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 Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 1 गृह विज्ञान का अर्थ तथा क्षेत्र 

Bihar Board Class 11 Home Science गृह विज्ञान का अर्थ तथा क्षेत्र Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में गृह विज्ञान की शिक्षा देने का प्रबंध कब किया गया ?
(क) 1935
(ख) 1932
(ग) 1940
(घ) 1938
उत्तर:
(ख) 1932

प्रश्न 2.
गृह-विज्ञान की शिक्षा देने का प्रबंधन सर्वप्रथम कॉलेज में किया गया –
(क) लेडी इरविन कॉलेज
(ख) पटना यूनिवरसीटी
(ग) भागलपुर यूनिवरसीटी
(घ) नालंदा विश्वविद्यालय
उत्तर:
(क) लेडी इरविन कॉलेज

प्रश्न 3.
प्रसिद्ध गृह-वैज्ञानिक (Home Scientist) ने रोजगार के विभिन्न अवसरों को दर्शाया
(क) श्रीमती ताराबाई
(ख) श्रीमती मंजू सिन्हा
(ग) श्रीमती अमृता राव
(घ) श्रीमती अल्का चौधरी
उत्तर:
(क) श्रीमती ताराबाई

प्रश्न  4.
गृह विज्ञान का शाब्दिक अर्थ –
(क) घर से संबंधित विज्ञान
(ख) समाज से संबंधित विज्ञान
(ग) देश से संबंधित विज्ञान
(घ) राज्य से संबंधित विज्ञान
उत्तर:
(क) घर से संबंधित विज्ञान

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
गृह विज्ञान का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
गृह विज्ञान का शाब्दिक अर्थ है “गृह से सम्बन्धित विज्ञान”। गृह विज्ञान वह शिक्षा है जो सबके लिए जीवन को मूल्यवान बनाती है।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान के अध्ययन से क्या लाभ है ?
उत्तर:
गृह विज्ञान के अध्ययन से हम स्वयं को अपने व्यक्तिगत तथा सामूहिक जीवन को निभाने के लिए तैयार करते हैं।

प्रश्न 3.
गृह विज्ञान का क्या लक्ष्य है ?
उत्तर:
गृह विज्ञान वह विज्ञान है जिसका लक्ष्य परिवार को सुखी तथा समृद्ध बनाना है।

प्रश्न 4.
गृह विज्ञान का व्यावसायिक क्षेत्र क्या है ?
उत्तर:
किसी भी स्तर तक गृह विज्ञान की शिक्षा लेने के पश्चात् विद्यार्थी संबंधित ज्ञान के अनुसार अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर सकता है। इसके अतिरिक्त वह जीवन स्तर को उच्च करने के उद्देश्य से विषय में अनुसंधान कर सकता है। सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं में कार्यरत हो सकता है।

प्रश्न 5.
गृह विज्ञान के अन्तर्गत मूल रूप से चार विषयों के नाम लिखें।
उत्तर:

  • आहार एवं पोषण विज्ञान (Foods & Nutrition)।
  • शिशु संरक्षा तथा विकास (Childcare & Development)।
  • गृह व्यवस्था (Home Management)।
  • वस्त्र विज्ञान एवं परिधान (Textiles &Clothing)।

प्रश्न 6.
‘अपने और अपने परिवार के लिए पोषण’ तथा ‘मेरी वेशभूषा’ पढ़ने के बाद आपने जो दो निपुणता पायी है उनके नाम लिखें।
उत्तर:
अपने और अपने परिवार के लिए पोषण पढ़ने के बाद निम्नलिखित दो निपुणता होनी चाहिए

  • घर में परोसा गया भोजन पौष्टिक है या नहीं यह जानने की क्षमता रखना।
  • भोजन की पौष्टिकता बढ़ाने की क्षमता

मेरी वेशभूषा पढ़ने के बाद दो निपुणता निम्नलिखित होनी चाहिए –

  • वस्त्रों के गुण व उनका प्रभाव।
  • वस्त्रों की देखरेख।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
गृह विज्ञान के उद्देश्य लिखें ? [B.M. 2009A]
उत्तर:
गृह विज्ञान जीवन और समाज में सामंजस्य स्थापित करती है यह परिवार के हर एक सदस्य की शारीरिक मानसिक भावनात्मक आवश्यकता को पूर्ण करती है।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान क्या है ? इसके अन्तर्गत किन-किन विषयों की शिक्षा दी जाती है ?
उत्तर:
गृह विज्ञान (Home Stub ice) अर्थात् ऐसा विज्ञान जिसमें गृह से सम्बन्धित सभी पहलुओं का वैज्ञानिक दृग म अध्ययन किया जाता है ताकि पारिवारिक जीवन का सुचारु एवं क्रमबद्ध रूप से संचालन किया जा सके। यह एक बहुत विस्तृत विषय है जिसमें चार विषयों का अध्ययन उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में रखा गया है :

  • शिशु संरक्षा तथा विकास (Childcare and Development)।
  • आहार एवं पोषण (Foods and Nutrition)
  • गृह व्यवस्था (Home Management)।
  • वस्त्र विज्ञान एवं परिधान (Textiles and clothing)।

प्रश्न 3.
गृह विज्ञान अध्ययन के उद्देश्य स्पष्ट करें।
उत्तर:
गृह विज्ञान का हमारे जीवन में अत्यन्त महत्त्व है। यह विज्ञान व कला के अध्ययन हेतु बहुआयामी विषय है। यह एक व्यावहारिक विज्ञान है जो घर-गृहस्थी का चुनौतीपूर्वक दायित्व संभालने के लिए प्रत्येक युवा के लिए नितान्त आवश्यक है।
गृह विज्ञान विषय को अध्ययन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –

  • यह व्यक्ति के बहुमुखी विकास में सहायक है।
  • बाल विकास के अध्ययन द्वारा गृहस्थ जीवन की समस्याओं का विवेकपूर्ण ढंग से सामना करने की योग्यता प्राप्त कराता है।
  • पोषण विज्ञान के द्वारा कम-से-कम धन व्यय करके अधिक-से-अधिक पौष्टिक तत्त्व प्रदान कर उत्तम स्वास्थ्य बनाए रखने की जानकारी प्राप्त कराता है।
  • गृह व्यवस्था के अध्ययन द्वारा हम सीमित साधनों का प्रयोग कर अधिक से अधिक पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति करने की योग्यता हासिल कर सकते हैं। अपने अधिकारों व उत्तरदायित्वों के बारे में सतर्क हो सकते हैं। बजट बनाकर आर्थिक रूप से परिवार का सुसंचालन कर सकते हैं।
  • गृह विज्ञान के अध्ययन द्वारा हम प्राथमिक चिकित्सा एवं गृह परिचर्या का सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं जिससे आकस्मिक दुर्घटना के समय साहसपूर्ण ढंग से व्यक्ति की देखभाल की जा सके। अन्त में इसका अपना व्यावसायिक महत्त्व भी है जिससे हम अर्थोपार्जन भी कर सकते हैं।
  • वस्त्र विज्ञान व परिधान विषय का अध्ययन कर सही क्रय कर सकते हैं। वस्त्रों का उपर्युक्त रख-रखाव कर उनकी उम्र व नवीनता बढ़ा सकते हैं।

प्रश्न 4.
एक राष्ट्र के विकास हेतु गृह विज्ञान का अध्ययन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
गृह विज्ञान का अध्ययन व्यक्ति के पूर्ण विकास में अहम् स्थान रखता है। इस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ऐसा वातावरण बनाने में सहायता करना है जिससे लोग सुख से रह सकें और अपनी पारिवारिक आकांक्षाओं तथा अपेक्षाओं की अधिकाधिक पूर्ति कर सकें। सुखी, विकसित व समृद्ध घर ही एक स्वस्थ समाज की नींव है और एक स्वस्थ समाज राष्ट्र के विकास का प्रथम चरण है।

एक स्वस्थ व समृद्ध समाज से बना राष्ट्र भी सशक्त होगा। गृह विज्ञान के अध्ययन से लोगों में आपस में सहयोग से रहने की भावना पैदा हो सकती है। यह विषय केवल परिवार में सहयोग की भावना ही नहीं अपितु आस-पड़ोस के लोगों से सहयोग करना भी सिखाता है। इस प्रकार इस विषय का ज्ञान एक अच्छा नागरिक बनने में मदद करता है और एक अच्छा नागरिक ही अच्छा समाज और सशक्त राष्ट्र बनाता है।

प्रश्न 5.
गृह विज्ञान की शिक्षा प्राप्त करके आप कौन-कौन से व्यवसाय अपना सकती हैं ?
उत्तर:
गृह विज्ञान की शिक्षा कई व्यवसायों के लिए प्रशिक्षित करती है। जैसे –

  • बाल विकास का ज्ञान प्राप्त करके एक क्रेच खोली जा सकती है।
  • पोषण विज्ञान के अध्ययन द्वारा भोजन संरक्षण करके बेच सकते हैं, दफ्तर के लोगों के लिए बने बनाए भोजन का प्रावधान कर सकते हैं। एक कैन्टीन चला सकते हैं।
  • वस्त्र विज्ञान के अध्ययन द्वारा किसी गारमेन्ट फैक्टरी में नियुक्ति हो सकती है। छोटी-मोटी सिलाई की जा सकती है। फॉल आदि लगाने का काम लिया जा सकता है।
  • स्कूल, कॉलेज में खान-पान प्रबन्धक तथा औद्योगिक और तकनीकी संस्थाओं में अध्यापक के पद पर कार्य किया जा सकता है।
  • मिष्ठान्न, बेकरी, आहार उद्योग भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
  • घरों तथा होटलों में साज-सज्जा करने वाले।
  • नर्सिंग होम, स्वास्थ्य क्लबों तथा चिकित्सालकों में आहार-विशेषज्ञ।
  • अनुसंधान क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
गृह विज्ञान की शिक्षा घर के वातावरण को सुधारने में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
गृह विज्ञान अर्थात् ऐसा विज्ञान जिसमें गृह से सम्बन्धित सभी पहलुओं का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया जाता है ताकि पारिवारिक जीवन का सुचारु एवं क्रमबद्ध रूप से संचालन किया जा सके। यह एक बहुत विस्तृत विषय है जो जीवन की गुणवत्ता को विकसित करने के लिए आवश्यक है। गृह विज्ञान परिवार को सुखी व समृद्ध बनाने में निम्न प्रकार से सहायक है :

  • पारिवारिक रहन-सहन के लिए व्यक्तिगत शिक्षा प्रदान करता है।
  • परिवार द्वारा प्रयोग किए जाने वाले साधनों का सुव्यवस्थित उपयोग सिखाता है।
  • पौष्टिक आहार किस प्रकार ग्रहण किए जाएं एवं किस प्रकार पारिवारिक स्वास्थ्य को ल’ रखा जाए इस बारे में ज्ञान बढ़ाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र (Scope of Home Science) के बारे में विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर:
गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र (Scope of Home Science):  वास्तव में गृह विज्ञान एक स्वतन्त्र विषय नहीं है। गृह विज्ञान विभिन्न सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों का समन्वित रूप है जिसके अध्ययन द्वारा पारिवारिक जीवन को अधिक सुखी एवं खुशहाल बनाया जा सकता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि गृह विज्ञान केवल खाना-पकाना, सीना-परोना आदि तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका अध्ययन क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है ।

गृह विज्ञान के अन्तर्गत मुख्य रूप से हम निम्नलिखित विषयों का अध्ययन करते हैं :

1. शरीर विज्ञान एवं स्वास्थ्य रक्षा (Physiology.and Health Science): गृह विज्ञान के इस विषय के अन्तर्गत हम मनुष्य के शरीर की रचना, विभिन्न अंगों की बनावट, विभिन्न संस्थानों, जैसे-पाचन संस्थान, रक्त परिसंचरण संस्थान, श्वसन संस्थान आदि की कार्य प्रणाली एवं महत्त्व, स्वास्थ्य रक्षा के आवश्यक नियमों (शारीरिक अंगों की स्वच्छता, व्यायाम, विश्राम) साधारण रोग व उनसे बचाव के उपायों का अध्ययन करते हैं।

2. आहार एवं पोषण विज्ञान (Food and Nutrition): गृह विज्ञान का यह विषय बहुत विस्तृत है.। इसके अन्तर्गत दोनों पक्षों आहार तथा पोषण से सम्बन्धित विभिन्न तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। जैसे आहार के विभिन्न पोषक तत्त्व, उनके कार्य व कमी से होने वाले रोग, आहार आयोजन, भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ, आहार संरक्षण, उपचारात्मक पोषण आदि। गृह विज्ञान का यह विषय अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को इन सभी विषयों का ज्ञान होना अनिवार्य है।

3. गृह व्यवस्था एवं गृह कला (Home Management): गृह विज्ञान के अन्तर्गत गृह व्यवस्था एवं गृह कला विषय का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके अन्तर्गत घर तथा घर से सम्बन्धित समस्त कार्यों को उचित ढंग से करने, परिवार में उपलब्ध विभिन्न साधनों का उचित उपयोग, जैसे धन की. व्यवस्था, समय की व्यवस्था, श्रम की व्यवस्था आदि, घर की साज-सज्जा की संभाल एवं देख-रेख, विसंक्रमण एवं घरेलू जीव-जन्तुओं का नियन्त्रण, व्यवस्था की प्रक्रिया तथा परिवार में निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में अध्ययन करते हैं। आज के युग में गृह व्यवस्था के अन्तर्गत एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण विषय है-उपभोक्ता शिक्षण। इसके अन्तर्गत इम प्रतिदिन उपयोग में आने वाली खरीदारी, मिलावट, व्यापारियों की कुचालों व उनसे बचाव तथा सरकार द्वारा लागू उपभोक्ता संरक्षण नियमों का अध्ययन करते हैं।

4. बाल विकास एवं पारिवारिक सम्बन्ध (Child Development and Family Relations): गृह विज्ञान के इस विषय के अन्तर्गत शिशु के बहुमुखी विकास जैसे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं भावात्मक विकास का अध्ययन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया जाता है। इसी विषय के अन्तर्गत परिवार के स्वरूप-संरचना, विशेषताओं, महत्त्व, कर्तव्यों एवं दायित्वों का अध्ययन भी किया जाता है।

5. प्राथमिक चिकित्सा एवं गृह परिचर्या (First Aid and Home Nursing): दैनिक जीवन में अनेक प्रकार की दुर्घटनाएं घटती रहती हैं। गृह विज्ञान का यह विषय हमें दैनिक जीवन में घटने वाली इन दुर्घटनाओं का साहसपूर्वक सामना करना, घायलों तथा रोगियों की सेवा एवं सुश्रूषा करना सिखाता है।

6. वस्त्र विज्ञान एवं परिधान (Textiles and Clothing): गृह विज्ञान के इस विषय के अन्तर्गत हम विभिन्न प्रकार के वस्त्र उपयोगी तन्तुओं, वस्त्र निर्माण की विधियों, वस्त्रों की: परिसज्जा, वस्त्रों का रख-रखाव एवं संग्रह तथा वस्त्रों की धुलाई एवं स्वच्छता के बारे में अध्ययन करते हैं।

प्रश्न 2.
गृह विज्ञान की शिक्षा लड़के तथा लड़कियों के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है ? दो उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
गृह विज्ञान का शाब्दिक अर्थ है गृह से सम्बन्धित विज्ञान। अतः यह व्यवस्थित अध्ययन है जो घर के सभी पहलुओं को वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन कर जीवन की गुणवत्ता को विकसित करने में सहायक है। अपने स्वास्थ्य को पौष्टिक आहार ग्रहण करके स्वस्थ रखना लड़के और लड़कियाँ दोनों के लिए आवश्यक हैं। गृह विज्ञान पोषण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देकर स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

यह एक सामान्य धारणा है कि गृह विज्ञान केवल लड़कियों के लिए है परन्तु आज के युग में जब महिलाएँ जीविका कमाने के लिए घर से बाहर निकलती हैं तब घर को सुव्यवस्थित ढंग से संभालने का उत्तरदायित्व पुरुषों पर भी आ जाता है। अतः गृह विज्ञान विषय केवल लड़कियों का विषय नहीं रह गया है, बल्कि इसकी आवश्यकता इतनी बढ़ गई है कि कई विद्यालयों में लड़के भी इस विषय में रुचि रखकर इसे पढ़ रहे हैं। वस्त्र मूलभूत आवश्यकता है। वस्त्रों को धोने व रख-रखाव की जानकारी दोनों के लिए ही आवश्यक है।

प्रश्न 3.
गृह विज्ञान का अध्ययन करने के बाद कार्य क्षेत्रों में नौकरी की क्या क्षमता है ?
उत्तर:

  1. एक प्रसिद्ध गृह वैज्ञानिक श्रीमती ताराबाई ने निम्नलिखित कार्यक्षेत्रों में नौकरी की क्षमता बतायी है :
  2. स्कूल, कॉलेज, खान-पान प्रबन्धक, औद्योगिक और तकनीकी संस्थाओं में अध्यापक के पद पर।
  3. चिकित्सालय, नर्सिंग होम तथा स्वास्थ्य क्लबों में आहार-विशेषज्ञ।
  4. होटल उद्योग में पाकशाला, गृहपाल तथा लोक सम्पर्क अधिकारियों के लिए।
  5. घरों तथा होटलों में साज-सज्जा करने वाले।
  6. वस्त्र उद्योग में नए-नए फैशन बनाने के लिए।
  7. मिष्ठान, बेकरी, शृंगार-सामग्री, धुलाई घर (लांड्री) तथा आहार उद्योग भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्यक्षेत्र हैं।
  8. क्रेच’ (Creche) कामकाजी स्त्रियों के लिए वरदान है। क्रेच प्रबन्धक, पालनहारी माँ के समान है तथा शिशु का पूरा ध्यान रखती है। बाल तथा परिवार कल्याण संस्था भी एक कार्यक्षेत्र है।
  9. स्नातक शिक्षा के पश्चात् आहार एवं पोषण विज्ञान, बाल विकास, आहार तथा चिकित्सालय व्यवस्था आदि विषयों में स्नातकोत्तर अध्ययन किए जा सकते हैं।
  10. गृह विज्ञान संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान की व्यवस्था भी है जो कि सामाजिक कल्याण की ओर सदा अग्रसर है।
    आज के समय में घर को व्यवस्थित ढंग से सम्भालने का उत्तरदायित्व पुरुषों तथा स्त्रियों पर बराबर-बराबर है। अतः गृह विज्ञान विषय का भौतिक ज्ञान लड़के तथा लड़कियों दोनों के लिए आवश्यक हैं।
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