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 Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग Questions and Answers

प्रश्न
लिंग की परिभाषा दीजिए। उसके कितने भेद हैं ?
उत्तर-
लिंग संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘चिह्न’ या निशान। जिन चिह्न से शब्दों का स्त्रीवाचक या पुरुषवाचक होना प्रकट हो, उन्हें लिंग कहते हैं।
लिंग के भेद हिन्दी भाषा में दो लिंग होते हैं-(i) पुलिंग, (ii) स्त्रीलिंग।
(i) पुलिंग- पुरुषत्व का बोध कराने वाले शब्दों या चिह्नों को पुलिंग कहते हैं। जैसे-पिता, घोड़ा।
(ii) स्त्रीलिंग- स्त्री जाति के बोध करानेवाले शब्दों को स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे-गायिका। लिंग-भेद
एक ही प्रकार के दीखने वाले शब्दों में इतना लिंग-भेद है कि विद्वानों को भी सरदर्द हो जाता है। लिंग-भेद कई स्थितियों में संभव है; इसके प्रायः सभी नियमों में अपवाद पाए जाते हैं। कारण यह है कि सुपरिचित प्राणिवाचक संज्ञाओं की पहचान करना तो सरल है, किन्तु अपरिचित जीवों तथा अप्राणिवाचक संज्ञाओं का लिंग-निर्धारण करना अत्यन्त कठिन है। वे न तो पुरुषवाचक होते हैं और न स्त्रीवाचक। जैसे पहाड़, नदी। पहाड़ को पुलिंग मान लेना केवल एक रूढ़ि है।

लिंग-निर्णय के कुछ सामान्य नियम

1. पुलिंग शब्दों की पहचान-
(क) मनुष्य और बड़े पशुओं में नर पुलिंग होते हैं और । नारियाँ स्त्रीलिंग। जैसे—लड़का, युवक, बूढा, हाथी, ऊँट आदि नर हैं, अतः पुलिंग हैं।
(ख) छोटे पक्षियों, कीड़ों आदि का या जिनमें जोड़ों का भेद करना कठिन है उन प्राणियों का लिंग-निर्णय व्यवहार के आधार पर होता है। जैसे-कौआ, खटमल, गिरगिट, गीदड़, चीता, छछूदर, बटेर, भेडिया, बिच्छू, मच्छर आदि शब्द पुंलिंग हैं; परंतु कोयल, गिलहरी, मछली, मैना, गौरैया आदि स्त्रीलिंगा :
(ग) द्वंद्वसमास के प्राणिवाचक शब्द पुलिंग होते हैं। जैसे-नर-नारी, भाई-बहन, मां-बाप, राधा-कृष्ण आदि। ,
(घ) संस्कृत के अकारान्त तत्सम शब्द प्रायः पुलिंग होते हैं। जैसे-अध्याय, अभिप्राय, उपाय, इतिहास, अध्यक्ष, अंधकार, उपहार, उपचार, व्यय आदि। ‘पुस्तक’ का स्त्रीलिंग में व्यवहार होता है। .
(ङ) अप्राणिवाचक संज्ञाओं का लिंग-निर्णय रूप के आधार पर होता है। जैसे-ये तमाम शब्द पुलिंग हैं
वनस्पति- अनार, आम, खजूर, पीपल, ताड़, अशोक, बाँस आदि।
तरल पदार्थ– दूध, दही, तेल, पानी, शर्बत आदि।
धातु- अल्युमीनियम, पीतल, रजत, लोहा, सोना आदि।
मसाला- जीरा, तेजपात आदि।
अन्न- उड़द, गेहूँ, चना, दाल आदि।
पर्वत-हिमालय, अमरकण्टक, हिन्दूकुश आदि।
दिन- रवि, सोम, मंगल आदि। . .
रत्न- हीरा, मोती, नीलम, मूंगा आदि।
वनस्पति आदि में से कुछ शब्द-इमली, मूंगफली आदि-स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होते हैं।
(च) हिन्दी की वे भाववाचक संज्ञाएँ पुलिंग होती हैं, जिनके अंत में आ, आव, आवा, ना, पा अथवा पन पाया जाता है; जैसे-घेरा, बचाव, भुलावा, मरना, बुढ़ापा, लड़कपन आदि।
(छ) तत्सम शब्दों को छोड़कर हिन्दी की वे संज्ञाएँ जिसके अंत में आकार हो (परन्तु ‘इया’ प्रत्यय न हो) पुलिंग होती हैं; जैसे—रुपया, बच्चा, छाता, आटा, कपड़ा आदि।

2. स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान-(क) जिन संस्कृत-संज्ञाओं के अंत में आ, इ अथवा उ । हो वे स्त्रीलिंग होती हैं; जैसे-
आ-क्षमता, दया, छाया, कृपा, करुणा, वन्दना, याचना आदि। इ-सिद्धि, रीति, मति, केलि आदि। उ मृत्यु, रेणु, धेनु आदि।
(ख) ट, आवट और आहट प्रत्ययान्त संज्ञाएं स्त्रीलिंग हैं; जैसे-झंझट, बनावट, रुकावट, सजावट, चिकनाहट आदि।
(ग) हिन्दी की वे संस्कृत से भिन्न भाववाचक संज्ञाएं जिनके अन्त में ‘अ’ अथवा ‘न’ हो; जैसे—चमक, दमक, पुकार, समझ, दौड़, चाल, उलझन, जलन आदि।
(घ) संस्कृत को छोड़कर हिन्दी की वे संज्ञाएँ जिनके अन्त में ई, इया, ऊ, ख, त अथवा
स हो और संस्कृत को छोड़कर दोड, चाल, उलझन, जनक
ई – उदासी, टोपी, लड़की, धोती, चोटी आदि।
इया-खटिया, पुड़िया, बुढ़िया आदि।
ऊ-गेरू, लू आदि।
ख-ईख, भूख, आँख, साख, राख, कोख आदि।
त-बात, रात, लात, छत आदि।
स-आस, प्यास, साँस आदि।
प्रश्न-पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम बताएँ।
पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम-
जिन प्रत्ययों के योग से पुलिंग शब्द स्त्रीलिंग में बदल जाते हैं, उन्हें स्त्रीवाची प्रत्यय कहते हैं।
हिन्दी में मुख्य स्त्री प्रत्यय हैं—आ, ई, नी, आनी, आइन, इनी, इका, इया, इन, वती, मती। इन प्रत्ययों का प्रयोग करते समय मूल शब्द के अन्तिम स्वर को हटा दिया जाता है। कई बार :
मूल शब्द का मूलतः ही परिवर्तन हो जाता है। प्रत्ययों के योग से बने स्त्रीलिंग शब्दों के कुछ रूप आगे दिए जा रहे हैं-

(i) अकारान्त तत्सम शब्दों के अन्तिम ‘अ’ को ‘आ’ कर देते हैं। जैसे-
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(ii) कुछ अकारान्त शब्दों के अन्तिम ‘अ’ को ‘ई’ कर देते हैं। जैसे-

(iv) कुछ अकारान्त तथा आकारान्त शब्दों के अन्तिम ‘आ’ को ‘इया’ करके पहला स्वर .. ह्वस्व कर दिया जाता है। जैसे-
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(v) अन्तिम शब्द को परिवर्तित कर ‘इन’ कर देते हैं। जैसे-

(vi) उपनाम या पदवीवाचक शब्दों के अन्त में स्वर को ‘आइन’ कर दिया जाता है। जैसे-

(ix) संस्कृत के ‘वान्’ और ‘मान्’ शब्दों में ‘ कथा ‘मान’ को ‘वती’ और ‘मती’ कर देने से स्त्रीलिंग बनाया जाता है। जैसे-
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(x) जिन पुलिंग शब्दों के अन्त में अक’ होता है, उनमें ‘अक’ के स्थान पर ‘इका’ कर देने से शब्द स्त्रीलिंग बन जाते हैं। जैसे-

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