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 Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् पत्रलेखनम (आवश्यक निर्देश)

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् पत्रलेखनम (आवश्यक निर्देश)

पत्रलेखन द्वारा व्यक्तियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान दूर रह कर भी होता है। प्राचीनकाल से ही इसका महत्त्व रहा है। जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जाता है उसकी स्थिति के अनुसार आरम्भ में सम्बोधन किया जाता है। पुनः शिष्टाचार के अनुसार प्रणाम, आशीर्वाद, विनम्रता-प्रदर्शन इत्यादि औपचारिक रूप से आवश्यक हैं। पत्र का मुख्य भाग वर्णनात्मक, सूचनात्मक अथवा निबन्धात्मक भी हो सकता है । पत्र के अन्त में पत्र लिखने वाला अपना नाम देने के पूर्व अपने सम्बन्ध के अनुसार शब्दों का प्रयोग करता है। पत्र के तीन मुख्य औपचारिक अंग होते हैं जो इसके मूल भाग के अतिरिक्त हैं

  1. सम्बोधन
  2. भिवादन तथा
  3. समापन ।

जहाँ तक सम्बोधन का प्रश्न है बड़े लोगों के लिए मान्यवराः, आदरणीयाः, पूज्याः, मान्याः इत्यादि लिखे जाते हैं । मित्रों के लिए प्रिय, प्रियमित्र, बन्धुवर अथवा प्रिय के बाद नाम का प्रयोग भी होता है । छोटों के लिए भी प्रिय, चिरंजीवी, आयुष्मान्, इत्यादि लिखे जाते हैं। औपचारिक पत्र या आवेदन में मान्यवर, महोदय, इत्यादि लिखना समीचीन है। अभिवादन के लिए प्रणामाः, चरणस्पर्शः इत्यादि लिखा जाता है । मित्रों को नमस्ते, नमामि, प्रणमामि इत्यादि लिखना उचित है। पत्र का समापन करते हुए भवदीयः, स्नेहभाजन, आज्ञाकारी, शुभचिन्तकः, कृपाकांक्षी इत्यादि शब्द आवश्यकता के अनुसार आते हैं। उदाहरण-पिता को पत्र ।

पाटलिपुत्रम्
दिनाङ्का………….

पूज्याः पितृचरणाः

सादरं प्रणामाः सन्तु
अहम् अत्र कुशलपूर्वकं पठामि । प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छामि । छात्रावासे निवासस्य भोजनस्य च व्यवस्था उचिता वर्तते । अतः भवान् चिन्तां न करोतु । सर्वे सहवासिनः सहयोगं कुर्वन्ति । सायंकाले उद्याने क्रीडा भवति । तया शरीरस्य व्यायामः जायते । विद्यालये शिक्षकाः सर्वे योग्या सन्ति । छात्रान् पुत्रवत् ते मन्यन्ते । ग्रीष्मावकाशे आगमिष्यामि। .

भवदीय: स्नेहभाजनः
आत्मजः…………….

आवेदन पत्र (प्रधानाचार्य के पास)

सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
मध्य विद्यालय, कृष्णपुरम्
विषयः – अवकाशार्थम् आवेदनम् ।

मान्यवरा.!
सविनयं निवेदयामि यत् मम अग्रजायाः विवाहसमारोह: 26-02-2012.. दिनांके आयोजितः भविष्यति । अतः अहं स्वकक्षायां पञ्चदिवसान् अनुपस्थितः भविष्यामि । मम प्रार्थना वर्तते यत् 23-2-2012 दिनांकात् 27-2-2012 दिनांक यावत् मह्यम् अवकाशप्रदानस्य कृपां कुर्वन्तु भवन्तः । तदर्थम् अहं सर्वदा कृतज्ञः भविष्यामि ।

भवदीयः आज्ञाकारी छात्रा

अनुच्छेदलेखनम्

अनुच्छेद किसी बड़े निबन्ध का एक खण्ड होता है जिसमें एक विषय से सम्बद्ध कई वाक्य रहते हैं । निबन्ध में लेखक विषयान्तर में भी जा सकता है किन्तु अनुच्छेद में यह सम्भव नहीं । विषयवस्तु का अनुशासन यहाँ बहुत प्रभावशाली होता है। इसलिए एक वाक्य भी तारतम्य से रहित नहीं हो सकता । आकार में लघु होने के कारण अनुच्छेद लिखने वाले के बौद्धिक संयम तथा अनुशासन का परिचायक होता है । व्यक्तियों की जीवनी, ऋतुओं का वर्णन, पर्वत-नदी का वर्णन, छात्रजीवन से सम्बद्ध विषय, मानवीय गुण, उत्सव आदि के विषय में प्रायः अनुच्छेद-लेखन की आवश्यकता है। यहाँ कुछ अनुच्छेद दिये जाते हैं।

1. गंगा नदी

गंगा अस्माकं देशस्य श्रेष्ठा पूजनीया च नदी वर्तते । हिमालयपर्वतात् इयं निःसरति । उत्तराखण्डे गंगोत्तरीनामके स्थाने अस्याः उद्गमः वर्तते । तत्र हिमशिलायाः इयं निर्गता । उत्तरप्रदेशे बिहारे बंगप्रदेशे च भूमिं सा सिञ्चति । इयं बहुलाभप्रदा वर्तते ।

2. विद्यालयः

छात्राणां हिताय विद्यालयस्य महत्त्वपूर्ण स्थानम् अस्ति । विद्यालये अनेकाः कक्षाः भवन्ति । तासु शिक्षका: छात्रान् विविधान् विषयान् पाठयन्ति । प्रधानाध्यापक: विद्यालयस्य नियंत्रणं करोति । विद्यालये छात्राणां सदाचारस्य शिक्षणमपि भवति ।

3. छात्रजीवनम्

जीवनस्य प्रथमः चरणः छात्रजीवनम् एव । प्राचीनभारते ब्रह्मचर्याश्रमः भवति स्म । स एव सम्प्रति छात्रजीवने दृश्यते । अस्मिन् जीवने एव शारीरिकः, मानसिकः च परिश्रमः भवति । तस्य जीवनपर्यन्तं फलं जायते । अनुशासनं विद्याध्ययनं च छात्राणां परमं कर्तव्यं भवति ।

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