Advertica

 Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 18 भारतीय राजनीति : एक बदलाव

Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 18 भारतीय राजनीति : एक बदलाव

→ 1990 के दशक में विभिन्न राजनीतिक दलों में बड़ी अफरा-तफरी हुई! सन् 1991 में मध्यावधि चुनाव हुए और कांग्रेस इस बार अपना आँकड़ा सुधारते हुए सत्ता में आई। बहरहाल, सन् 1989 में ही इस परिघटना की समाप्ति हो गयी थी जिसे राजनीति विज्ञानी अपनी विशेष शब्दावली मे ‘कांग्रेस प्रणाली’ कहते हैं।

→ 1990 के दशक में एक बड़ा बदलाव राष्ट्रीय राजनीति में ‘मण्डल मुद्दे का उदय था। सन् 1990 में राष्ट्रीय मोर्चा की नई सरकार ने मण्डल आयोग की सिफारिशों को लागू किया। इन सिफारिशों में प्रावधान किया गया कि केन्द्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया जाएगा। अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण के समर्थक और विरोधियों के बीच चले विवाद को ‘मण्डल मुद्दा’ कहा जाता है।

→ अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद का ढाँचा गिराने की घटना दिसम्बर 1992 में हुई।

→ मई 1991 में राजीव गांधी (तत्कालीन प्रधानमन्त्री) की हत्या कर दी गई। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने नरसिम्हा राव को प्रधानमन्त्री चुना।

→ इस दौर में कांग्रेस के दबदबे की समाप्ति के साथ बहुदलीय शासन प्रणाली का युग शुरू हुआ।

→ सन् 1996 में बनी संयुक्त मोर्चे की सरकार में क्षेत्रीय पार्टियों ने मुख्य भूमिका निभाई।

→ सन् 1996 के चुनावों में भाजपा एक गठबन्धन के रूप में सत्ता में आई और सन् 1998 के मई से सन् 1999 के जून तक सत्ता में रही। फिर सन् 1999 के अक्टूबर में इस गठबन्धन ने पुनः सत्ता हासिल की। राजग की इन दोनों सरकारों में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमन्त्री बने।

→ इस तरह सन् 1989 के चुनावों से भारत में गठबन्धन की राजनीति के एक लम्बे दौर की शुरुआत हुई। इसके बाद से केन्द्र में 9 सरकारें बनीं। ये सभी या तो गठबन्धन की सरकारें थीं अथवा दूसरे दलों के समर्थन पर टिकी अल्पमत की सरकारें थीं जो इन सरकारों में शामिल नहीं हुए।

→ राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने मण्डल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग की राजनीति को सुगठित रूप से सहायता मिली। नौकरी में आरक्षण के सवाल पर तीखे वाद-विवाद हुए तथा इन विवादों से ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ अपनी पहचान को लेकर ज्यादा सजग हुआ।

→ नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के सरकार के फैसले से उत्तर भारत के कई शहरों में हिंसक विरोध का स्वर उमड़ा। इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में भी चुनौती दी गयी और यह प्रकरण ‘इन्दिरा साहनी केस’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

→ सन् 1978 में ‘बामसेफ’ का गठन हुआ। इस संगठन ने ‘बहुजन’ यांनी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की राजनीतिक सत्ता की जबरदस्त तरफदारी की।

→ बामसेफ का परवर्ती विकास ‘दलित शोषित समाज संघर्ष समिति’ है जिससे बाद के समय में ‘बहुजन समाज पार्टी’ का उदय हुआ। इस पार्टी का नेतृत्व कांशीराम ने किया।

→ जनता पार्टी के पतन और बिखराव के बाद भूतपूर्व जनसंघ के समर्थकों ने सन् 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बनाई।

→ ‘हिन्दुत्व’ शब्द को वी०डी० सावरकर ने गढ़ा था और इसको परिभाषित करते हुए उन्होंने इसे भारतीय राष्ट्र की बुनियाद बताया।

→ अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को लेकर दशकों से विवाद चला आ रहा था। बाबरी मस्जिद का निर्माण अयोध्या में मीर बाकी ने करवाया था।

→ दिसम्बर 1992 में राममन्दिर निर्माण के लिए ‘कार-सेवा’ का आयोजन किया गया।

→ सन् 1989 के बाद की अवधि को सामान्यतया कांग्रेस के पतन और भाजपा के अभ्युदय की भी अवधि कहा जाता है।

→ सन् 2004 के चुनावों में कांग्रेस भी पूरे जोर से गठबन्धन में शामिल हुई। राजग की हार हुई और संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) की सरकार बनी। इस गठबन्धन का नेतृत्व कांग्रेस ने किया।

→ सन् 2004 तथा सन् 2009 के चुनावों में एक हद तक कांग्रेस का पुनरूत्थान हुआ।

→ वर्तमान में गरीबी, विस्थापन, न्यूनतम मजदूरी, आजीविका और सामाजिक सुरक्षा के मसले जन-आन्दोलनों के माध्यम से राजनीतिक एजेण्डे के रूप में सामने आ रहे हैं। ये आन्दोलन राज्य को उसकी जिम्मेदारियों के प्रति सचेत कर रहे हैं। इसी तरह लोग जाति, लिंग, वर्ग और क्षेत्र के सन्दर्भ में न्याय तथा लोकतन्त्र के मुद्दे उठा रहे हैं।

→ कांग्रेस प्रणाली-सन् 1991 में एक बार फिर मध्यावधि चुनाव हुए और कांग्रेस इस बार अपना आँकड़ा सुधारते हुए सत्ता में आई। बहरहाल, सन् 1989 में ही उस परिघटना की समाप्ति हो गई थी, जिसे राजनीति विज्ञानी अपनी विशिष्ट शब्दावली में ‘कांग्रेस प्रणाली’ कहते हैं।

→ मण्डल मुद्दा–सन् 1990 में मण्डल आयोग की सिफारिशों में प्रावधान किया गया कि केन्द्र सरकार
की नौकरियों में ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को आरक्षण दिया जाएगा। सरकार के इस फैसले से देश के विभिन्न भागों में मण्डल विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए। अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण के समर्थक और विरोधियों के बीच चले विवाद को ‘मण्डल मुद्दा’ कहा जाता है।

→ इन्दिरा साहनी केस-पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में भी चुनौती दी गई और यह प्रकरण ‘इन्दिरा साहनी केस’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

→ बामसेफ-सन् 1978 में ‘बामसेफ’ (बैकवर्ड एण्ड माइनोरिटी क्लासेज एम्पलाईज फेडरेशन) का गठन हुआ। यह सरकारी कर्मचारियों का कोई साधारण-सा ट्रेड यूनियन नहीं था। इस संगठन ने बहुजन यानी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यकों की राजनीतिक सत्ता की जबरदस्त तरफदारी की।

→ बहुजन समाज पार्टी का उदय-बामसेफ का परवर्ती विकास ‘दलित-शोषित समाज संघर्ष समिति’ है, जिसके बाद के समय में बहुजन समाज पार्टी का उदय हुआ। इस पार्टी का नेतृत्व कांशीराम ने किया।

→ वी०पी० सिंह-दिसम्बर 1989 से नवम्बर 1990 तक वाम मोर्चा और भाजपा के समर्थन से बनी राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के प्रधानमन्त्री रहे। इन्होंने मण्डल आयोग की सिफारिशों को लागू किया।

→ चन्द्रशेखर-नवम्बर 1990 से जून 1991 तक कांग्रेस के समर्थन से देश के प्रधानमन्त्री रहे।

→ कांशीराम-बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक। इन्होंने उत्तर भारत के राज्यों में दलित राजनीति को संगठित किया।

Previous Post Next Post