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 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण लिंग

Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण लिंग

 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण लिंग

1. संज्ञा – पद के ‘लिंग’ से क्या तात्पर्य है? इसके कितने भेद हैं?
संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु की स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो उसे पुरुष ‘लिंग’ कहते हैं। संज्ञा के ‘स्त्रीलिंग’ अथवा ‘पुल्लिग’ होने से उसके स्त्रीवर्ग अथवा पुंवर्ग के होने का बोध होता है।

‘लिंग’ के भेद – हिन्दी भाषा में लिंग के दो भेद माने गए हैं – स्त्रीलिंग और पुलिंग। जो शब्द – रूप संज्ञा के स्त्रीवर्ग के होने की सूचना देते हैं. उन्हें स्त्रीलिंग कहा जाता है। जो शब्द – रूप संज्ञा के पुरुष वर्ग के होने की सूचना देते हैं उन्हें पुलिंग कहा जाता है।

कुछ प्रमुख स्त्रीलिंग – पुलिंग संज्ञा – पद पुलिंग

पुलिंग – स्त्रीलिंग

  • अभिनेता – अभिनेत्री
  • नर – नारी
  • नर्तक – नर्तकी 
  • नाग – नागिन
  • निदेशक – निदेशिका
  • ऊँट – ऊँटनी
  • कनिष्ठ – कनिष्ठा
  • चौबे – चौबाइन
  • छात्र – छात्रा
  • जेठ – जेठानी
  • डॉक्टर – डॉक्टरनी
  • तरुण – तरुणी
  • संरक्षक – संरक्षिका
  • दादा – दादी
  • दास – दासी
  • भाई – बहन
  • मामा – मामी
  • मोर – मोरनी
  • रानी – राजा 
  • राक्षस – राक्षसी
  • रुद्र – रुद्राणी
  • लेखक – लेखिका
  • वाचक – वाचिका
  • विद्वान – विदुषी
  • विधाता – विधात्री
  • प्रेमी – प्रेमिका/प्रयसी
  • कवि – कवयित्री
  • कान्त – कान्ता
  • गायक – गायिका
  • पति – पत्नी
  • चोर – चोरनी
  • चौधरी – चौधरानी/चौधराइन
  • ज्येष्ठ – ज्येष्ठा
  • ठाकुर – ठकुरानी/ठकुराइन
  • इन्द्रा – इन्द्राणी
  • बाला – बाल 
  • बालक – बालिका
  • बूढ़ा – बुढ़िया
  • पड़ोसी – पड़ोसिन
  • संपादक – संपादिका
  • सभापति – सभानेत्री
  • सम्राट – सम्राज्ञी
  • साहब – मेमस
  • सुर – सास
  • सुत – सुता
  • सूर्य – सूर्या/सूरी
  • पंडित – पंडिताइन
  • पाठक – पाठिका
  • पितामह – पितामही
  • पुत्रवान् – पुत्रवती
  • पुरुष – स्त्री
  • हरिण – हरिणी

2. वाक्य – प्रयोग द्वारा लिंग – निर्णय से क्या तात्पर्य है? वाक्य में शब्द – विशेष का प्रयोग कर कितने प्रकार से लिंग – निर्णय किया जा सकता है?
लिंग – निर्णय से तात्पर्य यह होता है कि कोई विशेष संज्ञा – पद पुलिंग वर्ग का है अथवा स्त्रीलिंग वर्ग का, इसका वाक्य में उस पद के सम्यक् प्रयोग द्वारा – निर्णय कराना।

लिंग – निर्णय कैसे करें – किसी संज्ञा – शब्द का लिंग – निर्णय तीन प्रकार से किया जा सकता है –
(क) विशेषण – पद के प्रयोग द्वारा
(ख) संबंधसूचक पद द्वारा
(ग) क्रिया – पद् द्वारा

जिस संज्ञा – शब्द का लिंग निर्णय करना होता है उसके आगे किसी ऐसे विशेषण – पद को रखना चाहिए जो उसका ‘लिंग’ निश्चित कर दे। जैसे –

  • श्याम अच्छा ‘लड़का’ है।
  • उसे सुनहला ‘मौका’ मिला।
  • नई ‘चाल’ चली गई।
  • अभी आई ‘खबर’ क्या है?

उपर्युक्त वाक्यों में गहरे काले अक्षरों मों छपे शब्द विशेषण – पद हैं जो ‘लड़का’, ‘मौका’ ‘चाल’ एवं ‘खबर’ शब्दों का क्रमशः पुलिंग एवं स्त्रीलिंग होना सूचित करते हैं।

लिंग – निर्णय होता है। संबंधवाचक (किसी वस्तु या प्राणी का दूसरी वस्तु या प्राणी से संबंध या नाता बतानेवाले) पद नौ हैं – का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी। इसमें की, री, नी संबंधवाचक पद अपने बाद आनेवाले संज्ञा – पदों का स्त्रीलिंग होना सूचित करते हैं एवं का – के, रा – रे, ना – ने संबंधवाचक पद अपने बाद आनेवाले संज्ञा – पदों का पुलिंग होना। यह दिए जा रहे कतिपय उदाहरणों से स्पष्टं हो सकेगा।

  • मोहन का कमरा है।
  • मोहन के भाई हैं।
  • मोहन की किताब है।
  • मेरा कमरा है।
  • मेरे भाई हैं।
  • मेरी किताब है।
  • अपना कमरा है
  • अपने भाई हैं।
  • अपनी किताब है।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘कमरा’ एवं ‘भाई’ संज्ञा – पदों का पुलिंग होना का – के, रा – रे, ना – ने: संबंधवाचक पदों द्वारा सूचित हो रहा है एवं ‘किताब’ संज्ञा – पद का स्त्रीलिंग होना की, री, नी संबंधवाचक पदों द्वारा। कर्ता के स्थान पर आए संज्ञा – शब्दों के क्रिया – पदों द्वारा भी उनका लिंग – निर्णय किया जा सकता है। जैसे –

  • दूर तक ‘घास’ फैली है।
  • ‘चील’ आसमान में उड़ती है।
  • उनके कानों पर ‘नँ’ न रेंगी।
  • ‘साँझ’ धीरे – धीरे घिर आई।
  • ‘बारिश’ जोरों से होने लगी।
  • ‘समझ’ तो जैसे मारी गई है।

उपर्युक्त वाक्यों में गहरे काले अक्षरों में छपे क्रिया – पदों द्वारा उनसे संबद्ध वाक्यों में कर्ता के रूप में आए क्रमशः ‘घास’, ‘चील’, ‘जूं’, ‘साँझ’, ‘बारिश’ एवं ‘समझ’ संज्ञा – पदों का . स्त्रीलिंग होना स्पष्ट सूचित होता है।

उपर्युक्त तीन साधनों के अतिरिक्त वाक्य – प्रयोग द्वारा किसी संज्ञा – विशेष के लिंग – निर्णय का और कोई साधन नहीं है। यदि तीनों में किसी एक का भी सहारा लिए बिना ही (शब्द – विशेष के) लिंग – निर्णय का प्रयास किया जाएगा तो वह बेकार ही होगा। उदाहरण के लिए

  • वह घास पर बैठा है।
  • बाज एक पक्षी है।

इन वाक्यों से ‘घास’ एवं ‘बाज’ संज्ञा – पदों का लिंग – निर्णय नहीं होता। कारण, इनके आगे न तो कोई विशेषण – पद आया है, न संबंधवाचक पद. और न ये ‘कर्ता’ के रूप में ही आए हैं कि इनका संबंध क्रिया – पदों से हो और उनके द्वारा लिंग – निर्णय हो।

कुछ प्रमुख संज्ञा – पदों का वाक्य – प्रयोग द्वारा लिंग – निर्णय अनाज
(पु.) – आजकल अनाज महँगा है।
अफवाह (स्त्री.) – यह अफवाह जोरों से फैल रही है।
अभिमान (पु.) – किसी भी बात का अभिमान न करें।
अमावस (स्त्री.) – पूनम के बाद फिर अमावस आई।
अरहर (स्त्री.) – खेतों में अरहर लगी थी।।
अश्रू (पु.) – उनके नयनों से अश्रु झरते रहे।
आँगन (पु.) – घर का आँगन चौड़ा है।
आँख (स्त्री.) – उसकी आँखों में लगा काजल धुल गया।
आग (स्त्री.) – आग जलने लगी।
आकाश (पु.) – आकाश स्वच्छ था।
आत्मा (स्त्री.) – उनकी आत्मा प्रसन्न थी।
आदत (स्त्री.) – दूसरों को गाली बकने की आदत अच्छी नहीं।।
आयु (स्त्री.) – गीता की आयु तेरह साल की है।
आशा (स्त्री.) – मेरी आशा पूर्ण हुई।।
ओस (स्त्री.) – रातभर ओस गिरती रही।
औषधि (स्त्री.) – यह औषधि. अच्छी है।
इज्जत (स्त्री.) – बड़ों की इज्जत करे।

इत्र (पु.) – उन्होंने बहुत बढ़िया इत्र लाया है।
इलाइची (स्त्री.) – इलायची महँगी हो गई है।
ईंट (स्त्री.) – नींव की ईंट हिल गईं।।
उपहार (पु.) – मेरा उपहार स्वीकार करें।।
उपाय (पु.) – आखिर इसका क्या उपाय है?
उपेक्षा (स्त्री.) – हर बात की उपेक्षा ठीक नहीं होती।।
उलझन (स्त्री.) – उलझन बढ़ती ही जा रही है।
कचनार (पु.) – कचनार फुला गया।
कपूर (पु.) – कपूर हवा में उड़ गया।
कमर (स्त्री.) – उसकी कमर टूट गई।
कमल (पु.) – तालाब में कमल खिला है।
कलम (स्त्री.) – मेरी कलम खो गई।
कसक (स्त्री.) – उनके दिल में एक कसक छुपी थी।
कसम (स्त्री.) – मैं अपनी कसम खाता हूँ।
कसर (स्त्री.) – अब इसमें किस बात की कसर है?
कमीज (स्त्री.) – मेरी कमीज फट गई है।
किताब (स्त्री.) – उसकी किताब पुरानी है।
कीमत (स्त्री.) – इस चीज की कीमत ज्यादा है।
कुशल (स्त्री.) – अपनी कुशल कहें।

कोयल (स्त्री.) – डाली पर कोयल कूक रही है।
कोशिश. (स्त्री.) – हमारी कोशिश जारी है।
काँग्रेस (स्त्री.) – इस चुनाव में कांग्रेस जीत गई।
खाट (स्त्री.) – उसकी खाट टूट गई।
खटमल (पु.) – उसकी बिछावन पर कई खटमल नजर आ रहे थे।
खड़ाऊँ (स्त्री.) – मेरी खड़ाऊँ कहाँ है।।
खंडहर (पु.) – नालंदा के खंडहर मशहूर हैं।
खबर (स्त्री.) – आज की नई खबर क्या है?
खीर (स्त्री.) – आज खीर अच्छी बनी है।
खेत (पु.) – यह गेहूँ का खेत है।
खेल (पु.) – आपका खेल अच्छा होता है।
ग्रंथ (पु.) – यह कौन – सा ग्रंथ है?
गरदन (स्त्री.) – उसकी गरदन सुंदर है।
गीत (पु.) – उसका गीत पसंद आया।
गोद (स्त्री.) – उसकी गोद भर गई।
घबराहट (स्त्री.) – आपकी इस घबराहट का कारण क्या है?
घर (पु.) – उसका घर बंगाल में है।
‘घास (स्त्री.) – यहाँ की घास मुलायम है।
घी (पु.) – घी महँगा होता जा रहा है।
घूस (स्त्री.) – दारोगा ने घूस ली थी।

घोंसला (पु.) – चिड़ियों का घोंसला उजड़ गया।
चना (पु.) – इन दिनों चना महँगा है।
चमक (स्त्री.) – कपड़े की चमक फीकी पड़ गई है।
चर्चा (स्त्री.) – आपकी इन दिनों बड़ी चर्चा है।।
चश्मा (पु.) – उसका चश्मा खो गया।
चाँदी (स्त्री.) – चाँदी महँगी हो गई है।
चादर (स्त्री.) – चादर मैली हो गई।
चाल (स्त्री.) – घोड़े की चाल अच्छी है।
चिराग (पु.) – रात भर चिराग जलता रहा।
चिंतन (पु.) – गाँधीजी का चिंतन गंभीर था।
चीज (स्त्री.) – मुझे हर भली चीज पसंद है।
चील (स्त्री.) – चील आसमान में उड़ती है।
चुंगी (स्त्री.) – विदेशी माल पर काफी चुंगी लगा दी गई।
चोला (पु.) – उनका यह चोला पुराना हो गया।
चुनाव (पु.) – आम चुनाव समाप्त हुआ।
चोंच (स्त्री.) – मैना की चोंच टूट गई।
चौकी (स्त्री.) – वहाँ चौकी डाल दी गई।
छत (स्त्री.) – मकान की छत नीची है।
जंजीर (स्त्री.) – यह लोहे की जंजीर है।

जमानत (स्त्री.) – मोहन की जमानत मंजूर हो गई।
जहाज (पु.) – जहाज चला जा रहा था।
जमुना (स्त्री.) – जमुना (नदी) भी हिमालय से ही निकलती है।
जीभ (स्त्री.) – उसकी जीभ ऐंठ रही थी।
नँ (स्त्री.) – उनके कानों पर जूं न रेंगी।
जेब (स्त्री.) – किसी ने मेरी जेब काट ली।
जेल (पु.) – पटना का जेल बहुत बड़ा है।।
जोंक (स्त्री.) – जोंक उसके अंगूठे से चिपकी थी।
झंझट (स्त्री.) – व्यर्थ की झंझट में कौन पडे?
झील (स्त्री.) – आगे दूर तक नीली झील फैली थी।
टीका (पु.) – उन्होंने चंदन का टीका लगाया।
(स्त्री.) – पंडितजी ने ‘संस्कृत’ की टीका लिखी है।
टेबुल (पु.) – मेरा टेबुल पिछले कमरे में लगा दी।
ठंढक (स्त्री.) – रात में काफी ठंढक थी।
ढेर (पु.) – वहाँ फूलों का ढेर लगा था।
ढोल (पु.) – दूर का ढोल सुहावन होता है।
तनखाह (स्त्री.) – आपकी तनखाह कितनी है?
तरंग (स्त्री.) – नदी की एक तरंग उठी।
तराजू. (पु.) – बनिये का तराजू टूट गया था।
तलवार (स्त्री.) – वीर की तलवार चमक उठी।

तलाक (पु.) – उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया।
तस्वीर (स्त्री.) – यह तस्वीर किसने बनाई है?
ताँता (पु.) – आनेवालों का तांता लगा ही रहा।।
ताकत (स्त्री.) – हर आदमी अपनी ताकतभर ही काम कर सकता है।
ताला (पु.) – मकान के दरवाजे पर ताला लटक रहा था।
ताज (पु.) – उनके सर पर ताज रखा गया।
तारा (पु.) – आसमान में तारा चमक रहा था।
ताबीज (पु.) – फकीर ने अपना ताबीज मुझे दिया।
तिथि (स्त्री.) – परसों कौन – सी तिथि थी?
तिल (स्त्री.) – अच्छा तिल बाजार में नहीं मिलता।
तीर्थ (पु.) – रामेश्वरम हिन्दुओं का तीर्थ स्थान है।
तीतर (पु.) – आहट सुनकर तीतर उड़ गया।
तेल (पु.) – चमेली का तेल ठंढा होता है।
तोप (स्त्री.) – किले को लक्ष्य कर तोप दागी गई।
तोहफा (पु.) – शादी का तोहफा लाजवाब था।
तौलिया (पु.) – मेरा नया तौलिया कहाँ है?
थकान (स्त्री.) – चलने से काफी थकान हो आई थी।
थाल (पु.) – पूजा का थाल सामने पड़ा था।।
दंड (पु.) – उसे चसोरी का दंड मिला।
दया (स्त्री.) – मुझे उसपर बड़ी दया आई।
दंपति (पु.) – दंपति अब सानंद थे।

दफ्तर (पु.) – दफ्तर दस बजे के बाद खुलता है।।
दरबार (पु.) – राजा का दरबार लगा हुआ था।
दर्शन (पु.) – बहुत दिनों के बाद आपके दर्शन हुए।
दलदल (स्त्री.) – इस ओर गहरी दलदल है।
दवा (स्त्री.) – हर मर्ज की दवा नहीं होती।
दही (पु.) – अपने दही को कौन खट्टा कहता है।
दहेज (पु.) – उसे बहुत दहेज मिला था।
दाल (स्त्री.) – इस बार उसकी दाल न गली।
दावात (स्त्री.) – द्मवात उलट गई।
दीप (पु.) – दीप जगमगा उठा।
दीवार (स्त्री.) – दीवारें ढह गई थीं।
दीमक (स्त्री.) – किताब में दीमक लग गई।
दुःख (पु.) – उन्हें इस बात का गहरा दुःख है।
दुनिया (स्त्री.) – दुनिया तेजी से बढ़ती जा रही है।
दूज (स्त्री.) – फिर भैयादूज आई तो बहन से भेंट हुई।
दूब (स्त्री.) – हरी – भरी दूब बड़ी प्यारी लगती है।
देवता (पु.) – साहित्य के देवता आजकल मौन हैं।
देशाटन (पु.) – आपका देशाटन कैसा रहा?
दोपहर (स्त्री.) – दोपहर हो आई थी।

दौलत (स्त्री.) – भगवान ने उन्हें खूब दौलत दी है।
धनिया (पु.) – धनिया फिर महँगा हो गया।
धातु (स्त्री.) – खान से अनेक प्रकार की धातुएँ निकलती हैं।
धूप (स्त्री.) – धूप अब तेज हो चली है।
धूल (स्त्री.) – आपके चरणों की धूल भी पावन है।
धोखा (पु.) – जीवन में हर किसी को धोखा होता है।
नकल (स्त्री.) – हर चीज की नकल अच्छी नहीं होती।।
नमक (पु.) – समुद्र के पानी से निकाला गया नमक जल्द गल जाता है।
नमाज (स्त्री.) – उन्होंने भोर की नमाज पढ़ी।
नशा (पु.) – धन का नशा जल्द चढ़ता है।
नसीहत (स्त्री.) – मैंने उसकी नसीहत का कभी बुरा नहीं माना।
नयन (पु.) – खुशी का समाचार सुनकर नयन खिल उठे।
नहर (स्त्री.) – अकाल से लड़ने के लिए चारों ओर नहरें खोदी जा रही हैं।
नदी (स्त्री.) – यह नदी तिरछी होकर बहती है।
नाक (स्त्री.) – इन लड़कों ने प्रथम श्रेणी लाकर विद्यालय की नाक रख ली।
नाव (स्त्री.) – वह छोटी नाव थी।
नाखून (पु.) – उसके नाखून बढ़े हुए हैं।
निमंत्रण (पु.) – आपका निमंत्रण मिला था।
निराशा (स्त्री.) – इस बात से उन्हें गहरी निराशा हुई।
निशा (स्त्री.) – निशा बीच चली गयी।
नींद (स्त्री.) – उसे नींद आ गई थी।

नीबू (पु.) – नीबू निचोड़ा गया, पर रस न निकला।
नींव (स्त्री.) – मकान की नींव ही कमजोर थी।
नीलम (पु.) – रास्ते की धूल में नीलम पड़ा था।
नेत्र (पु.) – विषाद से उनके नेत्र बंद थे।
नौका (स्त्री.) – नौका तरंगों से खेलती रही।
पंछी (स्त्री.) – पंछी आसमान में उड़ रहा था।
पक्षी (पु.) – डाल पर पक्षी बैठा था।
पतंग (स्त्री.) – पतंग हवा से बातें करने लगी।
पतझड़ (स्त्री.) – पतझड़ आई तो पीले पत्ते झड़ने लगे।
पताका (स्त्री.) – उनके यश की पताका विदेशों में भी फहराने लगी।
पनघट (पु.) – पनघट आज सूना नहीं था।
परंपरा (स्त्री.) – इस देश में ऋषि – मुनियों की परंपरा लगी रही है।
परख (स्त्री.) – गुणों की परख गुणवान ही कर सकते हैं।
परछाई (स्त्री.) – सुबह की परछाई लंबी दिखती है।
परदा (पु.) – आँखों पर पड़ा अज्ञान का परदा हट गया।
परवाह (स्त्री.) – यहाँ कौन किसकी परवाह करता है।
पराजय (स्त्री.) – असत्य की पराजय होगी ही, चाहे जब हो।
परीक्षा (स्त्री.) – जीवन में सभी की परीक्षा होती है।
पलंग (पु.) – उन्होंने हाल में ही नया पलंग खरीदा है।
पवन (पु.) – उनचास पवन एक साथ बहने लगे।

पहचान (स्त्री.) – गुणी व्यक्ति की पहचान में मुझसे भूल नहीं हो सकती।
पहिया (पु.) – गाड़ी के पहिए टूट गए हैं।।
पाठशाला (स्त्री.) – इस गाँव में एक बड़ी पाठशाला है।
पानी (पु.) – बाढ़ का पानी अब तेजी से उतर रहा है।
पीठ (स्त्री.) – मैंने उसकी पीठ ठोक दी।।
पीतल (पु.) – यह पीतल काफी चमक रहा है।
पुकार (स्त्री.) – न्याय की पुकार आज कोई नहीं सुनता।
पुड़िया (स्त्री.) – बाबाजी ने जादू की पुड़िया खोली।।
पुल (पु.) – पटना में गंगा नदी पर दूसरा पुल बनेगा।
पुलिस (स्त्री.) – पुलिस रातभर गश्त लगाती रही।
पुष्य (पु.) – उस वृक्ष पर ही पुष्प खिला था।
पुस्तक (स्त्री.) – यह किसकी पुस्तक है?
पुस्तकालय (पु.) – उस गाँव में एक भी पुस्तकालय नहीं है।
पोशाक (स्त्री.) – सेनापति की पोशाक भड़कीली थी।
प्रकृति (स्त्री.) – प्रकृति हिमालय की गोद में रम्य अठखेलियाँ कर रही थी।
प्रगति (स्त्री.) – देश की प्रगति उसके नागरिकों पर ही निर्भर करती है।
प्रत्यय (पु.) – ‘लड़कपन’ में कौन प्रत्यय जुटा हुआ है।
प्रभात (पु.) – प्रभात हुआ और सुनहली आभा फैल गई।
प्रश्न (पु.) – इस बार पूछे गए प्रश्न सरल थे।
प्रांगण (पु.) – घर का प्रांगण विशाल था।

प्राण (पु.) – पुत्र के लिए माता के प्राण व्याकुल थे।
प्रार्थना (स्त्री.) – भगवान की प्रार्थना बेकार नहीं जाती।
प्रेरणा (स्त्री.) – सद्गुरु की प्रेरणा पाकर शिष्य पढ़ने लगे।
प्याज (पु.) – इन दिनों प्याज महँगा होता जा रहा है।
प्यास (स्त्री.) – मुझे जोरों की प्यास लगी थी।
फसल (स्त्री.) – खेतों में फसल लहलहा उठी।
फैशन (पु.) – आजकल हर दिन कोई – न – कोई नया फैशन निकलता है।
फैसला (पु.) – जज साहब ने अपना फैसला सुना दिया।
फौज (स्त्री.) – दोनों ओर की फौजें आमने – सामने खड़ी थीं।
बंदूक (स्त्री.) – शेर का लक्ष्य कर बंदूक दाग दी गई।
बचत (स्त्री.) – आज की बचत कल के लिए फायदेमंद होगी।
बचपन (पु.) – बचपन जो बीता तो चंचलता भी जाती रही।
बटेर (स्त्री.) – इशारा पाते ही बटेरें लड़ने लगीं।
बताशा (पु.) – पानी में गिरते ही बताशा गल गया।
बधाई (स्त्री.) – उसकी सहायता पर मैंने बधाई दी।
बनावट (स्त्री.) – इस वस्तु की बनावट बड़ी भली है।
बर्फ (स्त्री.) – रातभर बर्फ गिरती रही।
वसंत (पु.) – पतझड़ गई तो वसंत आया।

बाढ़ (स्त्री.) – आज बाढ़ आई और कल उतर गई।
बात (स्त्री.) – छोटी – सी बात पर इतना विचार ठीक नहीं।
बालू (पु.) – चारों ओर बालू – ही – बालू छाया था।
बुलबुल (स्त्री.) – डाल पर बैठी बुलबुल गाती रही
बुखार (पु.) – शाम होते – होते उसे बुखार लग गया था।
बूंद (स्त्री.) – अमृत की एक बूंद काफी है।
भक्ति (स्त्री.) – सच्ची भक्ति ही मोक्ष दिलवाती है।
भजन (पु.) – वे रात – दिान भगवान का भजन करते हैं।
भय (पु.) – झगड़ालुओं से सभ्य जनों को भय होता ही है।
भाग्य (पु.) – सभी का अपना – अपना भाग्य होता है।
भीख (स्त्री.) – आपसे वह दया की भीख माँगती है।
भीड़ (स्त्री.) – धीरे – धीरे भीड़ बढ़ती चली गई।
भूख (स्त्री.) – मन की भूख अन्न से नहीं मिटती।
भूत (स्त्री.) – धनी बनने का भूत सबके सिर पर सवार है।
भूल (स्त्री.) – छोटी – सी भूल की इतनी बड़ी सजा।
भेंट (स्त्री.) – बहुत दिनों बाद आपसे भेंट हुई।
मंजिल (स्त्री.) – हमारी मंजिल हमारे सामने है।
मंत्र (पु.) – योगी ने वशीकरण मंत्र पढ़ा।
मखमल (स्त्री.) – फर्श पर मखमल बिछी थी।
मजाक (पु.) – आपका मजाक मुझे पसंद आया।।
मटर (पु.) – हरे मटर का स्वाद निराला था।
मन (पु.) – आपके मन की बात मैं कैसे जानें।

मलमल (स्त्री.) – उन्होंने ढाके की मलमल चाही थी।
मशाल (स्त्री.) – क्रांति की मशाल जलती रहेगी।
मशीन (स्त्री.) – मशीन चल रही है।
मस्जिद (स्त्री.) – कहीं मस्जिदें खड़ी हैं, कहीं मंदिर।
माँग (स्त्री.) – श्रमिकों की मांग पूरी होनी चाहिए।
माँ – बाप (पु.) – उनके माँ – बाप परेशान थे।
माला (स्त्री.) – मणियों की माला टूटकर बिखरी थी।
माया (स्त्री.) – सब प्रभु की माया है।
मिठास (स्त्री.) – उसकी बोली में शहद – सी मिठास है।
मुक्ति (स्त्री.) – माया में पड़े रहनेवालों को मुक्ति कहाँ मिलती है।
मुलाकात (स्त्री.) – आपसे मेरी पहली मुलाकात हुई।
मुस्कान (स्त्री.) – होठों पर मीठी मुस्कान फैल रही है।
मुँह (पु.) – उसका मुँह तो बहुत सुंदर है।।
मुहर (स्त्री.) – आपकी बातों पर सच्चाई की मुहर लगी है।
मूंग (स्त्री.) – उसने मेरी छाती पर मूंग डाली।।
मूंछ (स्त्री.) – दादाजी की मूंछों के बाल सफेद हैं।
मृत्यु (स्त्री.) – बेचारे गरीब की मृत्यु हो गई।
मेघ (पु.) – आसमान में मेघ छाए थे।

मेहँदी (स्त्री.) – उसके हाथों में मेहँदी लगी थी।
मैल (स्त्री.) – उनके पैरों पर मैल जम गई थी।
मोड़ (पु.) – घाटी में कई तीखे मोड़ हैं।
मोती (पु.) – उसकी चूड़ियों में मोती जड़ें थे।
मोह (पु.) – उनका मोह टूट चुका था.।
यश (पु.) – उनका यश फैलता चला गया।
यात्रा (स्त्री.) – यात्रा बड़ी सुखद रही।
याद (स्त्री.) – भला मेरी याद आपको क्यों आए।
यादगार (पु.) – आज की रात यादगार है।
रकम (स्त्री.) – इस थोड़ी रकम से क्या होगा?
रजाई (स्त्री.) – उन्होंने रजाई ओढ़ ली।
रन (पु.) – उस राजा के पास अनूठे रत्न थे।
रश्मि (स्त्री.) – वातायन से सुनहली रश्मियाँ झाँकने लगीं।
राख (स्त्री.) – कोयले की राख से बरतन साफ करो।
रात (स्त्री.) – पूनम की रात सुहानी होती है।
रामायण (स्त्री.) – उन्होंने सारी रामायण बाँच डाली।
रिश्वत (स्त्री.) – ऑफिसर ने रिश्वत ली थी।
रूमाल (पु.) – उसका रूमाल खो गया था।
रेशम (पु.) यह बड़ा अच्छा रेशम है।।

लगन (स्त्री.) – अध्ययन में आपकी लगन अपूर्व है।
लगाम (स्त्री.) – इक्केवाले ने लगाम ढीली कर दी।
लड़कपन (पु.) – लड़कपन बीता, जवानी आई।
लय (स्त्री.) – गायक की लय अपूर्व थी।
ललकार (स्त्री.) – शत्रु की ललकार सुनकर वीरों की भुजाएँ फड़क उठी।
लाज (स्त्री.) – परमात्मा ने मेरी लाज रख ली।
लालच (पु.) – धन का लालच बुरा होता है।
लाश (स्त्री.) – लाश लावारिस पड़ी थी।
लीक (स्त्री.) – वे पुरानी लीक पर चलनेवाले थे।
लू (स्त्री.) – दोपहर में तीखी लू चल रही थी।
वस्तु (स्त्री.) – हर वस्तु भली नहीं होती।
वायु (स्त्री.) – मंद – मंद वायु बह रही थी।
विधि (स्त्री.) – प्रयोग की यही विधि सर्वोत्तम है।
विनय (स्त्री.) – आशा है, मेरी विनय स्वीकार होगी।
वियोग (पु.) – उसका वियोग असह्य था।।

विवेक (स्त्री.) – मनुष्य को अपना विवेक नहीं खोना चाहिए।
विस्मय (पु.) – उसे देख सेठजी के विस्मय का ठिकाना न रहा।
वेतन (पु.) – कर्मचारियों का वेतन बढ़ना चाहिए।
वेदना (स्त्री.) – उन्हें विदाई में वेदना ही मिली।
व्यायाम (पु.) – उसने बहुत से व्यायाम सीखे हैं।
शंका (स्त्री.) – उसके मन में शंका घर कर गई थी।
शक (पु.) – हर बात पर शक करना अच्छा नहीं होता।
शक्ति (स्त्री.) – सेना की शक्ति उत्तरोत्तर बढ़ती गई।
शक्ल (स्त्री.) – उनकी शक्ल खराब हो गई थी।
शतरंज (स्त्री.) – शतरंज बिछा दी गई थी।
शपथ (स्त्री.) – उन्होंने देश की मानरक्षा की शपथ ली।
शरण (स्त्री.) – सच्चे भक्त केवल परमात्मा की शरण खोजते हैं।
शरबत (पु.) – शरबत काफी मीठा बना है।
शराब (स्त्री.) – शराब किसी का लाभ नहीं करती।
शरारत (स्त्री.) – बच्चे की शरारत का बुरा नहीं मानना चाहिए।
शर्म (स्त्री.) – ऐसा आचरण करते हुए उसे थोड़ी भी शर्म न आई।
शस्त्र (पु.) – शस्त्र पथ से गिर चुका था।।
शहद (पु.) – शहद बड़ा मीठा है।

शहनाई (स्त्री.) – उनके द्वार पर शहनाई बज रही थी।
शाम (स्त्री.) – धीरे – धीरे शाम हुई और तारे निकलने लगे।
शिकायत (स्त्री.) – आपकी शिकायतें हमने सुनी है।
शुल्क (पु.) – परीक्षा का शुल्क बढ़ा दिया गया है।
श्रृंगार (पु.) – कल्पना काव्य का श्रृंगार करती है।
शोक (पु.) – उनकी मृत्यु का समाचार पाकर मुझे बड़ा शोक हुआ।
श्मशान (पु.) – श्मशान दूर पड़ता था।
संगठन (पु.) – उनमें आपस का संगठन बढ़ता गया।
संगम (पु.) – गंगा – यमुना का संगम कितना लुभावना है।
संचय (पु.) – उन्होंने बड़े यत्न से धन का संचय किया था।
संतान (स्त्री.) – हम अपने महान पूर्वजों की, संतान हैं।
संधि (स्त्री.) – युद्धरत राष्ट्रों में पुनः संधि हो गई।
संध्या (स्त्री.) – संध्या गहराई और आसमान धुंधला पड़ गया।
सन्यास (पु.) – किशोरावस्था में ही यह सन्यास कैसा?
संसद् (स्त्री.) – ग्रीष्मकालीन संसद् फिर बैठ रही है।
सजावट (स्त्री.) – यहाँ की सजावट देखते ही बनती है।
सड़क (स्त्री.) – सड़क दूर तक सीधी चली गई थी।
सत्याग्रह (पु.) – गाँधीजी ने सर्वप्रथम अफ्रीका में सत्याग्रह किया था।
सपना (पु.) – आपका सपना पूरा हुआ।

सपूत (पु.) – पं. जवाहरलाल भारतमाता के सपूत थे।
सबक (पु.) – इस घटना से उन्हें अच्छा सबक मिला।
समस्या (स्त्री.) – हर के सामने रोजी – रोटी की समस्या है।
समाचार (स्त्री.) – आपकी पदोन्नति का समाचार मिला था।
समाधि (स्त्री.) – महात्मा की समाधि समीप ही थी।
समिति (स्त्री.) – मुझे आपकी समिति का निर्णय मान्य होगा।
समीप (पु.) – विद्वानों के समीप बैठना चाहिए।
समीर (पु.) – शीतल, मंद, सुवासित समीर बहने लगा।
सम्मेलन (पु.) – वह सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ था।
सरसों (स्त्री.) – खेतों में पीली सरसों फूली थी।
सराय (स्त्री.) – यहाँ से कुछ दूर पर ही सराय पड़ती थी।
सरोवर (पु.) – कर्पूर – सा उज्ज्वल सरोवर शांत था।
सलाह (स्त्री.) – आप दोनों में क्या सलाह हो रही है?
साँस (स्त्री.) – वह अपनी आखिरी साँस तक संघर्ष करता रहा।
साहस (पु.) – तेनसिंह का साहस प्रशंसनीय है।
सिक्का (पु.) – अब नए सिक्के ही ज्यादा चलते हैं।
सितारा (पु.) – उनकी तकदीर का सितारा इस समय अपनी बुलंदी पर है।
सीप (पु.) – समुद्र से निकलनेवाले सभी सीपों से मोती नहीं मिलते।
सुगंध (स्त्री.) – इस फूल की सुगंध अच्छी है।

सुझाव (पु.) – आपका सुझाव अच्छा रहा।
सुरंग (स्त्री.) – जमीन के नीचे एक लंबी सुरंग थी।
सुलह (स्त्री.) – लड़ाई के बाद दोनों में सुलह हो गई।
सुषमा (स्त्री.) – पहाड़ी क्षेत्र में प्रकृति की सुषमा निराली थी।
सुद (पु.) – इस महीने तक आपका कुल सूद कितना हुआ?
सेना (स्त्री.) – भारतीय सेना आगे बढ़ती गई।
सौंदर्य (पु.) – उसके सौंदर्य के आगे सबकुछ फीका है।
सौभाग्य (पु.) – आपके सौभाग्य का क्या कहना।
सौरभ (पु.) – कुसुमों का सौरभ मदमस्त बना रहा था।
स्नेह (पु.) – उनका निश्छल स्नेह नहीं भुलाया जा सकता।
स्वर्ग (पु.) – इस विपत्ति ने उनके घर का स्वर्ग नष्ट कर दिया।
स्वागत (पु.) – अपने अतिथियों का स्वागत करना चाहिए।
स्वार्थ (पु.) – अपना स्वार्थ सिद्ध करना सभी चाहते हैं।
हड़ताल (स्त्री.) – कारखाने में फिर हड़ताल हो गई।
हथेली (स्त्री.) – उसकी हथेली मेहँदी से रची थी।
हवा (स्त्री.) – हवा मंद – मंद बहती रही।
हार (पु.) – उन्होंने सोने का हार भेट किया।
(स्त्री.) – सत्य की क्या कभी हार हो सकती है?
हालत (स्त्री.) – उनकी हालत बिगड़ती जा रही है।
हींग (स्त्री.) – मुलतानी हींग अच्छी होती है।
हीरा (पु.) – धुल में पड़ा हीरा चमक रहा था।
होड़ (स्त्री.) – जीवन में आज प्रगति की होड़ मची है।
होली (स्त्री.) – रंगभरी होली आ गई।
होश (स्त्री.) – डाकू को सामने देख सेठजी के होश उड़ गए।

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