NCERT Class 7 Sanskrit Chapter 7 सदाचारः
NCERT Class 7 Sanskrit Chapter 7 Questions and Answers सदाचारः
Summary
- जिस देश में जो व्यवहार (आचरण) परम्परा क्रम से आया हो, सभी वर्गों का और वर्गों के मध्य आए समस्त उपवर्गों का वही सदाचार कहलाता है।
- प्रात:काल शय्या (बिस्तर) त्याग देनी चाहिए और सबसे पहले ईश्वर को स्मरण करना चाहिए और नित्य कर्म करके उसके बाद अध्ययन करना चाहिए।
- सत्य बोलना चाहिए, मधुर बोलना चाहिए, अप्रिय (बुरा लगने वाला) सत्य नहीं बोलना चाहिए और प्रिय लगने वाला असत्य भी नहीं बोलना चाहिए, यही सनातन धर्म है।
- व्यवहार में हमेशा उदारता, सत्यता, सरलता और कोमलता (मधुरता) होनी चाहिए। कुटिलता कभी भी नहीं होनी चाहिए।
- श्रेष्ठ व्यक्तियों की, गुरु की, माता की और पिता की सदा निरन्तर मन, कर्म और वचन से सेवा करनी चाहिए।
- मित्र से झगड़ा करके मनुष्य कभी भी सुखी नहीं रहता। यह जानकर प्रयल करके उसे छोड़ देना चाहिए।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
सर्वान् श्लोकान् सस्वरं गायत।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथानानां समक्षं ‘न’ इति लिखत
(क) प्रातः काले ईश्वरं स्मरेत्।
(ख) अनृतं ब्रूयात्।
(ग) मनसा श्रेष्ठजन सेवेत।
(घ) मित्रेण कलहं कृत्वा जनः सुखी भवति।
(ङ) प्रातःकाले शय्यां न त्यजेत्।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) आम्
(घ) न
(ङ) न।
प्रश्न 3.
एकपदेन उत्तरत
(क) कदा शय्यां त्यजेत्?
(ख) कानि कृत्वा अध्ययनं कुर्यात्?
(ग) किं ब्रूयात्?
(घ) केन सह कलहं कृत्वा नरः सुखी न भवेत्?
उत्तर:
(क) प्रात:काले
(ख) नित्यकर्माणि
(ग) सत्यं प्रियं च
(घ) मित्रेण सह।
प्रश्न 4.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) प्रथमम् ईश्वरं स्मरेत्।
(ख) कलहं कृत्वा नरः दुःखी भवति।
(ग) पितरं कर्मणा सेवेत।
(घ) व्यवहारे मृदुता श्रेयसी।
(ङ) सर्वदा व्यवहारे ऋजुता विधेया।
उत्तर:
(क) प्रथमम् कम् स्मरेत्?
(ख) किम् कृत्वा नरः दुःखी भवति?
(ग) कम् कर्मणा सेवेत?
(घ) व्यवहारे का श्रेयसी?
(ङ) कदा व्यवहारे ऋजुता विधेया?
प्रश्न 5.
प्रश्नमध्ये त्रीणि क्रियापदानि सन्ति। तानि प्रयुज्य सार्थक-वाक्यानि रचयत –
(क) ……………………………..
(ख) ……………………………..
(ग) ……………………………..
(घ) ……………………………..
(ङ) ……………………………..
(च) ……………………………..
(छ) ……………………………..
(ज) ……………………………..
उत्तर:
(क) सत्यं प्रियं च ब्रूयात्।
(ख) वाचा गुरुं सेवेत।
(ग) सत्यम् अप्रियं च न ब्रूयात्।
(घ) व्यवहारे कदाचन कौटिल्यं न स्यात्।
(ङ) श्रेष्ठजनं कर्मणा सेवेत।
(च) व्यवहारे सर्वदा औदार्यं स्यात्।
(छ) अनृतं प्रियं च न ब्रूयात्।
(ज) मनसा मातरं पितरं च सेवेत।
प्रश्न 6.
मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत तथा न कदाचन सदाच अपि
(क) भक्तः
(ख) असत्यं ………………………………. वक्तव्यम।
(ग) प्रियं ………………………………. सत्यं वदेत्।
(घ) लता मेधा ………………………………. विद्यालयं गच्छतः।।
(ङ) ………………………………. कुशली भवान्?
(च) महात्मागांधी ………………………………. अहिंसां न अत्यजत्।
उत्तर:
(क) सदा
(ख) न
(ग) तथा
(घ) च
(ङ) अपि
(च) कदाचन
प्रश्न 7.
चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषातः पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत-
लिखति कक्षायाम् श्यामपट्टे लिखन्ति स: पुस्तिकायाम् शिक्षकः छात्राः उत्तराणि प्रश्नम् ते
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उत्तर:
कक्षायाम् शिक्षकः श्यामपट्टे प्रश्नं लिखति।
छात्रा: उत्तरपुस्तिकायाम् उत्तराणि लिखन्ति।
ते पुस्तिकायाम् पश्यन्ति पठन्ति च।
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न-निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् शुद्धम् उत्तरं चित्वा लिखत
प्रश्न 1.
‘अनृतम्’ पदस्य समानार्थकपदम् किम् अस्ति?
(क) असत्यम्
(ख) सत्यम्
(ग) प्रियम्
(घ) विशेषम्।
उत्तर:
(क) असत्यम्
प्रश्न 2.
‘ऋजुता’ पदस्य विपरीतार्थकं पदं किम् अस्ति?
(क) मृदुता
(ख) कुटिलता
(ग) सत्यता
(घ) सरलता।
उत्तर:
(ख) कुटिलता
प्रश्न 3.
‘ईश्वरम्’ पदे का विभक्तिः?
(क) प्रथमा
(ख) द्वितीया
(ग) तृतीया
(घ) चतुर्थी।
उत्तर:
(ख) द्वितीया
प्रश्न 4.
‘पितरम्’ पदे कः मूलशब्दः?
(क) पिता
(ख) पितर
(ग) पितृ
(घ) पित।
उत्तर:
(ग) पितृ
प्रश्न 5.
‘कुर्यात्’ पदे कः लकारः?
(क) लट्
(ख) लृट्
(ग) लङ्
(घ) विधिलिङ्।
उत्तर:
(घ) विधिलिङ्।