अजन्ता के प्रसिद्ध चित्र – AJANTA FAMOUS PICTURES WITH DETAILS

अजन्ता के प्रसिद्ध चित्र – AJANTA FAMOUS PICTURES WITH DETAILS
अजंता के प्रसिद्ध चित्र
मार-विजय
पहली गुफा की एक समूची भित्ति पर बारह फिट ऊँचा और आठ फिट लम्बा मार-विजय का चित्रांकन है. इस दृश्य में तपस्या में लीन सिद्धार्थ को मार (कामदेव के समान तपस्या भंग करने वाला बौद्ध देवता) की सेना तथा उसकी रूपवती कन्याएँ क्षुब्ध एवं लुब्ध करते हुए अंकित की गई हैं.
पद्मपाणि अवलोकितेश्वर
अपने दाएँ हाथ में नीलकमल धारण किये किंचित त्रिभंग मुद्रा में खड़े और विश्व-करुणा से ओत-प्रोत तात्विक विचारों में लीं बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का भावपूर्ण सफल अंकन अजन्ता में किया गया है. यह चित्र भी पहली गुफा में है. अवलोकितेश्वर के पार्श्व में सुविख्यात श्यामल राजकुमारी (ब्लैक प्रिंसेस) का चित्रांकन है.
मधुपायी दम्पत्ति
पहली गुफा में ही मधुपान करते हुए एक प्रेमी युगल का चित्रांकन पाया गया है. इस चित्र के नायक के हाथ में मधुपात्र है जिसे वह अपनी प्रेयसी को दे रहा है. प्रेयसी को उसने अपने अंक में समेटा हुआ है.
महाभिनिष्क्रमण
16वीं गुफा में बोधिसत्व सिद्धार्थ द्वारा गृह-त्याग किये जाए जाने का दृश्यांकन है. यशोधरा के संग राहुल सो रहा है, पास ही परिचारिकाएँ भी निद्रालीन हैं. अपनी सोई हुई पत्नी पर अंतिम दृष्टि डालते हुए बोधिसत्व का अंकन है. यह उनकी ममता की नहीं, मोह-त्याग की छवि है.
मरणासन्न राजकुमारी
उसी गुफा में अपने प्रेमी प्रति के विरह में मरणासन्न राजकुमारी का चित्रण है. उसके उपचार के सभी उपाय व्यर्थ हो गये हैं. इस दृश्य में राजकुमारी की विरहावस्था तथा उसके आसपास वालों के मुखों पर शोक के भाव दर्शक का मन बरबस मोह लेते हैं. इस मरणासन्न राजकुमारी की पहचान सुंदरी से की गई है. उसका पति नन्द बुद्ध का भाई था. नन्द अपनी नवयौवना अदम्य स्वरूप सुंदरी में इतना लीन रहता था कि एक बार उसके द्वार से बिना भिक्षा पाए ही बुद्ध को वापस आना पड़ा था. बाद में बुद्ध ने जब उसे दीक्षा दी और उसने सांसारिक जीवन त्याग दिया तब उसकी नायिका सुंदरी विरह-वेदना से दग्ध हो उठी थी. इस कथानक को लेकर अश्वघोष ने एक महाकाव्य की रचना की थी “सौन्दरनन्द”.
भिक्षा-दान
17वीं गुफा में बुद्ध को यशोधरा के द्वार पर भिक्षाटन के लिए आया अंकित किया गया है. इसमें यशोधरा अपने बेटे राहुल से कहती है कि तू अपने पिता से उत्तराधिकार माँग ले. इस पर बुद्ध ने राहुल को अपना कमंडल पकड़ाकर उसे भी भिक्षुसंघ में सम्मिलित कर लिया. यशोधरा और राहुल के चित्र छोटे हैं, किन्तु बुद्ध का चित्र आदमकद है. राहुल के रूप में यशोधरा द्वारा बुद्ध को दी जाने वाली यह अनुपम भिक्षा अजंता के इस चित्र में आत्मसम्पर्पण की पराकाष्ठा प्रकट करती है.
आकाशचारी गन्धर्व
इस गुफा में आकाश में बादलों के बीच विचरण करते हुए गन्धर्वदेव, उनकी सहचरी अप्साराओं तथा सेवक-सेविकाओं का दृश्य बड़ा ही मनोरम है. इन सबके पीछे मुड़े हुए पैर उनके उड़ने का संकेत देते हैं. किरीटधारी गन्धर्व की वेशभूषा तथा हस्तमुद्राएँ दर्शक का मन मोह लेती हैं.
पगड़ीधारी अप्सरा
17वीं गुफा में एक खंडित चित्र के बीच एक अप्सरा का आवक्ष चित्र शेष रह गया है. नारी-सौन्दर्य तथा गुप्तयुगीन सम्भ्रांत वेशभूषा का यह उत्तम उदाहरण है. अर्धनिमीलित नेत्रों वाली इस सुमुखी ने अपने शीश पर अलंकृत पगड़ी का फेटा लगाया है. उसके केश सँवरे हैं तथा जुड़ें में मणियाँ खोंसी गई हैं. कानों में गोल बड़े कुंडल लटक रहे हैं और गले में मोतियों का एक ग्रेवेयक तथा मणि-मुक्ताओं से बना जड़ाऊ आभरण द्रष्टव्य है.
इसी प्रकार का एक अन्य नारी चित्रांकन है जिसमें उसके केशपाश का ढीला और गर्दन पर टिका जूड़ा द्रष्टव्य है. इसी स्त्री ने किरीट धारण कर रखा है. इसके गले में एकावली और कई लड़ियों का महाहार है. कानों में कर्ण आभरण तथा भुजबंध दिखाई दे रहे हैं.
ऊपर से नीचे तक आभूषणों से सजी एक नायिका एक द्वार-स्तम्भ पर अपना बायाँ पैर पीछे मोड़कर भावपूर्ण मुद्रा खड़ी है.
जातक कथाएँ
अजंता के चित्रों में जातक कथाओं का महत्त्वपूर्ण स्थान है. पहली गुफा में शिवि जातक, महाजनक जातक, शंखपाल जातक, महाउम्मग्ग जातक तथा चम्पेय जातक चित्रित हैं. दूसरी गुफा में हंस जातक, विधुरपंडित जातक तथा रुरु जातक को अंकित किया गया है. दसवीं गुफा में जिन जातक कथाओं का चित्रण है वे हैं साम जातक एवं छदंत जातक. सोलहवीं गुफा में हस्तिजातक, महाउम्मग्ग जातक तथा महासुतसोम जातक का चित्रण है. सबसे अधिक जातक कथाओं का अंकन सत्रहवीं गुफा में प्राप्त हुआ है. इसमें बुद्ध के जीवन की अनेक घटनाओं के अतिरिक्त उनके पूर्वजन्मों से सम्बंधित महाकपि जातक, छदंत जातक, हस्तिजातक, हंस जातक, वेस्सन्तर जातक, महासुतसोम जातक, शरभमिग जातक, मातिपोषक जातक, साम जातक, महिष जातक, शिवि जातक, रुरु जातक तथा निग्रोधमिग जातक का चित्रण भी पाया गया है. जातक कथाओं का कहीं अन्यत्र एक ही स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में अंकन दुर्लभ है.