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 bseb class 8th biology notes | तारे और सूर्य का परिवार

bseb class 8th biology notes | तारे और सूर्य का परिवार

तारे और सूर्य का परिवार

अध्ययन सामग्री― प्राकृतिक घटनाएँ जैसे दिन-रात होना, तड़ित का कौंधना, चन्द्रग्रहण,
सूर्यग्रहण, चन्द्रमा की कलाएँ आदि मानव सोचने को विवश कर दिया। प्राचीन काल में मानव
इनके कारणों की खोज में लगा रहा। प्राचीन काल में मान्यता थी कि पृथ्वी चपटी है। काफी
अध्ययन, विश्लेषण के बाद साबित हुआ कि पृथ्वी गोल है।
समय बीतने के साथ पोलैण्ड के पादरी तथा खगोलविद् निकोलस कॉपरनिक्स ने अपने शोध
से निष्कर्ष निकाले कि सूर्य ब्रह्माण्ड के केन्द्र में है और पृथ्वी एवं अन्य ग्रह इसके चारों तरफ
परिक्रमा करते हैं। यह मान्यता सामाजिक मान्यता क विपरीत थी क्योंकि लोगों का मानना था
कि सूर्य, पृथ्वी के चारों तरफ घूम रही है।
सन् 1609 में गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार किया और अध्ययन को आसान बना
दिया। उन्होंने इस अवधारणा को प्रमाणित किया कि पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा
करते हैं। इस तरह वर्तमान अवधारणा एक लम्बी प्रक्रिया का परिणाम है।
पृथ्वी का घूमना―अब प्रश्न उठता है कि यदि पृथ्वी घूमती है तो किस दिशा में, किस
दिशा की ओर । किस रेलगाड़ी में यात्रा करते समय नजदीक के पेड़, मकान ठीक विपरीत दिशा
में जाती हुई प्रतीत होता है। ठीक उसी प्रकार सूर्य भी पूर्व में उदय तथा पश्चिम में अस्त होता
हुआ प्रतीत होता है। इसका मतलब पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की दिशा में घूर्णन करती है।
आकाश―विशाल अंतरिक्ष या आकाश को ब्रह्मांड कहते हैं। उसमें असंख्य तारे, ग्रह और
अन्य आकाशीय पिण्ड हैं सूर्य उन असंख्य तारों में एक तारा है जो पृथ्वी के सबसे नजदीक है
और पृथ्वी पर समस्त जीवों को जीवित रखने में सहायक सिद्ध होता है। सूर्य की तरह अरबों
तारे ब्रह्मांड में विद्यमान है। कई तारे तो सूर्य से भी काफी बड़े तथा विशाल हैं। चन्द्रमा, ग्रह
तारे तथा अन्य सभी पिण्ड खगोलीय पिण्ड कहलाते हैं।
चन्द्रमा―ये ग्रहों की तुलना में छोटे आकार के पिण्ड हैं जो ग्रहों के परितः परिक्रमा करते हैं।
इन्हें उपग्रह (Satellite) या प्राकृतिक उपग्रह या चन्द्रमा (Moon) कहते हैं। चन्द्रमा पृथ्वी का
एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। उसी तरह वृहस्पति के 16 उपग्रह तथा शनि के 20 से अधिक उपग्रह हैं। उपग्रह अपने ग्रह की परिक्रमा करते हुए ग्रह के साथ होते हुए सूर्य की भी परिक्रमा कर लेते हैं।
पूरे माह चन्द्रमा की आकृति में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। जिस रात चन्द्रमा बिल्कुल
गोल दिखाई देता है उस रात को पूर्णिमा की रात कहते हैं। पूर्णिमा की तिथि को चन्द्रमा पूरी
रात चमकता रहता है। पूर्णिमा के बाद चांद की आकृति घटती हुई प्रतीत होती है और चौदहवें।
पन्द्रहवें दिन चन्द्रमा बिल्कुल दिखाई नहीं देता है। जिस रात चन्द्रमा बिल्कुल दिखाई नहीं देता
वह रात “अमावस्या” की रात कहलाती है और फिर प्रत्येक रात उसकी आकृति बढ़ने लगती
है और एक स्थिति आती है जब बिल्कुल गोल दिखाई देने लगता है। अर्थात् पूर्णिमा हो जाती
है। पूरे माह तक दिखाई देने वाले चन्द्रमा के चमकीले भाग की विभिन्न आकृतियों को चन्द्रमा
की कलाएंँ कहते हैं। सूर्य तथा अन्य तारे की तरह चन्द्रमा प्रकाश उत्पन्न नहीं करता है। बल्कि
सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। चन्द्रमा की सतह धूल से भरा हुआ है। इस पर गड्ढे,
खड़े ढाल तथा ऊंचे पर्वत हैं। यहाँ वायुमंडल तथा जल नहीं है।
चन्द्रमा पर सबसे पहले 21 जुलाई, 1969 को नील आर्म स्ट्रांग ने कदम रखा। उसके बाद
एडविन एल्डरिन चन्द्रमा पर कदम रखे।
तारे―मनुष्य की तरह तारे भी अपने जीवन काल के विभिन्न चरणों से गुजरते हैं। जन्म लेने
के बाद जिस तरह आयु बढ़ने पर व्यक्ति के भौतिक लक्षण बदलते हैं। उसी तरह तारों के भौतिक लक्षणों में भी समय के साथ परिवर्तन होता जाता है। उदाहरण के लिए, सबसे अधिक तापमान के तारे (युवावस्था) नीले रंग के तथा सबसे कम तापमान के तारे (वृद्धावस्था) लाल रंग के दीखते हैं। उसी तरह वर्तमान सूर्य (मध्यावस्था) पीले रंग का दिखाई देता है। स्थायी दिखने वाले तारे वास्तव में स्थायी नहीं हैं। उनकी आयु सीमित है। आदि तारा में विशाल मात्रा में ऊर्जा ऊष्मा और प्रकाश के रूप में उत्पन होती है जिससे उसका ताप और अधिक बढ़ जाता है। अब आदि तारा तापदीप्त होकर प्रकाश उत्सर्जित करने लगता है और वह तारा (Star) बन जाता है।
तारों और तारों के बीच अधिक दूरी होने के कारण एक विशेष मात्रक “प्रकाश वर्ष” का
प्रयोग किया जाता है। एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश के द्वारा 1 वर्ष में तय की जाती है।
तारामंडल―कुछ तारे सुंदर आकृति या ढाँचा बनाते हुए व्यवस्थित होते हैं। इस आकृति
को तारामंडल कहते हैं। इस तरह तारामंडल एक छोटा तारा समूह है, जबकि मंदाकिनी तारों का
एक बड़ा समूह है। कुल मिलाकर 88 तारामंडल है। हमारे पूर्वजों ने तारामंडलों का नाम उन
वस्तुओं के नाम पर रखा जिनकी आकृतियों से वे मिलते-जुलते दिखाई पड़ते हैं।
उदाहरण के लिए, एक तारामंडल व्याघ्र (Orion) के नाम से जाना जाता है। इसकी आकृति
शिकार करते हुए व्याध से मिलती-जुलती है। यह तारामंडल जाड़े के ऋतु में दिखाई देता है।
एक अन्य प्रमुख तारामंडल सप्तर्षि या ग्रेट बीयर के नाम से जाना जाता है। यह तारामंडल ग्रीष्म
ऋतु में दिखाई पड़ता है। ग्रीष्म ऋतु में सामान्य रूप से दिखाई पड़ने वाला एक अन्य तारामंडल
वृश्चिक है जिसकी आकृति पूंछ एवं डंक सहित किसी बिच्छू की आकृति से मिलती-जुलती है।
इसके अलावे ओरायन, शर्मिष्ठा सिंह तारामंडल महत्वपूर्ण है।
ध्रुवतारा―सप्तऋषि या शर्मिष्ठा नामक तारा मण्डलों की सहायता से ध्रुवतारा को आसानी
से पहचाना जा सकता है। यदि आकाश में केवल सप्तऋषि दिख रहा हो तो उसके वर्गाकार सिरों
पर स्थित दो तारों से होकर गुजरने वाली रेखा की कल्पना कीजिए। ध्रुव तारा इस सरल रेखा
पर उत्तर दिशा में इन दोनों तारों के बीच की दूरी के लगभग पांच गुनी दूरी पर दिखेगी। अगर सिर्फ शर्मिष्ठा दिख रहा हो तो ध्रुव तारा इसके मध्य से गुजरने वाली काल्पनिक रेखा पर पाया जाता है।
आकाश गंगा―प्राचीन समय में इसकी कल्पना आकश में प्रकाश की एक बहती नदी से
की गई थी। इस प्रकार इसका नाम आकाश गंगा या मिल्की-वे पड़ा। आकाश गंगा करोड़ो
तारों, बादलों तथा गैसों की एक प्रणाली है। इस प्रकार की लाखों आकाश गंगाएँ मिलकर ब्रह्माण्ड, का निर्माण करती हैं। हमारा सौरमंडल इस आकाश गंगा का एक भाग है।
सौर मंडल―सौर मंडल में एक केन्द्रीय सूर्य तथा उसकी परिक्रमा करते अनेक ग्रह, उपग्रह,
क्षुद्रग्रह, धूमकेतु और उल्का शामिल हैं।
सूर्य―सूर्य एक प्रदीप्त तारा है जिसका जन्म आज से 500 करोड़ वर्ष पहले हुआ और
500 करोड़ वर्ष बाद श्वेत वामन के रूप में परिवर्तित होकर मर जाएगा। सूर्य का द्रव्यमान
अभिक्रिया से निरंतर सूर्य में ऊर्जा की उत्पत्ति होती रहती है। जिसके कारण यह प्रकाश तथा
ऊष्मीय ऊर्जा उत्सर्जित करता है। इसके बाहरी भाग का तामान 6000k है।
ग्रह―ग्रह तारे से छोटे पिण्ड है। वे तारे की तरह प्रदीप्त नहीं होते हैं। वे सूर्य के प्रकाश
को परावर्तित करते हैं इसलिए चमकते हुए दिखाई पड़ते हैं। प्रत्येक ग्रह एक निश्चित पथ पर
सूर्य की परिक्रमा करता है। इस पथ को कक्षा कहते हैं। ग्रह द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा पूरी
करने में लगा समय को उस ग्रह का परिक्रमण काल कहते हैं। बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति,
शनि, यूरेनस, नेपच्यून ग्रह है। सूर्य की परिक्रमा करने के साथ-साथ ग्रह लटू की भांति अपने
अक्ष पर घूर्णन करते हैं। किसी ग्रह द्वारा एक घूर्णन पूरा करने में लगने वाले समय को घूर्णन काल कहते हैं। कुछ ग्रहों की परिक्रमा करने वाले खगोलीय पिण्डों को उन ग्रहों का उपग्रह कहते हैं।
बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट ग्रह है। यह सौर परिवार का लघुतम ग्रह भी है। सूर्योदय
से तुरन्त पहले अथवा सूर्यास्त के तुरन्त बाद इस ग्रह को क्षितिज पर देखा जा सकता है। बुध
का कोई उपग्रह नहीं है।
शुक्र ग्रह पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी ग्रह है। यह सबसे अधिक चमकीला होता है। शुक्र
का कोई उपग्रह नहीं होता है। पृथ्वी सौर परिवार का एक मात्र ग्रह है। जिस पर जीवन का
अस्तित्व है। अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने पर नीली हरी प्रतीत होती है। पृथ्वी का केवल एक
ही प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा है। जिस तल में पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। उसे पृथ्वी
कक्षीय तल कहते हैं। ये दोनों तल एक-दूसरे से 23.5° के कोण पर झुके हैं। यानि पृथ्वी का
अक्ष अपने कक्षीय तल से 66.5° के कोण पर झुका है।
मंगल ग्रह पृथ्वी के कक्षा के बाहर का पहला ग्रह है। यह हल्का लाल प्रतीत होने के कारण
इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है। इसके दो छोटे उपग्रह हैं।
वृहस्पति सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह है। 1300 पृथ्वीयाँ इसके अन्दर सभा सकती हैं।
वृहस्पति ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से 318 गुणा है। यह अपने अक्ष पर अत्यधिक तीव्र
गति से घूर्णन करता है। शनि ग्रह को पीला ग्रह भी कहते हैं। यह सभी ग्रहों से कम घनत्व वाला ग्रह है।
यूरेनस तथा नेप्ट्यून सौर परिवार के बाह्यतम ग्रह हैं। यूरेनस का अत्यधिक झुका घूर्णन अक्ष
है। यह कक्षीय गति करते समय अपने पृष्ठ पर लुढ़कता हुआ प्रतीत होता है।
आंतरिक ग्रह―बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल। बाह्य ग्रह-वृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्च्यून ।
सौर परिवार के अन्य सदस्य― ग्रहों के अलावे भी कुछ आकाशीय पिण्ड हैं जो सूर्य की
परिक्रमा कर रहे हैं। ये सौर परिवार के सदस्य माने जाते हैं। मंगल तथा वृहस्पति की कक्षाओं
के बीच काफी अन्तराल है। इस अंतराल सारे छोटे-छोटे पिण्डों ने घेर रखा है। जो
सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इन्हें शुद्र ग्रह कहते हैं।
धूमकेतु सौर परिवार के सदस्य हैं। प्रायः धूमकेतु चमकीले सिर तथा लम्बी पूंछ वाले होते हैं।
इसकी पूंँछ का सूर्य के समीप आने से बढ़ता चला जाता है। पूँछ हमेशा ही सूर्य से परे होती है।
बादल रहित अंधेरी रातों में आकाश में प्रकाश की कुछ धारियाँ देखी जाती हैं या प्रकाश पूंज
पृथ्वी की ओर आता दिखता है। इसे शूटिंग स्यर या टूटता तारा कहते हैं। जबकि यह तारा नहीं
है। इन्हें उल्का कहते हैं । उल्का सामान्यत: छोटे पिण्ड होते हैं। अति तीव्र गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के कारण घर्षण से तप्त होकर जलने लगते हैं और वाष्पित हो जाते हैं।
कृत्रिम उपग्रह ― अपनी आवश्यकताओं तथा पृथ्वी पर हो रही घटनाओं की जानकारी हेतु
कुछ मानव निर्मित उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया है जो कृत्रिम उपग्रह कहलाता है। आर्यभट्ट भारत का प्रथम उपग्रह है। कुछ अन्य भारतीय उपग्रह-INSAT, I.R.S., कल्पना, EDU-SAT आदि हैं। कृत्रिम उपग्रह के माध्यम से मौसम की जानकारी, रेडियो तथा टेलीविजन संकेतों के प्रेषण, दूर संचार तथा दूर-संवेदन के लिए किया जाता है।
                                           अभ्यास
1. रिक्त स्थानों को भरें-
(क) शूटिंग स्टार वास्तव में……….. नहीं है।
(ख) तारों के ऐसे समूहों को जो कोई पैटर्न बनाता है……….. कहते हैं।
(ग) सूर्य से सबसे अधिक दूरी वाला ग्रह…………. है।
(घ) वर्ण में हल्का लाल प्रतीत होने वाला ग्रह …….. है।
(च) क्षुद्र ग्रह तथा ………तथा………… की कक्षाओं के बीच पाए जाते हैं।
उत्तर-(क) तारा, (ख) तारामण्डल, (ग) यूरेनस, (घ) मंगल, (च) मंगल, वृहस्पति ।
2. स्तम्भ A के शब्दों का स्तम्भ-B के एक या अधिक पिंड या पिंडों के समूह से उपयुक्त
मिलान कीजिए-
स्तम्भ-A                       स्तम्भ-B
(a) बाह्य ग्रह                (a) धूव तारा
(b) आन्तरिक ग्रह         (b) सप्तर्षि
(c) पृथ्वी के उपग्रह        (c) शनि
(d) तारा मण्डल             (d) मंगल
(e) ओरायन                   (f) चन्द्रमा
(g) पृथ्वी
उत्तर-(a) (c), (b) (d), (C) (f), (d) (b), (e) (f), (g)।
3. सौर परिवार के सबसे बड़े तथा सबसे छोटे ग्रह का नाम लिखिए।
उत्तर-सौर परिवार के सबसे बड़े ग्रह वृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह बुध है।
4. क्या आकाश में सारे तारे गति करते हैं ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-नहीं, आकाश में सारे तारे गति नहीं करते हैं। क्योंकि आकाश में रात में लगभग
दो घंटे तक प्रेक्षण करने से पता चलता है कि कुछ तारे का स्थान तथा दिशा लगभग एक ही
होता है तो कुछ तारे पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते प्रतीत होते हैं। कोई तारा जो सूर्यास्त
होते ही पूर्व में उदय होता है। सामान्यतः सूर्योदय से पहले ही पश्चिम में अस्त हो जाता है।
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि कुछ तारे का स्थान आकाश में निश्चित होता है यानि वे गति
नहीं करते हैं तो कुछ तारे पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं।
5. तारों के बीच की दूरियों के प्रकाश वर्ष में व्यक्त किया जाता है। कोई तारा पृथ्वी
से 8 प्रकाश वर्ष दूर है। इस कथन का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-तारों के बीच की दूरियाँ इतनी अधिक होती हैं कि इसे पढ़ना या लिखना या बोलना
आसान नहीं होता है। सूर्य पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। कुछ तारे इससे भी अधिक दूर है। अत: अपनी सुविधा के लिए दूरी मापन के लिए एक बड़े पैमाना का प्रयोग किया गया जो प्रकाश वर्ष कहलाया। एक प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की गई दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। जबकि प्रकाश की चाल 300,000 किमी/सेकेण्ड है। कोई तारा पृथ्वी से 8 प्रकाश वर्ष दूर है। इसका मतलब प्रकाश एक वर्ष में जितनी दूरी तय करती है उसके 8 गुना के बराबर दूरी है।
6. ग्रहों के परिक्रमा का आरेख खींचिए जिसमें सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते ग्रहों को
दर्शाया गया हो।
उत्तर-
                                               ◆◆◆
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