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 Bihar Board 12th Hindi Book 50 Marks Solutions पद्य Chapter 5 सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर

Bihar Board Class 12th Hindi Book 50 Marks Solutions पद्य Chapter 5 सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर

सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर भावार्थ।

प्रश्न 1.
अर्थ स्पष्ट करें
दुनिया देखी पर कुछ न मिला,
तुझको देखा सब कुछ पाया
संसार-ज्ञान की महिमा से, प्रिय की पहचान कहीं सुन्दर तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि श्री गोपाल सिंह ‘नेपाली’ कहते हैं कि मानव को ईश्वर ने ज्ञान, ध्यान, चेतना, साहस और सौन्दर्य प्रदान कर दी है। वह कठिनाइयों में कभी पीछे नहीं हटता है। आगे बढ़ने और बढ़ते रहने का मार्ग खोज लेता है। जब वह कठिनाइयों और अंधकार पर विजय प्राप्त करता है तो उसके मुँह पर मुस्कान झलकती है जो बहुत ही सुन्दर होती है।

प्रश्न 2.
अर्थ स्पष्ट करें
जब गरजे मेघ, पपीहा बोलें-डालें गुल जारो में।
लेकिन काँटों की झाड़ी में बुलबुल का गान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कवि श्रीमान गोपाल सिंह ‘नेपाली’ कहते हैं कि प्रकृति का सौन्दर्य, मेघों के गरजने में, पपीहा की बोली में तथा बुलबुल के गानों में मिलते हैं। लेकिन मानव द्वारा लिखी गई कविताओं, गीतों और भजनों में जो कल्पनाएँ, स्वर, शब्द, संगीतमय मधुर आवाज और स्वाद मिलता है वह बहुत ही सुन्दर और महत्त्वपूर्ण होता है।

सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गोपाल सिंह नेपाली का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर-
नेपाली जी का जन्म 11 अगस्त, 1911 ई. को बेतिया, पश्चिमी चम्पारण में हुआ था।

प्रश्न 2.
नेपाली जी ने मन्दिर, मस्जिद और चर्च में रहने वाले देवता से कहीं अधिक बड़ा किसे कहा है?
उत्तर-
मन के भगवान को।

प्रश्न 3.
मानव को ईश्वर ने क्या-क्या दिया है?
उत्तर-
मानव को ईश्वर ने ज्ञान, ध्यान, चेतना, साहस और सौन्दर्य दिया है।

प्रश्न 4.
किसके अरमानों की कोई सीमा नहीं होती है?
उत्तर-
मानव के अरमानों की कोई सीमा नहीं होती है।

प्रश्न 5.
नेपाली जी की आरंभिक रचना पर किस वाद के प्रभाव था?
उत्तर-
छायावाद का।

प्रश्न 6.
“सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर” गीत किसकी रचना है?
उत्तर-
गोपाल सिंह नेपाली।

प्रश्न 7.
गोपाल सिंह नेपाली की कविता के एक संग्रह का नाम बताइये।
उत्तर-
हिमालय ने पुकारा।

प्रश्न 8.
भागलपुर के रेलवे प्लेटफार्म नं.-2 पर किसका निधन 17 अप्रैल, 1963 ई. को हुआ था?
उत्तर-
रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गोपाल सिंह नेपाली की कविताओं में क्या विशेषताएँ मिलती हैं?
उत्तर-
श्री गोपाल सिंह नेपाली उत्तर-छायावाद के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि-गीतकार थे जिनकी कविताएँ प्राचीन कवियों के समान जन-मानस का अभिन्न अंग बन गई हैं। अवसरवादियों के विपरीत स्वाभिमान के मूर्तिमान स्वरूप नेपाली जी सामान्य जन के दुख-दर्दो के गायक थे। उन्होंने स्वाधीनता, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रहरी के रूप में अपने जीवन की बलि दे दी है।

प्रश्न 2.
श्री गोपाल सिंह ‘नेपाली’ ऐसा क्यों सोचते हैं कि मानव के अन्दर देवता निवास करता है?
उत्तर-
श्री गोपाल सिंह ‘नेपाली’ कहते हैं कि मानव बड़ा ही साहसी और विवेकशील प्राणी है। उसने स्थल, जल, वायु, ऊँचे पर्वत, गर्म मरुस्थल इत्यादि पर पूर्ण आधिपत्य और नियंत्रण प्राप्त कर लिया है। वह केवल संसार के महासागरों में ही जलयान नहीं चलाता है बल्कि प्रत्येक यातायात के साधनों को सफलतापूर्वक काम में लाती है। वह हमेशा और अधिक विचित्र और उपयोगी साधनों की प्राप्ति का प्रयास करता है। अतः उसके विचारों और भावनाओं में दैविक शक्ति का निवास है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि गोपाल सिंह ‘नेपाली’ का जीवन परिचय प्रस्तुत करें।
उत्तर-
विद्वान कवि गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त, 1911 ई. को बेतिया, जिला पश्चिमी चम्पारण में हुआ। इनमें कविता रचना की प्रतिभा जन्मजात थी। इनकी प्रारम्भिक रचनाओं पर छायावाद का प्रभाव दृष्टिगत होता है। लेकिन धीरे-धीरे इनके काव्य का एक स्वतंत्र पथ निर्मित हो गया। इन्होंने अपनी सुन्दर रचनाओं द्वारा हिन्दी चित्रपट जगत में काव्य प्रतिभा को जीवित रखा। गोपाल सिंह नेपाली पत्रकार भी रहे उमंग, रागिनी, पंछी, नीलिया, पंचमी, नवीन और हिमालय ने पुकारा आदि कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं इनकी कुछ अप्रकाशित रचनाएँ. भी हैं। इनका निधन 17 अप्रैल, 1963 ईस्वी को भागलपुर के रेलवे प्लेटफार्म नं.-2 पर हुआ।

गोपाल सिंह नेपाली उत्तर छायावाद के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि-गीतकार थे, जिनकी कविताएँ प्राचीन कवियों के समान जन-मानस का अभिन्न अंग बन गई है। अवसरवादियों के विपरीत स्वाभिमान के मूर्तिमान स्वरूप नेपाली जी सामान्य जन. के दुख-दर्दो के गायक थे। उन्होंने स्वाधीनता, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रहरी के रूप में अपने जीवन की बलि दे दी। आलोचकों की अपेक्षा के बावजूद वह जनता की स्मृति में सदैव बने रहे।

प्रश्न 2.
श्री गोपाल सिंह ‘नेपाली’ द्वारा रचित कविता “सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर” का सारांश लिखिए।
उत्तर-
श्री गोपाल सिंह नेपाली ने प्रस्तुत गीत में मानवीय सौंदर्य और भावना की श्रेष्ठता का बखान किया है। वह ईश्वर के सौन्दर्य का उत्सव है किन्तु वह हमारी भावनाओं के प्रति सदैव मौन रहता है। मन्दिर, मस्जिद और चर्च में रहने वाले देवता से कहीं अधिक बड़ा मनुष्य के अंदर का वह देवता है जो मधुर स्वर में स्वयं को व्यक्त करता है।

श्री गोपाल सिंह नेपाली कहते हैं कि मानव को ईश्वर ने ज्ञान, ध्यान, चेतना, साहस और सौन्दर्य प्रदान कर दी है। वह कठिनाइयों में कभी पीछे नहीं हटता है। आगे बढ़ने और बढ़ते रहने . का मार्ग खोज लेता है। जब वह कठिनाइयों और अंधकार पर विजय प्राप्त करता है तो उसके मुख पर मुस्कान झलकती है जो बहुत ही सुन्दर होती है।

इस पृथ्वी पर सभ्यता और संस्कृति, कला और कौशल के जितने चिन्ह मिलते हैं उसमें हमें मनुष्य के ज्ञान की महिमा और उसके सुन्दर विचारों और कल्पनाओं की पहचान देखने को मिलती हैं।

प्रकृति का सौन्दर्य, मेघों के गरजने में, पपीहा की बोली में बुलबुल के गाने में भी मिलते हैं, लेकिन मानव द्वारा लिखी गई कविताओं, गीतों और भजनों में जो कल्पनाएँ, स्वर शब्द और स्वाद मिलता है वह बहुत ही सुन्दर और महत्त्वपूर्ण होता है।

वास्तव में मानव बड़ा ही साहसी और विवेकशील प्राणी है। यह संसार के महासागरों में लघु जलयान और बड़ी-बड़ी जहाजें बनाकर सागर की ऊँची लहरों से बचा कर, चंचल जलयान को सफलतापूर्वक पार उतार ले जाता है। फिर और अधिक विचित्र उपयोगी साधन का प्रयास करता है।

मानव के अरमानों की कोई सीमा निश्चित नहीं है। कवि गोपाल सिंह नेपाली कहते हैं कि ईश्वर सौन्दर्य का उत्सव है किन्तु वह हमारी भावनाओं के प्रति सदैव मौन रहता है। मन्दिर, मस्जिद और चर्च में रहने वाले देवता से कहीं अधिक बड़ा मनुष्य के अंदर वह देवता है जो मधुर स्वर में स्वयं को व्यक्त करता है।

सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर कवि-परिचय – गोपाल सिंह ‘नेपाली’ (1911-1963)

आधुनिक हिन्दी साहित्य के जगमगाते सितारों में नेपाली जी एक गीतकार कवि के रूप में विख्यात है। इनका जन 11 अगस्त, 1911 ई. को बेतिया जिला पश्चिम चम्पारण में हुआ। बचपन से ही उनमें साहित्य के प्रति विशेष लगाव था। उनकी प्रारंभिक रचनाओं में छायावाद का प्रभाव दिख पड़ता है। लेकि। धीरे-धीरे उनके काव्य का एक स्वतंत्र पथ निर्मित हो गया।

नेपाली जी उत्तर छायावाद के लोकप्रिय कवि-गीतकार थे। वे स्वाभिमान की मूर्ति थे। स्वाधीनता, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रहरी के रूप में अपने जीवन को न्योछावर कर दिया।

नेपाली जी ने एक गीतकार के रूप में अपनी अलग पहचान फिल्मी गीतकार के रूप में बनायी थी। उनकी गीत ‘दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखिया प्यासी. रे’। आज भी जनमानस को प्रभावित कर रहा है। नेपाली जी ने प्रथम काव्य संग्रह ‘उमग की निश्चय’ शीर्षक कविता में अपने जीवन दर्शन और लक्ष्य को अत्यन्त सहज और सुबोध भाषा में अभिव्यक्त किया है। नेपाली जी एक सफल पत्रकार भी रहे। ‘हिमालय ने पुकारा’ कविता आज भी लोगों को देश-प्रेम और स्वाधीनता. की सीख देता है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

  • उमंग
  • रागिनी रही
  • पंछी
  • नीलिया
  • पंचमी
  • नवीन
  • हिमालय ने पुकारा।

नेपाली जी की कुछ अप्रकाशित रचनाएँ भी हैं। उनकी मृत्यु 17 अप्रैल, 1963 में भागलपुर – रेलवे प्लेटफार्म नं.-2 पर हुआ। नेपाली जी अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण आज भी जीवित है।

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