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 Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 6 पृथ्वी और ग्लोब

Bihar Board Class 6 Social Science पृथ्वी और ग्लोब Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
एक देशांतर से दूसरे देशांतर की दूरी तय करने में समय लगता है
(क) चार मिनट
(ख) पाँच मिनट
(ग) चालीस मिनट
(घ) चार संकेण्ड
उत्तर-
(क) चार मिनट

प्रश्न 2.
सबसे अधिक गर्मी पड़ती है
(क) शीत कटिबंध में
(ख) शीतोष्ण कटिबंध में
(ग) उष्ण कटिबंध में
(घ) उत्तरी ध्रुव में
उत्तर-
(ग) उष्ण कटिबंध में

प्रश्न 3.
कर्क रेखा है
(क) 90° अक्षांश पर
(ख) 23 12° उत्तरी अक्षांश
(ग) 23 12° दक्षिणी अक्षांश
(घ) ध्रुव पर।
उत्तर-
(ख) 23 12° उत्तरी अक्षांश

प्रश्न 4.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा से परब जाने पर
(क) दिन-रात में परिवर्तन होता है
(ख) एक तिथि घटा दी जाती है
(ग) एक तिथि बढ़ा दी जाती है
(घ) तिथि में कोई परिवर्तन नहीं करते हैं,
उत्तर-
(ग) एक तिथि बढ़ा दी जाती है

प्रश्न 2.
कम शब्दों में उत्तर दें.

प्रश्न (क)
पृथ्वी के दिये गये नमूने का क्या नाम है ?
उत्तर-
पृथ्वी के दिये गये नमूनं का नाम ग्लोब है।

‘प्रश्न (ख)
यह नमूना किस आकृति का होगा ? जैसे त्रिकोण, गोल, त्रिभुजाकार आदि।
उत्तर-
यह नमूना गोल आकृति का होगा ।

प्रश्न (ग)
इस नमूने की आकृति वाले किन्हीं अन्य दो वस्तुओं के . नाम लिखिये।
उत्तर-
इस नमूने की आकृति वाले संतरा, खरबूजा हैं।

प्रश्न (घ)
पृथ्वी के इस नमूने पर कौन-सी रेखाएँ बनी हैं ? उनके नाम लिखिये।
उत्तर-
पृथ्वी के इस नमूने पर अक्षांश रेखा, कर्क रेखा, भूमध्य रेखा, मकर रेखा बनी है।

प्रश्न (ङ)
इस नमूने के अलावा, आप और किन माध्यमों से पृथ्वी पर स्थित किसी स्थान का पता लगा सकते हैं ?
उत्तर-
इस नमूने के अलावा, मैं आसमान में सूरज की स्थिति या रात में ध्रुव तारे को देखकर किसी स्थान की स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं लेकिन इसमें बहुत परेशानी होती है।

पृथ्वी पर स्थित स्थानों को जानने के लिए कम्पास (दिक् सूचक) और नक्शे से ठिकाना खोजना आसान हो गया। इस प्रकार इन माध्यमों के द्वारा भी हम पृथ्वी पर स्थित स्थानों को पता लगा सकते हैं।

प्रश्न 3.
ग्लोब पर कुछ पड़ी एवं खड़ी रेखाएँ बनी हुई हैं। इन्हें गौर से देखकर निम्न प्रश्नों के उत्तर तालिका में लिखिए

प्रश्न (क)
पड़ी/खड़ी रेखाएँ किन दिशाओं के बीच में खींची गयी
उत्तर-
पड़ी/खड़ी रेखाएँ उत्तर और दक्षिण दिशाओं के बीच में खींची गयी हैं।

प्रश्न (ख)
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा क्या है?
उत्तर-
पृथ्वी का आकार गोल है जो एक वृत्त के समान है। एक वृत्त में 360° होते हैं। इसी आधार पर पृथ्वी पर 360° देशांतर रेखाएँ खींची जा सकती हैं। इनमें दो देशांतर रेखाएँ महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। ये हैं 0° तथा 180° देशांतर रेखाएँ।

0° देशांतर को प्रधान देशांतर रेखा या प्रधान मध्याह्न रेखा तथा 1800 देशांतर रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं।

प्रश्न (ग)
किन्हीं दो पड़ी अथवा खड़ी रेखाओं के बीच किस प्रकार की दूरी है ? (समान/असमान)
उत्तर-
दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है।

प्रश्न (घ)
पड़ी/खड़ी रेखाओं को क्या कहते हैं?
उत्तर-
पड़ी/खड़ी रेखाओं को अक्षांश रेखा कहते हैं।

प्रश्न (ङ)
पड़ी एवं खड़ी रेखाओं में से कौन-सी आपस में मिलती
उत्तर-
पडी एवं खड़ी रेखाओं में से खडी रेखा आपस में मिलती है।

प्रश्न 4.
बताइये –

प्रश्न (i)
अक्षांश वृत्त किसे कहते हैं?
उतर-
भूमध्य रेखीय वृत्त एवं किसी स्थान के बीच जो कोण बनता है उसे उस स्थान का अक्षांश कहा जाता है।

प्रश्न (ii)
दो प्रमुख अक्षांश रेखाओं के नाम बताइये।
उत्तर-
दो प्रमुख अक्षांश रेखाओं के नाम-कर्क रेखा, मकर रेखा हैं।

प्रश्न (iii)
पृथ्वी पर कितने कटिबंध हैं? इन कटिबंधों की विशेषताएँ बतलाइये।
उत्तर-
पृथ्वी पर तीन कटिबंध हैं।

1. उष्ण कटिबंध-कर्क एवं मकर रेखाओं के बीच अन्य अक्षांशों की तुलना में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है जिसके कारण इसे उष्णकटिबंध कहा जाता है। यहाँ दिन और रात की स्थितियाँ सालों भर होती है तथा सूर्य की । किरणें लम्बवत् पड़ती हैं।

2. समशीतोष्ण कटिबंध-कर्क एवं मकर रेखा के बाद उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र में तापमान मध्यम रहता है। यहाँ जाड़े में सर्दी पड़ती है तथा गर्मी में तापमान अधिक रहता है। इसे सम शीतोष्ण कटिबंध कहते हैं। दिन और रात की स्थितियाँ होती हैं परन्तु सूर्य की किरणें कभी लम्बवत् नहीं पड़ती हैं।

3. शीत कटिबंध-उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिण गोलार्द्ध में दक्षिणी ध्रुव क्षेत्रों में सालों भर ठंड पड़ती है। इसे शीत कटिबंध कहा जाता है। यहाँ छ: महीने का दिन एवं छः महीने की रात होती है।

प्रश्न (iv)
देशान्तर रेखा किसे कहते हैं?
उत्तर-
ग्लोब पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव को जोड़ती हुई रेखाएँ खींची गई हैं। ये सभी लम्बवत् रेखाएँ देशांतर रेखाएँ हैं। 0° तथा 180° देशांतर रेखाएँ । एक वृत्त में 360° होते हैं। इसी आधार पर पृथ्वी पर 360 देशांतर रेखाएँ खींची गई हैं। इनकी लम्बाई समान होती है। इसकी संख्या 360 होती है। देशांतर रेखाएँ तिथि निर्धारण में सहयोग देती हैं।

प्रश्न (v)
प्रधान मध्याह्न रेखा क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर-
0° देशांतर को प्रधान देशांतर रेखा या प्रधान मध्याह्न रेखा कहते हैं। पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति दर्शाने तथा समय निश्चित करने के लिए देशांतर रेखाओं का ज्ञान होना आवश्यक है। इससे तिथि निर्धारण में भी सहयोग मिलता है।

प्रश्न (vi)
अक्षांश रेखाओं तथा देशांतर रेखाओं की कुल संख्या कितनी है?
उत्तर-
अक्षांश रेखाओं तथा देशांतर रेखाओं की कुल संख्या 20 है।

Bihar Board Class 6 Social Science पृथ्वी और ग्लोब Notes

पाठ का सारांश

किसी भी स्थान पर खड़े होकर अगर दूर तक निगाह डाली जाय तो ऐसा लगेगा कि कुछ दूरी पर जमीन और आसमान आपस में मिल रहे हैं। ऐसा इसलिए नजर आता है क्योंकि हमारी पृथ्वी गोल है। लेकिन हमें आस-पास देखने पर पृथ्वी गोल नजर न आकर चपटी दिखती है। इसका कारण यह है कि हम पृथ्वी पर जगह खड़े होकर पूरी पृथ्वी को – एक साथ नहीं देख सकते हैं।

अगर हम चाँद या उपग्रह पर जाकर पृथ्वी को देखें तो पृथ्वी भी चाँद जैसी दिखाई देती हैं क्योंकि पृथ्वी भी चन्द्रमा की तरह गोल है परन्तु आकार में चन्द्रमा से बड़ी है। चाँद पर पहुँचने वाले पहले व्यक्ति अमेरिका के नील आर्मस्ट्राँग थे। पृथ्वी भी वहाँ से चाँद की तरह ही आकाश में टॅगी गोल गेंद की तरह दिखाई देती है। पृथ्वी वहाँ से नीली दिखाई देती हैं।

पृथ्वी को गोलाकार होने के कारण हम इसके छोटे से पृष्ठ को ही एक बार में देख सकते हैं। यह कहते हुए उन्होंने ग्लोब दिखाकर समझाया । जिस प्रकार विशाल हाथी को छोटे खिलौने के रूप में बनवाकर दिखाते हैं ठीक उसी प्रकार अपनी विशाल पृथ्वी को ग्लोब के रूप में दिखाया गया है।

संसार का मानचित्र दिखाकर बताया कि जमीन के बड़े-बड़े हिस्से जो महासागरों से घिरे हुए हैं वे महाद्वीप हैं इन्हें स्थल भाग कहा जाता है। स्थल पर लोग रहते हैं। इसी पर गाँव, शहर, नदी, नाले इत्यादि हैं। महाद्वीपों की कुल संख्या सात हैं। महाागरों की कुल संख्या चार हैं। ये बहुत गहरे होते हैं। इनकी गहराई कई किलोमीटर तक होती है। सभी महासागर आपस में जुड़े हुए हैं। आर्कटिक महासागर को उत्तरी हिम महासागर भी कहते हैं क्योंकि अत्यधिक ठंड के कारण वहाँ बर्फ जमी रहती है।

आर्कटिक महासागर । “ अगले दिन जब विद्यालय पहुँचा तो गुरुजी ने ग्लोब का अध्ययन करना सिखाया।

उन्होंने बताया कि जब आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में सुबह 10 बजता है तो उस समय पटना में सुबह के 5 बजते होते हैं। यह सब स्थानीय समय में होने वाले अंतर के कारण होता है। इसके बारे में मैं बताता हूँ।

लगभग सात-आठ सौ वर्ष पहले समुद्री यात्राओं के दौरान लोग भटक जाते थे और किसी स्थान को खोजने में बहुत परेशानी होती थी। आसमान में सूरज की स्थिति या रात में ध्रुव तारे को देखकर किसी स्थान की स्थिति का अनुमान लगाया जाता था। इसमें बहुत परेशानी होती थी। बाद में कम्पास (दिक सूचक) और नक्शे से ठिकाना खोजना आसान हो गया लेकिन समय का अन्तर पता करना कठिन था। लेकिन देशान्तर रेखाओं की पहचान से इस मुश्किल का भी समाधान हुआ। राजू ने तुरंत पूछा-ये रेखाएँ क्या होती हैं?

गुरुजी ने बताया कि पृथ्वी गोल है। किसी भी गोले को यदि दो बराबर भागों में बांटा जाय तो गोले का आधा भाग ‘गोलार्द्ध’ कहलाता है। . इसी प्रकार पृथ्वी को उत्तरी एवं दक्षिणी दो बराबर भागों में बाँटने वाली रेखा या वृत्त भूमध्य रेखीय वृत्त होती है। भूमध्य रेखीय वृत को ही भूमध्य रेखा या विषुवत रेखा भी कहा जाता है।

यह सबसे बड़ा वृत्त होता है। इस रेखा से उत्तर का भाग उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिणी भाग दक्षिणी गोलार्द्ध कहलाता है। भूमध्य रेखीय वृत्त एवं किसी स्थान के बीच जो कोण बनता है उसे उस स्थान का अक्षांश कहा जाता है तथा वहाँ से पूर्व से पश्चिम की ओर खींची गई रेखाएँ अक्षांश रेखाएँ कहलाती हैं।

भूमध्य रेखीय वृत्त या भूमध्य रेखा पृथ्वी का 0° अक्षांश है क्योंकि यह पृथ्वी के मध्य में है और इसी 0° अक्षांश से ही अन्य अक्षांशों की गणना की जाती है। विपुवत रेखा से उत्तर 90° एवं दक्षिण के 90° अक्षांश होते हैं। 23/2° उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा एवं 23/2° दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहा जाता है। भूमध्य रेखीय वृत्त के उत्तर की ओर तथा दक्षिण की ओर जाने पर यह वृत्त क्रमश: छोटा हो जाता है 90° उत्तरी तथा 90° दक्षिणो अक्षांश को क्रमशः उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव भी कहते हैं। यह अक्षांश वृत्त न होकर मात्र एक बिंदु होता है।

रेखाएँ पूर्व से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समान्तर खींची जाती हैं। दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है। विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर जाने पर वृत्त छोटे होते जाते हैं। ध्रुव एक बिंदु के रूप में रह जाता है। सभी अक्षांश रेखाओं की लम्बाई समान नहीं होती।

ग्लोब पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव को जोड़ती हुई रेखाएँ खींची गई हैं। ये सभी लम्बवत् रेखाएँ देशान्तर रेखाएँ हैं। किसी भी स्थान की सही स्थिति और समय का पता लगाने के लिए इन रेखाओं का सहारा भी लेना पड़ता है। पृथ्वी का आकार गोल है जो एक वृत्त के समान है एवं वृत्त में 3600 होते हैं। इसी आधार पर पृथ्वी पर 360 देशान्तर रेखाएँ खींची जा सकती हैं। इनमें दो देशान्तर रेखाएँ महत्वपूर्ण मानी गई हैं। ये हैं 0° तथा 180° देशान्तर रेखा । 0° देशान्तर को प्रधान देशान्तर रेखा या प्रधान मध्याह्न रेखा तथा 180° देशान्तर रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं।

गुरुजी ने बच्चों को देशांतर रेखाओं की कई विशेषताएँ बतायीं जैसे ये रेखाएँ अर्द्धवृत्ताकार होती हैं। विपरीत भाग के अर्द्धवत मिलकर पूर्ण वृत्त बनाती हैं। जैसे 0° और 180 मिलकर एक पूर्ण वृत्त बनाते हैं। इनकी लम्बाई समान होती है। इनकी संख्या 360 होती है। विषुवत वृत्त पर इनके बीच की दूरी सबसे अधिक होती है । लेकिन जैसे-जैसे हम ध्रुवों की ओर जाते हैं इनकी बीच की दूरी कम होती जाती है। ध्रुवों पर ये सभी रेखाएँ मिल जाती हैं तथा एक बिंदु के समान हो जाती है।

पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति दर्शाने तथा समय निश्चित करने के लिए देशांतर रेखाओं का ज्ञान आवश्यक है। 180° देशांतर रेखा ही रेखा एक होती है। इसलिए यह पूरब या पश्चिम नहीं होती । सूर्य के सामने घूमती पृथ्वी का एक देशान्तर से दूसरे देशांतर तक पहुँचने में 4 मिनट का समय लगता है। अतएव विभिन्न देशांतर पर स्थित स्थानों का समय भी अलग-अलग होता है।

देशांतर रेखाएँ तिथि निया में सहयोग देती हैं। 180° देशांतर रेखा को सामान्यतः अंतर्राष्ट्रीय तिथि रख: भन कहा जाता है। इस रेखा से पश्चिम जाने पर तिथि बढ़ा दी जाती है जबकि पूरब की ओर आने पर तिथि घटा दी जाती है।

गुरुजी ने कहा, राजू के पिताजी अमृतसर से लाहौर के लिए जिस समय उड़ान भरी उस समय उनकी घड़ी में बारह बज रहे थे। आधे घंटे की उड़ान के बाद जब वह लाहौर पहुँचे तो वहाँ एयरपोर्ट की घड़ी में भी बारह बज रहे थे। उन्होंने अपनी घड़ी में भी बारह बजाया और काम पर चल दिये। रेहाना बोली गुरुजी मुझे समय का रहस्य समझ में आ गया।

क्या पृथ्वी पर बनी रेखाएँ लोगों के आने-जाने से मिट नहीं जाती होंगी।

गुरुजी ने स्नेहपूर्वक भाव से रेहाना को देखा और बोले-ये सभी रेखाएँ काल्पनिक होती हैं। जिस प्रकार आप अपने मस्तिष्क में किसी भी वस्तु का चित्र बना सकते हैं उसी प्रकार यह भी कल्पना की गई है । वास्तव में ये रेखाएँ पृथ्वी पर नहीं हैं। अक्षांश रेखाओं से हम किसी स्थान के तापमान का, देशान्तर रेखाओं से समय का एवं जहाँ अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ मिलती हों उससे उस स्थान की स्थिति का पता करते हैं। पृथ्वी को इन्हीं अक्षांश रेखाओं के आधार पर तीन कटिबंधों में बांटते हैं।

कर्क एवं मकर रेखाओं के बीच अन्य अक्षांशों की तुलना में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है जिसके कारण इसे उष्ण कटिबंध कहा जाता है। यहाँ दिन और रात की स्थितियाँ सालों भर होती हैं तथा सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं। कर्क एवं मकर रेखा के बाद उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र में तापमान मध्यम रहता है। यहाँ जाड़े में सर्दी पड़ती हैं तथा गर्मी में तापमान अधिक रहता है। इसे समशीतोष्ण कटिबंध कहते हैं। दिन और रात की स्थितियाँ होती हैं परंतु सूर्य की किरणें कभी लम्बवत् नहीं पड़ती हैं।

उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव क्षेत्रों में सालों भर ठंड पड़ती है। इसे शीत कटिबंध कहा जाता है। यहाँ छ: महीने का दिन एवं छः महीने की रात होती है।

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