तरों के लिए प्रोत्साहन। ( vi ) प्रश्नों के उत्तरों की सत्यता की जाँच की व्यवस्था आदि ।
17. ऑकड़े एकत्रित करने की विधियाँ ( Method of Data Collection ) – ( i ) वैयक्तिक साक्षात्कार ( Personal Interviwes ) ( ii ) डाक द्वारा सूचनाएं एकत्रित करना ( iii ) टेलीफोन पर साक्षात्कर ( Telephone Interviews ) ( iv ) ऑन – लाइन सर्वेक्षण ( इंटरनेट के माध्यम से ) तथा ( v ) संक्षिप्त संदेश सेवा ( SMS ) |
18. साक्षात्कार ( Personal Interviews ) – इसमें अनुसंधानकर्ता व्यक्यिों से प्रत्यक्ष साक्षात्कार करता है । उनसे प्रश्न पूछता है और सूचनाकर्ता की सूचना का अभिलेखन करता है ।
19. डाक द्वारा प्रश्नावली भेजना ( Mailing Questionnaires ) – इस विधि के अंतर्गत सूचना देने वाले को डाक द्वारा प्रश्नावली भेजी जाती है और प्रार्थना की जाती है कि वह निश्चित अवधि के अंदर प्रश्नावली को भरकर वापस भेजें ।
20. टेलीफोन द्वारा साक्षात्कार ( TelephonicInterviews ) – इस विधि के अंतर्गत अनुसंधानकर्ता टेलीफोन के माध्यम से सूचना देने वाले से सूचनाएँ एकत्रित करता है ।
21. छोट पैमाने पर सर्वेक्षण ( pilot Surveys ) – प्रश्नावली को छोटे पैमाने पर सर्वेक्षण को छोटे पैमाने पर सर्वेक्षण कहते हैं । छोटे पैमाने पर सर्वेक्षण करने से प्रश्नों की उपयुक्तता के बारे में जानकारी हो जाती है।
22. प्रतिचयन अशुद्धियाँ या त्रुटियाँ ( Sam ; ling Errors ) – सर्वक्षण होने के कारण जो अशुद्धियाँ होती हैं , वे प्रतिचयन त्रुटियाँ या अशुद्धियाँ कहलाती हैं ।
23. अप्रतिचवन त्रुटियाँ ( Non – Sampling Errors ) – ये त्रुटियाँ आँकड़ों के एकत्रीकरण , व्यवस्थितीकरण और विश्लेषण में जान – बूझकर या ऐसी ही हो जाती हैं । इन्हें अप्रति चयन त्रुटियाँ कहते हैं ।
24. अप्रतिचयन त्रुटियों के प्रकार ( Types of Non – Sampling Errors ) -( i ) गलत उत्तर लिखना , जैसे -13 के स्थान पर ( ii ) सूचना प्राप्त करते समय सूचना न दी गई हो , ( iii ) प्रगणकों द्वारा प्रश्नों को ठीक प्रकार से स्पष्ट न किया गया हो ।
25. सेन्सस ऑफ दण्डिया ( Census of India ) – वर्ष 1881 में शुरू , प्रत्येक दस वर्ष के बाद भारत में जनगणना की जाती है । इसमें लोगोंकी आयु , आय लिग , शिक्षा स्तर आदि के विषय में जानकारी ले जाती है ।
26. राष्ट्रीय सेंपल सर्वेक्षण संगठन ( NSSO ) – इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा की गई है । यह संगठन सामाजिक तथा आर्थिक मुद्दों का राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण करता है ।
पाठ्य – पुस्तक एवं परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
( Textbook and Other important Questions for Examination )
              अति लघु उत्तरीय प्रश्न
   ( Very Short Answer Type Questions )
प्रश्न 1. प्राथमिक आँकड़े किसे कहते हैं ?
उत्तर – ये वे आंकड़े होते हैं , जिन्हें अनुसंधानकर्ता अपने उद्देश्यों के अनुकूल सबसे पहले संकलित करता है या गणकों द्वारा संकलित करवाता है ।
प्रश्न 2. द्वितीयक आँकड़े क्या होते हैं ?
उत्तर – यदि किसी दूसरी संस्था द्वारा प्राथमिक तौर पर प्राप्त आंकड़ों को संगृहीत एवं संशोधित ( संवीक्षित एवं सारणीकृत ) किया जाता है तो इन आँकड़ों को दूसरी संस्था के लिए द्वितीयक आँकड़े कहते हैं ।
प्रश्न 3. प्रश्नावली किसे कहते हैं ?
उत्तर – प्रश्नावली प्रश्नों की वह है , जिसकी आवश्यकता जानकारी स्वयं – सूचकों द्वारा प्राप्त की जाती है ।
प्रश्न 4. द्वितीयक आँकड़े संकलित करते समय कौन सी तीन सावधानियां बरतनी चाहिए ?
उत्तर- ( i ) विश्वसनीयता , ( ii ) अनुकूलता , ( iii ) पर्याप्तता ।
प्रश्न 5. एक प्रश्नावली में प्रश्नों की कितनी संख्या होनी चाहिए ?
उत्तर – एक उचित संख्या जो उत्तरदाइओं को हतोत्साहित नहीं करे ।
प्रश्न 6. प्रतिदर्श सर्वेक्षण ( Sample Survey ) क्या है ?
उत्तर – प्रतिदर्श सर्वेक्षण में समष्टि में से कुछ चुनी हुई प्रतिनिधि इकाइयों के विषय में आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं ।
प्रश्न 7. प्रतिचयन की प्रचलित विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर- ( i ) यादृच्छिक प्रतिचयन , ( ii ) स्तरित प्रतिचयन , ( iii ) बहु – स्तरीय प्रतिचयन , ( iv ) गुच्छा प्रतिचयन ।
प्रश्न 8. यादृच्छिक प्रतिचयन से क्या तात्पर्य है ? उत्तर – यादृच्छिक प्रतिचयन में समष्टि में से इकाइयाँ इस प्रकार छाँटी जाती हैं , ताकि प्रत्येक इकाई के प्रतिदर्श में सम्मिलित होने की बराबर संभावना हो । प्रश्न 9 , समष्टि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – अनुसंधान क्षेत्र की संपूर्ण इकाइयों को समष्टि कहते हैं ।
प्रश्न 10. प्रतिदर्श से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – प्रतिदर्श समष्टि की इकाइयों का वह भाग है जो पूर्ण समिष्ट के अध्ययन हेतु चुना जाता है ।
प्रश्न 11. प्रतिदर्श सर्वेक्षण किस प्रकार के अनुसंधान के लिए अधिक उपयुक्त है ?
उत्तर- ( i ) अनुसंधान का क्षेत्र विस्तृत हो .
( ii ) समष्टि अनन्त हो ,
( iii ) समष्टि की किसी इकाई को परखने से उसका विनाश हो जाए ।
प्रश्न 12. संपूर्ण सर्वेक्षण का क्या अर्थ है ?
उत्तर – संपूर्ण सर्वेक्षण में समष्टि की प्रत्येक इकाई से संबंधित सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं ।
प्रश्न 13. प्रतिदर्श सर्वेक्षण में संगणना सर्वेक्षण की अपेक्षा कौन – कौन सा गुण पाया जाता है ?
उत्तर – प्रतिदर्श सर्वेक्षण में समय , धन तथा श्रम की बचत होती है ।
प्रश्न 14. क्या लाटरी विधि सदैव एक यादृच्छिक प्रतिदर्श देती है ? बताएँ ।
उत्तर – इसमें संदेह नहीं कि लाटरी सबसे अधिक प्रचलित और सरल विधि है और यादृच्छिक प्रतिदर्श का एक रूप है । परंतु लाटरी विधि हमें हमेशा यादृच्छिक प्रतिदर्श नहीं देती , क्योंकि यह विधि संयोग ( chance ) पर निर्भर करती है ।
प्रश्न 15. सामान्य विकल्प प्रश्न किसे कहते हैं ?
उत्तर – सामान्य विकल्प प्रश्न उन प्रश्नों को कहते है , जिनके उत्तर ‘ प्राय हाँ या नहीं सही या गलत के रूप में दिए जा सकते हैं ।
प्रश्न 16. बहु – विकल्प प्रश्नों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – बहु – विकल्प प्रश्नों से अभिप्राय उन प्रश्नों से है जिनके कई संभव उत्तर हो सकते हैं । ये उत्तर प्रश्नावली में ही छिपे होते हैं ।
प्रश्न 17. आंकड़ों की शुद्धता से क्या अभिप्राय है ? उत्तर – आँकड़ों की शुद्धता से अभिप्राय : तथ्य या घटना का यथार्थ वर्णन करने वाले आँकडॉ से है ।
प्रश्न 18. सांख्यिकी आंकड़ों के पूर्ण शुद्ध न होने के दो कारण बताएँ ।
उत्तर – अनुसंधानकर्ता की अपूर्णता , माप , यंत्रों एवं उपकरणों की अपूर्णता ।
प्रश्न 19. अभिनत त्रुटियों के उत्पन्न होने के दो कारण लिखें ।
उत्तर – सूचनाओं की संकलन विधि का दोषपपूर्ण होना तथा आँकड़ों के व्यवस्थितीकरण का दोषपूर्ण होना ।
प्रश्न 20. आवृत्तियों का विन्यास से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – आवृत्तियों के विन्यास से अभिप्राय प्रत्येक वर्ग में आने वाले पदों की गणना करके उसकी आवृत्तियों को लिखना है ।
प्रश्न 21. प्रवेश – पत्रिका के कोई दो लाभ लिखें ? उत्तर – प्रवेश पत्रिका से- ( 1 ) किसी भी वर्गांतर में लिखी गई अशुद्धि का आसानी से पता लगाया जा सकता है । ( 2 ) वर्गातर का निर्माण पुनः किया जा सकता है ।
प्रश्न 22. अनुरोध – पत्र से क्या अभिप्राय हैं ?
उत्तर – अनुरोध – पत्र से अभिप्राय उस पत्र से है जिसके द्वारा अनुसंधानकर्ता अपना परिचय और अनुसंधान के उदेश्य का विवरण सूचक को देता है । प्रश्न 23. व्यवस्थित प्रतिचयन विधि क्या है ?
उत्तर – व्यवस्थित प्रतिचयन विधि वह विधि है जिसके अंतर्गत समग्र की सभी इकाइयों को किसी एक आधार ( संख्यात्मक , भौगोलिक या अक्षरात्मक द्वारा क्रमबद्ध किया जाता है ।
प्रश्न 24. प्रतिचयन अतंराल की गणना का सूत्र लिखें उत्तर – प्रतिचयन अंतराल = समिष्ट का आकार
प्रश्न 25. अप्रतिचयन त्रुटियाँ क्यों उत्पन्न होती हैं ? एक कारण लिखें ?
उत्तर – सूचकों की लापरवाही या भूल से ।
प्रश्न 26. प्रतिदर्श अभिनीति क्या है ?
उत्तर – ये वे त्रुटियाँ हैं जो गणकों के पक्षपाती ( पूर्वाग्रहित ) व्यवहार के कारण पैदा होती हैं ।
प्रश्न 27. आंकड़ों के संकलन में त्रुटि के प्रमुख स्वत कौन – से हैं ?
उत्तर – आँकड़ों के संकलन में त्रुटि के प्रमुख स्रोत निम्लिखित हैं-
( i ) माप की त्रुटियाँ ,
( ii ) गणितीय त्रुटियाँ ,
( iii ) प्रश्नों का गणक या सूचक द्वारा सही समझ न पाना ,
( iv ) रिकॉर्ड करने में त्रुटियाँ
प्रश्न 28. जनगणना 2001 के प्रकाशन से हमें तालिका के रूप में जो जिलेवार जन्य तथा मृत्युदर के आँकड़े प्राप्त हुए हैं क्या आप उन्हें प्राथमिक आँकड़े कहेंगे या द्वितीयक आँकड़ें ?
उत्तर – द्वितीयक आँकड़े ।
प्रश्न 29. मान लीजिए आपकी कक्षा में 10 छात्र हैं । इनमें से आपको तीन को चुनना है तो इसमें कितने प्रतिदर्श संभव हैं ?
उत्तर – जनसंख्या का आकार ( N ) = 10
सैंपल का आकार ( n ) = 3
सैंपलों की संख्या =¹⁰C3 = 10! / 3 !( 10 – 3 )! 10x9x8x7!/ 3!x7! = 10x9x8 / 3×21 = 120
प्रश्न 30. अपने कक्षा 10 छात्रों में से 3 छात्रों को सारणी द्वारा चुनने की प्रक्रिया लिखें ।
उत्तर – सबसे पहले छात्रों को 1 से 10 संख्याओं को क्रम से सभी संख्याओं को छांटगे जो 10 से कम होंगी। ये चुनी हुई संख्याएँ हमारी प्रतिदर्श होंगी ।
प्रश्न 31. 200 फार्म वाले एक गांव में फसलें उत्पादन के स्वरूप पर एक अध्ययन आयोजित किया गया । इनमें से 50 फार्मों का सर्वेक्षण किया गया , जिनमें से 50 प्रतिशत पर केवल गेहूँ उगाए जाते हैं । यहाँ पर समष्टि और प्रतिदर्श को पहचान कर बताएं ।
उत्तर – समष्टि 200 खेत हैं और प्रतिदर्श 50 खेत हैं । प्रश्न 32. निम्न में से कौन – सी त्रुटियां अधिक गंभीर हैं ?
( क ) प्रतिचयन त्रुटियाँ ,
( ख ) अप्रतिचयन त्रुटियाँ ।
उत्तर – अप्रतिचयन त्रुटियाँ प्रतिचयन त्रुटियों से अधिक गंभीर हैं , क्योंकि प्रतिचयन त्रुटियों के बड़े प्रतिदर्श लेकर कम किया जा सकता है । परन्तु अप्रतिचयन त्रुटियों को कम नहीं किया जा सकता । चाहे हम कितना भी बड़ा छोटा प्रतिदर्श क्यों न लें ।
                           लघु उत्तरीय प्रश्न
       ( Short Answer Type Questions )
प्रश्न 1. अनुसंधानकर्ता , गणक तथा सूचक को परिभाषित कीजिए ?
उत्तर – अनुसंधानकर्ता , ( Investigator ) – अनुसंधानकर्ता उस विशेष व्यक्ति को कहते है , जो अनुसंधान कार्यों को अपनाता है ।
( i ) गणक ( Enumerator ) – गणक उस व्यक्ति विशेष को कहते हैं जो अनुसंधानर्ता के तथ्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है ।
( ii ) सूचक ( Respondent ) – सूचना देने वाले व्यक्ति को सूचक कहते हैं ।
प्रश्न 2. मापन अशुद्धि तथा दर्ज ( लेखन ) गलतियाँ क्या हैं ? उत्तर – मापन अशुद्धियाँ ( Measurement Errors ) – मापन अशुद्धियों से अभिप्राय उन अशुद्धियों से है जो माप के कारण पैदा होती हैं । ये अशुद्धियाँ मापन यंत्र के दोषपूर्ण होने से उत्पन होती है या माप को निकटतम इकाई तक लाने में हो सकती हैं । लेखन ( दर्ज ) गलतियाँ ( Recording Mistakes ) – सूचनाओं को गलत कॉलम में लिखने से अधूरी सूचना दर्ज करने से या गंदा लेख ( अस्पष्ट लेख ) के कारण उत्पन्न गलतियों को दर्ज गलतियाँ कहते हैं । मान लें गणक 13 के स्थान पर प्रश्नावली में 31 लिख देता है । इस प्रकार की गलती दर्ज गलती कहलाएगी ।
प्रश्न 3. आँकड़ों के संकलन की प्रत्यक्ष वैयक्तिक अनुसंधान तथा अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधियों में तीन अंतर बताएँ ।
उत्तर – प्रत्यक्ष वैयक्तिक अनुसंधान तथा अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान में अन्तर लिखें ।
( Differences Between Direct Personal Investigation and Indirect Oral Investigation )
प्रश्न 4. अपनी कक्षा के 10 छात्रों में से 3 को चुनने के लिए लाटरी विधी का उपयोग कैसे करेगें ? चर्चा करें ?
उत्तर – लाटरी द्वारा 10 में 3 छात्रों का चुनाव करना ( Selecting 3students outof 10 students by lottery )-
( i ) एक जैसी आकार तथा आकृति वाली 10 पर्चियाँ बनाएंगे ।
( ii ) इन पर्चियों पर छात्रों के नाम लिखेंगे । एक पर्ची पर एक नाम लिखा जाए ।
( iii ) इस परिचयों को डिब्बों में डालकर यब अच्छी तरह से मिला ।।
( iv ) अतं में किसी निष्पक्ष व्यक्ति या बच्चे द्वारा आँखें मूंद करके हम पर्दिया निकालेग ।
( v ) तीन पर्चियों पर जिन छात्रों के नाम लिखे होगे , वहीं छात्र निर्वाचित घोषित किए जाएंगे ।
प्रश्न 5.आँकड़ों के संकलन में संगणना विधि की अपेक्षा प्रतिदर्श ( प्रतिचयन विधि में निम्नलिखित लाभ हैं उत्तर – आँकड़ों के संकलन में संगणना विधि की अपेक्षा प्रतिदर्श ( प्रतिथयन ) विधि में निम्नलिखित लाभ है –
( i ) मितव्ययी ( Economical ) – इस विधि के द्वारा एक बड़े समूह के छोटे से भाग का अध्ययन किया जाता है । अत : समय व धन की बचत होती है ।
( ii ) वैज्ञानिक ( Scientific ) – यह विधि वैज्ञानिक भी है , क्योंकि बड़े समूह में से एक अन्य प्रतिदर्श लेकर परिणामों की शुद्धता की जाँच की जा सकती है ।
( iii ) विश्वसनीय ( Reliable ) – यदि प्रतिदर्श प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा ध्यानपूर्वक लिया गया हो तो प्राप्त निष्कर्ष भी शुद्ध रहते हैं ।
( iv ) सरल ( Simple ) – यह विधि बहुत सरल है और इसे आसानी से समझा जा सकता है ।
प्रश्न 6.यादृच्छिक प्रतिचयन को परिभाषित करें । यह मनमाने निदर्शन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर – यादृच्छिक प्रतिचयन ( Random Sampling ) – यादृच्छिक प्रतिचयन को प्रतिनिधि प्रतिचयन भी कहते हैं । यह प्रतिचयन की वह विधि है , जिसके अतंर्गत समष्टि की प्रत्येक इकाई की प्रतिचयन की तरह किसी प्रकार का पक्षपात नहीं होता । उदाहरण के लिए , यदि हमने 1,200 विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूल में 60 का प्रतिदर्श चुनने हैं तो इस विधि के अनुसार प्रत्येक विद्यार्थी की प्रतिदर्श में चुनने जाने की संभावना समान है । इस प्रकार इकाइयों का चुनाव पक्षपात या व्यक्तिगत पूर्वाग्रह से प्रभावित नहीं होता । इसमें अनुसंधानकर्ता की अपनी मर्जी नहीं चलती । इस विधि के अतंर्गत लाटरी विधि अथवा होल घुमाकर प्रतिदर्श चुना जाता है ।
प्रश्न 7. प्राथमिक आंकड़ों को एकत्रित करने की प्रश्नावली विधि समझाइए ।
उत्तर – प्रश्नावली विधि में आंकड़ों का एकत्रीकरण प्रश्नावलियों की सहायता से किया जाता है । अनुसंधान के लिए जिन – जिन बातों के संबंध में आंकड़े एकत्रित करने होते हैं , उनके लिए कुछ प्रश्नों की एक सूची ( प्रश्नावली ) बना ली जाती है । प्रश्नावली में दिए प्रश्नों के उत्तर के आधार पर संबंधित आंकड़ों का एकत्रीकरण किया जाता है । प्रश्नावली विधि के मुख्य रूप हैं –
( i ) डाक द्वारा प्रश्नावली भेजना – इस विधि में अनुसंधानकर्ता प्रश्नावली को डाक द्वारा सूचना देने वालों के पास भेज देता है । वे उसे भरकर निश्चित तिथि तक लौटा देते हैं ।
( ii ) प्रगणकों द्वारा प्रश्नावली भरना – इस विधि में अनुसंधानकर्ता कुछ प्रगणकों को नियुक्त करता है , घर – घर जाकर सूचकों से पूछाताछ करके स्वयं प्रश्नावलियों परते हैं । प्रश्न 8. एक अच्छी प्रश्नावली में कौन – कौन से गुणों का होना आवश्यक है ?
उत्तर – एक अच्छी प्रश्नावली में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –
( i ) प्रश्न संक्षिप्त तथा स्पष्ट होने चाहिए ।
( ii ) प्रश्नों की संख्या उचित होनी चाहिए ।
( iii ) प्रश्न सरल तथा समझने में आसान हॉ ।
( iv ) प्रश्न ऐसे हो जिनका उत्तर हाँ या नहीं में दिया जा सके ( v ) उत्तर एक – दुसरे से मेल खाते हों ।
( vi ) कुछ विशेष प्रकार के प्रश्न , जैसे चरित्र से संबंधित नहीं पूछे जाने चाहिए ।
( vii ) प्रश्नावली का पूर्व परीक्षण एवं सशोधन आवश्यक है । प्रश्न 9. द्वितीयक आंकड़ों ( Secondary Data ) : के प्रमुख स्त्रोत कौन – कौन से हैं ?उत्तर – द्वितीयक आंकड़ों के प्रमुख स्रोत निम्न हैं . ( i ) सरकार प्रशासन जैसे- ( Statistical Abstract of India ( Annual ) , Reserve bank of India Bulletin . Census of India आदि ।
( ii ) अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन जैसे- The U.N. Statistical Year Book , Annual Report of I.M.F. आदि ।
( iii ) अर्द्ध – सरकारी प्रकाशन जैसे- नगरपालिकाओं , जिला समितियों , पंचायतों आदि द्वारा प्रकाशित जन्म – मरण स्वास्थ्य , शिक्षा इत्यादि ।
( iv ) समितियों व आयोगों की रिपोर्ट , जैसे – वित्त आयोग , एकाधिकार कमीशन इत्यादि ।
( v ) व्यापारिक संस्थाओं व परिषदों के प्रकाशित रिपोर्ट जैसे- Hindustsn Lever LTD General Insurance Co. इत्यादि ।
( vi ) पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित सामग्री , जैसे- Economic Times ( Daily ) , Business Today ( Weekly ) आदि ।
( vii ) अनुसंधान संस्थाओं के प्रकाशन ।
( viii ) वेबसाइट ( इंटरनेट ) ।
प्रश्न 10. द्वितीयक आंकड़ों के प्रयोग में कौन – कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं ? किन्हीं तीन का वर्णन कीजिए । उत्तर- ( i ) उद्देश्य व क्षेत्र ( Purpose & Scope ) – सर्वप्रथम यह देख लेना चाहिए कि प्राथमिक रूप से जब प्रस्तुत आँकड़े एकत्रित किए गए थे , तो अनुसंधान के उद्देश्य के क्षेत्र वही थे , जिनके लिए उनका अव द्वितीयक आँकड़ों के रूप में प्रयोग किया जा रहा है ।
( ii ) शुद्धता की मात्रा ( Degree ofAccuracy ) – इस बात पर भी विचार करना अवश्पर्क है कि प्रस्तुत आंकड़ों में शुद्धता का स्तर क्या रखा गया था और उसे प्राप्त करने में कितनी सफलता हूई ।
( iii ) पिछले अनुसंधानकर्ता की योग्यता ( Ability of Last investigation ) – यह भी देखना चाहिए कि द्वितीयक आँकड़े पहले किस अनुसंधानकर्ता द्वारा प्राथमक रूप से कि विधि द्वारा एकत्र किए गए थे । यदि इन प्रश्नों का उत्तर संतोषजनक प्राप्त होता है तो इन आँकड़ों का प्रयोग किया जाना चाहिए अन्यथा नहीं ।
प्रश्न 11. प्रतिदर्श , समष्टि तथा चर के दो – दो उदाहरण । उत्तर- ( क ) प्रतिदर्श ( Sample ) -( i ) एक विघालय में 2,000 विधार्थी हैं । इनमें से 100 विद्यार्थियों को सर्वेक्षण के लिए चुना गया है । 100 विद्यार्थी ही प्रतिदर्श हैं ।
( ii ) एक गाँव में 30 खेत हैं । उनमें से 3 खेतों को सर्वेक्षण के लिए चुना गया है । 5 खेत प्रतिदर्श के उदाहरण है ।
( ख ) समष्टि ( Population ) – ( i ) एक पाठशाला में 100 विद्यार्थी पढ़ते हैं । 100 सभा का उदाहरण है ।
( ii ) एक गाँव में 100 परिवार हैं । उसका सर्वेक्षण किया गया । 100 परिवार समग्र हैं ।
( ग ) चर ( Variable ) – ( i ) कक्षा XI के विद्यार्थियों की ऊंचाई ( ii ) जुलाई के महीने में दिल्ली में हुई प्रतिदिन वर्षा ।
                           दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
       ( Long Answer Type Questions )
प्रश्न 1. प्राथमिक तथा द्वितीयक आंकड़ों में अंतर बताएँ । द्वितीयक आंकड़ों के कम – से – कम तीन स्रोत लिखें ।
उत्तर – प्राथमिक और द्वितीयक आंकड़ों में अन्तर-
आंकड़ों के तीन स्त्रोत ( Three Sources of Secondary Data ) – ( i ) सरकारी प्रकाशन , ( ii ) अतंराष्ट्रीय प्रकाशन , ( iii ) वेबसाइट ।
प्रश्न 2. क्षेत्र सर्वे की योजना में कौन – से मुख्य चरण हैं ।
उत्तर – इसके मुख्य चरण निम्नलिखित हैं-
( i ) प्रश्नावली तैयार करना ( Preparation of the Questionnaire ) – प्रश्नावली अनुसंधानकर्ता से संबंधित प्रश्नों की एक सूची होती है । इसे अनुसंधान तैयार करता है । प्रायः इसे टाइप करवाया जाता है । या छपवाया जाता है । प्रश्नों के साथ – साथ ही उत्तर देने के लिए खाली स्थान छोड़ दिया जाता है । इसके साथ एक अनुरोध – पत्र भी भेजा जाता है , जिसमें सूचकों को विश्वास दिलाया जाता है । कि उनके द्वारा भेजी सूचना नितांत गुप्त रखी जाएंगी । डाक व्यय आदि पहले ही चुकाया ( प्रीपेड ) होता है । प्रश्नावली को लौटाने की तारीख व उसके उद्देश्य साफ – साफ लिख दिए जाने चाहिए ।
प्रश्नावलियाँ बनाने की शर्ते : ये शर्त निम्नलिखित हैं-
( i ) प्रश्न संख्या सीमित हो ।
( ii ) प्रश्न उद्देश्य के अनुकूल हो ।
( iii ) प्रश्नों की पुनरावृत्ति न हों ।
( iv ) प्रश्न एक – दूसरे के पूरक हों ।
( v ) प्रश्नों की भाषा सरल तथा स्पष्ट हो ।
( vi ) सूचनाएं गोपनीय रखी जानी चाहिए ।
( vii ) सूचकों को शिष्टाचार के शब्दों से संबोधित किया जाएँ ।
( ii ) पूछताछ का तरीका ( Mode of Enquiry ) – आंकड़ों का संकलन डाक द्वारा हो सकता है या साक्षात्कार ( mode of Enquiry ) ( Interview ) के माध्यम से । पहली विधि काफी प्रमाणित है । इस विधि के अतंर्गत सूचकों को एक प्रश्नावली भेजी जाती है । उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे निश्चित तिथि तक प्रश्नावली भरकर भेजें । यह विधि वहाँ अधिक उपर्युक्त है जहाँ अनुसंधान का क्षेत्र विस्तृत है । इसके अतिरिक्त यह विधि मितव्ययी है और इससे हमें विश्वसनीय आँकड़े प्राप्त होते हैं , परंतु यह विधि शिक्षित वर्ग तक सीमित है । सूचक प्रायः प्रश्नावली भरकर भेजने में रुचि नहीं लेते । सूचना संकलन करने की दूसरी विधि साक्षात्कार ( Interview ) है । इस विधि के अंतर्गत गणक अनुसूची ( प्रश्नावली ) लेकर स्वयं सूचक के पास जाता है । गणक सूचक को पहले सारी बातें समझा देता है और फिर उनसे सूचना एकत्रित करता है । यह विधि उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होती है जहाँ सूचक अशिक्षित हो । जटिल व कठिन प्रश्नों के उत्तर सरलता से उपलब्ध हो जाते है : परंतु यह विधि बहुत महंगी है । गणक पक्षपाती भी हो सकते है और यदि गुणक कुशल नहीं है तो प्राप्त सूचना गलत भी हो सकती है ।
( iii ) गणकों को प्रशिक्षण देना ( Training forEnumerartors ) – गणकों को प्रशिक्षण देना बहुत ही आवश्यक है , ताकि वे प्रश्नों को अच्छी तरह स्वयं समझ सकें और सूचको को समझ सकें ।
( iv ) छोटे पैमाने पर सर्वेक्षण ( Pilot Surveys ) – यदि अनुसंधान विस्तृत क्षेत्र का करना है तो यह अच्छा होगा कि विस्तृत क्षेत्र का अनुसंधान करने से पूर्व छोटे पैमाने पर सर्वेक्षण कर लिया जाए । ऐसा करने से प्रश्नों की उपयुक्तता के बारे में जाए । ऐसा करने से प्रश्नों की उपयुक्तता के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी और बड़े पैमाने पर होने वाली सर्वेक्षण की लागत का पता चल जाएगा ।
प्रश्न 3. व्यक्तिगत साक्षात्कार तथा सूचकों को प्रश्नावली भेजने के क्या गुण तथा दोष हैं ?
उत्तर – व्यक्तिगत साक्षात्कार के गुण ( Advantages ofDirect Interview ) – व्यक्तिगत साक्षात्कार के गुण निम्नलिखित हैं –
( i ) सूचना अधिक स्पष्ट होती है ।
( ii ) इस विधि के द्वारा संकलित आँकड़े अधिक शुद्ध तथा विश्वनीय होते हैं ।
( iii ) सूचना देने वाले को प्रश्न पूछने का उद्देश्य बताकर उसे विश्वास में लिया जा सकता है ।
( iv ) व्यक्तिगत साक्षात्कार लचीला है । अनुसंधानकर्ता अपने प्रश्नों में आवश्यकतानुसार फेर – बदल कर सकता है । ( v ) सीमित क्षेत्र में व्यक्तिगत साक्षात्कार बहुत ही उपयोगी है ।
दोष ( Demerits ) – व्यक्तिगत साक्षात्कार के मुख्य दोष निम्नलिखित हैं-
( i ) इस विधि में व्यक्तिगत पक्षपात की संभावना रहती है । ( ii ) इस विधि में अधिक समय और धन खर्च होता है ।
( iii ) यह एक जटिल विधि है ।
( iv ) इस विधि में प्रशिक्षित , कुशल और निष्पक्ष अनुसंधानकर्ता की आवश्यकता होती है ।
यदि अनुसंधानकर्ता कुशल , प्रशिक्षित तथा निष्पक्ष नही हैं तो परिणाम प्रामक हो सकते हैं । सूचकों को डाक द्वारा प्रश्नावली भेजने के गुण ( Advantages of Malting Questionnaries to Respondents ) – सूचकों को डाक द्वारा प्रश्नावली भेजने में निम्नलिखित गुण हैं-
( i ) यह विधि वहाँ उपयुक्त है जहाँ सूचना एकत्रित करने का क्षेत्र विस्तृत है ।
( ii ) इस विधि के अंतर्गत सूचनाएँ नियमित रूप से प्राप्त होती हैं ।
( iii ) यह मितव्ययी प्रणाली है ।
( iv ) इसमें पक्षपात की संभावना नहीं होती ।
 दोष – इस प्रणाली के निम्नलिखित दोष हैं-
( i ) सूचक उत्तर गलत खानों में भर सकता है ।
( ii ) सूचक को प्रश्न ठीक तरह से समझ न आए और उसे गलतफहमी हो जाए ।
( iii ) उसरों की सत्यता का पता लगाना कठिन हो जाता है । ( iv ) हो सकता है कि प्रश्नावली वापस न आए ।
प्रश्न 4. प्रतिचयन और अप्रतिचयन त्रुटियों में अंतर बताइए । उत्तर – प्रतिचयन और अप्रतिचयन में अंतर-
प्रश्न 5. जनगणना विधि द्वारा क्षेत्र में सर्वेक्षण से आप किस प्रकार की त्रुटियों ( विभ्रमों ) की आशा करते हैं ?
उत्तर – जनगणना विधि द्वारा क्षेत्र सर्वेक्षण से हम निम्नलिखित प्रकार की त्रुटियों की आशा करते हैं-
( i ) माप की गलतियाँ या त्रुटियाँ ( Errors of measurement ) – सर्वेक्षण में माप की गलती हो सकती है । दूसरे शब्दों में जब हम किसी व्यक्ति की आयु या आय के विषय में पूछते हैं तो वह अपनी आयु ( विशेषतः अशिक्षित व्यक्ति ) अनुमान से बताएंगे और कहेंगे लिख लो 30-35 वर्ष । आय के विषय में बताएंगे कि उनकी मासिक आय 2000-3000 रुपए है । इस प्रकार अनुमानित आयु या माप की गलतियाँ कहलाती हैं ।
( ii ) प्रश्नावली के कुछ प्रश्नों का गलत समझना या गलत अर्थ ( Misunderstanding and misinterpreting some questions of the questionnaire ) – जनगणना विधि में बहुत – ही गुणकों की नियुक्ति की जाती है और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है , परन्तु सारे गणक एक जैसी कुशलता वाले नहीं होते , और कुछ लापरवाह भी होते हैं । अत : वे प्रश्नावली के कई प्रश्नों को गलत समझते हैं या उनका गलत अर्थ लगाते हैं । ऐसी अवस्था में विभ्रम उत्पन्न हो सकती है । कई बार सूचक को भी प्रश्न ठीक ढंग से समझ नहीं आता है और वह गलत उत्तर देकर जान बचाता है । ( iii ) लेखन त्रुटि ( Recording mistakes ) – कई बार गणक सूचक की सूचनाओं के लेखन में गलती कर बैठता है । उदाहरण के लिए , वह 31 के स्थान पर 13 लिख सकता है । कई बार लेख इतना गंदा होता है कि वह पढ़ा नहीं जाता और तालिका बनाने वाला लिखित उत्तरों को कंप्यूटर की फाइल में गलत बढ़ा देता है ।
( iv ) उत्तर न मिलने से त्रुटि ( Errors of non – response ) – ये गलतियाँ या त्रुटियाँ उस समय उत्पन्न होती हैं , जब सूचक प्रश्नावली को भरने से इन्कार करता है या गणक के बार – बार उससे मिलने जाने पर भी वह उपलब्ध नहीं होता ।
( v ) गणितीय विभ्रम या त्रुटियाँ ( Arithmetic errors ) – कई प्रश्नों में थोड़ी – सी गणित या गणितीय गणना की आवश्यकता पड़ती है । ऐसी अवस्था में गणना करने में गलती हो सकती है । उदाहरण के लिए , प्रश्नावली में एक प्रश्न है , ‘ गत माह भोजन पर कुल कितना खर्च हुआ ? ‘ ऐसी अवस्था में परिवार के मुखिया को गेहूँ , चावल , नमक , चीनी , दूध आदि पर होने वाले खा को जोड़ना पड़ेगा । उससे जोड़ लगाने में गलती हो सकती है । मदों और उनकी कीमतों को याद करने में उसे गलती हो सकती है । ऐसी गलतियों को गणितीय गलतियाँ कहते हैं ।
प्रश्न 6. एक आदर्श प्रश्नावली में क्या – क्या विशेषताएँ होनी चाहिए ? उत्तर – एक आदर्श प्रश्नावली में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –
( i ) सीमितता ( Limitations ) – अच्छी प्रश्नावली वही मानी जाती है जो गागर में सागर भरे अर्थात् प्रश्न केवल विषयानुकूल ही हों ।
( ii ) सरल व स्पष्ट ( Simple and clear ) – प्रश्नावली में प्रश्न सीमित के साथ सरल व स्पष्ट भाषा में हों ।
( iii ) उचित क्रम ( Systematic order ) – प्रश्न आपस में जुड़े होने चाहिए और क्रम से होने चाहिए । ऐसा न हो कि बच्चों की संख्या पूछने के बाद , फिर यह पूछे कि आप शादीशुदा हैं ? यह निरर्थक एवं हास्यास्पद प्रश्न होगा ।
( iv ) उचित व सम्मानजनक प्रश्न ( Proper and respectable questions ) – प्रश्न सम्मानजनक होने चाहिए जिससे कि सूचक के स्वाभिमान को ठेस न लगे । यह पूछना कि आप जुआ खेलते हैं , उचित नहीं है ।
( v ) प्रश्नों के प्रकार ( Kinds of questions )-
( क ) वैकल्पिक प्रश्न ( Alternative questions ) – ये वे प्रश्न हैं जिनका उत्तर हाँ या ना , गलत या सही दिशा में दिया जा सकता है ।
( ख ) बहुविकल्पीय प्रश्न ( Multiple – alternative questions ) – ये ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर कई हो सकते हैं , जैसे – आपने स्कूल क्यों खोला है ? धन कमाने को , यश कमाने को या गरीब बच्चों की सहायता के लिए ? आदि । ( ग ) विशिष्ट प्रश्न ( Specific questions ) – ऐसे प्रश्न तब करने चाहिए जबकि कोई विशिष्ट जानकारी प्राप्त करनी हो , जैसे – किसी की मासिक आय ।
( घ ) खुले प्रश्न ( Open questions ) – ये ऐसे प्रश्न तब करने चाहिए जबकि सूचक इनका उत्तर मनमर्जी से दे । जैसे – नशाबंदी , दहेज प्रथा पर रोक ।
( vi ) निर्देश ( Direction ) – प्रश्नावली में यह भी ठीक – ठीक लिखा होना चाहिए कि प्रश्नावली को भेजने की अंतिम तारीख क्या है तथा उत्तर कैसे हों ।
( vii ) प्रश्न के नीचे की टिप्पणी ( Footnot after the questions ) – प्रश्नावली में दिए गए प्रश्नों में से किसी प्रश्न का अधिक विश्लेषण चाहिए तो ऐसे प्रश्नों नीचे टिप्पणी अका लिख देनी चाहिए ।
( viii ) प्रश्नावली की पूर्व जाँच ( Pre – checking of questionnaire ) – प्रश्नावली को सूचकों तक भेजने से पहले पूर्ण रूप से जाँच कर लेनी चाहिए । कोई किसी तरह की कमी न हा ।
प्रश्न 7. एक व्यक्ति ने एक प्रश्नावली तैयार करने के लिए निम्न प्रश्न बनाए हैं । ये प्रश्न दोषपूर्ण हैं । उनके स्थान पर अच्छे प्रश्न बनाएँ ।
( i ) आप एक महीने में पुस्तकों पर कितने रुपए खर्च करते हैं ?
( ii ) आप अच्छा लगने के लिए अपनी आय का कितना प्रतिशत कपड़ों पर खर्च करते हैं ?
( iii ) क्या आप नहीं सोचते कि धूम्रपान निषेध होना चाहिए ?
( iv ) क्या आप कॉलेज के पश्चात् नौकरी करेंगी या गृहिणी बनेंगी ?
( v ) आपको इस उच्च कोटि की चाय की सुगंध कैसी लगी ?
उत्तर-
                                  वस्तुनिष्ठ प्रश्न
             ( Objective Type Questions )
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के कम – से – कम चार उपर्युक्त बहुविकल्पीय वाक्यों की रचना करें-
( i ) जब आप एक नई पोशाक खरीदें तो इनमें से किसे सबसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं ?
( ii ) आप कम्प्यूटर का इस्तेमाल कितनी बार करते हैं ? ( iii ) निम्नलिखित में से आप किस समाचार – पत्र को नियमित रूप से पढ़ते हैं ?
( iv ) पेट्रोल की कीमत में वृद्धि न्यायोचित है ?
( v ) आपके परिवार की मासिक आमदनी कितनी है ?
उत्तर –
( i ) जब आप एक नई पोशाक खरीदें तो इनमें से किसे सबसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं ?
( a ) कीमत
( b ) कपड़ा
( c ) डिजाइन
( d ) फिटिंग
( ii ) आप कम्प्यूटर का इस्तेमाल कितनी बार करते हैं ? ( a ) चार
( b ) दो
( C ) तीन
( d ) एक बार
( iii ) निम्नलिखित में से आप किस समाचार – पत्र को नियमित रूप से पढ़ते हैं ?
( a ) हिन्दुस्तान
( b ) नवभारत टाइम्स
( c ) दैनिक जागरण
( d ) पंजाब केसरी
( iv ) पेट्रोल की कीमत में वृद्धि न्यायोचित है ?
( a ) न्यायोचित है
( b ) न्यायोचित नहीं है
( c ) ( a ) व ( b ) दोनों विकल्प गलत हैं
( d ) सभी विकल्प सही हैं ।
( v ) आपके परिवार की मासिक आमदनी कितनी है ? ( a ) 2,000 रुपये से 5,000 रुपये तक
( b ) 5,000 रुपये से 10,000 रुपये तक
( c ) 10,000 रुपये से 15,000 रुपये तक
( d ) 15,000 से अधिक ।
प्रश्न 2. पाँच द्विमार्गी प्रश्नों की रचना करें ( हाँ / नहीं ) के साथ ।
( i ) क्या आप ईधन वाली गैस का प्रयोग करते हैं ? ( a ) हाँ ( b ) नहीं ( ii ) क्या आप केवल राशन की ही चीनी लेते हैं ? ( a ) हाँ ………
( b ) नहीं ……….
( ii ) क्या आप राशन के खाद्य तेल ( घी ) का प्रयोग करते हैं ?
 ( a ) हाँ. ………..
( b ) नहीं. ……….
( iv ) क्या आप अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आते हैं ?
( a ) हाँ. …………
( b ) नहीं. …………
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ( Fill in the blanks ) :
( i ) भारत की 1991 की जनगणना के द्वारा प्राप्त संख्या को जनसंख्या …. कहते हैं । यह विधि वहाँ उपयुक्त है जहाँ सूचना एकत्रित करने का क्षेत्र विस्तृत है …… कहते हैं । ( जनसंख्या / सांख्यिकीय जनसंख्या )
( ii ) संगणना विधि में सर्वेक्षण की …….. मदों की अध्ययन किया जाता है । ( कुछ / सभी )
 ( iii ) संगणना विधि में ……… शुद्धता को प्राप्त किया जा सकता है । ( उच्चस्तरीय / निम्नस्तरीय )
( iv ) जो व्यक्ति या संस्था अनुसंधान कार्य को करता है / करती है , उसे…….. . कहते हैं । ( गणक / अनुसंधानकर्ता ) ( v ) प्राथमिक आँकड़े ……. होते हैं । ( भौलिक / व्युत्पन्न ) उत्तर- ( i ) भारत 1991 की जनगणना के द्वारा प्राप्त संख्या को जनसंख्या कहते हैं ।
( ii ) संगणना विधि में सर्वेक्षण की सभी मदों का अध्ययन किया जाता है ।
( iii ) संगणना विधि में उच्चस्तरीय शुद्धता को प्राप्त किया जा सकता है ।
( iv ) जो व्यक्ति या संस्था अनुसंधान कार्य को करता है / करती है , उसे अनुसंधानकर्ता कहते हैं ।
( v ) प्राथमिक आँकड़े मौलिक होते हैं ।
Previous Post Next Post