NCERT Class 10 Science Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
पाठगत-प्रश्न:
पेज – 250 :
प्रश्न 1. चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर:
चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित इसलिए हो जाती है क्योंकि दिक्सूचक की सुई की नोक चुम्बक के ध्रुव की भांति कार्य करता है | जब सुई को दंड चुंबक के पास लाया जाता है जो ये सुई को आकर्षित अथवा प्रतिकर्षित करता है जिससे विक्षेपित होता है |
पेज – 255 :
प्रश्न 1. किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
प्रश्न 2. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं –
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में समाहित हो जाती है |
- चुम्बक के अंदर, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा इसके दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होता है |
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ बंद वक्र होती हैं |
- जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए घनी होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र मजबूत होता है |
- दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कभी एक दुसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं |
प्रश्न 3. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक – दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती है क्योंकि प्रतिच्छेद बिन्दु पर दिक् सूची रखने पर दो दिशाओं की ओर संकेत करेगा जो संभव नहीं हैं ।
पेज – 256 – 257 :
प्रश्न 1. मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दी गई आकृति एक वृताकार पाश का है जिसकी चुंबकीय क्षेत्र को दर्शाया गया है | दक्षिण अंगुष्ठ नियम लागु करने पर हम पाते हैं कि चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ पाश के अंदर मेज के तल की लंबवत बाहर की ओर निर्देशित होती है जबकि पाश के बहार यह अंदर की ओर निर्देशित होती है |
प्रश्न 2. किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर:
जब किसी क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान हो तो रेखायें एक-दुसरे के समान्तर, समान दुरी पर और समान लंबाई की होती हैं |
प्रश्न 3. सही विकल्प चुनिएः
किसी विद्युत धरावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र-
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर:
(d) सभी बिन्दुओं पर सामान रहता है |
पेज – 259 :
प्रश्न 1. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुबंकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान,
(b) चाल,
(c) वेग
(d) संवेग
उत्तर:
(c) वेग और (d) संवेग
प्रश्न 2. क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए, और
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर:
(i) यदि छड AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए तो छड के विस्थापन में भी वृद्धि होती है |
(ii) यदि अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए तो छड AB का विस्थापन भी बढेगा |
(iii) यदि छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए तो इस पर लगने वाला बल भी बढेगा क्योंकि विस्थापन बढ़ता है |
प्रश्न 3. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फ़ा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी
उत्तर:
(d) उपरिमुखी
पेज – 261 :
प्रश्न 1. फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
उत्तर:
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम :
इस नियम के अनुसार, अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत हों |यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्रा की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा। इसी नियम को फ्लेमिंग का वामहस्त नियम कहते है |
प्रश्न 2. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर:
विद्युत मोटर का सिद्धांत :
विद्युत मोटर का कार्य करने का सिद्धांत विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव पर आधारित है | चुंबकीय क्षेत्र में लौह-क्रोड़ पर लिपटी कुंडली से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह एक बल का अनुभव करती है | जिससे मोटर का आर्मेचर चुंबकीय क्षेत्र में घूमने लगता है | कुंडली के घूमने की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार होता है | यही विद्युत मोटर का सिद्धांत हैं |
प्रश्न 3. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्-परिवर्तक का कार्य करता है | दिक्-परिवर्तक एक युक्ति है जो परिपथ में विद्युत-धारा के प्रभाव को उत्क्रमित कर देता है |
पेज – 264 :
प्रश्न 1. किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए |
उत्तर:
- कुन्डली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गति कराकर ।
- कुन्डली के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन कराकर ।
पेज – 265 – 266 :
प्रश्न 1. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए |
उत्तर:
विद्युत जनित्र का सिद्धांत विद्युत चुंबकीय प्रेरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन ) पर आधारित है | जब एक आयताकार कुंडली को एक सामान चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो यह कुंडली के सिरों पर प्रेरित विद्युत उत्पन्न करता है | यही विद्युत जनित्र का सिद्धांत है |
प्रश्न 2. दिष्ट धारा के कुछ स्रोत के नाम लिखिए |
उत्तर:
सेल, बैट्री और D.C जनित्र या डायनेमो आदि दिष्ट धारा के स्रोत हैं |
प्रश्न 3. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों का नाम लिखिए |
उत्तर:
A.C जनित्र और इनवर्टर आदि जो प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं |
प्रश्न 4. सही विकल्प का चयन कीजिए –
ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है?
(a) दो
(b) एक
(c) आधा
(d) चौथाई
उत्तर:
(c) आधा
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प्रश्न 1. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम हैं –
- फ्यूज का उपयोग |
- भूमि संपर्क तार का उपयोग |
प्रश्न 2. 2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220 V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 । है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विद्युत तंदूर की शक्ति (P) = 2 kW = 2000 W
अत: विद्युत तंदूर द्वारा ली गई धारा (I) = P/V
= 2000/220 = 9 A (लगभग)
जबकि विद्युत परिपथ का विद्युत धारा अनुमतांक 5 A है और तंदूर 9 A की दर से धारा लेता है, इसलिए यह परिपथ अतिउष्मता अथवा अतिभारण के कारण टूट जायेगा |
प्रश्न 3. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर: घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए |
- एक अकेले शोकेट से एक से अधिक उपकरण नहीं जोड़ने चाहिए |
- हमेशा परिपथ में विद्युत उपकरण पार्श्व क्रम में ही संयोजित करने चाहिए |
- परिपथ में उपयुक्त फ्यूज का उपयोग करना चाहिए |
- अतिभारण से बचाने के लिए एक ही समय में अधिक विद्युत उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहिए |
अभ्यास
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धरावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उदभव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर:
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
प्रश्न 2. वैद्युतचुंबकीय प्रेरण की परिघटना-
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर:
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
प्रश्न 3. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैंμ
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर
उत्तर:
(a) जनित्र
प्रश्न 4. किसी ac जनित्रा तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि-
(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि कब जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर:
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि कब जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
प्रश्न 5. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान-
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए-
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकर विद्युत धरावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर:
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है। (गलत)
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। (सही)
(c) किसी लंबी वृत्ताकर विद्युत धरावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है। (सही)
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है। (गलत)
प्रश्न 7. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर:
(i) धारावाही चालक
(ii) विद्युत चुम्बक
(iii) स्थायी चुम्बक
प्रश्न 8. एक परिनालिका चुंबक की तरह कैसे व्यवहार करती है? क्या आप एक छड़ चुंबक की सहायता से धारावाही परिनालिका के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों का निर्धारण कर सकते हैं? समझाइए।
उत्तर:
एक परिनालिका निम्नलिखित प्रकार से चुंबक की तरह व्यवहार करती है।
- धारावाही परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र, छड़ चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के समान ही होता है।
- एक छड़ चुंबक की तरह, सोलेनोइड के एक सिरे पर N-ध्रुवता होती है जबकि दूसरे सिरे पर S-ध्रुवता होती है।
उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों का निर्धारण करने के लिए, हम छड़ चुंबक के N-ध्रुव को परिनालिका के एक सिरे के पास लाते हैं। यदि आकर्षण है, तो परिनालिका के उस सिरे की ध्रुवता दक्षिणी और दूसरे सिरे की ध्रुवता उत्तरी होगी। यदि प्रतिकर्षण है, तो परिनालिका के उस सिरे की ध्रुवता उत्तरी और दूसरे सिरे की ध्रुवता दक्षिणी होगी, क्योंकि समान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
प्रश्न 9. चुंबकीय क्षेत्र में रखे गए धारावाही चालक द्वारा अनुभव किया जाने वाला बल सबसे अधिक कब होता है?
उत्तर:
जब चालक चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत दिशा में धारा प्रवाहित करता है, तो चालक द्वारा अनुभव किया जाने वाला बल सबसे अधिक होता है।
प्रश्न 10. कल्पना कीजिए कि आप एक कमरे में दीवार से पीठ लगाकर बैठे हैं। पिछली दीवार से सामने की दीवार की ओर क्षैतिज गतिमान एक इलेक्ट्रॉन किरण पुंज एक प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाती है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
यहाँ इलेक्ट्रॉन पुंज हमारी पिछली दीवार से सामने की दीवार की ओर गतिमान है, इसलिए धारा की दिशा विपरीत दिशा में होगी, सामने की दीवार से पीछे की दीवार की ओर या हमारी ओर। विक्षेपण (या बल) की दिशा हमारी दाईं ओर है।
अब हम दो बातें जानते हैं:
- धारा की दिशा सामने से हमारी ओर है, और
- बल की दिशा हमारे दाहिनी ओर है।
आइए अब अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अंगूठे को एक-दूसरे से समकोण पर पकड़ें। अब हम हाथ को इस तरह समायोजित करते हैं कि हमारी मध्यमा हमारी ओर (धारा की दिशा में) और अंगूठा दाईं ओर (बल की दिशा में) इंगित करे। अब, यदि हम अपनी तर्जनी को देखें, तो वह लंबवत नीचे की ओर इंगित करेगी। चूँकि तर्जनी की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दर्शाती है, इसलिए चुंबकीय क्षेत्र लंबवत नीचे की ओर होता है।
प्रश्न 11. विद्युत मोटर का नामांकित चित्र बनाइए। इसके सिद्धांत और कार्यविधि की व्याख्या कीजिए। विद्युत मोटर में स्प्लिट रिंग का क्या कार्य है?
उत्तर:
विद्युत मोटर: विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए प्रयुक्त उपकरण को विद्युत मोटर कहते हैं। इसका उपयोग पंखों, मशीनों आदि में किया जाता है।
सिद्धांत: कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव के लिए एनसीईआरटी समाधान: विद्युत मोटर चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही चालक द्वारा अनुभव किए गए बल के सिद्धांत पर कार्य करती है। विपरीत दिशाओं में लगने वाले दोनों बल समान और विपरीत होते हैं। चूँकि वे भिन्न रेखाओं में कार्य करते हैं, इसलिए वे घूर्णी गति लाते हैं।
विद्युत मोटर का कार्य:
जब धारा प्रवाहित होना शुरू होती है, तो कुंडली ABCD क्षैतिज स्थिति में होती है। आर्मेचर कुंडली में धारा की दिशा भुजा AB में A से B की ओर और भुजा CD में C से D की ओर होती है। कुंडली पर लगाए गए बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम के माध्यम से ज्ञात की जा सकती है।
इस नियम के अनुसार, यह पाया गया है कि भाग AB पर लगाया गया बल कुंडली को नीचे की ओर धकेलता है। जबकि भाग CD पर लगाया गया बल इसे ऊपर की ओर धकेलता है। इस तरह, ये दोनों बल बराबर और विपरीत होने के कारण एक युगल बनाते हैं जो कुंडली को वामावर्त दिशा में घुमाता है।
जब कुंडली ऊर्ध्वाधर स्थिति में होती है, तो ब्रुश X और Y कम्यूटेटर के केंद्र को स्पर्श करते हैं और कुंडली में धारा रुक जाती है। हालांकि धारा रुक जाती है
आधे घूर्णन के बाद, कम्यूटेटर की ध्रुवता भी बदल जाती है, क्योंकि अब Q, ब्रुश X से और P, ब्रुश Y से संपर्क बनाता है। इसलिए, अब भुजा AB पर नीचे की ओर और भुजा CD पर ऊपर की ओर बल लगता है और इस प्रकार पुनः बलों का एक युग्म बनता है जो कुंडली को दक्षिणावर्त दिशा में घुमाता है। यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है और कुंडली तब तक घूमती रहती है जब तक कि उसमें धारा प्रवाहित न हो जाए।
स्प्लिट रिंग का कार्य: मोटर में स्प्लिट रिंग एक कम्यूटेटर की तरह काम करता है, अर्थात यह परिपथ में धारा के प्रवाह को उलट देता है जिससे भुजाओं पर लगने वाले बलों की दिशा भी उलट जाती है।
प्रश्न 12. कुछ ऐसे उपकरणों के नाम बताइए जिनमें विद्युत मोटर का उपयोग होता है।
उत्तर:
विद्युत मोटर का उपयोग बिजली के पंखे, वाशिंग मशीन, मिक्सर, ग्राइंडर, ब्लेंडर, कंप्यूटर, एमपी3 प्लेयर आदि उपकरणों में किया जाता है।
उत्तर:
(i) जैसे ही एक छड़ चुंबक को कुंडली के अंदर धकेला जाता है, गैल्वेनोमीटर में एक क्षणिक विक्षेपण देखा जाता है जो कुंडली में एक क्षणिक धारा के उत्पादन को दर्शाता है।
(ii) जब छड़ चुंबक को कुंडली से निकाल लिया जाता है, तो गैल्वेनोमीटर का विक्षेपण विपरीत दिशा में होता है जो विपरीत धारा के उत्पादन को दर्शाता है।
(iii) जब छड़ चुंबक को कुंडली के अंदर स्थिर रखा जाता है, तो गैल्वेनोमीटर में कोई विक्षेपण नहीं होता है जो दर्शाता है कि कुंडली में कोई धारा उत्पन्न नहीं होती है।
प्रश्न 14. दो वृत्ताकार कुण्डलियाँ A और B एक-दूसरे के पास रखी हैं। यदि कुण्डली A में धारा परिवर्तित की जाए, तो क्या कुण्डली B में कुछ धारा प्रेरित होगी? कारण बताइए।
उत्तर:
हाँ, कुण्डली B में कुछ धारा प्रेरित होगी। जब कुण्डली A में धारा परिवर्तित की जाती है, तो कुण्डली B में कुछ धारा प्रेरित होती है। कुण्डली A में धारा परिवर्तन के कारण, कुण्डली A और कुण्डली B से जुड़ी चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ बदल जाती हैं। इससे कुण्डली B में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 15. (i) धारा ले जाने वाले सीधे कंडक्टर के चारों ओर उत्पादित चुंबकीय क्षेत्र (ii) चुंबकीय क्षेत्र में रखे गए धारा ले जाने वाले सीधे कंडक्टर द्वारा अनुभव किए गए बल की दिशा निर्धारित करने के नियम को बताएं, जो इसके लंबवत है, और (iii) चुंबकीय क्षेत्र में घूमने के कारण कुंडली में प्रेरित धारा।
उत्तर:
(i) दाहिने हाथ के अंगूठे का नियम: यदि धारा ले जाने वाले कंडक्टर को दाहिने हाथ में इस तरह रखा जाता है कि अंगूठा धारा की दिशा में इंगित करता है, तो उंगलियों के कर्ल की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा देगी।
(ii) फ्लेमिंग का बाएं हाथ का नियम: एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव बाएं हाथ की तर्जनी, मध्य उंगली और अंगूठे को एक दूसरे के लंबवत फैलाएं। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में, मध्य उंगली धारा की दिशा में इंगित करती है, तो अंगूठा कंडक्टर में बल की दिशा में इंगित करता है।
(iii) फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम: दाहिने हाथ के अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा को परस्पर लंबवत फैलाएँ। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में, अंगूठा चालक की गति की दिशा में, तो मध्यमा चालक में प्रेरित धारा की दिशा में इंगित करेगी।
प्रश्न 16. एक नामांकित आरेख बनाकर विद्युत जनित्र के अंतर्निहित सिद्धांत और कार्यप्रणाली को समझाइए। ब्रुशों का कार्य क्या है?
उत्तर:
सिद्धांत: विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है। जब किसी कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र के सापेक्ष घुमाया जाता है, तो कुंडली से होकर गुजरने वाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या बदल जाती है। इसके कारण कुंडली में एक धारा प्रेरित होती है जिसकी दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम द्वारा ज्ञात की जा सकती है।
कार्यविधि: जब आर्मेचर कुंडली ABCD स्थायी चुम्बकों द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती है, तो यह चुम्बकीय बल रेखाओं को काटती है।
आर्मेचर कुंडली के घूमने के कारण, संबंधित चुम्बकीय क्षेत्र बदल जाता है और इसमें एक प्रेरित विद्युत चुम्बकीय बल उत्पन्न होता है। इस प्रेरित विद्युत चालक बल या धारा की दिशा फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम का उपयोग करके निर्धारित की जा सकती है।
पहले अर्ध चक्र में धारा ब्रुश B 1 द्वारा एक दिशा में प्रवाहित होती है और दूसरे में यह ब्रुश B 2 द्वारा विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है । यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। अतः उत्पन्न धारा प्रत्यावर्ती प्रकृति की होती है।
ब्रुशों के कार्य: वलयों के संपर्क में रहने वाले ब्रुश बाह्य उपयोग के लिए धारा प्रदान करते हैं।
प्रश्न 17. विद्युत लघु परिपथ कब होता है?
उत्तर:
घरेलू परिपथ में, लघु परिपथ तब होता है जब विद्युन्मय और उदासीन तार बिना किसी प्रतिरोध के एक-दूसरे के सीधे संपर्क में आते हैं। परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है और उसमें अत्यधिक धारा प्रवाहित होने लगती है।
प्रश्न 18. भू-संपर्कन तार का क्या कार्य है? धातु के उपकरणों को भू-संपर्कन करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भू-संपर्कन तार एक सुरक्षा उपाय है जो धारा को कम प्रतिरोध वाला संवाहक पथ प्रदान करता है। कभी-कभी अत्यधिक गर्मी या टूट-फूट के कारण, विद्युत-संपर्कन तार उपकरणों के धातु आवरण के सीधे संपर्क में आ जाता है, जिससे उन्हें छूने पर बिजली का झटका लग सकता है। झटके से बचाने के लिए, धातु के भाग को तीन-पिन वाले प्लग के माध्यम से भू-संपर्कन से जोड़ा जाता है, जिससे शॉर्ट सर्किट होते ही धारा भू-संपर्कन की ओर प्रवाहित हो जाती है।
धातु के उपकरणों को अर्थ करना ज़रूरी है क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि धातु के आवरण में कोई विद्युत धारा का रिसाव हो, तो उपकरण का विभव पृथ्वी के विभव के बराबर हो जाता है। पृथ्वी का विभव शून्य होता है। परिणामस्वरूप, उपकरण को संभालने वाले व्यक्ति को बिजली का झटका नहीं लगेगा।