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 bihar board class 11 geography | अपवाह तंत्र

bihar board class 11 geography | अपवाह तंत्र

bihar board class 11 geography | अपवाह तंत्र

अपवाह तंत्र
( (DRAINAGE SYSYEM)
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उसके आदर्श उत्तर
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :
(i) किस नदी को ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता था?
(क) गंडक
(ख) कोसी
(ग) सोन
(घ) दामोदर।
उत्तर-(घ)
(ii) किस नदी का वेसिन भारत में सबसे बड़ा है?
(क) सिंधु
(ख) गंगा
(ग) ब्रह्मपुत्र
(घ) कृष्णा।
उत्तर-(ग)
(iii) कौन-सी नदी पंचनद में सम्मिलित नहीं है?
(क) रावी
(ख) सिंधु
(ग) चनाब
(घ) झेलम।
उत्तर-(ख)
(iv) कौन-सी नदी दरार घाटी में बहती है-
(क) सोन
(ख) यमुना
(ग) नर्मदा
(घ) लूनी
उत्तर-(ग)
(v) अलकनन्दा तथा भागरथी नदी के संगम को क्या कहते हैं?
(क) विष्णु प्रयाग
(ख) कर्ण प्रयाग
(ग) रूद्र प्रयाग
(घ) देव प्रयाग
उत्तर-(घ)
(vi) तिब्बत में ब्रह्मपुत्र को किस नाम से जाना जाता है? [B.M.2009A]
(क) सांगपो
(ख) अरुण
(ग) मूला
(घ) त्रिशूली
उत्तर-(क)
(vii) निम्नलिखित में कौन सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है?
(क) महानदी
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) कावेरी
उत्तर-(ख)
(viii) किस नदी को बिहार का शोक कहा जाता है?
(क) कोशी
(ख) वागमती
(ग) गंडक
(घ) दामोदर
उत्तर-(क)
2. निम्न में अंतर स्पष्ट करें-
(i) नदी द्रोणी और जल-संभर,
(ii) वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप;
(iii) अपकेंद्रीय और अभिकेंद्रीय अपवाह प्रारूप;
(iv) डेल्टा और ज्वारनदमुख।
उत्तर-(i) नदी द्रोणी और जल-संभर-बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को
वटी-द्रोणी, जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को ‘जल-संभर’ कहा जाता है।नदी द्रोणी का आकार बड़ा होता है, जबकि जल-संभर का आकार छोटा होता है।
(ii) वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप-जो अपवाह प्रतिरूप पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो, उसे वृक्षाकार (Dendritic) प्रतिरूप कहा जाता है, जैसे उत्तरी मैदान की नदियाँ। जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समांतर बहती हों तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हो, तो ऐसे प्रतिरूप को जालीनुमा (Trellis) अपवाह प्रतिरूप कहते हैं।
(iii) अपकेंद्रीय और अभिकेंद्रीय अपवाह प्रतिरूप-जब नदियाँ किसी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती है, तो इसे अपकेंद्रीय प्रतिरूप कहा जाता है।
जब सभी दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील या गर्त में विसर्जित होती हैं, तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को अभिकेंद्रीय (Centripetal) प्रतिरूप कहा जाता है।
(iv) डेल्टा और ज्वारनदमुख-नदियों के मुहाने पर तलछट के निक्षेप से एक
त्रिभुजाकार स्थल रूप बनाता है। यह एक उपजाऊ समतल प्रदेश है, इसे डेल्टा कहा जाता है। जवारनदमुख की रचना नदी के तीव्र लम्बवत् कटाव से होती है। इसके किनारे खड़ी ढाल वाले होते है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दो में दीजिए-
(i) भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के सामाजिक-आर्थिक लाभ क्या हैं?
उत्तर-भारत की नदियाँ प्रतिवर्ष जल की विशाल मात्रा का वहन करती हैं, लेकिन समय व स्थान की दृष्टि से इसका वितरण समान नहीं है। वर्षा ऋतु में, अधिकांश जल बाद में व्यर्थ हो जाता है और समुद्र में बह जाता है। इसी प्रकार, जब देश के एक भाग में बाढ़ होती है तो दूसरा भाग सूखाग्रस्त होता है। यदि हम नदियों की द्रोणियों को आपस में जोड़ दें तो बाढ़ और सूखे की समस्या हल हो जायेगी। पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध होने के कारण पीने के पानी की समस्या भी हल हो जायेगी तथा हजारों, करोड़ों रुपये की बचत होगी और पैदावार में बढ़ोत्तरी होगी। किसानों की आर्थिक हालत सुधरेगी।
(ii) प्रायद्वीपीय नदी के तीन लक्षण लिखें।
उत्तर-(i) प्रायद्वीपीय नदियाँ सुनिश्चित मार्ग पर चलती हैं;
(ii) ये नदियाँ विसर्प नहीं बनाती; और
(iii) ये नदियाँ बारहमासी नहीं हैं।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों से अधिक में न दें-
(i) उत्तर भारतीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएं क्या हैं? ये प्रायद्वीपीय नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-उत्तर भारतीय नदियों में हिमालय से निकलने वाली नदियाँ आती हैं। हिमालयी नदी तंत्र के अतर्गत ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र, सिंधु नदी तंत्र तथा गंगा नदी तंत्र मुख्य हैं। प्रारम्भ में ये नदियाँ हिमालय के अक्ष के समानान्तर बहती है, फिर अचानक दक्षिण की ओर मुड़ जाती है। इन नदियों के निरन्तर बहने के कारण इनके किनारे, ऊंचे और ऊंचे होते गए। ये नदियां विशाल द्रोणियों का निर्माण करती है। ये सदानीरा नदिया है। अधिकतर प्रायद्वीपीय नदियां पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है तथा ये नदियाँ वर्षाधीन हैं। इसके अतिरिक्त ये तटीय नदियाँ होती है जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर में जाकर मिलती हैं। हिमलयी नदियाँ हिम के पिघलने से और वर्षा के जल दोनों की ही आपूर्ति के प्रतिरूप पर निर्भर करती है जबकि प्रायद्वीपीय नदियों की प्रवृत्तियाँ केवल. मानसूनी होती है।
हिमालयी (उत्तर भारतीय नदियाँ) और प्रायद्वीपीय नदिया के प्रवाह के प्रतिरूपों में मुख्य अंतर उनकी जलवायु के कारण होता है।
(ii) मान लीजिए आप हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुडी तक यात्रा कर रहे हैं। इस मार्ग में आने वाली मुख्य नदियों के नाम बताएं। इनमें से किसी एक नदी की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक यात्रा करने पर गंगा, यमुना, शारदा, सोन, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी, महानदी आदि नदियाँ मार्ग में आती हैं।
गंगा अपनी द्रोणी और सास्कृतिक महत्त्व दोनों के दृष्टिकोणों से भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है, जिसमें उत्तर हिमालय से निकलने वाली बारहमासी व अनित्यवाही नदियाँ और दक्षिण में प्रायद्वीप से निकलने वाली अनित्यवाही नदियाँ शामिल हैं। यह भारत की सबसे पवित्र नदी है। इलाहाबाद के आगे यमुना इसमें आकर
मिल जाती है। यह स्थान संगम के नाम से प्रसिद्ध है। इससे आगे उत्तर की ओर से गोमती. घाघरा, गण्डक और कोसी की सहायक नदियाँ इसमें मिलती हैं। दक्षिण की ओर से सोन नदी आकर मिलती है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले सुंदरवन में विश्व के सबसे बड़े डेल्टा का निर्माण करती है। इसके किनारे पर हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता आदि महत्त्वपूर्ण नगर बसे हैं। इसका अधिकांश जल सिचाई के उद्देश्यों के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका जल अमृत के समान माना गया है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उसके आदर्श उत्तर
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारत के दो जल-प्रवाह तन्त्र बताएँ।
उत्तर-हिमालय नदियाँ तथा प्रायद्वीपीय नदिया।
2. सिन्धु नदी का कुल बेसिन क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर-1,165,000 वर्ग किलोमीटर।
3. दरार घाटियों में बहने वाली दो नदियों के नाम लिखें।
उत्तर- नर्मदा, ताप्ती।
4. प्राद्वीपीय नदियों के मुख्य विभाजक का नाम लिखें।
उत्तर-पश्चिमी घाट।
5. उत्तरी भारत तथा प्रायद्वीपीय नदियों के मध्य जल विभाजन का नाम बताएँ।
उत्तर-विध्या-सतपुड़ा श्रेणी।
6. सिन्धु नदी का उद्गम बताएँ।
उत्तर-मानसरोवर झील (तिब्बत)।
7. सिन्धु नदी की कुल लम्बाई कितनी है?
उत्तर-2880 किलोमीटर।
8. गंगा की सहायक नदी का नाम बताओ जो दक्षिण से मिलती है?
उत्तर- -सोन नदी।
9. एक ट्रांस हिमालयी नदी का नाम बताएं जो सिन्धु नदी की सहायक नदी है।
उत्तर-सतलुज।
10. भारतीय पठार की नदी का नाम लिखो जो अरब सागर की ओर बहती है।
उत्तर-नर्मदा तथा ताप्ती।
11. प्रायद्वीपीय भारत की एक नदी बताओ जो ज्वारनदमुख बनाती है।
उत्तर-नर्मदा।
12. प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी का नाम लिखें।
उत्तर-गोदावरी।
13. कृष्णा नदी का स्त्रोत कौन-सा है?
उत्तर-महाबलेश्वर।
14. भारत में गंगा नदी का कुल कितना वेसिन क्षेत्रफल है?
उत्तर- -8,61,404 वर्ग किलोमीटर।
15. बंगलादेश में गंगा नदी को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर-पद्मा।
16. उन नदियों के नाम लिखो जो हिमालय नदी तंत्र बनाती हैं।
उत्तर-सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र।
17. प्रायद्वीपीय भारत की बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों के नाम लिखें।
उत्तर-महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी।
18. एक ट्रांस हिमालय नदी का नाम लिखें।
उत्तर–सतलुज।
19. पूर्ववर्ती जल प्रवाह की एक नदी का नाम लिखें।
उत्तर- सिन्धु।
20. प्राचीन समय में कौन-सी नदी पंजाब से असम की ओर बहती थी?
उत्तर- सिन्ध-ब्रह्म नदी।
21. झेलम नदी का स्त्रोत बताएँ।
उत्तर-बुल्लर झील।
22. गंगा नदी द्वारा निर्मित डेल्टे का नाम लिखें।
उत्तर- सुंदरवन।
23. किस नदी को तिब्बत में सांग-पो कहा जाता है?
उत्तर- -ब्रह्मपुत्र।
24. किस नदी को दक्षिण की गंगा कहते हैं?
उत्तर-ब्रह्मपुत्र नदी।
25. जबलपुर के निकट नर्मदा नदी कौन-सा जल प्रवाह बनाती है?
उत्तर- मार्बली रॉक।
26. प्राचीन समय में हरियाणा के शुष्क क्षेत्र में बहने वाली नदी का नाम लिखो।
उत्तर- सरस्वती।
27. जोग जल प्रपात कहां पर स्थित है?
उत्तर-शरबती नदी पर (कर्नाटक)।
28. अरावली से निकलने वाली नदी का नाम लिखो।
उत्तर- साबरमती।
29. खम्बात की खाड़ी में गिरने वाली नदी का नाम लिखो।
उत्तर-माही।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. उत्पत्ति के आधार पर भारत की नदियों को कितने वर्गों में बांटा जाता है?
उत्तर-भास्त का जल प्रवाह देश की भू-संरचना पर निर्भर करता है। इस आधार पर देश की नदियों को दो वर्गों में बांटा जाता है-(i) हिमालय की नदियां, (ii) प्रायद्वीपीय नदियां।
2. हिमालय की नदियों के तीन प्रमुख नदी तन्त्रों के नाम वताइए।
उत्तर- हिमालय की नदियों का विकास एक लम्बे समय में हुआ है। हिमालय की नदियों को तीन मुख्य तन्त्रों (System) में बांटा जाता है.
(i) सिन्धु तन्त्र (Indus System).
(ii) गंगा तन्त्र (Ganges System),
(iii) ब्रह्मपुत्र तन्त्र (Brahmaputra System)।
3. गार्ज (महाखंड) क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-पर्वतीय भागों में बहुत गहरे तथा तंग नदी मार्गों को गार्ज कहते हैं। इसे महाखंड भी कहा जाता है। इसके किनारे खड़ी ढाल वाले होते हैं तथा लगातार ऊपर उठते रहते हैं।
इसका तल लगातार गहरा होता जाता है। हिमालय पर्वत में ऐसे कई गार्ज मिलते है। जैसे-सिन्धु, सतलुज, गार्ज, ब्रह्मपुत्र (दिहांग) गार्ज।
4. गंगा की दो शीर्ष नदियों (Head Streams) के नाम बताइए जो देव प्रयाग में मिलती हैं।
उत्तर-गंगा नदी उत्तर प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र से निकलती है तथा दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। देव प्रयाग में इसमें दो शीर्ष नदिया–अलकनन्दा और भागीरथी आ कर मिलती हैं। इसके बाद इनका नाम गंगा पड़ता है।
5. प्रायद्वीप भारत की प्रमुख नदियों के नाम बताइए।
उत्तर-प्रायद्वीप की कुछ नदिया पूर्व की ओर बहती हुई खाड़ी बंगाल में गिरती है। इनमें महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, पेनार महत्वपूर्ण नदियां हैं। कुछ नदिया पश्चिम की ओर बहकर अरब सागर में गिरती हैं। इसमें नर्मदा, ताप्ती प्रमुख नदिया है।
6. डेल्टा किसे कहते हैं? भारत से चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर-नदियों के मुहाने पर तलछट के निक्षेप से एक त्रिभुजाकार स्थल रूप बनता है जिसे डेल्टा कहते है। डेल्टा नदी के अन्तिम भाग में अपने भार के निक्षेप से बनने वाला भू-आकार है। यह एक उपजाऊ समतल प्रदेश होता है। भारत में चार प्रसिद्ध डेल्टा इस प्रकार हैं।
(i) गगा नदी का डेल्टा, (ii) महानदी का डेल्टा,
(iii) कृष्णा नदी का डेल्टा, (iv) कावेरी नदी का डेल्टा।
7. राजस्थान में बहने वाली प्रमुख नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर- राजस्थान मे बहने वाली प्रमुख नदिया लूनी साबरमती तथा माही है। अधिकतर नदिया रेत में लुप्त हो जाती हैं।
8. गंगा तथा महानदी के डेल्टा के मध्य कौन-सी नदियां वहती हैं?
उत्तर-गंगा नदी के डेल्टा पश्चिमी बंगाल में तथा महानदी का डेल्टा उड़ीसा राज्य में फैला हुआ है। इनके मध्य में बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश तथा पश्चिमी बंगाल राज्यों के क्षेत्रों में स्वर्ण रेखा तथा ब्राह्मणी नदी का विस्तार है।
9. सिन्धु तन्त्र में बहने वाली नदियों के नाम लिखें।
उत्तर-हिमालय पर्वत के पश्चिम में बहने वाली नदिया सिन्धु तन्त्र की रचना करती हैं। सिन्धु तिब्बत में 5,180 मीटर की ऊंचाई पर मानसरोवर झील से निकल कर कश्मीर, पंजाब (पाकिस्तान) में बहती हुई अरब सागर में गिरती हैं। इनकी प्रमुख सहायक नदियां सतलुज, ब्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम हैं।
10. गंगा तन्त्र में बहने वाली प्रमुख नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर-गंगा का उद्गम प्रदेश उत्तर प्रदेश के हिमालय में है। गंगा के दाहिने किनारे की मुख्य सहायक नदिया यमुना तथा सोन जैसी बड़ी नदियां हैं। इसके अतिरिक्त टोन्स तथा पुनपुन जैसी छोटी नदियां भी गंगा में मिलती है। गंगा के बाएं किनारे पर कई बड़ी नदिया इसकी सहायक नदियों के रूप में मिलती हैं। जैसे-राम गंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी तथा महानन्दा। ये सब नदिया मिल कर गंगा तन्त्र की रचना करती हैं।
11. पश्चिमी घाट से निकलने वाली प्रायद्वीपीय नदियों के नाम लिखें।
उत्तर-पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय नदियों का जल विभाजक है जहां से कई नदियां निकल कर पूर्व की ओर बहती हैं। कावेरी नदी ब्रह्मगिरि माला से निकल कर खाड़ी बंगाल में गिरती हैं। कृष्णा नदी महाबलेश्वर से तथा गोदावरी नदी नासिक क्षेत्र से निकल कर पूर्व की ओर बहती है। कई छोटी-छोटी नदियां पश्चिमी घाट से निकल कर पश्चिमी तटीय मैदान में
पश्चिम की ओर बहती हैं।
12. उस प्रायद्वीपीय नदी का नाम बताइए जिसकी सहायक नदियों का विकास नहीं हुआ है।
उत्तर-नर्मदा नदी एक द्रोण-घाटी में बहती है। यह एक प्रायद्वीपीय नदी है। इसकी कोई भी सहायक नदी लम्बी नहीं है। कोई भी नदी 200 किमी से अधिक लम्बी नहीं है।
13. गोदावरी को वृद्ध गंगा या दक्षिण गंगा क्यों कहा जाता है?
उत्तर-गोदावरी नदी प्रायद्वीप की सबसे बड़ी नदी है। इसका एक विशाल अपवहन क्षेत्र है जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा तथा आन्ध्र प्रदेश में फैला हुआ है। विशाल आकार और विस्तार के कारण इसकी तुलना गंगा नदी से की जाती है। जिस प्रकार उत्तरी भारत में गंगा नदी का महत्व है। गंगा नदी की तरह इसकी भी अनेक सहायक नदियां हैं।
14. पश्चिमी तट पर नदियां डेल्टा क्यों नहीं बनाती हैं जबकि वे बड़ी मात्रा में तलछट बहा कर लाती हैं?
उत्तर-पश्चिमी तट पर नर्मदा और ताप्ती प्रमुख नदियां हैं। ये नदियां काफी मात्रा में तलछट बहा कर ले जाती हैं परन्तु ये डेल्टा नहीं बनाती। इस तट पर मैदान की चौड़ाई बहुत कम है। प्रदेश की तीव्र ढाल है। नदियां तेज गति से समुद्र में गिरती हैं। इसलिए तलछट का निक्षेप नहीं होता। संकरे मैदान के कारण नदियों के अन्तिम भाग की लम्बाई कम है जिससे डेल्टे का निर्माण नहीं होता।
15, प्रायद्वीपीय भारत की पूर्व तथा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-प्रायद्वीपीय भारत की पूर्व तथा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में अन्तर-
               पूर्व की ओर बहने वाली नदियां
(i) महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी नदियां पूर्व की ओर बहती हैं।
(ii) ये नदियां डेल्टा बनाती हैं।
(iii) ये नदियां खाड़ी बंगाल में गिरती हैं।
              पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां
(i) नर्मदा तथा ताप्ती नदियां पश्चिम की ओर बहती है।
(ii) ये नदिया डेल्टा नहीं बनाती हैं।
(iii) ये नदियां अरब सागर में गिरती हैं।
16. पूर्ववर्ती अपवाह तथा अनुवर्ती अपवाह में अन्तर बताएँ।
उत्तर-पूर्ववर्ती अपवाह तथा अनुवर्ती अपवाह में अन्तर-
             पूर्ववर्ती अपवाह (Antecedent Drainage)
(i) किसी क्षेत्र में जब नदी उत्थान से पूर्व के ढाल के अनुसार मूल दिशा में
बहती रहती है तो उसे पूर्ववर्ती अपवाह कहते हैं।
(ii) ये नदियां उन मोड़दार पर्वतों की अपेक्षा पुरानी होती हैं जिन पर ये
बहती है।
(iii) ये नदियां गहरे गाजे बनाती हैं।
(iv) ट्रांस हिमालयी नदियां सिन्धु-सतलुज पूर्ववर्ती अपवाह के उदाहरण हैं।
            अनुवर्ती अपवाह (Consequent Drainage)
(i) किसी क्षेत्र में उत्थान के पश्चात् नवीन ढाल के अनुसार बहने वाली अपवाह को अनुवर्ती अपवाह कहते हैं।
(ii) ये नदियां उत्थान के पश्चात् जन्म लेती हैं।
(iii) ये नदियां गार्ज नहीं बनातीं।
(iv) दक्षिणी पठार की पूर्व ओर बहने वाली नदियां अनुवर्ती नदियां हैं।
17.जल संभर तथा नदी द्रोणियों में अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर- जल संभर तथा नदी द्रोणियों में थोड़ा सा अंतर है। एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करनेवाली सीमा को ‘जल संभर’ कहते है। जबकि नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को नदी द्रोणी कहते हैं। जल सभरों का क्षेत्रफल 1000 हेक्टेयर से कम होता है जबकि नदी द्रोणियों का क्षेत्रफल बड़ा होता।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारत की तटीय नदियों का वर्णन करें।
उत्तर -तटीय नदियाँ पश्चिम में अरब सागर की ओर तथा पूर्व में बंगाल के खाड़ी की ओर बहती हैं।
पश्चिम की ओर बहने वाली नदिया ये है-शतरंजी, भद्रा, वैतरणा, काली नदी, बेड़ती, शरावती, भारतपुझा, पेरियार तथा पंबा। शतरंजी अमरेली जिले के दलकहवा के निकट से, भद्रा राजकोट जिले में अनियाली गांव के पास से तथा धांधर गुजरात के ही पंचमहल जिले के घंटार गाँव के निकट से निकलती हैं। धांधर 135 किमी लम्बी है तथा इसका जलग्रहण
 क्षेत्र 2,770 वर्ग किमी है। वैतरणा का उद्गम स्रोत महाराष्ट्र के नासिक जिले में 670 मी की ऊंचाई पर त्रियंबक की पहाड़ियों के दक्षिणी ढालो पर है। 172 किमी की यात्रा के बाद यह वलसाड़ के निकट अरब सागर में गिरती है। काली नदी कर्नाटक के बेलगाँव जिले में बीड़ी नामक गाँव के निकट से निकलती है और कारवाड़ की खाड़ी में गिरती है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 5,179 वर्ग किमी है। 161 किमी लम्बी बेड़ती नदी का उद्गम स्त्रोत हुबली-धारवाड़ के आस-पास की पहाड़ियों में 701 मी की ऊंचाई पर है। शरावती का उद्गम स्थान कर्नाटक के शिमोगा जिले में है। इसी नदी पर प्रसिद्ध गरसोपा (जोग) जल-प्रपात है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 2,209 वर्ग किमी है। भारतपुझा को पोन्नानी भी कहते हैं। यह केरल की सबसे लम्बी नदी है। यह अन्नामलाई की पहाड़ियों के पास से निकलती है। इसका अपवाह क्षेत्र 5,397 वर्ग किमी है। 177 किमी लम्बी पंबा नदी वेबनाद झील में गिरती है।
पूर्व की ओर बहने वाली नदियां-सुवर्ण रेखा, वैतरणी और ब्राह्मणी के अलावा पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख नदियां है-वंशधारा, पेन्नर, पलार और वैगाई। वंशधारा का उद्गम तो उड़ीसा के दक्षिणी भाग में है, लेकिन यह आन्ध्र प्रदेश में बहती है। पलार का जलग्रहण क्षेत्र 17,870 वर्ग किमी नदियाँ हैं। पोइनी और चेय्यार इसकी दो प्रमुख नदियाँ है।
वैगाई केरल से निकलती हैं। यह पेरियार के अपवर्तित जल को लेकर अंत में पाक की खाड़ी में गिर जाती है। छोटी-छोटी तटीय नदियों की विशेषताएं है-तीव्र ढाल, भारी मात्रा में गाद तथा प्रवाह में शीघ्र घट-बढ़। तटीय क्षेत्रों की कृषि की सिंचाई में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।
2. नदी प्रवृत्तियों से क्या अभिप्राय है? हिमालयी प्रायद्वीपीय नदियों की प्रवृत्तियों की तुलना करें।
उत्तर-नदी प्रवृत्तियाँ-किसी नदी में जल के ऋतुनिष्ठ प्रवाह के प्रतिरूप को इसकी प्रवृत्ति कहते हैं। हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियों के प्रवाह के प्रतिरूपों में अन्तर का मुख्य कारण जलवायु में अन्तर है। हिमालयी नदियां सदानीरा है। इनकी प्रवृत्तियाँ, हिम के पिघलने से और वर्षा के जल दोनों की ही आपूर्ति के प्रतिरूप पर निर्भर करती है। इनकी प्रवृत्तियाँ मानसूनी और हिमनदीय दानों ही है। इसके विपरित प्रायद्वीपीय नदियों की प्रवृत्तियां केवल मानसूनी है, क्योंकि इन पर केवल वर्षा का ही नियंत्रण है। प्रायद्वीप की विभिन्न नदियों की प्रवृत्तियाँ भी एक समान नहीं है, क्योंकि पठार के विभिन्न भागों की वर्षा के ऋतुनिष्ठ वितरण में अन्तर होता है।
गंगा नदी की प्रवृत्ति-जनवरी से लेकर जून तक गंगा में जल का न्यूनतम प्रवाह रहता है। अगस्त या सितम्बर में अधिकतम प्रवाह होता है। सितम्बर के बाद प्रवाह निरन्तर घटता जाता है। इस प्रकार गंगा नदी में एक विशिष्ट मानसूनी प्रवृत्ति है। गंगा की द्रोणी के पूर्वी और पश्चिमी भाग की नदी प्रवृत्तियों में असाधारण अन्तर पाए जाते हैं। मानसूनी वर्षा से पहले या ग्रीष्म ऋतु के पहले भाग में गंगा में पर्याप्त जल बहता है। इसका मुख्य कारण हिमालय पर बरफ का पिघलना है। गंगा की प्रवृत्ति की तुलना, हिमालय की ही अन्य नदी झेलम से की जा सकती है। झेलम में अधिकतम प्रवाह जून या मई में ही हो जाता है, क्योंकि इसका प्रवाह मुख्य रूप से हिमालय की बरफ से पिघलने पर निर्भर करता है। इन दोनों नदियों की प्रवृत्तियों में एक रोचक अन्तर है। इस अन्तर को इन नदियों के अधिकतम और न्यूनतम प्रवाह की भिन्नता के परास (range) में देखा जा सकता है। झेलम की तुलना में, गंगा में अन्तर अधिक सुस्पष्ट है।
प्रायद्वीपीय नदियां-प्रायद्वीप की दो नदियों की प्रवृत्तियों में हिमालयी नदियों की प्रवृत्तियों की तुलना में काफी अन्तर है। नर्मदा में जल विसर्जन की मात्रा जनवरी से जुलाई तक काफी कम रहती है लेकिन अगस्त में यह अचानक बढ़कर अधिकतम स्तर पर पहुंच जाती है। अगस्त में नर्मदा में जिस तेजी से जल की मात्रा बढ़ती है, उसी तेजी से अक्तूबर में यह घट जाती है। गोदावरी में उस प्रवाह का स्तर मई तक नीचा रहता है। इसमें दो बार जल की अधिकतम मात्रा रहती है। एक बार मई में और दूसरी बार जुलाई-अगस्त में। अगस्त के बाद जल प्रवाह तेजी से घटता है। जनवरी से लेकर मई तक के किसी भी महीने की तुलना में अक्टूबर और नवम्बर में जल प्रवाह की मात्रा अधिक होती है।
3. भारत में बाढ़ प्रवण क्षेत्र बताओ।
उत्तर-बाढ़ प्रवण क्षेत्र-भारत में प्रतिवर्ष बाढ़ आती हैं। प्रतिवर्ष लगभग 60 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित होती है। ऊंची बाढ़ों से फसलों, मकानों और सार्वजनिक सुविधाओं को बहुत हानि होती है। अनेक लोग और पशु मर जाते हैं, परिवहन और संचार के साधन अस्त-व्यस्त हो जाते हैं। इनमें सामान्य जन-जीवन भी गड़-बड़ हो जाता है।
देश की उत्तरी विशाल मैदान तथा बड़ी नदियों के तटीय क्षेत्रों में गम्भीर बाढ़ के आने की आशंका बनी रहती है। बिहार के मैदान, पश्चिम बंगाल के उत्तरी तथा दक्षिणी भाग, असम घाटी और कछार प्रायः आने वाली बाढ़ों के लिए कुख्यात हैं। कश्मीर घाटी, पंजाब के मैदान, उत्तर प्रदेश के मैदान, महानदी, गोदावरी और कृष्णा के डेल्टा, कावेरी डेल्टा तथा नर्मदा और ताप्त के निचले भागों में बाढ़ कभी-कभी ही आती है। बाढ़ आने के प्रमुख कारण ये है।
भारी वर्षा, नदी घाटियो का मंद ढाल, नदी तल में गाद का भारी मात्रा में जमाव तथा जलग्रहण क्षेत्रों में वनविहीन पहाड़ियाँ। कुछ क्षेत्रों में सड़कों, रेलमार्गों और नहरों के निर्माण से जल के प्रवाह मे बाधा पड़ती है। जिससे बाढ़ आ जाती है। तटीय क्षेत्रों में कुछ बाढ़े चक्रवातीय तूफानों के कारण भी आती है।
4. भारत की नदियाँ किस तरह देश के लिए उपयोगी है?
उत्तर-भारत की नदियाँ अनेक तरह से हमारे लिये तथा हमारे देश के लिये उपयोगी है। नदियों के किनारे ही मानव बसाव हुआ है और प्रमुख सभ्यता और उत्कृष्ट संस्कृतियाँ विकसित हुई है। नदियों से बड़ी मात्रा में जल नगरों तथा गाँवों तक पहुंचाया जाता है। बहुत से उद्योग भी काफी हद तक जल की आपूर्ति पर निर्भर करते है। हमारे जीवन में मीठे जल की अधिकांश आवश्यकताएँ नदियों से ही पूरी होती है।
भारतीय नदियों के जल का सर्वाधिक उपयोग सिंचाई में होती है। भारतीय नदियाँ प्रतिवर्ष 167753 करोड़ धन मीटर जल बहता है जिसका मात्र 33% अर्थात् 55,517 करोड़ धन मीटर जल ही सिंचाई के उपयोग में आ पाती है।
भारतीय नदियों में जलाशक्ति की बड़ी संभावनाएं है। कुल नदी जल प्रवाह का 60% हिमालय में, 16% मध्यवर्ती भारत की नदियों में तथा शेष दक्कन के पठार की नदियों में नीहित है। इन नदियों से 60% कार्यक्षमता के आधार पर 4.1 करोड़ किलोवाट जलशक्ति उत्पादन किया जा सकता है।
देश के उत्तर तथा उत्तर पूर्व में क्रमश: गंगा और ब्रह्मपुत्र में, उड़ीसा में महानदी में, आंध्रप्रदेश के गोदावरी एवं कृष्णा, गुजरात में नर्मदा एवं तपी नदियों में देश के प्रमुख जलमार्ग हैं। देश में लगभग 10,600 कि.मी. लम्बे नाव्य जलमार्ग है। गंगा, ब्रह्मपुत्र और महानदी प्रमुख नाव्य नदियाँ हैं। गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और तापी नदी केवल मुहानों के निकट ही
नाव्य है।
इस प्रकार भारत की नदियाँ देश के लिए पूर्णरूपेण उपयोगी हैं।
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