Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन
BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन
Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन Questions and Answers
कर्तवाक्य से कर्मवाच्य बनाने की विधि
(क) कंर्तृवाच्य के कर्ता को करण कारक बना दिया जाता है। अर्थात् कर्ता को उसकी विभक्ति (यदि लगी है तो) हटाकर ‘से’, ‘द्वारा’ विभक्ति लगा दी जाती है। जैसे-
(ख) कर्म के साथ यदि विभक्ति लगी हो तो उसे हटा दिया जाता है। जैसे –
(ग) बदले हुए क्रिया के रूप के साथ काल, पुरुष, वचन और लिंग के अनुसार ‘जात्रा’ क्रिया का रूप जोड़ना चाहिए। कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया बना दिया जाता है। जैसे-
लिखता है – लिखा जाता है।
धोए – धोए गए।
तोड़ोगे – तोड़े जाएँगे।
कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाने की विधि
(क) कर्ता के आगे ‘से’ अथवा ‘के द्वारा’ लगाया जाता है। जैसे-
(ख) गख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया के एकवचन में बदल कर उसके साः क्रिया के एकवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष का वही काल लगाया जाता है जो क क य की क्रिया का होता है। जैसे-
कर्मचाव्य और भाववाच्य में कर्तृवाच्य बनाने के विधि
कर्मचाव्य और भाववाच्य में कर्तृवाच्य बनाने के लिए ‘से’, ‘द्वारा’; ‘के द्वारा’ आदि की जटा दिया जाता है। जैसे -.
कर्मवाच्य के प्रयोग स्थल
1. जब वाक्य में कर्ता का निश्चित रूप से पता न हो। जैसे
धन पानी की तरह बहाया जा रहा है।
पत्र भेज दिए गए हैं।
2. जब कर्ता कोई समिति, सभा या सरकार आदि हो जैसे
आर्य समाज द्वारा कई अन्तर्जातीय विवाह कराए गए।
सरकार द्वारा अतुल धनराशि जुटाई जाती है।
3. सूचना-विज्ञप्ति आदि में जहाँ कर्ता निश्चित नहीं होता। जैसे
सड़क पर अवरोध खड़ा करने वालों को दंड किया जाएगा।
आपका प्रार्थना-पत्र रद्द कर दिया गया है।
4. असमर्थता बताने के लिए ‘नहीं’ के साथ। जैसे-
अब अधिक दूध नहीं पिया जाता। गरीब का दुख नहीं देखा जाता।
भाववाच्य के प्रयोग स्थल ।
1. असमर्थता या विवशता प्रकट करने के लिए ‘नहीं’ के साथ भाववाच्य का __ प्रयोग होता है। जैसे
मुझसे अब हँसा तक नहीं जाता।
सुरेश से चला तक नहीं जाता।
2. ‘नहीं’ का प्रयोग न होने पर मूल कर्ता जन सामान्य होता है। जैसे. सर्दियों में अन्दर सोया जाता है।
परसर्ग ‘ने’ का क्रिया पर प्रभाव
निम्नलिखित वाक्य का अध्ययन कीजिए-
राम खाना खा चुका है। – राम ने खाना खा लिया है।
(‘खा चुका है’ क्रिया ‘ने’ परसर्ग आने पर ‘खा लिया है’ हो गई)
मैं इस गर्जन से डर गया। – मुझे इस गर्जन ने डरा दिया।
(‘डर गया’ की जगह ‘डरा दिया’ हो गया।)
मुझसे डंडा छूट गया। – मैंने डंडा छोड़ दिया।
(‘छूट गया’ की जगह ‘छोड़ दिया’ हो गया।)
वह हिम्मत नहीं हारा। – उसने हिम्मत नहीं हारी।
(यहाँ ‘हारा’ की जगह ‘हारी’ हो गया।)
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि ‘ने’ परसर्ग लगने से क्रिया के स्वरूप में परिवर्तन होता है। इस विषय में कुछ ध्यान देने योग्य तथ्य इस प्रकार हैं
‘ने’ वाले वाक्यों में यदि कर्म के साथ ‘को’ जुड़ जाए तो क्रिया हमेशा पुल्लिंग एकवचन में होती है। उदाहरणतया-
राम ने रावण को मारा। (पुल्लिंग एकवचन)
अशोक ने जलेबी को खाया। (पुल्लिंग एकवचन)
महेश ने गेंद को फेंका। (पुल्लिंग एकवचन)
अश्विनी ने जामुनों को फेंक दिया। (पुल्लिंग एकवचन)
स्पष्टीकरण-उपर्युक्त वाक्यों में यदि को’ परसर्ग न हो तो वाक्यों का स्वरूप इस प्रकार होगा –
अशोक ने जलेबी खाई। महेश ने गेंद फेंकी।
अश्विनी ने जामुन फेंक दिए।
‘ने’ का प्रयोग सदा क्रिया के पूर्ण पक्ष को दर्शाने के लिए होता है।
उदाहरणतया –
अशोक ने गलती की। मनोहर ने धमकी दी।
बाढ़ ने सारी फसलें तबाह कर दी।
चिंता ने उसे कमजोर बना दिया है।
खुशी ने उसे हृष्ट-पुष्ट कर दिया था।
उत्साह ने सबकी गति बढ़ा दी होगी।
सामान्यतः पूर्ण वर्तमान काल के लिए ‘चुका है’ सहायक क्रिया का प्रयोग होता है। परन्तु ‘ने’ परसर्ग लगने पर ‘चुका है’ की बजाय ‘लिया है’ आदि क्रिया-रूपों का प्रयोग होता है। उदाहरणतया
वह पुरस्कार ले चुका है।
उसने पुरस्कार ले लिया है।