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 Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 18 शेरशाह का मकबरा

Bihar Board Class 6 Hindi शेरशाह का मकबरा Text Book Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

पाठ से –

प्रश्न 1.
शेरशाह के जनहित के लिए कौन-कौन से कार्य किए ?
उत्तर:
शेरशाह ने अपने छोटे से शासनकाल में जनहित के लिये अनेक कार्य किये। इनके जनहित के कार्यों में महत्वपूर्ण था-सड़कों का निर्माण, मसाफिरों के ठहरे के लिये जगह-जगह सरायों का बनवाया जाना, कुएँ खुदवाकर पानी की व्यवस्था, सड़क के किनारे वृक्ष लगवाना, डाक व्यवस्था का उचित प्रबंध तथा राजस्व एवं लगान की व्यवस्था में सुधार । कलकत्ता से पेशावर तक जाने वाला ग्रैंड ट्रंक रोड शेरशाह की ही देन है।

प्रश्न 2.
शेरशाह ने मकबरे की क्या विशेषता है?
उत्तर:
शेरशाह के मकबरे की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सुन्दरता है। इसका गुंबद ताजमहल के गुंबद से भी बड़ा है और इसकी ऊँचाई 45 मीटर से ज्यादा है। तालाब के बीच, एक ऊँचे चबूतरे पर बने होने के कारण इसका सौंदर्य दूर से ही झलकता है। स्थापत्य कला का यह भवन एक बेजोड़ नमूना माना जाता है।

प्रश्न 3.
शेरशाह का बिहार से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
शेरशाह के पिता बिहार के जागीरदार थे। अतः शेरशाह का बचपन सासाराम में बीता जो बिहार में है। इनकी सेना में बिहार के बहुत सिपाही थे। इसी सेना ने मुगल बादशाह हुमायूँ को पराजित किया था। हुमायूँ का मकबरा बिहार राज्य में ही स्थित है।

प्रश्न 4.
स्तंभ ‘क’ का स्तंभ ‘ख’ से मिलान कीजिए –
प्रश्नोत्तर –
Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 18 शेरशाह का मकबरा 1

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों को भरिए –
प्रश्नोत्तर –
(क) अडट्रंक रोड कोलकाता से पेशावर तक जाती है।
(ख) हुमायूँ से युद्ध के समय शेरशाह की उम्र 68 वर्ष की थी।
(ग) शेरशाह का मकबरा सासाराम में है।
(घ) शेरशाह के बचपन का नाम फरीद खाँ था।
(ङ) यह मकबरा अफगान स्थापत्य शैली का बेहतरीन नमूना है।

पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
अगर आपको राजा बना दिया जाय तो आप आम जनता के लिये क्या करना चाहेंगे?
उत्तर:
प्रजातंत्र में राजा का कोई स्थान नहीं है। राजतंत्र की पद्धति – करीब-करीब समाप्त हो गयी है। प्रजातंत्र में सब लोग मिलजुलकर देश और हित में कार्य करते हैं।

प्रश्न 2.
केवल पाँच वर्षों के शासन काल में शेरशाह ने बहुत सारे कार्य किये। सोचकर बतायें कैसे?
उत्तर:
शेरशाह को अपनी जनता के कल्याण की सदा चिन्ता रहती थी। इसके अतिरिक्त उनमें कार्य करने की लगन थी और साहस भी।

प्रश्न 3.
अधिक उम्र होने के बावजूद शेरशाह ने हुमायूँ को पराजित किया- वह ऐसा कैसे कर पाया?
उत्तर:
उस समय शेरशाह जवान नहीं थे। उनकी उम्र 68 वर्ष की हो गयी थी पर उनके अन्दर हिम्मत थी और साहस कूट-कूट कर भरा था। रणकौशल में वे अत्यन्त प्रवीण थे। अतः हुमायूँ को भारी सेना को भी उन्होंने पराजित कर दिया।

प्रश्न 4.
ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित रखने के लिये आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
अपने ऐतिहासिक धरोहरों पर देश की जनता को गौरव होना चाहिये। हम अपनी अज्ञानता के कारण अपने इन अमूल्य धरोहरों को सुरक्षित नहीं रख पाते और नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिये जनता को शिक्षित किया जाना चाहिये और उन्हें अपने दायित्वों का बोध कराना चाहिये।

इस दिशा में जनजागृति की अह्म आवश्यकता है।

व्याकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित संज्ञाओं के प्रकार बताइए।
बादशाह, हुमायूँ, सेना, बुढ़ापा, पानी, बचपन, बचचे, बस, सड़क, ताजमहल।

  • बादशाह – जातिवाचक
  • हमायूँ – व्यक्तिवाचक
  • सेना – समूहवाचक
  • बुढ़ापा – भाववाचक
  • पानी – द्रव्यवाचक
  • बचपन – भाववाचक
  • बच्चे – समूहवाचक
  • बस – जातिवाचक
  • सड़क – जातिवाचक
  • ताजमहल – स्थानवाचक

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सर्वनामों के प्रकार बतायें –
प्रश्नोत्तर-

  • यह – निश्चयवाचक
  • सभी – पुरुषवाचक
  • इतने – अनिश्चयवाचक
  • कुछ – अनिश्चयवाचक
  • अपने आप – निजवाचक
  • जैसे-जैसे – संबंधवाचक
  • कौन – प्रश्नवाचक
  • तुमने – पुरुषवाचक
  • कहाँ – प्रश्नवाचक
  • कब – प्रश्नवाचक

प्रश्न 3.
शब्द-समूहों को व्यवस्थित कर वाक्य पूरा कीजिए।
प्रश्नोत्तर –
(क) एक अब सड़क बस बहुत गई आ पर चौड़ी
वाक्य – बस अब एक बहुत चौड़ी सड़क पर आ गई।

(ख) जाएँ सीट अपनी बैठ लेकर-
वाक्य – अपनी सीट लेकर बैठ जाएँ।

(ग) थे ढाई चुके अब बजा
वाक्य – अब ढाई बज चुके थे।

(घ) सभी खाया साथ एक खाना ने
वाक्य – सभी ने एक साथ खाना खाया।

(ङ) यह ऊँचा होगा मकबरा कितना?
वाक्य – यह मकबरा कितना ऊँचा होगा?

प्रश्न 4.
पर्यायवाची शब्द लिखिए।
पुत्र, वृक्ष, विद्यालय, शिक्षक, सराय ।
उत्तर:
पुत्र – बेटा.
विद्यालय – स्कूल
वृक्ष – गाछ
शिक्षक – अध्यापक
सराय – धर्मशाला

प्रश्न 5.
प्रत्येक पंक्ति में एक शब्द बाकी शब्दों से मेल नहीं खाता है, उस शब्द पर गोला लगाइए।
उत्तर:
(क) कोलकाता पेशावर कन्नोज सिपाही
(ख) शोरशाह हुमायूँ प्रधानाध्यापक बाबर
(ग) मकबरा ड्राइवर खलासी कंडक्टर
(घ) झील सरकार नदी समुद्र

कुछ करने को –

प्रश्न 1.
शेरशाह से संबंधित जानकारियाँ एकत्रित कीजिए और एक आलेख तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
हमारे देश में शेरशाह के मकबरों के अलावा और किन बादशाहों के मकबरे हैं और वह कहाँ हैं ? पता करके सूची बनाइए।
उत्तर:

  1. मुमताज महल – ताजमहल-आगरा (उत्तर प्रदेश)
  2. टीपू सुल्तान का मकबरा – मैसूर (कर्नाटक)
  3. शेरशाह सूरी – सासाराम (बिहार)
  4. अकबर – लाहौर (पाकिस्तान)
  5. हुमायूँ का मकबरा – दिल्ली
  6. बहादुरशाह जफर – यंगून (बर्मा).

(अन्तिम मुगल बादशाह)

प्रश्न 3.
अपने प्रधानाध्यापक या वर्ग शिक्षक से मिलकर किसी ऐतिहासिक स्थल को देखने का कार्यक्रम तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

शेरशाह का मकबरा Summary in Hindi

पाठ का सार-संक्षेप

यह आलेख एक यात्रा-वर्णन है। एक स्कूल के छात्र-छात्रा शेरशाह के मकबरे की सैर के लिये जाते हैं। शेरशाह का यह प्रसिद्ध मकबरा बिहार प्रदेश के सामाराम शहर के पास स्थित है। यह मकबरा अपनी स्थापत्य कला के लिये जाना जाता है। लाल पत्थरों से निर्मित यह मकबरा अपनी सुन्दरता के लिये विख्यात है और दूर-दूर से पर्यटक इसे देखने के लिये आते हैं। शेरशाह की गणना भारत के महान शासकों में की जाती है। अपने अल्प शासन काल में शेरशाह ने तत्कालीन जनमानस की सेवा और कल्याण के लिये अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये। अपनी वीरता के लिये भी वह जाना जाता है और भारत के महान शासलों में उसकी गणना की जाती है।

अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापक (हेडमास्टर) और अन्य शिक्षकों के साथ बस से सासाराम की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। बस में प्रधानाध्यापक के अतिरिक्त आशा और महिमा मैडम तथा पूर्णनाथ सर भी जाते हैं। पूर्णनाथ सर इतिहास पढ़ाते हैं। अत: बच्चों को उनका साथ मिलने से ज्यादा आनन्द आता है।

अक्टूबर का महीना था। धूप खिली थी। मौसम अत्यन्त सुहावना था और – सभी बच्चों में इस यात्रा के प्रति विशेष उत्साह था। बस मुख्य मार्ग पर आकर सरपट दौड़ने लगती है। बच्चों की उत्सुकता उस स्थान विशेष को जानने के – लिये बढ़ जाती है और वे तरह-तरह के प्रश्न अपने शिक्षक से पूछने लगते हैं। सूरज के विशेष आग्रह पर पूर्णनाथ सर ने बताना शुरू किया। वे कहते हैं – “शेरशाह भारत के महान शासकों में एक थे। उनका जन्म सन् 1472 में हुआ था। उनके पिता का नाम हसन खाँ था जो एक बड़े जागीरदार थे। शेरशाह का बचपन का नाम फरीद खाँ था। बचपन में फरीद ने अकेले ही एक शेर को मार दिया था और तबसे ये शेर खाँ कहे जाने लगे। बहुत कम उम्र में ही शेरशाह को अपने पिता की जागीर सम्हालनी पड़ी पर इससे उनकी प्रशासन की क्षमता में वृद्धि हुयी। शेरशाह ने दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को हराकर दिल्ली की गद्दी पर कब्जा कर लिया और सूरीवंश की स्थापना का गौरव प्राप्त किया।

उस समय उनकी आयु 68 वर्ष की थी। पूर्णनाथ सर बताते जा रहे थे- “उनकी सेना ज्यादातर बिहार के सिपाही थे और यह युद्ध सन् 1540 के आसपास कन्नौज में हुआ था। किसी भी युद्ध को जीतने के लिये साहस की आवश्यकता होती है।” बच्चे एक के बाद एक प्रश्न पूछते जा रहे थे। राजू ने पूछा – “सर उनके पास तो बहुत सारा रुपया-पैसा होगा? वे बहुत आराम से रहते होंगे?’ सर ने उत्तर दिया- “नहीं ऐसी बात नहीं है। इन्हें अपनी जनता की बहुत चिन्ता रहती थी। वे केवल पाँच वर्ष ही शासन कर सके परन्त अपनी जनता की सेवा के लिये बहुत सारे कल्याणकारी कार्य किये। सड़कें बनवायीं, सड़कों के किनारे यात्रियों के ठहरने के लिये जगह-जगह सराय का निर्माण करवाया, पीने के पानी के लिये कुएँ खुदवाये। सड़कों के किनारे किनारे वृक्ष लगवाये – डाक और संचार व्यवस्था को सुदृढ़ किया। राजस्व व लगान की व्यवस्था में सुधार लाकर उसे किसानों के लिये उपयोगी एवं लाभकारी बनाया। उसकी गिनती एक न्यायप्रिय बादशाह के रूप में की जाती थी।”

इस लम्बी वार्ता के क्रम में सड़क एक चौड़ी सड़क पर आ गयी थी। पूर्णनाथ सर ने कहा-“देखो! यह सड़क ग्रैंड ट्रंक रोड के नाम से जानी जाती है। यह कोलकाता से पेशावर (पाकिस्तान) तक जाती है। इस सड़क को भी शेरशाह ने ही बनवाया था। उनका यह एक महान योगदान था।” बस सासाराम शहर में प्रवेश कर गयी और शहर की सड़कों से गुजरती हुयी एक बड़े तालाब के किनारे आकर रूक गयी। सर ने कहा लो आ गया शेरशाह का मकबरा!”

बच्चे इसकी सुन्दरता पर चकित हो रहे थे। जमाली ने इसे देखते ही कहा – “इतना बड़ा और इतना सुन्दर।’ सभी बच्चे बस से उतरकर एक जगह जमा हो गये। पूर्णनाथ सर ने कहा – “यह मकबरा तक जाने का मुख्य द्वार है। इसके दोनों ओर मस्जिद है। पानी के बीच मकबरा बना देखकर बच्चों को बहुत आश्चर्य हो रहा था। एक बच्चे ने पूछा सर! मकबरे का निर्माण किसने करवाया? पूर्णनाथ सर ने बच्चे की जिज्ञासा शान्त करते हुये बताया- सन 1545 ई. में कालिंजर के किले की घेराबंदी के समय एक विस्फोट में शेरशाह ‘का निधन हो गया। अपने पिता की मृत्यु के बाद शेरशाह का पुत्र इस्लाम शाह सूरी उनका उत्तराधिकारी बना। उसी ने अपने पिता के सम्मान में यह मकबरा बनवाया। मकबरे को सुन्दरता प्रदान करने के लिये उसे एक तालाब के बीच बने एक ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बनाया गया है। इस तालाब को, इस मकबरे को अद्वितीय स्थापत्य कला का नमूना के रूप में प्रस्तुत करने के लिये विशेष रूप से खुदवाया गया था जो आज भी मौजूद है। सर ने बच्चों से पूछा

“मकबरा किस चीज से बना है?” बच्चों ने उत्तर दिया – “पत्थर से।” इसकी कितनी मंजिलें हैं? तीन-सभी ने एक स्वर में उत्तर दिया। सर ने बताया “यह मकबरा 45 मीटर से भी ऊँचा है और इसका गुंबद ताजमहल के गुंबद से 13 फीट बड़ा है। साथ ही यह मकबरा अफगान स्थापत्य शैली का विशेष नमूना है।

बच्चे और शिक्षकगण घूमते-घूमते -मकबरे के मध्य भाग में पहुँच गये थे और इसमें की गयी नक्काशी और ऊपर बनी जालियों को देखकर उसकी प्रशंसा कर रहे थे। पूर्णनाथ सर ने बताया – ” इस मकबरे में शेरशाह सूरी के अतिरिक्त उनके चौबीस साथी भी दफन किये गये हैं। कुछ पर्यटकों ने इस ऐतिहासिक इमारत पर अपनी ओर से कुछ-कुछ लिख दिया था- सर ने बताया ऐसा करना उचित नहीं है क्योंकि ये इमारतें देश की धरोहर हैं और इन्हें गंदा करना राष्ट्र की सम्पत्ति को बर्बाद करना है। यह मकबरा अब देश की संरक्षित ऐतिहासिक सम्पत्ति की सूची में आ गया है और इसके रख-रखाव पर लाखों रुपये सरकार के द्वारा खर्च किये जा रहे हैं।

सर ने बच्चों से पूछा इसे साफ और सुन्दर बनाये रखने का दायित्व किस पर है? बच्चों ने एक स्वर में उत्तर दिया – ” हम पर यानी इस देश के सभी नागरिकों पर।”

घूमते-घूमते दिन के ढाई बज चुके थे। बच्चे भूख से व्याकुल हो रहे थे। सबने एक साथ खाना खाया और वापसी यात्रा के लिये बस पर सवार हो गये।

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