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 Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 14 कांग्रेसी प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 14 कांग्रेसी प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

→ 27 मई, 1964 को नेहरू जी की मृत्यु के बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर कई अनुमान लगाए जा रहे थे।

→1960 के दशक को ‘खतरनाक दशक’ कहा जाता है क्योंकि गरीबी, असमानता, साम्प्रदायिक और क्षेत्रीय विभाजन आदि के सवाल भी अनसुलझे थे। जिस कारण लोकतन्त्र के असफल होने अथवा देश के बिखरने की सम्भावना व्यक्त की जा रही थी।

→ देश के द्वितीय प्रधानमन्त्री लालबहादुर शास्त्री (1964 से 1966) बने।

→ शास्त्री जी को निम्नलिखित दो कठिनाइयों का सामना करना पड़ा
(1) भारत-चीन युद्ध, एवं (2) सूखे की समस्या।

→ शास्त्री जी की मृत्यु के बाद कांग्रेस के सामने पुन: राजनीतिक उत्तराधिकारी का सवाल उठ खड़ा हुआ।

→ शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया।

→ भारत के राजनीतिक व चुनावी इतिहास में 1967 के वर्ष को अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है।

→ सन् 1967 के चुनावों में गठबन्धन की परिघटना सामने आई।

→ सन् 1967 से देश की राजनीति में ‘दल-बदल’ तथा ‘आयाराम गयाराम’ की राजनीति प्रारम्भ हुई। बाद के समय में दल-बदल रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया।

→’सिंडिकेट’ ने इन्दिरा गांधी को प्रधानमन्त्री बनवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

→ सिंडिकेट और इन्दिरा गांधी के बीच की गुटबाजी सन् 1969 में राष्ट्रपति के चुनाव के समय खुलकर सामने आ गई।

→ सन् 1969 के नवम्बर तक सिंडिकेट की अगुवाई वाले कांग्रेस खेमे को कांग्रेस (ऑर्गनाइजेशन) और इन्दिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेसी खेमे को कांग्रेस (रिक्विजिनिस्ट) कहा जाने लगा। इन दोनों दलों को क्रमश: ‘पुरानी कांग्रेस’ और ‘नई कांग्रेस’ कहा जाता था।

→ इन्दिरा गांधी ने ‘प्रिवीवर्स’ को समाप्त करने जैसी बड़ी नीति की घोषणा की।

→ सभी बड़ी गैर-साम्यवादी और गैर-कांग्रेसी विपक्षी पार्टियों ने एक चुनावी गठबन्धन बना लिया था। इसे ‘ग्रैण्ड अलायंस’ कहा गया। इससे इन्दिरा गांधी के लिए स्थिति और कठिन हो गई।

→ इन्दिरा गांधी ने लोगों के सामने एक सकारात्मक कार्यक्रम रखा तथा इसे अपने प्रसिद्ध नारे ‘गरीबी हटाओ’ के जरिए स्वरूप प्रदान किया।

→ ‘गरीबी हटाओ’ का नारा और इससे जुड़ा हुआ कार्यक्रम इन्दिरा गांधी की राजनीतिक रणनीति थी।

→ इन्दिरा गांधी ने कांग्रेस प्रणाली को पुनर्स्थापित जरूर किया, लेकिन कांग्रेस . प्रणाली की प्रकृति को बदलकर।

→ खतरनाक दशक-1960 के दशक को ‘खतरनाक दशक’ कहा जाता है क्योंकि गरीबी, असमानता, साम्प्रदायिक और क्षेत्रीय विभाजन आदि के सवाल अभी अनसुलझे थे।

→ जय जवान जय किसान-शास्त्री जी सन् 1964 से सन् 1966 तक देश के प्रधानमन्त्री रहे। इस छोटी अवधि में देश ने दो बड़ी चुनौतियों का सामना किया। ये चुनौतियाँ युद्ध व सूखा थीं। शास्त्री जी ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया, ताकि इन दोनों चुनौतियों से निपटा जा सके।

→ गैर-कांग्रेसवाद-कांग्रेस की विरोधी पार्टियों ने महसूस किया कि उनके वोट बँट जाने के कारण ही कांग्रेस सत्तासीन है। इन दलों को लगा कि इन्दिरा गांधी की अनुभवहीनता और कांग्रेस की अन्दरूनी उठा-पटक से उन्हें कांग्रेस को सत्ता से हटाने का एक अवसर हाथ लगा है। समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने इस रणनीति को ‘गैर-कांग्रेसवाद’ का नाम दिया।

→ राजनीतिक भूकम्प–सन् 1967 के चुनाव परिणामों से कांग्रेस को राष्ट्रीय और प्रान्तीय स्तर पर गहरा धक्का लगा। कांग्रेस को जैसे-तैसे लोकसभा में बहुमत तो मिल गया था, लेकिन उसको प्राप्त मतों के प्रतिशत तथा सीटों की संख्या में भारी गिरावट आई थी। तत्कालीन अनेक राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने चुनाव परिणामों को ‘राजनीतिक भूकम्प’ की संज्ञा दी।

→ दल-बदल की राजनीति—कोई जनप्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव लड़े और जीत जाए तथा चुनाव जीतने के बाद उस दल को छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाए, तो इसे दल-बदल कहते हैं।

→आयाराम-गयाराम-विधायकों द्वारा तुरत-फुरत पार्टी छोड़कर दूसरी-तीसरी पार्टी में शामिल होने की घटना से राजनीतिक शब्दकोश में ‘आयाराम-गयाराम’ का मुहावरा शामिल हुआ। किंगमेकर-राजा/सम्राट या प्रधानमन्त्री आदि नेताओं के पदों पर बिठाने वाले प्रभावशाली नेतागणों को ‘किंगमेकर’ की संज्ञा दी जाती है।

→ दस सूत्री कार्यक्रम-इन्दिरा गांधी द्वारा सन् 1967 में कांग्रेस की लोकप्रियता को पुनर्स्थापना के लिए घोषित पार्टी द्वारा अपनाया गया आर्थिक-सामाजिक दस सूत्री कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में बैंकों पर सामाजिक नियन्त्रण, आम बीमा के राष्ट्रीयकरण, भूमिक सुधार आदि प्रावधान शामिल थे।

→ प्रिवीपर्स देसी रियासतों का विलय भारतीय संघ में करने से पहले सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि रियासतों के तत्कालीन शासक परिवार को निश्चित मात्रा में निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार होगा। साथ ही सरकार की तरफ से उन्हें कुछ विशेष भत्ते भी दिए जाएंगे। इस व्यवस्था को ‘प्रिवीपर्स’ कहा गया।

→ ग्रैण्ड अलायंस-सन् 1971 के पाँचवें आम चुनावों में सभी बड़ी गैर-साम्यवादी और गैर-कांग्रेसी विपक्षी पार्टियों ने एक चुनावी गठबन्धन बना लिया था। इसे ‘ग्रैण्ड अलायंस’ कहा गया।

→ गरीबी हटाओ का नारा-‘गरीबी हटाओ’ के नारे से इन्दिरा गांधी ने वंचित वर्गों, विशेषकर भूमिहीन किसान, दलित और आदिवासी अल्पसंख्यक, महिला और बेरोजगार नौजवानों के बीच अपने समर्थन का आधार तैयार करने की कोशिश की।

→ के० कामराज-के० कामराज एक प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी तथा कांग्रेसी नेता थे। सन् 1963 में इन्होंने प्रस्ताव रखा कि सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि अपेक्षाकृत युवा पार्टी कार्यकर्ता कमान सँभाल सकें। यह प्रस्ताव ‘कामराज योजना’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

→ लालबहादुर शास्त्री-पं० जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद देश के दूसरे प्रधानमन्त्री बने। इन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। 10 जनवरी, 1966 को इनका ताशकन्द में अचानक निधन हो गया।

→ इन्दिरा गांधी-पं० जवाहरलाल नेहरू की पुत्री। लालबहादुर शास्त्री के अचानक निधन के बाद देश की प्रधानमन्त्री बनीं। इन्होंने प्रिवीपर्स की समाप्ति की एवं गरीबी हटाओ का नारा दिया। 31 अक्टूबर, 1984 को इनकी हत्या कर दी गयी।

→ राम मनोहर लोहिया–स्वतन्त्रता सेनानी, समाजवादी नेता एवं विचारक। ये गैर-कांग्रेसवाद के रणनीतिकार थे। इन्होंने पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिए जाने का समर्थन किया।

→ एस० निजलिंगप्पा-संविधान सभा के सदस्य रहे। इन्हें ‘आधुनिक कर्नाटक का निर्माता’ माना जाता है।

→ कर्पूरी ठाकुर–स्वतन्त्रता सेनानी व समाजवादी नेता। बिहार के मुख्यमन्त्री रहे एवं अंग्रेजी भाषा के प्रयोग का विरोध किया।

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