Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 10 भीष्म की प्रतिज्ञा
Bihar Board Class 6 Hindi भीष्म की प्रतिज्ञा Text Book Questions and Answers
प्रश्न-अभ्यास
पाठ से –
प्रश्न 1.
शान्तनु कहाँ के महाराजा थे?
उत्तर:
शान्तनु हस्तिनापुर के महाराजा थे।
प्रश्न 2.
निषादराज ने राजा से अपनी कन्या का विवाह के लिए क्या शर्त रखी?
उत्तर:
निषादराज ने राजा से अपनी कन्या के विवाह के लिए शर्त रखी कि मेरे पुत्री से उत्पन्न बालक ही राजगद्दी पर बैठेगा। तब हम अपनी कन्या का विवाह आपके साथ करेंगे।
प्रश्न 3.
राजा को निषादराज की शर्त मानने में क्या कठिनाई थी?
उत्तर:
राजा को देवव्रत नामक एक पुत्र थे जो महान योद्धा थे। उनमें राजा होने के सारे गुण वर्तमान थे। निषादराज की शर्त मानना देवव्रत के साथ अन्याय होता । राजा से देवव्रत के प्रति अन्याय करना असम्भव था। यही कठिनाई थी।
प्रश्न 4.
देवव्रत ने हस्तिनापुर की गद्दी पर नहीं बैठने की क्यों प्रतिज्ञा की?
उत्तर:
देवव्रत महान पितृभक्त थे । वे अपने पिता को उदास नहीं देखना चाहते थे। अतः उन्होंने पिता के दुख दूर करने के लिए प्रतिज्ञा की।
प्रश्न 5.
देवव्रत का नाम भीष्म क्यों पड़ा?
उत्तर:
जब देवव्रत ने निषाद राज के सामने भीष्म (कठिन) प्रतिज्ञा करते हैं कि मैं आजीवन विवाह नहीं करूँगा। उस समय देवताओं ने उनका नाम भीष्म रख दिया।
प्रश्न 6.
देवव्रत ने दाशराज की शर्त क्यों मान ली ? सही कथन के आगे सही (✓) का निशान लगाइए।
(क) वह राजा नहीं होना चाहते थे।
(ख) उन्हें निषादराज को प्रसन्न करना था।
(ग) वह ब्रह्मचारी बनकर यश कमाना चाहते थे।
(घ) वह अपने पिताजी को सुखी देखना चाहते थे?
उत्तर:
(घ) वह अपने पिताजी को सुखी देखना चाहते थे?
प्रश्न 7.
मिलान करे
उत्तर:
शान्तनु – हस्तिनापुर के सम्राट ।
भीष्म – हस्तिनापुर के युवराज ।
दाशराज – निषादों के राजा ।
सत्यवती – दाशराज की पुत्री।
पाठ से आगे –
प्रश्न 1.
अगर आप भीष्म की जगह होते तो क्या करते?
उत्तर:
अगर भीष्म की जगह मैं होता तो वही काम करता जो भीष्म ने किया।
प्रश्न 2.
इस एकांकी का कौन-सा पात्र आपको अच्छा लगा। क्यों ?
उत्तर:
इस एकांकी के पात्रों में देवव्रत मुझे अच्छा लगा क्योंकि अपने पिता की खुशी के लिए उन्होंने सब कुछ त्यागने की प्रतिज्ञा कर ली।
प्रश्न 3.
हस्तिनापुर को वर्तमान में क्या कहा जाता है?
उतर:
पिरली।
प्रश्न 4.
दाशराज की शर्त उचित थी तो क्यों ?
अथवा
अनुचित थी तो क्यों?
उत्तर:
दाशराज की शर्त उचित ही था क्योंकि अगर बिना शर्त के यदि शान्तनु से सत्यवती का विवाह होता तो राजगद्दी के लिए कलह अवश्य होता। अतः हस्तिनापुर को कलह का केन्द्र होने से बचाने के लिए उसने शर्त रखी।
व्याकरण –
प्रश्न 1.
वाक्य-प्रयोग द्वारा अंतर बताएँ।
(क) कुल – कुल कितने रुपये हैं।
कूल – गंगा के दोनों कूलों पर शहरें हैं।
(ख) सौभाग्य – मदन सौभाग्यशाली व्यक्ति है।
दुर्भाग्य – पिता के मरने पर मेरा दुर्भाग्य आरम्भ हो गया।
(ग) अस्त्र – गदा एक अस्त्र है।
शस्त्र – वाण फेंककर चलाने वाला शस्त्र है।
(घ) पुरी – द्वारिका शहर को द्वारिका पुरी कहते हैं।
पूरी – भोज की व्यवस्था पूरी कर ली गई है।
(ङ) सेवा – नौकर मालिक की सेवा करता है।
सुश्रूषा – पुत्र पिता का शुश्रूषा करता है।
प्रश्न 2.
निवास-स्थान में योजक चिह्न (-) लगे हुए हैं। इस तरह के अन्य उदाहरण पाठ से चनकर लिखिए।
उत्तर:
निवास-स्थान । नारी-रत्न । सूर्य-चन्द्र । भरत-कुल । भीष्म-देवव्रत । देवता-तुल्य। स्नेह-सूत्र । साफ-साफ।
प्रश्न 3.
उदाहरण के अनुसार लिखें –
प्रश्नोत्तर –
कुछ करने को –
प्रश्न 1.
इस एकांकी का अभिनय बाल-सभा में कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
महाभारत के कुछ महारथियों का नाम पता कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
भीष्म की प्रतिज्ञा Summary in Hindi
पाठ का सार-संक्षेप
शान्तनु – हस्तिनापुर के सम्राट ।
भीष्म – हस्तिनापुर के युवराज ।
दाशराज – निषादों का राजा।
सत्यवती – दाशराज की पुत्री ।
सैनिक, द्वारपाल, देवगण और सत्यवती की सखियाँ ।
पहला दृश्य
स्थान यमुना के ‘निकटवर्ती प्रांत में दाशराज का निवास स्थान ।
दाशराज की पुत्री सत्यवती अत्यन्त सुन्दरी थी जिसको देखकर हस्तिनापुर के राजा शान्तनु मोहित हो गये तथा उसे पाने के लिए दाशराज के घर जाकर सत्यवती के लिए आग्रह किया। लेकिन दाशराज ने शान्तन के सामने एक शर्त रखी कि यदि मेरे पुत्री से उत्पन्न बालक ही हस्तिनापुर के राजा बने तो मैं अपनी पुत्री को आपके साथ भेज सकता हूँ। यह शर्त राजा शान्तनु को मंजूर नहीं था क्योंकि शान्तनु का प्रथम पुत्र देवव्रत (गंगा पुत्र) में राजा होने के सारे गुण वर्तमान थे। यह शर्त मानना देवव्रत के साथ अन्याय होगा यह कहकर राजा उदास मन वापस घर लौट गये। जब उनकी उदासी के कारण देवव्रत को मालूम हुआ तो अपने पिता के दुख को दूर करने की इच्छा से दाशराज के घर गये।
दूसरा दृश्य
स्थान – दाशराज का घर।
दाशराज ने देवव्रत का स्वागत कर आने का कारण पूछा । देवव्रत ने कहा “मैं माता सत्यवती को लेने आया हूँ। दाशराज ने अपनी शर्त को पुनः देवव्रत के सामने दुहराया । देवव्रत ने कहा –
ठाह है “मैं वचन देता हूँ कि मैं हस्तिनापुर का राजा नहीं बनूंगा। सत्यवती से उत्पन्न मेरा भाई ही राजा बनेगा। मैं उसकी सेवा उसी प्रकार करूँगा जैसे पिताजी का कर रहा हूँ।”
दाशराज ने कहा, लेकिन बाद में आपके पत्र तो उस अधिकार को प्राप्त कर ही लेंगे। अत: यह सम्बन्ध मैं नहीं स्थापित करूँगा । देवव्रत ने उसी समय हाथ उठाकर प्रतिज्ञा करते हैं कि मैं विवाह भी नहीं करूंगा। सब ओर से “धन्य हैं देवव्रत” की ध्वनि सुनाई पड़ने लगी। देवताओं ने फूल बरसाकर देवव्रत के कठिन प्रतिज्ञा के लिए खुशी जाहिर की। देवताओं ने ही उसी समय देवव्रत को भीष्म (कठिन) प्रतिज्ञा करने के कारण देवव्रत का नाम भीष्म रख दिया।
दाशराज प्रसन्नतापूर्वक अपनी पुत्री की विदाई कर दी। भीष्म ने सत्यवती का पैर छूकर प्रणाम किया तथा रथ पर बैठाकर घर ले गये।