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 Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 9 खेलक्षेत्रम्

Bihar Board Class 6 Sanskrit खेलक्षेत्रम् Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिकः

प्रश्न 1.
कोष्ठगत शब्दों को सही रूपों में बदलकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें –
जैसे-अहं विद्यालयं गच्छामि। (विद्यालय)

  1. सः …………… खादति। (ओदन)
  2. इदानी ……….. वर्तते। (संध्याकालः)
  3. युवाम् कुत्र ………………. (गम् = गच्छ)
  4. तदा नवीना क्रीडा ……………..। (भू – भव)
  5. त्वं संध्याकाले प्रतिदिनं …………..। (प)

उत्तर-

  1. सः ओदनं खादति।
  2. इदानीं संध्याकालः वर्तते।
  3. युवाम् कुत्र गच्छथः।
  4. तदा नवीना क्रीडा भवति ।
  5. त्वं संध्याकाले प्रतिदिनं पठसि ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से एक-एक वाक्य बनायें –

(इदानीम्, खेलक्षेत्रम्, बालकाः, कन्दुकम्, विशालः)
उत्तर-

  1. इदानीम् – इदानीं सन्ध्याकालः वर्तते।
  2. खेलक्षेत्रम् – खेल क्षेत्रम् सुन्दरम् अस्ति।
  3. बालकाः – बालकाः तत्र खेलन्ति।
  4. कन्दुकम् – कन्दुकं त्वं आनय।
  5. विशालः – विशाल: वृक्षः अस्ति।

प्रश्न 3.
निम्नांकित रिक्तियों को भरकर वाक्य-निर्माण करें –
जैसे –
बालकः – पुस्तक – पठति

  1. अश्वः – धासम् – ________
  2. अजा – फलम् – ________
  3. गजः – भारम् – ________
  4. ________ – फलम् – ________
  5. ________ – शनैः शनैः – ________

उत्तर-

  1. अश्वः – घासम् – चरति ।
  2. अजा – फलम् – खादति ।
  3. गजः – भारम् – वहति ।
  4. बालकः – फलम् – क्रीणति ।
  5. विडालः – शनैः शनैः – धावति ।

लिखित

प्रश्न 4.
उदाहरण के अनुसार रिक्त स्थान भरें –
Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 9 खेलक्षेत्रम् 1
उत्तर-

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों को सुमेलित करें

  1. खेलक्षेत्रम् – (क) मिलति
  2. शीला – (ख) कोलाहल:
  3. महान् – (ग) विस्तृतम्
  4. नवीना – (घ) संध्याकाल:
  5. इदानीम् – (ङ) क्रीडा

उत्तर-

  1. खेल क्षेत्रम् । – (ग) विस्तृतम्
  2. शीला – (क) मिलति
  3. महान् – (ख) कोलाहलः
  4. नवीना – (ङ) क्रीडा
  5. इदानीम् – (घ) संध्याकालः

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद करें –

  1. इस समय सबेरा (प्रात:काल) है।
  2. चलो , घर चलें।
  3. यहाँ कई (अनेक) लड़के और लड़कियाँ खेलते हैं।
  4. यह मैदान विशाल (बड़ा) है।
  5. यहाँ अनेक खेल होते हैं।

उत्तर-

  1. इदानीं प्रात:कालः अस्ति।
  2. चल, गृहं गच्छाव (चलाव)।
  3. अत्र अनेकाः बालकाः बालिकाश्च खेलन्ति ।
  4. इदं क्षेत्रम् विशालं अस्ति ।
  5. अत्र नाना क्रीड़ाः भवन्ति ।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों का शद्ध रूप लिखें –

  1. खेलक्षेत्र:
  2. व्यामस्य :
  3. भर्मणाय
  4. कनदुकम्
  5. क्रिडा।

उत्तर-

  1. खेलक्षेत्रम्
  2. व्यायामस्य
  3. भ्रमणाय
  4. कन्दुकम्
  5. क्रीडा।

प्रश्न 8.
उत्तराणि लिखत

  1. खेलक्षेत्रं किमर्थं भवति ?
  2. आवां कुत्र गच्छावः ?
  3. सर्वे कुत्र प्रविशन्ति ?
  4. कदा महान् कोलाहलो भवति ?
  5. वयं संध्याकाले कुत्र गच्छामः ?

उत्तर-

  1. खेलक्षेत्रं मनोरंजनार्थ व्यायामार्थं च भवति ।
  2. आवां क्रीडाक्षेत्रं गच्छावः ।
  3. सर्वे खेल क्षेत्रे प्रविशन्ति ।
  4. यदा कन्दुकं लक्ष्यं प्रविशति तदा महान् कोलाहलो भवति ।
  5. वयं संध्याकाले खेलक्षेत्रं गच्छामः ।

Bihar Board Class 6 Sanskrit खेलक्षेत्रम् Summary

पाठ – रमेश – मित्र रहीम! इदानीं सन्ध्याकालः वर्तते। चल, खेलक्षेत्रे गच्छावः।

(अर्थ) रहीम – मित्र रहीम! इस समय सायंकाल है। चलो, हमदोनों खेल के मैदान में जाते हैं।

पाठ – रमेश – खेलक्षेत्रम् अस्माकं मनोरञ्जनस्य व्यायामस्य च स्थलं भवति। अवश्यं गमिष्यामि। (मार्गे शीला मिलति)

(अर्थ) रहीम – खेल का मैदान हमारा मनोरंजन और व्यायाम का जगह होता है। जरूर मैं जाऊँगा। (मार्ग .. में शीला मिलती है)

पाठ – शीला – युवां कुत्र गच्छथ?

पाठ – रमेश – तुम दोनों कहाँ जा रहे हो?

पाठ – रमेश – आवां खेलक्षेत्रं गच्छावः। किं तवापि इच्छा, खेलक्षेत्रस्य भ्रमणाय अस्ति? यदि वर्तते तदा त्वमपि चल। (सर्वे खेलक्षेत्रं प्रविशन्ति)

पाठ – रमेश – हम दोनों खेल के मैदान जा रहे हैं। क्या तुम्हारी भी इच्छा खेल के मैदान घूमने के लिए हो रहा है? यदि है तो तुम भी चलो।

पाठ – रमेश – अत्र अनेके बालकाः बालिकाश्च सन्ति। केचित् कन्दुकेन खेलन्ति। अपरे कन्दुकक्रीडां पश्यन्ति।

पाठ – रमेश – यहाँ अनेक लड़के और लड़कियाँ हैं। कुछ गेन्द से खेलते हैं। बच्चे गेन्द के खेल को देखते हैं।

शीला – आम् आम्! कन्दुकं लक्ष्यं प्रविशति तदा महान् कोलाहलो भवति। पुनः केन्द्रस्थाने कन्दुकं नयन्ति बालकाः। तदा नवीना क्रीडा भवति।

(अर्थ) रहीम – हा! गेन्द गोल में प्रवेश करता है उस समय : जोरों का हल्ला होता है। फिर बीच में गेन्द को । लड़के लाते हैं। तब नये ढंग से खेल होता है।

पाठ – सीमा – शीले ! त्वमत्र कन्दुक क्रीडां पश्यसि। चल, तत्र बालिका: बैडमिन्टन खेलं खेलन्ति। अन्याः तं खेलं पश्यन्ति।

(अर्थ) सीमा – हे शीला! तुम यहाँ गेन्द का खेल देखते हो। चलो, वहाँ लड़कियाँ बैडमिन्टन का खेल-खेल रहे हैं। अन्य लड़कियाँ उस खेल को देख रहे हैं।

पाठ – शीला – चल, आवां खेलदर्शनाय तत्र गच्छाव। इदं खेलक्षेत्रं विशालम्। अनेकाः क्रीडा अत्र भवन्ति। खेलक्षेत्रस्य दर्शनेन महान् उत्साहः आनन्दश्च ‘ भवति। अत: वयं खेलक्षेत्रं सन्ध्याकाले प्रतिदिनं गच्छामः। (खेलक्षेत्रस्य दर्शनात् परं सर्वे स्वंस्वं गृहं गच्छन्ति।)

(अर्थ) शीला – चलो, हमदोनों खेल देखने के लिए वहाँ चलें। यह खेल का मैदान विशाल है। अनेक खेल। यहाँ होते हैं। खेल के मैदान के देखने से बहुतउत्साह और आनन्द होता है। इसलिए हमसब खेल के मैदान संध्या समय प्रतिदिन जाते हैं। (खेल के मैदान देखने के बाद सभी अपने-अपने घर जाते हैं।)

शब्दार्थाः – इदानीम् – इस समय, अभी। सन्ध्याकालः – शाम का समय। वर्तते – है। खेलक्षेत्रे – खेल के मैदान में। गच्छाव – (हम दोनों) चलें। अस्माकं- हम लोगों का मनोरंजनस्य – मनोरंजन का। स्थलम् – जगह। भवति – होता है /होती है। मार्गे – रास्ते में । युवाम् – तुम दोनों। तवापि(तव अपि) – तुम्हारा भी/तुम्हारी भी। भ्रमणाय – घूमने के लिए। केचित् – कोई। पश्यन्ति – देखते हैं। कोलाहलः – शोरगुल/हल्ला। केन्द्रस्थाने- बीच में, मध्य में। नवीना – नया। नयन्ति – लाते हैं.ले जाते हैं। त्वमत्र (त्वम् + अत्र) – तुम यहाँ। अन्याः – दूसरे लोग। दर्शनाय – देखने के लिए। दर्शनेन – देखने से/देखकर। अब: – इसलिए। दर्शनात् – देखने के बाद। स्व-स्वं – अपने-अपन। गच्छन्ति – ‘जाते हैं।

व्याकरणम्

1. अनुस्वार और म् का प्रयोग –

संस्कृत भाषा में शब्दरूप और धातुरूपों में ‘म’ का ही प्रयोग होता है। जैसेअहम्, आवाम्, वयम् त्वम्,युवाम्, यूयम आदि। लेकिन संधि में तथा वाक्य में म् का अनुस्वार हो जाता है।

जैसे – सम्य म् – संयम, परम् + सुखम् -परंसुखम, अस्माकं गृहम् – अस्माक गृहमा स्वर वर्ण के पूर्व आने वाला म् नहीं बदलता है। बल्कि म् में स्वर जुट जाता है।

जैसे – अहम् आनयामि अहमानयामि। त्वम् +एव -त्वमेव। व्यंजन वर्ष के पूर्व आने वाला म् का अनुस्वार हो जाता है।

जैसे – अहम् हसामिअहं सामि। त्वम् + पठसि – त्वं पठसि। कोड-दोनों प्रकार से वाक्य में लिखा जा सकता है। म् या अनुस्वार का प्रयोग करना हमारी इच्छा पर हैं।

जैसे – अहम् हसामि या अहं हसामि। त्वम् पठसि या त्वं पठसि। वाक्य के अन्त में आने वाला म् नहीं बदलता है।

जैसे – सः गच्छति गृहम्। लेकिन वाक्य के बीच में म् अनुस्वार में बदल सकते हैं। जैसे – मा गृहम् गच्छति – सः गृहं गच्छति। हम दोनों प्रकार से लिख सकते

2. स्थाववाचक अव्यय –

संस्कृत में प्रल् (त्र) प्रत्यय लगाकर स्थानवाचक अव्यय बनते हैं। जैसेइदम् + प्रल अत्र (यहाँ, इस स्थान पर) किम् + त्रल् – कुत्र (कहाँ, किस स्थान पर) तद् + त्रल् – तत्र (वहाँ, उस स्थान पर) सर्व + त्रल – सर्वत्र (सभी स्थानों पर) पर + ल् – परत्र (दूसरे स्थान पर)

विशेषण – विशेष्य-सम्बन्ध –

(विशेष्य यादृशं वाक्ये तादृशं स्याद् विशेषणम्) किसी वाक्य में जिस लिंग और वचन का विशेष्य होता है उसी लिंग और वचन का प्रयोग विशेषण में भी होता है। इतना ही नहीं, विशेषण में विभक्ति भी विशेष्य के अनुसार ही होती है। ”

निम्नलिखित उदाहरणों को देखेंसुन्दरम् पुष्पम् (सुन्दर फूल) पक्यानि फलानि (पके हुए फल)। निपुणाः छात्राः (तेज लड़के, तेज लड़कियाँ)। अल्पानि चित्राणि (कम चित्र) । मूर्खस्य सेवकस्य (मूर्ख सेवक का)। शोभने सरोवरे (सुन्दर तालाब में)।

  • निकटात् ग्रामात् (समीप के गाँव से)।
  • निर्धनाय छात्राय (गरीब छात्र के लिए)।
  • पीतेन वस्त्रेण (पीले कपड़े से)
  • उष्णं जलम् (गर्म पानी)।
  • शुष्कः काष्ठः (सूखी लकड़ी)।
  • गम्भीरः शिक्षकः (गम्भीर शिक्षक)।
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