NCERT  कक्षा 6 हिंदी वसंत अध्याय 17 साँस-साँस में बाँस

पाठ का परिचय

बाँस का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। जिस क्षेत्र में बाँस उत्पन्न होता है वहाँ के लोगों के लिए तो बाँस जीवन यापन का एक साधन होता है। बाँस से कितनी ही उपयोगी वस्तुएँ बनाई जाती हैं। बाँस भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्पन्न होता है भारत के उत्तर- पूर्व के राज्यों में बाँस बहुत होता है। वहाँ बाँस की अनेक चीजें बनाने का चलन है। हर समुदाय के लिए बाँस रोजी-रोटी का साधन हैं। नागालैंड के निवासी तो बाँस के विभिन्न प्रयोग करने में बहुत चतुर हैं। जब से इंसान कलात्मक चीजें बना रहा है तभी से ही बाँस की भी चीजें बन रही हैं, जरूरत के अनुसार इसमें बदलाव आते रहे हैं। बाँस का सफर चाहे तो बया के घोंसले को देखकर हुआ हो या चंग की चंगलनवा की कब्र से परन्तु वहाँ के लोग बाँस की चीजें बनाने में बड़े माहिर हैं।



प्रश्न 1.
भारत के किन राज्यों में बाँस सबसे अधिक होता है ?
उत्तर:
भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों में बाँस सबसे अधिक पैदा होता है। नागालैंड के लोग तो बाँस से विभिन्न वस्तुएँ बनाने में उस्ताद हैं।

प्रश्न 2.
जादूगर चंग की चंगलनवा की कब्र के साथ क्या किस्सा जुड़ा है।
उत्तर:
एक जादूगर थे चंग की चंगलनवा। अपने जीवन में उन्होंने कई बड़े-बड़े करतब दिखलाए। जब मरने को हुए तो लोगों से बोले, “मुझे दफनाए जाने के छठे दिन मेरी कब्र खोदकर देखोगे तो कुछ नया-सा पाओगे।”

कहा जाता है कहे मुताबिक मौत के छठे दिन उनकी कब्र खोदी गई और उसमें से निकले बाँस की टोकरियों के कई सारे डिज़ाइन। लोगों ने उन्हें देखा, पहले उनकी नकल की और फिर नई डिजायनें भी बनाईं।

प्रश्न 3.
बाँस से क्या-क्या चीज़ों का निर्माण होता है ?
उत्तर:
बाँस के द्वारा डलियानुमा टोकरियाँ, चटाइयाँ, टोपियाँ, बरतन, बैलगाड़ियाँ, फर्नीचर, सजावटी सामान, जाल, मकान, पुल और भी न जाने कितनी चीजें बनाई जाती हैं।

प्रश्न 4.
बाँस की वस्तुएँ बनाने के लिए लोग जंगल से किस प्रकार के बाँस इकट्ठा करते हैं ?
उत्तर:
बाँस की वस्तुएँ बनाने के लिए लोग एक साल से तीन साल तक के बाँस को काटते हैं। इस अवधि का बाँस थोड़ा नरम होता है। अधिक उम्र के बाँस सख्त होते हैं और जल्दी टूट जाते हैं। जुलाई से अक्टूबर के बीच घमासान बारिश के समय लोग बाँस इकट्ठा करते हैं। यह समय खाली होता है।

प्रश्न 5.
बाँस की खपच्चियाँ कैसी होती हैं व किस प्रकार तैयार की जाती हैं ?
उत्तर:
बाँस की खपच्चियाँ आधा इंच तक चौड़ी होती हैं। इससे अधिक चौड़ी खपच्चियाँ किसी काम की नहीं होतीं। खपच्चियों को चीरकर उन्हें चिकना किया जाता है तभी उनसे टोकरी बनाई जाती है।

प्रश्न 6.
खपच्चियों को किस प्रकार से रंगा जाता है ?
उत्तर:
खपच्चियों की रंगाई गुड़हल के फूलों व इमली की पत्तियों आदि के रस से रंगी जाती हैं। काले रंग के लिए खपच्चियों को आम की छाल में लपेटकर मिट्टी में दबाकर रखा जाता है।

प्रश्न 7.
बाँस की खपच्चियों से बुनाई किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर:
बाँस की बुनाई वैसे ही होती है जैसे कोई और बुनाई। पहले खपच्चियों को आड़ा-तिरछा रखा जाता है। फिर बाने को बारी-बारी से ताने के ऊपर-नीचे किया जाता है। इससे चेक का डिज़ाइन बनता है। पलंग की निवाड़ की बुनाई की तरह। टोकरी के सिरे पर खपच्चियों को या तो चोटी की तरह गूंथ लिया जाता है या फिर कटे सिरों को नीचे की ओर मोड़कर फँसा दिया जाता है।

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