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 bihar board class 8th sanskrit notes | अस्माकं देशः

bihar board class 8th sanskrit notes | अस्माकं देशः

bihar board class 8th sanskrit notes

वर्ग – 8

विषय – संस्कृत

पाठ 3 – अस्माकं देशः

अस्माकं देशः
                     ( भूतकाल की क्रियाएँ )

 

[ हमारा देश भारत ………….यथार्थ निरूपण है ।)

(उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् । वर्षं तद् भारतं प्रातुः भारती यत्र सन्ततिः । )

अर्थ – जो समुद्र के उत्तर और हिमालय से दक्षिण का भू – भाग है वह देश भारत कहलाता है । यहाँ की संतान भारतीय कहलाते हैं ।

अस्माकं देशः …………………..तीर्थ यात्रिकाः ।

अर्थ – हमारा देश भारतवर्ष कहलाता है । प्राचीन काल से ही इस देश की प्राकृतिक सम्पन्नता साहित्यिक योगदान और सांस्कृतिक सम्पन्नता आश्चर्य पैदा करने वाला है । यहाँ ही वेदों की उत्पत्ति सात सिन्धु , झेलम , चेनाब , रावी , व्यास , सतलज और सरस्वती ) नदियों वाला प्रदेश में हुई । जहाँ की भौतिक और आध्यात्मिक चिन्तन अद्भुत था । उत्तर भारत में महाकाव्यों का , पुराणों का और शास्त्रों की व्यापकता दक्षिण देश भाग को भी अपने प्रकाश में लाया । वहाँ भी ” शिलप्पदिकारम् ” ( तमिल भाषा का एक महाकाव्य का नाम है ) आदि अनेक ग्रन्थ प्राचीन काल से ही तमिल साहित्य का गौरव को बढ़ा रहा है । सम्पूर्ण भारत को सांस्कृतिक एकता प्रदान करने में पुराणों का योगदान नहीं भुलाने योग्य है । इस समय भारत के लोगों में धर्मस्थलों या तीर्थ यात्रा के प्रति जो लगाव देखा जाता है वह निश्चित रूप से पुराण – साहित्यों की देन है । दक्षिण के निवासी बदरीनाथ और केदारनाथ की यात्रा करते हैं तो उत्तर के निवासी रामेश्वरम् और कन्याकुमारी तीर्थ जाना चाहते हैं । उसी प्रकार द्वारिका , कामाख्या आदि स्थानों में तीर्थयात्री जाते हैं ।

   अस्य देशस्य नद्यः ……….समस्या अत्र नासीत् ।

अर्थ – इस देश की नदियों को पवित्र जलवाली मानी जाती है । यहाँ के पर्वतों को पवित्र कहा जाता है । यहाँ के वृक्ष पूजे जाते हैं । प्रकृति के प्रति भारतीयों का आकर्षण आश्चर्य पैदा करने वाला था । पूज्यनीय होने के कारण प्रकृति को प्रदूषित करना पाप माना जाता था । इसीलिए पर्यावरण की कोई भी समस्या यहाँ नहीं थी ।

अस्मिन् देशे विज्ञान स्यादि…….. अन्यदेशेष्वपि गता ।

अर्थ – इस देश में विज्ञान की भी बहुत बड़ी प्रतिष्ठा थी । वास्तु और शिल्पीकार लोग बड़े – बड़े मंदिरों का निर्माण करते थे । सुन्दर – सुन्दर भवन बनाये जाते थे । आकाशीय ग्रहपिण्डों को ज्योतिषियों के द्वारा अध्ययन किये जाते थे । यहाँ के चिकित्सा शास्त्र भी प्रगतिशील थे । गणित शास्त्र में शून्य की कल्पना भारत के द्वारा ही किया गया जिससे दशमलव की गणना का प्रारम्भ और अन्य देशों में भी गया ।

   भारतस्य प्राचीन गौरवं ……………नेतारः सन्ति ।

अर्थ — भारत का प्राचीन गौरव मध्यकाल में पराधीन ( गुलाम ) होने के कारण कुछ लुप्त जैसा हो गया । किन्तु वर्तमान में कुछ शिक्षित लोग हैं जो आधुनिक विज्ञान में भी अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं । सी ० बी ० रमण , जगदीश चन्द्रवसु , मेघनाथ साह , होमी जहांगीर भाभा , विक्रम साराभाई इत्यादि वैज्ञानिक लोग आधुनिक भारत के गौरव को बढ़ाने वाले हैं । उसी प्रकार महात्मा गाँधी जैसे कर्मवीर , रवीन्द्रनाथ ठाकुर जैसे साहित्यकार अरविन्द जैसे दार्शनिक , राधाकृष्णन जैसे शिक्षक , राजेन्द्र प्रसाद जैसे स्थिर बुद्धि वाले इत्यादि लोग वर्तमान भारत के प्रतिष्ठित नेता लोग हैं ।

सम्प्रति देशस्य …………………..गणनीयो वर्त्तते ।

अर्थ — आजकल देश का विकास सभी क्षेत्रों में हो रहा है । कृषि क्षेत्र में नये – नये प्रयोग , उत्तम संचार साधन अन्तरिक्ष क्षेत्र में भी विशिष्ट योगदान , स्वास्थ्य के प्रति जन – जागरण , चिकित्सा सुविधाओं की वृद्धि , सर्वशिक्षा अभियान इत्यादि उल्लेखनीय हैं । सब प्रकार हमारे देश को संसार के अग्रणियों में गिना जायेगा ।

शब्दार्थ –

उत्तरम् = उत्तर दिशा में । यत् = जो । समुद्रस्य = समुद्र का / के / की । हिमाद्रेः = हिमालय के । दक्षिणम् = दक्षिण दिशा में । वर्षम् = देश , वर्ष , वृष्टि । भारतम् = भारत ( नामक देश ) । प्राहुः = कहते हैं । भारती – भारतीय । यत्र = जहाँ । संततिः = संतान । अस्माकम् = हमारा , हमलोगों का । इति = ऐसा । कथ्यते = कहा जाता है । प्राचीनकालात् = प्राचीन काल से । अस्य = इसका । प्राकृतिकी = प्राकृतिक । समृद्धिः = सम्पन्नता । साहित्यिकम् = साहित्य सम्बन्धी । सांस्कृतिकम् = सांस्कृतिक , संस्कृति से सम्बन्धित । वैभवम् = समृद्धि , सम्पन्नता । आश्चर्यकरम् = आश्चर्य उत्पन्न करने वाला । बभूव = था / हुआ । अत्रैव ( अत्र + एव ) = यहीं । वेदानाम् =वेदों का । आविर्भावः = जन्म , उत्पत्ति । सप्तसिन्धुप्रदेशे =सप्तसैन्धव क्षेत्र में ( सिन्धु , झेलम , चेनाब , रावी , व्यास , सतलज व घग्घर ( सरस्वती ) सात नदियों वाला क्षेत्र ) । जातः = हुआ । भौतिकम् = भौतिक , सांसारिक । आध्यात्मिकम् = आध्यात्मिक ( आत्मा से सम्बन्धित ) । चिन्तनम् = चिन्तन , मनन । अद्भुतम् = अद्भुत ( जो आज से पहले न देखा गया हो ) । उत्तरभारते = उत्तर भारत में । महाकाव्यानाम् = महाकाव्यों का । पुराणानाम् = पुराणों का । शास्त्राणाम् = शास्त्रों का । व्यापकता = विस्तार । दक्षिणम् = दक्षिण को । देशभागमपि ( देशभागम् + अपि ) = देश के भाग को भी । स्वप्रकाशे = अपने प्रकाश में आनयत् = लाया । तत्रापि ( तत्र + अपि ) = वहीं । शिलप्पदिकारम् = शिलप्पदिकारम् ( तमिल साहित्य का एक महाकाव्य ) । प्रभृतयः = इत्यादि । प्राचीनकालतः = प्राचीन काल से । तमिलसाहित्यस्य = तमिल साहित्य का । गौरवम् = गौरव को । वर्धितवन्तः = बढ़ाये हुए हैं । सम्पूर्णस्य = सम्पूर्ण का , समस्त का । भारतस्य = भारत का । सांस्कृतिके = सांस्कृतिक में । एकत्वे = एकता मैं । अविस्मरणीयम् = नहीं भुलाये जाने योग्य ( है ) । इदानीम् = इस समय । जने – जने = जन – जन में , लोगों में । धर्मस्थलानाम् = धर्म स्थलों का / की / के । तीर्थयात्रार्थम् =तीर्थ यात्रा के लिए । योऽभिनिवेशः ( यः + अभिनिवेशः ) = जो लगाव । दृश्यते = देखा जाता है । नूनम् = निश्चित रूप से । पुराणसाहित्यकृतम् = पुराण – साहित्य के द्वारा किया गया ।  दक्षिणस्य निवासी = दक्षिण ( भारत ) के रहनेवाले । बदरीकेदारयात्राम् = बद्री ( नाथ ) और केदार ( नाथ ) की यात्रा ( को ) । करोति = करता है । उत्तरस्य = उत्तर का । रामेश्वा कन्याकुमारी तीर्थं च = रामेश्वर और कन्याकुमारी तीर्थ ( को ) । गन्तुमिच्छति ( गन्तुम् + इच्छति ) = जाना चाहता है । एवमेव ( एवम् + एव ) = उसी प्रकार । द्वारिकाकामाख्यादिषु = द्वारिका , कामाख्या आदि में । स्थलेषु = स्थलों में / पर । तीर्थयात्रिकाः = तीर्थयात्री । नद्यः । नदियाँ । पुण्यतोयाः = पवित्र जलवाली । मन्यन्ते = माने जाते हैं , मानी जाती हैं । कथ्यन्ते = कहे जाते हैं । पूज्यन्ते = पूजे जाते हैं । प्रकृति प्रति = प्रकृति के प्रति । भारतीयानाम् = भारतीयों का । आकर्षणमासीत् ( आकर्षणम् + आसीत् ) = आकर्षण था । पूजनीयत्वात् = पूज्य होने ( के कारण ) से । प्रकृतेः प्रकृति का । प्रदूषणम् = प्रदूषण । मन्यते स्म = माना जाता था । अतएव = इसीलिए । पर्यावरणस्य = पर्यावरण की । कापि = कोई भी । अत्र = यहाँ । नासीत् ( न + आसीत् ) = नहीं था । अस्मिन् देशे = इस देश में । विज्ञानस्यापि ( विज्ञानस्य + अपि ) = विज्ञान का भी । महती = बड़ी । प्रतिष्ठा = इज्जत , सम्मान । वास्तुशिल्पिनः = वास्तुकार – शिल्पकार ( भवन का नक्शा बनानेवाले ) । विशालानि मन्दिराणि = बड़े मन्दिरों को । निर्मान्ति स्म = बनाते थे । भवनानि = भवन , मकान । भव्यानि = भव्य , सुन्दर , आकर्षक । क्रियन्ते स्म = बनाये जाते थे । आकाशपिण्डानि = आकाशीय पिण्डों ( ग्रह , उपग्रह , नक्षत्रादि ) को । ज्योतिर्विद्भिः = ज्योतिषियों के द्वारा । अधीयन्ते स्म = अध्ययन किये जाते थे । चिकित्साशास्वमपि ( चिकित्साशास्वम् + अपि ) = चिकित्सा शास्त्र भी । प्रगतिशीलम् प्रगतिशील , लगातार आगे बढ़नेवाला । गणितशास्त्रे = गणितशास्त्र में । शून्यस्य = शून्य की , ( का , के ) । भारतेन = भारत के द्वारा । कृता = किया गया । येन = जिससे । दशमलवगणना = दशमलव की गणना ( गिनती ) । प्रारभत = आरम्भ हुआ । अन्यदेशेष्वपि ( अन्यदेशेषु + अपि ) = दूसरे देशों में भी । गता = गयी । किञ्चित् = कुछ । तिरोहितम् = लुप्त , गायब । पराधीनतया = पराधीनता से , गुलामी से , दूसरे के अधीन रहने से । सम्प्रति = इस समय । शिक्षिताः = शिक्षित , पढ़े – लिखे लोग । सन्तः = होते हुए । आधुनिके = आधुनिक में , आज के समय में । विज्ञानेपि ( विज्ञाने + अपि ) = विज्ञान में भी । प्रतिभाम् = प्रतिभा को । दर्शयन्ति = दिखाते हैं । आधुनिकभारतस्य = आधुनिक भारत के । गौरववर्धकाः = गौरव , प्रतिष्ठा , सम्मान बढ़ानेवाले । सदृशः = ( के ) समान । स्थितप्रज्ञः = जिसने आत्मतत्त्व को जानकर स्थिरता प्राप्त कर ली है ( समसुखदु : खः ) । इत्यादय = इत्यादि । वर्तमानभारतस्य = वर्तमान भारत के । गौरवरूपाः = गौरवरूप , प्रतिष्ठापूर्ण । नेतारः = नेता ( बहुवचन ) । सार्वत्रिकः = सभी क्षेत्रों वाला । कृषिक्षेत्रे = कृषि क्षेत्र में । नवीनाः प्रयोगाः = नये प्रयोग । संचारसाधनानि = संचार के साधन ( यथा – दूरभाष , वायुयान इत्यादि ) । उत्कृष्टानि = उत्तम । अन्तरिक्षक्षेत्रेऽपि ( अन्तरिक्षक्षेत्रे + अपि ) = अन्तरिक्ष क्षेत्र में भी । विशिष्टम् = विशेष । स्वास्थ्य प्रति = स्वास्थ्य के प्रति । जनजागरणम् = जन – जागरूकता । चिकित्सासुविधानां=चिकित्सा सुविधाओं की । वृद्धिः = बढ़ोत्तरी । सर्वशिक्षाभियानम् = विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में उत्थान के लिए चलाया गया कार्यक्रम । इत्यादीनि = इत्यादि । उल्लेखनीयानि = उल्लेखनीय । सर्वथापि ( सर्वथा + अपि ) = सभी प्रकार से । अग्रगण्येषु = अग्रगण्यों में । गणनीयः = गणना – योग्य ।

व्याकरणम्

सन्धि – विच्छेदः –

हिमाद्रेश्चैव =हिमाद्रेः च + एव ( विसर्ग सन्धि , वृद्धि सन्धि ) । अत्रैव = अत्र + एव ( वृद्धि सन्धि ) । योऽभिनिवेशः = यः + अभिनिवेशः । नासीत् = न + आसीत् ( दीर्घ सन्धि ) । अन्यदेशेष्वपि = अन्यदेशेषु + अपि ( यण् सन्धि ) । विज्ञानेऽपि = विज्ञाने + अपि ( पूर्वरूप सन्धि ) । अन्तरिक्षक्षेत्रेऽपि = अन्तरिक्षक्षेत्रे + अपि ( पूर्वरूप सन्धि ) । सर्वथापि = सर्वथा + अपि ( दीर्घ सन्धि ) ।

प्रकृति – प्रत्यय –

विभागः प्राहुः = प्र + √ब्रू  लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन
कथ्यते =√ कथ + यक् कर्मवाच्य , प्रथम पुरुष , एकवचन
बभूव =√भू लिट् लकार ( परोक्षभूत ) , प्रथम पुरुष , एकवचन
जातः =√जन् + क्त पुंल्लिंग , एकवचन
चिन्तनम् =√चिन्त + ल्युट् आसीत् अस् लङ्लकार , प्रथम पुरुष , एकवचन
व्यापकता = वि +√ आप् + ण्वुल् + तल् ( ता ) आनयत् = आ +√ नी + लङ्लकार , प्रथम पुरुष , एकवचन
प्राचीनकाल=प्राचीनकालतः + तसिल् ( तः )
वर्धितवन्तः=√वृध् +णिच् क्तवतु , बहुवचन
विस्मरणीयम्=  वि +√स्मृ + अनीयर् , नपुंसकलिङ्ग न विस्मरणीयम् =अविस्मरणीयम् ( नञ् समास )
दृश्यते =√दृश् + यक् ( य ) प्रथम पुरुष , एकवचन ( कर्मवाच्य )
कृतम् =√कृ + क्त नपुंसकलिङ्गः , एकवचन
करोति =√कृ  लट् लकार , प्रथम पुरुष , एकवचन गन्तुम्=√ गम् + तुमुन्
इच्छति =√इच्छ लट् लकार , प्रथम पुरुष , एकवचन  गच्छन्ति=√ गम् लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन मन्यन्ते =√मन् + यक् ( य ) लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन ( कर्मवाच्य )
कथ्यन्ते =√कथ् + यक् लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन ( कर्मवाच्य )
पूज्यन्ते =√पूज् + यक् लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन ( कर्मवाच्य )
निर्मान्ति =निर् + √मन् लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन
क्रियन्ते =√कृ + यक् लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन , कर्मवाच्य
अधीयन्ते = अधि + इङ् + यक् लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन ( कर्म )
प्रारभत =प्र . आ + √रभ् लङ् लकार , प्रथम पुरुष , एकवचन
गता =√ गम् + क्त , स्त्रीलिङ्ग , एकवचन
दर्शयन्ति=√ दृश + णिच् , लट् लकार , प्रथम पुरुष , बहुवचन
वर्तते =√वृत् लट् लकार , प्रथम पुरुष , एकवचन ( आत्मनेपदी )
अभ्यासः

मौखिक –

1. अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत-

उत्तरम्– हिमाद्रेश्च , प्राहुः साहित्यिकम् , आविर्भावः , शिलप्पदिकारम् अविस्मरणीयम् , योऽभिनिवेशः , द्वारिकाकामाख्यादिषु , पुण्यतोयाः , वास्तुशिल्पिनः , ज्योतिर्विद्भिः , चिकित्साशास्त्रम् , अन्तरिक्षक्षेत्रेऽपि , अग्रगण्येषु ।

2. निम्नलिखितानां पदानाम् अर्थं वदत-

उत्तरम् – अस्माकम् = हमारे । प्राचीनकालात् = प्राचीन काल से । समृद्धिः = उन्नति । वेदानाम् = वेदों का । आध्यात्मिकम् = अध्यात्मिक । वर्धित वन्तः = बढ़ा रहा है । अविस्मरणीयम् = नहीं भूलाने योग्य । इदानीम् = इस समय । अभिनवेशः = लगाव ( प्रेम ) । गन्तुमिच्छति = जाना चाहता है । पुण्यतोयाः = पवित्र जल वाली । मन्यते = मानी जाती है । पूजनीयत्वात् = पूजनीय होने के कारण । प्रदुषणम् = गन्दगी । आकाश पिण्डानि = आकाशीय पिण्डों को । ज्योतिर्विद्भिः = ज्योतिषियों के द्वारा । अन्यदेशेष्वपि = अन्य देशों में भी । तिरोहितम् = हास । स्थितप्रज्ञः = स्थिर बुद्धि वाला ( सुख – दु : ख में समान रहने वाला ) । सार्वत्रिकः = सब प्रकार से । संचार साधनानि = संचार के साधन ( दूरसंचार , यातायात के साधन ) । जन जागरणम् = लोगों का जागरूक होना । सर्वशिक्षाभियानम् = सर्व शिक्षा अभियान । सर्वथापि = सभी प्रकार से । गणनीयः = गिनने योग्य ।

3. भारतवर्ष विषये दश वाक्यानि स्व मातृभाषायां वदत् । ( भारत देश पर दस वाक्य में अपनी मातृभाषा ( हिन्दी ) में लिखें । )

उत्तरम् – हमारा भारत महान है । इस देश का इतिहास गौरवपूर्ण है । यहाँ हिन्दू – मुस्लिम , सिख , ईसाई सभी लोग प्रेम से रहते हैं । यह कृषि प्रधान देश है । भारत की भाषा हिन्दी है । यहाँ गंगा – यमुना आदि नदियाँ बहती हैं । भारत के उत्तर में हिमालय , दक्षिण में समुद्र , पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्व में बांग्लादेश है । भारत में अनेक राम – कृष्ण – गाँधी अनेक महापुरुष उत्पन्न हुए । भारत को आर्यावर्त , हिन्दुस्तान , इण्डिया इत्यादि नाम से भी लोग जानते हैं । भारत सभी क्षेत्रों में विकासशील है ।

लिखित –

4. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरम् एकपदेन लिखित ( निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखिए । ) प्रश्नोत्तरम्-

( क ) अस्माकं देशः कः ?

उत्तरम् – भारतः ।

( ख ) भारतवर्षम् हिमालयस्य ( हिमाद्रे ) कस्यां दिशायां वर्तते ?

उत्तरम् – दक्षिणे ।

( ग ) भारतस्य दक्षिण दिशायां कः सागरः वर्तते ?

उत्तरम् – हिन्दमहासागरः ।

( घ ) वेदानां आविभावः कस्मिन् प्रदेशे जातः ?

उत्तरम् – सप्तसिन्धु प्रदेशे ।

( ङ ) “ शिलप्पादिकारम् ” इति कस्याः भाषायाः महाकाव्यम् ।

उत्तरम् – तमिलभाषायाः ।

( च ) कस्मात् कारणात् प्रकृते प्रदूषणं पापं मन्यते स्म ?

उत्तरम् – पूजनीयत्वात् ।

( छ ) आकाश पिण्डानि कैः अघीयन्ते स्म ?

उत्तरम् – ज्योतिर्विद्भिः ।

( ज ) गणित शास्त्रे शून्यस्य कल्पना केन कृता ?

उत्तरम् – भारतेन ।

5.मेलनं कुरुत
.

.( क ) वेदाः              ( 1 ) तमिल महाकाव्यम् ( ख ) भारतवर्षम्          ( 2 ) भारतवर्षे
ग)शिलप्पदिकारम्   ( 3 ) ऋक् – यजुः साम – अथर्व ( घ ) शून्यस्य कल्पना      ( 4 ) राष्ट्रम्
( ङ ) सी . वी . रमणः      ( 5 ) दार्शनिक :
( च ) श्री अरविन्दः         ( 6 ) वैज्ञानिकः
( छ ) सर्व शिक्षाभियानम्   ( 7 ) स्थितप्रज्ञः
( ज ) श्री राजेन्द्र.    ( 8 ) शिक्षिकोत्थान कार्यक्रमः । उत्तरम्- ( क ) ( 3 ) । ( ख ) ( 4 ) । ( ग ) ( 1 ) ( घ ) ( 2 ) । ( ङ ) ( 6 ) । ( च ) ( 5 ) । ( छ ) ( 8 ) । ( ज ) ( 7 ) ।

6. कोष्ठात् पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत –

( क ) भारतवर्ष हिमालयस्य …….. दिशायां वर्तते । ( उत्तर , दक्षिण )
(ख)……..निवासी प्रायेण बदरी केदारयात्रां करोति । ( उत्तरस्य / दक्षिणस्य )
( ग ) भारतस्य गौरव ………काले किञ्चित तिरोतिम् ( प्राचीने / मध्ये )
( घ ) डॉ . होमी जहाँगीर भाभा एकः…….. आसीत् ( वैज्ञानिकः / राजनीतिज्ञः )
( ङ ) सम्प्रति राष्ट्रस्य विकास : ………… | ( सार्वत्रिक : / एकाङ्गिकः )

उत्तरम् ( क ) उत्तर । ( ख ) दक्षिणस्य । ( ग ) मध्ये । ( घ ) वैज्ञानिकः । ( ङ ) सार्वत्रिकः ।

7. निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं पूर्ण वाक्येन लिखत-

( क ) अस्माकं देश : किं कथ्यते ?

उत्तरम्– अस्माकं देश : भारतवर्षम् कथ्यते ।

( ख ) वेदानाम् आविर्भाव : कस्मिन प्रदेशे जातः ?

उत्तरम् – वेदानाम् आविर्भावः सप्तसैन्धुप्रदेशे जातः ।

( ग ) वेदेषु किम् अद्भुतम् आसीत ?

उत्तरम् -वेदेषु भौतिकम् आध्यात्मिकं च चिन्तनम् अद्भुतम आसीत् ।

( घ ) का प्रति भारतीयानाम् आश्चर्यकरम् आकर्षणभासीत् ?

उत्तरम् – प्रकृति प्रति भारतीयानाम् आश्चर्यकरम् आकर्षणमासीत् ।

( ड ) भारतवर्ष के विशालानि मन्दिराणि निर्मान्ति सम ?

उत्तरम् – वास्तुशिल्पिनः विशालानि मन्दिराणि मन्दिराणि निर्मान्ति स्म ।

( च ) गणित शास्त्रे शून्यस्य कल्पना केन कृता ?

उत्तरम् – गणित शास्त्रे शून्यस्य कल्पना भारतेन कृता ।

8. निम्नलिखितानां पदानां बहुवचनं लिखत

प्रश्न                                          उत्तरम्
( क ) कथ्यते                           कध्यन्ते
( ख ) आसीत्                           आसन्
( ग ) वर्धितवान्                      वधितवन्तः
( घ ) करोति                          कुर्वन्ति
( ड़ ) इच्छति                         इच्छन्ति
( च ) मन्यते                           मन्यन्ते
( छ ) अधीयते                       अधियन्ते
( ज ) गतः                             गताः
( झ ) दर्शयति                        दर्शयन्ति
( ब ) वर्त्तते                            वर्तन्ते

9. संस्कृते अनुवादं कुरुत

( क ) हमारा देश ‘ भारतवर्ष ‘ कहा जाता है ।

उत्तरम् – अस्माकं देश : ” भारतवर्षम् ” कथ्यते ।

( ख ) यहीं ( अत्रैव ) सप्तसैन्धव क्षेत्र में वेदों की उत्पत्ति हुई ।

उत्तरम् -अत्रैव सप्तसिन्यु क्षेत्रे वेदानां , उत्पत्तिः अभवत् ।

( ग ) दक्षिण के निवासी प्रायः बद्री केदारनाथ की यात्रा करते हैं ।

उत्तरम् – दक्षिणस्य निवासिनः प्रायः बद्री केदारनास्य यात्रां कुर्वन्ति ।

( घ ) उत्तर के निवासी रामेश्वर और कन्या कुमारी की यात्रा पर जाना चाहते हैं ।

उत्तरम् –उत्तरस्य निवासिनः रामेश्वरं कन्या कुमारी च यात्रायाम् गन्तुम् इच्छन्ति ।

( ङ ) इस देश के पर्वत पवित्र कहे जाते हैं ।

उत्तरम् – अस्य देशस्य पर्वता : पवित्राः कथ्यन्ते ।

( च ) इस देश में वृक्ष पूजे जाते हैं ।

उत्तरम् – अस्मिन् देशे वृक्षाः पूज्यन्ते ।

10. पदानि योजयित्वा लिखत

प्रश्न                                               उत्तरम्

( क ) भारतवर्षम् + इति               भारतवर्षमिति

( ख ) देशभागम् + अपि                 देशंभागमपि

( ग ) गन्तुम् + इच्छति                   गन्तुमिच्छति

( घ ) आकर्षणम् + आसीत्            आकर्षणमासीत्

( ङ ) चिकित्साशास्त्रम् + अपि    चिकित्साशास्त्रमपि

11. भिन्न प्राकृतिकं  चिनुत

( क ) कथ्यते , नीयते , मन्यते , अमन्यत , क्रियते – उत्तरम् – अमन्यत ।
( ख ) देशः , ग्रन्थः , तीर्थयात्रिकः , जनः , लता । – उत्तरम् – लता ।
( ग ) उत्तरम , दक्षिणम् , भारतवर्षम् , वृक्षः , प्रदूषणम् । – उत्तरम्– वृक्षः ।

( घ ) कन्या , कुमारी , नदी , विज्ञानम् , समस्या । – उत्तरम् – विज्ञानम् ।

12  . अधोलिखितपदेषु प्रकृति – प्रत्ययविभागं कुरुत –

यथा- पैदानि         प्रकृति        +       प्रत्ययः
कथयितुम          कथ्       +         तुमुन्

उत्तरम् –

( क ) पठितुम्      पर्वताः       +          तुमुन्
( ख ) गन्तुम्            गम्        +          तुमुन्
( ग ) हसितुम्           हस्        +          तुमुन्
( घ ) द्रष्टुम्               दृश्       +           तुमुन्
( ङ ) कर्तुम्             कृ         +            तुमुन्

13 . विशेष्य – विशेषणानाम् उचितं मेलनं कुरुत

प्रश्न — विशेष्य – पदानि             विशेषण – पदानि

( क ) चिन्तनम्                       ( 1 ) पवित्रतः
( ख ) नद्यः                             ( 2 ) महती
( ग ) पर्वताः                             ( 3 ) नवीनाः
( घ ) प्रतिष्ठा                           ( 4 ) पुण्यतोयाः

( ङ ) प्रयोगा :                         ( 5 ) अद्भुतम्

उत्तरम् ( क ) ( 5 ) । ( ख ) ( 4 ) । ( ग ) ( 1 ) । ( घ ) ( 2 ) । ( ङ ) ( 3 ) ।
( योग्यता – विस्तारः)

भारतवर्ष का नाम प्राचीन राजा भरत ( दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र ) के नाम पर पड़ा है । वैदिक युग में भरत एक कबीले ( समुदाय ) का नाम था । ऋग्वेद में उसकी चर्चा अनेक बार हुई है । भरत नाम के अनेक व्यक्ति पुराणों में हैं किन्तु हमारे देश का नाम भारत दुश्यन्तपुत्र के कारण ही पड़ा । अंग्रेजी में इसे ( India ) कहते हैं जो यूनानी शब्द से निकला है । प्राचीन काल में यूनानी लेखक सिन्धु नदी के आसपास के क्षेत्र को ‘ इन्दुस् ‘ कहते थे , वही आगे चलकर नदीवाचक नाम से देशवाचक नाम हो गया , जैसे संस्कृत साहित्य में राजा के नाम से देश का नाम पड़ गया । शब्दों का अर्थ कालक्रम से बदलता है , यह स्वाभाविक है ।
इस पाठ के आरम्भ में जो श्लोक दिया गया है वह विष्णु पुराण का है । विष्णु पुराण तथा भागवत पुराण में भारतवर्ष की महिमा विस्तार से कही गयी है । विष्णु पुराण में एक अन्य श्लोक है –
गायन्ति देवाः किल गीतकानि , धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।
स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते , भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात् ।।
भारत की ऐसी महत्ता थी कि देवता भी यहाँ जन्म लेने के लिए तरसते थे । यहाँ जलवायु का वैविध्य , प्रदेशों की भिन्नता , पेड़ – पौधों का आधिक्य , जल की सुविधा , उर्वरभूमि इत्यादि प्राकृतिक उपादानों का वरदान जमकर मिला है । यही कारण है कि इस देश में भौतिक समृद्धि तथा सारस्वत कार्य के लिए सर्वथा अनुकूल वातावरण मिला । यहाँ के प्राचीन विद्वानों में एक ओर भौतिक विज्ञान के निरीक्षण एवं विकास की क्षमता थी तो दूसरी ओर आध्यात्मिक चिन्तन का उत्कर्ष भी था । विदेशियों की दृष्टि भारत की अपार प्राकृतिक सम्पदा पर आरम्भ से ही लगी रहती थी जिसके कारण यह देश हजारों वर्षों तक राजनीतिक दासता झेलता रहा ।
आज स्वाधीन भारत में देश के समक्ष अनेक समस्याएँ हैं जिनका समाधान बहुत दूर तक नागरिकों के शुद्ध आचरण , ज्ञान के प्रति अभिरुचि एवं मिल – जुलकर रहने से हो सकता है ।।

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