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 Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान

BSEB Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान

Bihar Board Class 11 Geography संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान Text Book Questions and Answers

(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
हिमालय के किस भाग में करेवा मिलते हैं ……………………
(क) उत्तर:पूर्व
(ख) पूर्वी
(ग) हिमाचल-उत्तरांचल
(घ) कश्मीर हिमालय
उत्तर:
(घ) कश्मीर हिमालय

प्रश्न 2.
लोटक झील किस राज्य में स्थित है ……………………..
(क) केरल
(ख) मनीपुर
(ग) उत्तरांचल
(घ) राजस्थान
उत्तर:
(ख) मनीपुर

प्रश्न 3.
अंडमान द्वीप तथा निकोबार द्वीप को कौन-सी रेखा पृथक् करती है ……………………
(क) 11° चैनल
(ख) 10 चैनल
(ग) खाड़ी मनार
(घ) अंडमान सागर
उत्तर:
(क) 11° चैनल

प्रश्न 4.
डोडावेटा चोटी निम्नलिखित में से कौन-सी पहाड़ी शृखंला में स्थित है?
(क) नीलगिरी
(ख) का मम
(ग) अनामलाई
(घ) नलामलाई
उत्तर:
(क) नीलगिरी

प्रश्न 5.
हिमालय किस प्रकार का पर्वत है?
(क) ज्वालामुखी
(ख) मोड़दार
(ग) अविशष्ट
(घ) भ्रशारेथ
उत्तर:
(ख) मोड़दार

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
यदि एक व्यक्ति को लक्षद्वीप जाना हो तो वह कौन-से तटीय मैदान होकर जायेगा और क्यों?
उत्तर:
लक्षद्वीप अरब सागर में स्थित है। यह केरल तट से 280 किलोमीटर ने 480 – किलोमीटर दूर स्थित है। अत: केरल तट से इसकी दूरी सबसे कम 280 किलोमीटर है। इसलिए केरल के तटीय मैदान से होकर हम लक्षद्वीप सकम मय में पहुँच जायेगें।

प्रश्न 2.
भारत में ठण्डा मरुस्थल कहाँ स्थित है ? इस क्षेत्र की मख्य श्रेणियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
कश्मीर हिमालय का उत्तरी-पूर्वी भाग, जो वहत् हिमालय और कराकोरम श्रेणियों के बीच स्थित है, एक ठण्डा मरुस्थल है। कश्मीर हिमालय में अनेक पर्वत श्रेणियाँ हैं जैसे-कराकोरम, लद्दाख, जाकर और बाल ।

प्रश्न 3.
पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई डेल्टा क्यों नहीं है?
उत्तर:
पश्चिमी तटीय मैदान मध्य में संकीर्ण है लेकिन उत्तर और दक्षिण में चौड़े हो जाते हैं। इसलिए इस तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती ।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूहों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर:
भारत में दो प्रमुख द्वीप समूह हैं-एक बंगाल की खाड़ी और दूसरा अरब सागर हैं। बंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह में लगभग 572 द्वीप हैं। ये द्वीप 6° उत्तर से 14° उत्तर और 92° पूर्व से 94° पूर्व के बीच स्थित हैं। राँची और लबरीन्थ द्वीप, यहाँ के दो प्रमुख द्वीप समूह हैं। बंगाल की खाड़ी के द्वीपों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-उत्तर में अंडमान और दक्षिण में निकोबार । बैरन आइलैंड नामक भारत का एकमात्र जीवंत ज्वालामुखी भी निकोबार द्वीपसमूह में स्थित है।

अरब सागर के द्वीपों में लक्षद्वीप और मिनिकॉय शामिल हैं। ये द्वीप 80° उत्तर से 12° उत्तर और 71° पूर्व से 74° पूर्व के बीच बिखरे हुए हैं। ये केरल तट से 280 किलोमीटर से 480 किलोमीटर दूर स्थित है। पूरा द्वीप समूह प्रवाल निक्षेप से बना है। यहाँ 36 द्वीप हैं और इनमें से 11 पर मानव आवास हैं। मिनिकॉय सबसे बड़ा द्वीप है जिसका क्षेत्रफल 453 वर्ग किलोमीटर है। पूरा द्वीप समूह 11 डिग्री चैनल द्वारा दो भागों में बाँटा गया है, उत्तर में अमीनी द्वीप दक्षिण में कनानोरे द्वीप । इस द्वीप समूह पर तूफान निर्मित पुलिन है जिस पर आबद्ध गुटिकायें शिंगिल, गोलश्मिकाएँ तथा गोलाश्म पूर्वी समुद्र तट पर पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
नदी घाटी मैदान में पाए जाने वाली महत्त्वपूर्ण स्थालाकृतियाँ कौन-सी हैं? इनका विवरण दें।
उत्तर:
प्रायद्वीप भाग में बहने वाली नदी घाटियाँ उथली और उनकी प्रवणता कम होती है। पूर्व की ओर बहने वाली अधिकांश नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले डेल्टा निर्माण करती हैं। महानदी, गोदावरी और कृष्णा द्वारा निर्मित डेल्टा इसके उदारहण हैं। हिमालय और अन्य अतिरिक्त पर्वतमालाओं में तेज बहाव वाली नदियों से अपरदित ये पर्वत गॉर्ज V – आकार घाटियाँ, क्षिप्रिकाएँ व जल-प्रपात इत्यादि इसका प्रमाण हैं। इस क्षेत्र के जलोढ़ की औसत गहराई 1000 से 2000 मीटर है।

कश्मीर हिमालय में श्रीनगर का डल झील एक रोचक प्राकृतिक स्थल है। कश्मीर घाटी में झेलम नदी प्रौढ़ावस्था में निर्मित होने वाली विशिष्ट आकृति विसों का निर्माण करतीहै। प्रदेश के दक्षिणी भाग में अनुदैर्ध्य घाटियाँ पाई जाती हैं जिन्हें दून कहा जाता है। हिमाचल हिमालय के दो महत्त्वपूर्ण स्थालाकृतियाँ शिवालिक और दून हैं। दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय की पर्वत श्रेणियाँ उत्तर से दक्षिण दिशा में तेज बहती हुई गहरे गॉर्ज बनाने वाली नदियों द्वारा विच्छेदित होती हैं। कामेंग; सुबनसरी, दिहांग, दिबांग, लोहित और तीस्ता यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं, जो बहुत से जल-प्रपात बनाती हैं।

मणिपुर घाटी के मध्य एक झील स्थित है जिसे ‘लोक ताक’ झील कहा जाता है। उत्तरी भारत के मैदान में हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे-शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती है। विशाल नदियाँ अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती हैं, जैसे सुंदर वनन का डेल्टा। प्रायद्वीपीय पठार में बहने वाली नदियाँ टार, ब्लॉक पर्वत, भ्रंश घाटियाँ पर्वत स्कंध नग्न चट्टान संरचना, टेकरी (hummocky) पहाड़ी, शृंखला और क्वार्ट्साइट भित्तियाँ आदि का निर्माण करती हैं। प्रायद्वीपीय पूर्वी-घाट अवतरित नहीं हैं और महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों द्वारा अपरदित हैं। यहाँ की कुछ श्रेणियाँ जावदी पहाड़ियाँ पालकोण्डा श्रेणी, नल्लामाला पहाड़ियाँ और महेंद्रगिरि पहाड़ियाँ हैं।

मरुस्थल में बहने वाली नदियाँ थोड़ी दूरी तय करने के बाद लुप्त हो जाती हैं या किसी झील में या प्लाया में मिल जाती हैं। पश्चिमी तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती। पूर्वी तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ लम्बे-चौड़ें डेल्टा बनाती है। इसमें महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी का डेल्टा शामिल है।

प्रश्न 3.
यदि आप बद्रीनाथ से संदर वन डेल्टा तक गंगा नदी के साथ-साथ चलते हैं तो आपके रास्ते में कौन-सी स्थलाकृतियाँ आएंगी?
उत्तर:
गंगा, हिमालय पर्वत में गोमुख हिमनदी से निकलती है। इस स्थान पर इसे गंगोत्री कहते हैं। 290 कि० मी० पर्वतीय प्रदेश से निकल कर हरिद्वार के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है। इलाहाबाद के बाद इसमें यमुना नदी आकर मिल जाती है। यह स्थान संगम के नाम से प्रसिद्ध है। इससे आगे उत्तर की गोमती, घाघरा. गण्डक और कोसी की सहायक नदियाँ इसमें मिलती हैं । दक्षिण की ओर सोन नदी आकर मिलती है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले एक . विशाल डेल्टा तक इसकी लम्बाई 2525 किलोमीटर है। इसके किनारे पर हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वारणसी, पटना, कोलकाता आदि महत्त्वपूर्ण नगर बसे हैं। यमुना भी गंगा के समानान्तर बहती है।

(घ) परियोजना कार्य (Project Work)

प्रश्न 1.
एटलस की सहायता से पश्चिम से पूर्व की ओर स्थित हिमालय की चोटियों की एक सूची बनाएँ।
उत्तर:
पश्चिमी हिमालय में काराकोरम, नंगा पर्वत तथा पूर्वी हिमालय मे नामचा बरूआ, कंचनजंगा, मकालू और ऐवरेस्ट आदि चोटियाँ पाई जाती हैं। (चित्र 2.2 एवं 2.4 देखें।)

प्रश्न 2.
आप अपने राज्य में पाई जाने वाली स्थालाकृतियों की पहचान करें और इन पर चलाए जा रहे मुख्य आर्थिक कार्यों का विश्लेषण करें।
उत्तर:
उत्तरी भारत का मैदान सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लम्बाई लगभग 3200 किलोमीटर है। इसकी औसत चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है। जलोढ़ निक्षेप की अधिकतम गहराई 1000 से 2000 मीटर है। उत्तर से दक्षिण दिशा में इन मैदानों को तीन भागों में बाँट सकते हैं-भामर, तराई और जलोढ़ मैदान । जलोढ़ मैदान को आगे दो भागों में बाँटा जाता है-खादर और बांगर । भामर 8 से 10 किमी चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैल हुई है।

उसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे-बड़े शैल और गोलाश्म जमा करा देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती है। तराई से दक्षिण में मैदान है जो नए जलोढ़ से बना होने के कारण बाँगर और खादर कहलाता है। जैसे-बालू-रोपिका, विसर्प, गोखुर झीलें और गुंफित नदियाँ पाई जाती हैं। ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान नदीय द्वीप और बालू-रोधिकाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। ‘उत्तर भारत के मैदान में बहने वाली विशाल नदियाँ अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती हैं, जैसे-सुन्दर वन डेल्टा। हरियाणा और दिल्ली राज्य सिंधु और गंगा नदी तंत्रों के बीच जल-विभाजक है। गंगा नदी द्वारा निर्मित जलोढ़ मैदानों में गेहूँ, चावल, गन्ना और जूट उगाई जाती है। [ आर्थिम कार्यों का विश्लेषण अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।]

Bihar Board Class 11 Geography संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अरब सागर कब अस्त्वि में आया?
उत्तर:
प्लायसीन युग में।

प्रश्न 2.
उस सागर का नाम बतायें जो हिमालय के किनारे पर स्थित था।
उत्तर:
टैथीज सागर।

प्रश्न 3.
हिमालय किस युग में ऊपर उठे?
उत्तर:
टर्शियरी युग में।

प्रश्न 4.
हिमालय के उत्तर में कौन-सा भू-खण्ड स्थित है?
उत्तर:
अंगारालैण्ड।

प्रश्न 5.
टशियरी युग में हिमालय के दक्षिण में स्थित भू-खण्ड का नाम बताएँ।
उत्तर:
गोंडवानालैण्ड।

प्रश्न 6.
कश्मीर घाटी में पाई जाने वाली झील निक्षेप का नाम लिखो।
उत्तर:
करेवा।

प्रश्न 7.
दक्कन पठार की पश्चिमी सीमा का नाम बताएँ।
उत्तर:
अरावली।

प्रश्न 8.
हिमालय के निचले भागों में पाई जाने वाली निक्षेप बताओ।
उत्तर:
जलोढ़ पंक।

प्रश्न 9.
चो के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र का नाम बताएँ।
उत्तर:
होशियारपुर (पंजाब)।

प्रश्न 10.
भारत में पाये जानेवाली दो रिफ्ट घाटियों के नाम लिखें।
उत्तर:
नर्मदा तथा ताप्ती घाटियां।

प्रश्न 11.
दक्कन पठार में निर्मित लावा की सतहें कैसे बनी?
उत्तर:
लावा बहने के कारण।

प्रश्न 12.
अरावली पर्वत किस युग में ऊपर उठे?
उत्तर:
विन्ध्य युग में।

प्रश्न 13.
भारत का प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
पूर्व कैम्बरियन युग में।

प्रश्न 14.
दक्कन पठार के पूर्वी सीमाओं के नाम बताएँ।
उत्तर:
राजमहल की पहाड़ियाँ।

प्रश्न 15.
भारत का सबसे प्राचीन पठार कौन-सा है?
उत्तर:
दक्कन पठार।

प्रश्न 16.
वृहद् स्तर पर भारत के धरातल को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
तीन।

प्रश्न 17.
पूर्वी घाट पर सबसे अधिक ऊँचाई कितनी है?
उत्तर:
900 मीटर।

प्रश्न 18.
अरब सागर में पाये जाने वाले मूंगे के द्वीपों के समूह का नाम बताएँ।
उत्तर:
लक्षद्वीप समूह।

प्रश्न 19.
प्रायद्वीपीय भारत में सबसे ऊंची चोटी का नाम बताएँ।
उत्तर:
अनाईमुदी (2695 मीटर)।

प्रश्न 20.
पश्चिमी तटीय मैदान के दो विभागों के नाम लिखें।
उत्तर:
कोंकण तट, मालबार तट।

प्रश्न 21.
यदि आपको लक्षद्वीप तक यात्रा करनी है तो किस तटीय मैदान से गुजरेंगे?
उत्तर:
पश्चिमी तटीय मैदान।

प्रश्न 22.
भारत में शीत मरुस्थल कहाँ है?
उत्तर:
लाख में।

प्रश्न 23.
पश्चिमी तट पर डेल्टे क्यों नहीं हैं?
उत्तर:
तीव्र गति वाली छोटी नदियाँ तलछट का जमाव नहीं करतीं।

प्रश्न 24.
सिन्धु गार्ज तथा ब्रह्मपुत्र गार्ज के मध्य हिमालय का क्या विस्तार है?
उत्तर:
2400 किलोमीटर।

प्रश्न 25.
हिमालय में सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट की कुल ऊंचाई बताएँ।
उत्तर:
3200 किलोमीटर

प्रश्न 26.
गंगा के मैदान में तलछट की अधिकतम ऊँचाई कितनी है?
उत्तर:
2000 मीटर।

प्रश्न 27.
भारत के प्रायद्वीपीय पठार की औसत ऊंचाई बताएँ।
उत्तर:
600-900 मीटर

प्रश्न 28.
हिमालय के निचले भागों में पाई जाने वाली निक्षेप का नाम बताएँ।
उत्तर:
जलोढ़ पंक।

प्रश्न 29.
पश्चिमी घाट पर सबसे अधिक ऊँचाई कितनी हैं?
उत्तर:
1600 मीटर।

प्रश्न 30.
भारत के उस क्षेत्र का नाम बताएँ जहाँ ग्रेनाइट तथा नीस घट्टानें पाई जाती है।
उत्तर:
कर्नाटक।

प्रश्न 31.
दक्कन पठार के एलान की दिशा बताओ।
उत्तर:
दक्षिण-पूर्व।

प्रश्न 32.
प्रायद्वीपीय भारत के पूर्व में पाये जाने वाले पठार का नाम बतायें।
उत्तर:
शिलांग पठार।

प्रश्न 33.
उस क्षेत्र का नाम बताएँ जहाँ बरखान पाये जाते हैं।
उत्तर:
जैसलमेर।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
हिमालय पर्वत में मिलने वाले ऊँचे पर्वत शिखर तथा उनकी ऊँचाई बताओ।
उत्तर:
वृहत् हिमालय में संसार के 40 ऐसे पर्वत शिखर मिलते हैं जिनकी ऊँचाई 7000 मीटर से भी अधिक है। जैसे –

  1. एवरेस्ट (Everest) – 8848 मीटर
  2. कंचनजंगा (Kanchenjunga) – 8598 मीटर
  3. नंगा पर्वत (Nanga Parbat) – 8126 मीटर
  4. नंदा देवी (Nanda Devi) – 7817 मीटर
  5. नामचा बरवा (Namcha Barwa) – 7756 मीटर
  6. धौलागिरी (Dhaulagiri) – 8172 मीटर

प्रश्न 2.
हिमालय पर्वत को किन-किन श्रेणियों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
हिमालय पर्वत की कई श्रेणियाँ एक-दूसरे के समानान्तर पाई जाती हैं। ये श्रेणियाँ एक-दूसरे से ‘दून’ नामक घाटियों द्वारा अलग-अलग हैं। भौगोलिक दृष्टि से हिमालय पर्वत के केन्द्रीय अक्ष के समानान्तर तीन पर्वत श्रेणियाँ हैं

  • वृहत् हिमालय (Greater Himalayas)
  • लघु हिमालय (Lesser Himalayas)
  • उप-हिमालय (Sub-Himalayas)
  • या शिवालिक श्रेणी (Siwaliks)

उक्त पर्वत श्रेणियों को तीन अन्य नामों से भी पुकारा जाता है –

  • आन्तरिक हिमालय (Inner Himalayas)
  • मध्य हिमालय (Middle Himalayas)
  • बाह्य हिमालय (Outer Himalayas)

प्रश्न 3.
भारतीय पठार के प्रमुख भौतिक विभागों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार की भौतिक स्थलाकृतियों में बहुत विविधता है। फिर भी इसे मोटे तौर पर निम्नलिखित भौतिक इकाइयों में बाँटा जा सकता है –

  1. दक्षिणी पठारी खंड
  2. दक्कन का लावा पठार
  3. मालवा का पठार
  4. अरावली पहाड़ियाँ
  5. नर्मदा तथा तापी की द्रोणियाँ
  6. महानदी, गोदावरी तथा कावेरी की नदी घाटियाँ
  7. संकरे तटीय मैदान

प्रश्न 4.
वृहत् स्तर पर भारत को कितनी भू-आकृतियों इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत की तीन भू-आकृतियों विभागों के उच्चावच के लक्षणों का विकास एक लम्बे काल में हुआ है।

  1. उत्तर हिमालय पर्वतीय श्रृंखला।
  2. उत्तरी भारत का मैदान।
  3. प्रायद्वीपीय पठार।

प्रश्न 5.
दोआब से आप क्या समझते हैं? भारतीय उपमहाद्वीप से पाँच उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
नो नदियों के मध्य के मैदानी भाग को दोआब कहते हैं। नदियों द्वारा निक्षेप से पुरानी कांप मिट्टी के प्रदेश इन नदियों को एक दूसरे से अलग करते हैं। भारतीय उप-महाद्वीप में निम्नलिखित दोआब मिलते हैं

  1. गंगा-यमुना नदियों के मध्य दोआब।
  2. ब्यास-समलुज नदियों के मध्य जालन्धर दोआब।
  3. ब्यास रावी के मध्य बारी दोआब।
  4. रावी-चनाब के मध्य रचना दोआब।
  5. चनाब-झेलम के मध्य छाज दोआब।

प्रश्न 6.
तराई से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हिमालय पर्वत के दामन में भाबर के मैदान के साथ-साथ का संकरा मैदान स्थित है। यह मैदान लगभग 30 किमी चौड़ा है। इस मैदान का अधिकतर भाग दलदली है क्योंकि भाबर प्रदेशों में लुप्त हुई निदयों का जल रिस-रिस कर इस प्रदेश को अत्यधिक आई कर देता है। इस प्रदेश में ऊँची घास तथा वन पाए जाते हैं। भाबर के दक्षिण में स्थित ये मैदान बारीक कंकड़ चिकनी मिट्टी से बना है। उत्तर प्रदेश में इस क्षेत्र में बड़े-बड़े फर्मा बनाकर कृषि की जा रही है।

प्रश्न 7.
भाबर क्या है? भाबर पट्टी के दो प्रमुख लक्षण बताओ।
उत्तर:
बाह्य हिमालय की शिवालिक श्रेणियों के दक्षिण में इनके गिरिपद प्रदेश को भाबर का मैदान कहते हैं। पर्वतीय क्षेत्र में बहने वाली नदियों के मन्द बहाव के कारण यहाँ बजरी, कंकड़ का जमाव हो जाता है। इस क्षेत्र में पहुँच कर अनेक नदियाँ लुप्त हो जाती हैं। क्योंकि यह प्रदेश पारगम्य चट्टानों (Pervious Rocks) का बना हुआ है। भाबर का मैदान एक संकरी पट्टी के रूप में 8 से 16 किमी की चौड़ाई तक पाया जाता है।

प्रश्न 8.
डेल्टा किसे कहते हैं? भारत से चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
नदियों के मुहाने पर तलछट के निक्षेप से एक त्रिभुजाकार स्थल रूप बनता है जिसे डेल्टा कहते हैं। डेल्टा नदी के अन्तिम भाग में अपने भार के निक्षेप से बनने वाला भू-आकार है। यह एक उपजाऊ समतल प्रदेश होता है। भारत में चार प्रसिद्ध डेल्टा इस प्रकार हैं –

  • गंगा नदी का डेल्टा
  • महानदी का डेल्टा
  • कृष्णा नदी का डेल्टा
  • कावेरी नदी का डेल्टा

प्रश्न 9.
दून किसे कहते हैं? हिमालय पर्वत से तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत की समानान्तर श्रेणियों के मध्य सपाट तलछठी वाली संरचनात्मक घाटियाँ मिलती हैं। इन घाटियों द्वारा पर्वत श्रेणियाँ एक-दूसरे से अलग होती हैं। इन घाटियों को ‘दून’ (Doon) कहा जाता है। हिमालय पर्वत में इनके उदाहरण निम्नलिखित हैं –

  • देहरादून (Dehra Dun)
  • कोथरीदून (KothriDun)
  • पाटलीदून (PatliDun)

कश्मीर घाटी को भी हिमालय पर्वत में एक दन की संज्ञा दी जाती है।

प्रश्न 10.
भारत में भ्रंशन क्रिया (Faulting) के प्रमाण किन क्षेत्रों में मिलते हैं?
उत्तर:
भू-पृष्ठीय भ्रंशन के प्रमाण सामान्य रूप से दक्षिणी पठार पर पाए जाते हैं। गोदावरी, महानदी तथा दामोदर घाटियों में भ्रशंन के प्रमाण पाए जाते हैं। नर्मदा तथा ताप्ती नदी घाटी दरार घाटियाँ हैं। भारत के पश्चिमी तट पर मालाबार तट तथा मेकरान तट के धरातल पर भ्रंशन क्रिया के प्रभाव देखे जा सकते हैं।

प्रश्न 11.
भांगर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्राचीन जलोढ़ मिट्टी के बने ऊँचे मैदानी प्रदेशों को भांगर कहते हैं। इन उच्च प्रदेशों में नदियों की बाढ़ का जल पहुँच नहीं पाता। इस प्रदेश की मिट्टी में चीका मिट्टी रेत, तथा कंकड़ पाए जाते हैं। भारत के उत्तरी मैदान में नदियों द्वारा जलोढ़ मिट्टी के निक्षेप से भांगर प्रदेश की रचना हुई है।

प्रश्न 12.
भारत के किसी एक भौतिक विभाग का वर्णन करें।
उत्तर:
भू-वैज्ञानिक संरचना तथा धरातलीय स्वरूप के आधार पर भारत को तीन भौतिक विभागों में वर्गीकृत किया जाता है –

  • दक्षिण का प्रायद्वीप पठार।
  • उत्तर की विशाल पर्वतमाला।
  • दोनों के बीच स्थित विस्तृत मैदान।

प्रश्न 13.
हिमालय से निकलने वाली नदियां सततवाहिनी क्यों हैं?
उत्तर:

  1. हिमालय से निकलने वाली नदियों का उदगम् बर्फीले प्रदेशों में होते हैं।
  2. इन निकलने वाली नदियों में सालोभर जल प्रभावित होते हैं?
  3. हिमालय से निकलने वाली नदियाँ वर्षा द्वारा भी जल ग्रहण करती हैं। जैसे गंगा सिन्ध. ब्रह्मापुत्र प्रमुख सततवाहिन नदियाँ हैं, जिनके किनारे भारी मानव बसे हुए हैं और प्रमुखता
  4. से कृषि कार्य के साथ उद्योगों ने भी अपनी महत्त बनायी है।

प्रश्न 14.
बांगर तथा खादर प्रदेश में क्या अन्तर है?
उत्तर:
बांगर तथा खादर प्रदेश में अन्तर –

प्रश्न 15.
तराई तथा भाबर प्रदेश में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
तराई तथा भाबर प्रदेश में अन्तर –

प्रश्न 16.
भारतीय पठार तथा हिमालय पर्वत के उच्चावच के लक्षणों में वैषम्य , बताइए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत तथा भारतीय पठार की भू-आकृतियों की इकाइयों के भौतिक लक्षणों में काफी अन्तर पाए जाते हैं।

प्रश्न 17.
“पश्चिमी हिमालय में पर्वत श्रेणियों की एक क्रमिक शृंखला पाई जाती है।”
उत्तर:
हिमालय पर्वत में कई पर्वत श्रेणियाँ एक-दूसरे के समानान्तर पाई जाती हैं। ये श्रेणियाँ एक-दूसरे से ‘दून’ या घाटियों द्वारा अलग-अलग हैं। पश्चिमी हिमालय में ये श्रेणियाँ स्पष्ट क्रम से दिखाई देती हैं। पंजाब के मैदानों के पश्चात पहली श्रेणी शिवालिक की पहाड़ियों के रूप में या बाह्य हिमालय के रूप में मिलती हैं। इसके पश्चात् सिन्धु नदी की सहायक नदियों की घाटियों हैं। दूसरी वेदी (stage) के रूप में पीर-पंजाल तथा धौलागार की घलु हिमालयी श्रेणियाँ मिलती हैं। पीर-पंजाल तथा महान् हिमालय के मध्य कश्मीर घाटी की लघु हिमालयी श्रेणियाँ मिलती हैं। पीर-पंजाली की जास्कर श्रेणी पाई जाती है। इससे आगे लद्दाख तथा काराकोरम की पर्वत श्रेणियाँ हैं जिसके मध्य सिन्धु घाटी मिलती है।

प्रश्न 18.
पश्चिमी तट पर अच्छी बंदरगाहें तथा पूर्वी तट पर बड़े डेल्टा क्यों है?
उत्तर:
पश्चिमी तट पर अच्छी बन्दरगाहें तथा पूर्वी तट पर बड़े डेल्टा होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

  1. पश्चिमी तट अधिक कटा-फटा है जबकि पर्वी तट कम कटा-फटा है।
  2. पश्चिमी तट पर अधिक लैगून है जबकि पूर्वी तट पर कम है।
  3. यहाँ तीव्रगामी नदियाँ बहती है जबकि पूर्वी तट पर महानदी, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी, जैसी बड़ी नदी है जो डेल्टाओं का निर्माण करती है।
  4. यहाँ सँकड़ा मैदान है जबकि पूर्वी तट पर चौड़ा मैदान है। इसलिए पश्चिमी तट पर अच्छी बन्दरगाहों तथा पूर्वी तट पर बड़े-बड़े डेल्टा है।

प्रश्न 19.
जलचक्र का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर:
सूर्य ताप से महासागरों के जल वाष्पित होकर वायुमंडल द्वारा उठा लिया जाता है। यह जल अंततोगत्वा संघनित होता है और भूपृष्ठ को वर्षा, ओले ओस, हिम अथवा बजरी के रूप में लौटा दिया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित की स्थिति दिखाए –

  1. थार मरुस्थल
  2. तटीय मैदान
  3. कंचनजंगा
  4. नाथुला और काराकोरम
  5. शिवालक पर्वत श्रेणी
  6. मेघालय का पठार
  7. दक्कन ट्रैप
  8. विंध्व और सतुपड़ा की पर्वत श्रेणियाँ

उत्तर:

प्रश्न 2.
“उप महाद्वीप के वर्तमान भू-आकृति विभाग एक लम्बे भूगर्भिक इतिहास के दौरे में विकसित हए हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय उपमहाद्वीप की तीनों भू-आकृतिक इकाइयां इतिहास के लम्बे उत्तार चढ़ा के दौरे में विकसित हुई हैं। इनके निर्माण के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के भू-वैज्ञानिक प्रमाण दिए जाते हैं फिर भी अतीत अपना रहस्य छिपाए हुए है। इनकी रचना प्राचीन काल से लेकर कई युगों में क्रमिक रूप में हुई है।

1. प्रायद्वीपीय पठार – इस पठार की रचना कैम्ब्रियन पूर्व युग में हुई है। कुछ विद्वानों की धारणा है कि यह उत्खण्ड (HORST) है जिसका उत्थान समुद्र से हुआ है। इस पठारके पश्चिमी भाग में अरावली पर्वत का उत्थान दक्षिण में नाला मलाई पर्वतमाला का एक उत्थान विंध्य-महायुग में हुआ है। इस स्थिर भाग में एक लम्बे समय तक भू-गर्भिक हलचलों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ भागों में धरातल पर भ्रंश पड़ने के कारण धसाव के प्रमाण मिलते हैं। हिमालय के निर्माण के पश्चात् पठार के उत्तर:पश्चिम भाग के धंसने के कारण अरब सागर का निर्माण प्लीओसीन युग में हुआ है।

इस पठार को विशाल गोंडवाना महाद्वीप का भाग माना जाता है। इसका कुछ भाग अब भी उत्तरी मैदान के नीचे छिपा हुआ है। हिमालय के उत्थान के समय पठार के उत्तर:पश्चिमी भाग में विस्तृत रूप से ज्वालामुखी उदगार हुए जिससे दक्कन लावा क्षेत्र (Deccan Trap) का निर्माण हुआ। पठार के पश्चिम भाग में निमज्जन से पश्चिमी घाट ऊपर उभरे। दूसरी ओर पूर्वी तट शान्त क्षेत्र रहे।

2. हिमालय पर्वत – यह एक युवा तथा नवीन मोड़दार पर्वत है। मध्यजीवी काल तक यह पर्वत एक भू-अभिनति द्वारा घिरा हुआ था। इसे ‘टैथीस सांगर’ कहते हैं । टर्शियरी युग में टैथीस सागर में जमा तलछटों में बलन पड़ने से हिमालय पर्वत तथा इसकी शृखंलाओं का निर्माण हुआ। उत्तरी भू-खण्ड अंगारालैण्ड की ओर से दक्षिण-भूखण्ड गोंडवाना लैण्ड की ओर दबाव पड़ा। दक्षिणी भू-खण्ड के उत्तर अभिमुखी दाबाव ने टथीस सागर में जमा तलछट को ऊँचा उठा दिया जिससे हिमालय पर्वत में वलनों का निर्माण हुआ। हिमालय पर्वत नूतन युग में तथा तीसरी अवस्था उत्तर अभिनूतन युग में हुई।

आधुनिक प्रमाणों के आधार पर ये पर्वत निर्माणकारी हलचले (Mountain Building) प्लेट-विवर्तनिकी (Plate tectonics) से सम्बन्धित हैं। भारतीय प्लेट उत्तर की ओर खिसकी तथा यूरेशिया प्लेट को नीचे से धक्का देने से हिमालय पर्वतमाला की उत्पत्ति हुई।

3. उत्तरी मैदान – भारत का उत्तरी मैदान हिमालय पर्वत तथा दक्षिण पठार के मध्यवर्ती क्षेत्र में फैला है। यह मैदान एक समद्री गर्त के भर जाने से बना है। इस गर्त में हिमालय पवर्त तथा दक्षिणी पठार से बहने वाली नदियाँ भारी मात्रा में मलवे का निक्षेप करती रही है। इस गर्त का निर्माण हिमालय से पर्वत के उत्थान के समय एक अग्रगामी गर्त (Fore-deep) के रूप में हुआ। इसका निर्माण प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर अभिमुख दबाव के कारण हिमालय पर्वत के समान हुआ । यह सम्पूर्ण क्षेत्र निक्षेप क्रिया द्वारा लगातार पूरी होता रहा है। यह क्रिया चतुर्थ महाकल्प तक जारी है। इस प्रकार लम्बी अवधि में भारत के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप का विकास हुआ

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