JAC Board Jharkhand Class 10th Social Science History Solutions chapter -4-औद्योगीकरण का युग

JAC Board Jharkhand Class 10th Social Science History Solutions chapter -4-औद्योगीकरण का युग

                    औद्योगीकरण का युग

वस्तुनिष्ठ औद्योगीकरण का युग प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कहाँ प्रारंभ हुई ?
(a) फ्रांस,

(b) जर्मनी,

(c) अमेरिका,

(d) इंग्लैंड |
उत्तर–(d)

प्रश्न 2. भाप के इंजन का आविष्कार किसने किया ?
(a) जेम्स वॉट,

(b) आर्कराइट,

(c) फोर्ड,

(d) निकल्सन ।
उत्तर–(a)

प्रश्न 3. सूती कपड़ा मिल की रूपरेखा किसने बनाई ?
(a) जेम्स वॉट,

(b) निकल्सन,

(c) जेम्स हारग्रीन्स,

(d) रिचर्ड आर्कराइट |
उत्तर–(d)

प्रश्न 4. बंबई में पहली सूती वस्त्र मिल की स्थापना कब हुई थी ?
(a) 1854,

(b) 1855,

(c) 1856,

(d) 1857.
उत्तर–(a)

प्रश्न 5. इंग्लैंड में किस नई तकनीक की शुरुआत ने महिलाओं को क्रोधित कर दिया था ?
(a) स्पिनिंग जेनी,

(b) भूमिगत रेलवे,

(c) स्टीम इंजन,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर–(a)

प्रश्न 6. निम्नांकित में से किसने 1917 में कलकत्ता में पहली भारतीय जूट मिल स्थापित की थी ?
(a) सेठ हुक्मचंद,

(b) जमशेद जी नसरवान जी टाटा,

(c) जी० डी० बिरला,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर–(a)

प्रश्न 7. स्पिनिंग जेनी क्या थी ?
(a) एक मशीन,

(b) एक व्यक्ति,

(c) एक उद्योग, 

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर–(a)

प्रश्न 8. निम्नांकित में से कौन-से भारत के पूर्व औपनिवेशिक बंदरगाह थे ? 
(a) मद्रास और हुगली, 

(b) सूरत और मछलीपटनम, 

(c) मद्रास और बंबई, 

(d) बंबई और हुगली । 
उत्तर–(b)

प्रश्न 9. कोस्टीस कौन थे ?
(a) बुनकरों का एक समुदाय, 

(b) बुनकर, 

(c) सूती वस्त्र बुनकर, 

(d) भूमिहीन मजदूर । 
उत्तर–(a)

प्रश्न 10. निम्नांकित में से किस स्थान पर 1874 में पहली कताई और बुनाई मिल खुली थी ? 
(a) कानपुर, 

(b) मद्रास (चेन्नई), 

(c) बंबई (मुंबई), 

(d) अहमदाबाद । 
उत्तर–(b)

प्रश्न 11. यूरोपीय देशों में किस देश के कपड़ों की अत्यधिक माँग थी ? 
(a) अमेरिका, 

(b) ब्राजील, 

(c) भारत, 

(d) ब्रिटेन ।
उत्तर–(c)

प्रश्न 12. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में  बुनकरों पर निगरानी रखने, माल इकट्ठा करने और गुणवत्ता की जाँच करने के लिए किन्हें नियुक्त किया ? 
(a) ठेकेदार,

(b) जमींदार,

(c) सौदागर, 

(d) गुमाश्ता ।
उत्तर–(d)

प्रश्न 13. किस मशीन के आने से बुनकरों को बड़े करघे चलाने और चौड़े अरज का कपड़ा बनाने में मदद मिली ? 
(a) भाप इंजन,

(b) स्पिनिंग जेनी,

(c) फ्लाई शटल,

(d) इनमें कोई नहीं ।
उत्तर–(c)

प्रश्न 14. इंग्लैंड का कौन-सा नगर फिनिशिंग सेंटर के रूप में विकसित हुआ ? 
(a) लंदन, 

(b) आइलैंड, 

(c) हैम्पशायर, 

(d) वरमोंट । 
उत्तर–(a)

प्रश्न 15. न्युकॉमेन द्वारा बनाए गए भाप के इंजन का किसने सुधार किया ? 
(a) फोर्ड, 

(b) निकल्सन, 

(c) जेम्स वाट, 

(d) आर्कराइट | 
उत्तर–(c)

कोष्ठक में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को भरें-
प्रश्न 1. स्पिनिंग जेनी मशीन का आविष्कार_______ ने किया। (रिचर्ड आर्कराइट/ जेम्स हरग्रीब्ज) 
उत्तर - जेम्स हरग्रीब्ज

प्रश्न 2. इंग्लैंड में सबसे पहले कारखाने_______ खुले । (1730 के दशक में/ 1740 के दशक में)
उत्तर-1730 के दशक में

प्रश्न 3. भारत का पहला लौह एवं इस्पात संयंत्र_______में स्थापित किया गया। (बम्बई / जमशेदपुर )
उत्तर - जमशेदपुर

प्रश्न 4. _________नए युग का प्रतीक था । (कपास / लोहा)
उत्तर - कपास

प्रश्न 5. फ्लाई शटल_______के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक यांत्रिक औजार था । (कताई / बुनाई) 
उत्तर - बुनाई

प्रश्न 6. बेरोजगारी के डर से बहुत सारे मजदूर______के इस्तेमाल का विरोध कर रहे थे। (फ्लाई शटल / स्पिनिंग जेनी)
उत्तर - स्पिनिंग जेनी

प्रश्न 7. द्वारकानाथ टैगोर_______हैं । (चित्रकार / उद्योगपति)
उत्तर- उद्योगपति

प्रश्न 8 स्वदेशी का राष्ट्रवादी संदेश_______के माध्यम से प्रसारित किया गया था ।( मूल्य सूची / विज्ञापन)
उत्तर- विज्ञापन

प्रश्न 9. "डॉन ऑफ द सेंचुरी " नामक चित्र में________का महिमामंडन है । (प्रजातंत्र/औद्योगीकरण)
उत्तर- औद्योगीकरण

प्रश्न 10. स्पिनिंग जेनी मशीन________के काम आती थी । ( कताई / बुनाई) 
उत्तर - कताई

प्रश्न 11. ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर______किये।(हमले / कताई)
उत्तर- हमले

प्रश्न 12. पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन______| (घट गया /बढ़ गया)
उत्तर- बढ़ गया

प्रश्न 13. ब्रिटेन में सबसे प्रमुख उद्योग______थे । (कपास और धातु / धातु और रेशम)
उत्तर - कपास और धातु

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्त 

प्रश्न 1. स्पिनिंग जेनी क्या है ?
उत्तर - जेम्स हरग्रीव्ज द्वारा 1764 में बनाई गई इस मशीन ने कताई की प्रक्रिया तेज कर दी और मजदूरों की माँग घटा दी । एक ही पहिया घुमाने वाला एक मजदूर बहुत सारी तकलियों को घुमा देता था और एक साथ कई धागे बनने लगते थे।

प्रश्न 2. फ्लाई शटल क्या है ?
उत्तर - यह रस्सियों और पुलियों के जरिए चलने वाला एक यांत्रिक औजार है जिसका बुनाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह क्षैतिज धागे (ताना - the weft) को लम्बवत् धागे (बाना - the warp) में पिरो देती है । फ्लाई शटल के आविष्कार से बुनकरों को बड़े करघे चलाना और चौड़े अरज का कपड़ा बनाने में काफी मदद मिली ।

प्रश्न 3. आदि औद्योगीकरण (पूर्व औद्योगीकरण) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - यूरोप में बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना के पूर्व भी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन कारखानों में न होकर, गाँवों में ग्रामीण कारीगरों द्वारा होता था । इन पर सौदागरों का नियंत्रण होता था ।
इसे ही पूर्व-औद्योगीकरण या आदि-औद्योगीकरण के नाम से जाना जाता है ।

प्रश्न 4. कब, कहाँ तथा किस के द्वारा पहली सूती कपड़ा मिल भारत में स्थापित की गई ?
उत्तर-1853 में भारत में पहली सूती कपड़ा मिल कवासजी नाना द्वारा मुंबई में स्थापित की गई थी ।

प्रश्न 5. ब्रिटिश काल में भारत में कितनी जूट एवं सूती मिलें थीं ?
उत्तर- ब्रिटिश काल में 1901 में 40 जूट मिल तथा 1905 में 206 सूती कपड़ा मिल भारत में थीं ।

प्रश्न 6. यूरोपीय मैनेजिंग एजेन्सियाँ किस प्रकार के उद्योगों में रुचि रखती थी ?
उत्तर- चाय और कॉफी के बागान में ।

प्रश्न 7. भारतीय कर्मकारों, कलाकारों, किसानों और मजदूरों की दशा क्यों खराब थी ?
उत्तर- अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी अपनी साख तथा एकाधिकार बनाए रखने के लिए रिश्वत खोरी का सहारा ले रही थी ।

प्रश्न 8. मशीन युग से पहले कौन-कौन भारतीय उद्योग एवं दस्तकारियों का विश्व बाजार में बोलबाला था ?
उत्तर - मशीन युग से पहले भारत के सूती और रेशमी कपड़े का विश्व - बाजार में बोलबाला था ।

प्रश्न 9. जमशेदजी जीजीभोये कौन थे ?
उत्तर- जमशेदजी जीजीभोये एक पारसी बुनकर के बेटे थे। अपने समय के बहुत सारे लोगों की तरह उन्होंने भी चीन के साथ व्यापार और जहाजरानी का काम किया था। उनके पास जहाजों का एक विशाल बेड़ा था । अंग्रेज और अमेरिकी जहाज कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण 1850 के दशक तक उन्हें सारे जहाज बेचने पड़े ।

प्रश्न 10. भारत की कौन-सी दो बंदरगाहों का दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ संबंध था ?
उत्तर- कोरोमण्डल तट पर स्थित मस्लीपटम और बंगाल में हुगली का ।

प्रश्न 11. अंग्रेजी कंपनी द्वारा बुनकरों को ऋण देने की प्रथा को क्यों अपनाया गया ?
उत्तर- (क) बुनकरों को ऋण इसलिए दिए गए ताकि वे मंडी से रूई आसानी से खरीद सके ।

(ख) ऋण लेने वाले बुनकर किसी अन्य को अपना बना हुआ माल बेच नहीं सकते थे, यह अंग्रेजी कंपनी के लिए बड़ी अच्छी बात थी ।

प्रश्न 12. 19 वीं सदी में एकाएक किस तरह से शहरी हस्त उद्योग बुरी तरह से समाप्त हो गए ?
उत्तर - अंग्रेज लोग बहुत-से मशीनों द्वारा निर्मित माल भारत लाए थे। ब्रिटिश माल गुणवत्ता में अच्छा था, साथ ही आकर्षक तथा सस्ता था । भारतीय हस्तकला उसके आगे नहीं ठहर सकती थी । इसी कारण से भारतीय हस्त उद्योग पतन के मार्ग पर चल पड़ा ।

प्रश्न 13. 19 वीं शताब्दी के उन व्यवसायियों के नाम लिखें जिनका भारतीय उद्योग और व्यापार जगत में बोलबाला था।
उत्तर- (क) द्वारकानाथ,

(ख) डिनशॉ पेटिट और जमशेदजी नसरवानजी टाटा जैसे पारसी,

(ग) मारवाड़ी सेठ हुकुमचन्द,

(घ) जी० डी० बिरला के पिता तथा दादा आदि ।

प्रश्न 14. 'जॉबर' कौन होते थे ? उनका क्या कार्य होता था ?
उत्तर - उद्योगपति नए मजदूरों की भर्ती के लिए प्रायः एक जॉबर रखते थे। जॉबर कोई पुराना और विश्वस्त कर्मचारी होता था ।

जॉबर का कार्य- जॉबर अपने गाँव से लोगों को लाता था। गाँव से आए लोगों को विश्वास दिलाता था कि उन्हें शहर में जमने में मदद करेगा और मुसीबत में पैसे से मदद करेगा। इस प्रकार जॉबर ताकतवर और मजबूत व्यक्ति बन गया। बाद में जॉबर मदद के बदले पैसे और तोहफों की माँग करने लगे और मजदूरों की जिंदगी को नियंत्रित करने लगे ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्त 

प्रश्न 1. ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए। व्याख्या करें।
अथवा, बहुत सारे मजदूर स्पिनिंग जेनी के इस्तेमाल का विरोध क्यों कर रहे थे ?
अथवा, स्पिनिंग जेनी क्या था ? इसका आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर- (क) स्पिनिंग जेनी का आविष्कार जेम्स हरग्रीब्ज ने 1764 ई० में किया। इस मशीन ने कताई की प्रक्रिया तेज कर दी जिसके कारण अब मजदूरों की मांग घट गई।

(ख) एक ही पहिए को घुमाकर एक मजदूर सारी स्पिडल्स को घुमा देता था और एक साथ कई धागे बनने लगते थे।

(ग) बेरोजगारी के डर से महिला-कारीगर, जो हाथ से धागा कातकर गुजारा करती थीं, घबरा गई।

(घ) इसलिए उन्होंने इन नई मशीनों को लगाने का विरोध किया और जहाँ-जहाँ ये मशीनें लगाई गई उन्होंने उनपर आक्रमण करके उनको तोड़-फोड़ दिया। महिलाओं का विरोध तोड़-फोड़ काफी समय तक चलती रही।

प्रश्न 2. सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे । व्याख्या करें।
उत्तर- सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरोंसे काम करवाने लगे। उन्होंने ऐसा निम्नांकित कारणों से किया-
(क) उस समय विश्व व्यापार के विस्तार और उपनिवेशों की स्थापना के कारण चीजों की माँग बढ़ने लगी थी, इसलिए उद्योगपति और व्यापारी अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते थे । परन्तु शहरों में रहकर ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि वहाँ मजदूर संघों और व्यापारिक गिल्ड्स काफी शक्तिशाली थे जो उनके लिए अनेक समस्याएँ पैदा कर सकते थे।

(ख) गाँवों में गरीब काश्तकार और दस्तकार सौदागरों के लिए काम करने लगे। इस समय काम चलाने के लिए छोटे किसान और गरीब किसान आमदनी के लिए नए स्रोत ढूँढ़ रहे थे। गाँवों में बहुत से किसानों के पास छोटे-मोटे खेत थे। लेकिन उनसे परिवार के सभी लोगों का भरण-पोषण नहीं हो सकता था।

(ग) शहरों के यूरोपीय सौदागर जब गाँवों में आए और उन्होंने माल पैदा करने के लिए पेशगी रकम दी तो किसान और कारीगर काम करने के लिए फौरन तैयार हो गए। ये लोग गाँव में रहकर अपने खेतों को सँभालते हुए, सौदागरों का काम भी कर लेते थे ।

(घ) इस व्यवस्था से शहरों और गाँवों के बीच एक घनिष्ठ संबंध विकसित हुआ । सौदागर शहरों में रहते थे लेकिन उनके लिए काम ज्यादातर देहात में चलता था। चीजों का उत्पादन कारखानों के बजाय घरों में होता था और उस पर सौदागरों का पूर्ण नियंत्रण होता था ।

प्रश्न 3. सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिए पर पहुँच गया था । व्याख्या करें ।
उत्तर- (क) औपनिवेशिक काल में सूरत एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था। जहाँ से पश्चिमी एशिया के साथ होने वाला व्यापार काफी समृद्ध था। तेजी से बदलती परिस्थितियों में कलकत्ता और बंबई नए औद्योगिक केन्द्र के रूप में उभरे जबकि सूरत जैसा विकसित केन्द्र हाशिए पर पहुँच गया।

(ख) इससे सूरत व हुगली, दोनों पुराने बंदरगाह कमजोर पड़ गए । यहाँ से होने वाले निर्यात में नाटकीय कमी आई। नए बंदरगाहों के जरिए होने वाला व्यापार यूरोपीय कंपनियों के नियंत्रण में था ।

(ग) अठारहवीं सदी के अंत तक यूरोपीय कंपनियों की ताकत बढ़ती जा रह थी। पहले उन्होंने स्थानीय दरबारों से कई तरह की रियायतें हासिल की और उसके बाद उन्होंने व्यापार पर इजारेदारी अधिकार प्राप्त कर लिए।

(घ) बहुत सारे पुराने बंदरगाहों की जगह नए बंदरगाहों (बंबई व कलकत्ता) का बढ़ता महत्व औपनिवेशिक सत्ता की बढ़ती ताकत का संकेत था ।

प्रश्न 4. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाशतो को नियुक्त किया था। व्याख्या करें।
उत्तर- ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय व्यापारियों और दलालों की भूमिका समाप्त करने तथा बुनकरों पर अधिक नियंत्रण स्थापित करने के विचार से वेतनभोगी कर्मचारी तैनात कर दिए जिन्हें गुमाशता कहा जाता था। इन गुमाशतों को अनेक प्रकार के काम सौपे गए।

(क) वे बुनकरों को कर्ज देते थे ताकि वे किसी और व्यापारी को अपना माल तैयार करके न दे सके।

(ख) वे ही बुनकरों से तैयार किए हुए माल को इकट्ठा करते थे।

(ग) वे बने हुए सामान विशेषकर बने हुए कपड़ों की गुणवत्ता की जाँच करते थे।

प्रश्न 5. पूर्व औद्योगीकरण का मतलब बताएँ ।
उत्तर- पूर्व-औद्योगीकरण से हमारा अभिप्राय उन उद्योगों से है जो फैक्ट्रियाँ लगाने से पहले पनप रहे थे। अभी जब इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियाँ शुरू नहीं हुई थीं तब भी वहाँ अंतर्राष्ट्रीय माँग को पूरा करने के लिए बहुत-सा माल बनता था। यह उत्पादन फैक्ट्रियों में नहीं होता था परन्तु घर-घर में हाथों से माल तैयार होता था और वह भी काफी मात्रा में। बहुत से इतिहासकार फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले की औद्योगिक गतिविधियों को पूर्व औद्योगीकरण के नाम से पुकारते हैं। शहरों में अनेक व्यापारिक गिल्ड्स थीं जो विभिन्न प्रकार की चीजों का, फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले, उत्पादन करती थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से सौदागर यही काम किसानों और मजदूरों से हाथ द्वारा करवाते थे। यह पूर्व औद्योगीकरण की व्यवस्था इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियाँ लगने से पहले के काल में व्यापारिक गतिविधियों का एक महत्त्वपूर्ण अंग बनी हुई थी।

प्रश्न 6. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया ?
उत्तर- ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए-
(क) निर्यात व्यापार में बहुत सारे भारतीय व्यापारी और बैंकर की भूमिका सराहनीय थी।

(ख) कंपनी ने बुनकरों से माल तैयार करवाने, बुनकरों को माल उपलब्ध कराने और कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त किए जिन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।

(ग) कंपनी बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए कर्ज उपलब्ध कराने लगी।

(घ) कंपनी को माल बेचने वाले बुनकरों को अन्य खरीदारों के साथ कारोबार करने पर पाबंदी लगा दी। इसके लिए उन्हें पेशगी की रकम दी जाती थी।

(ङ) महीन कपड़े की माँग बढ़ने के साथ बुनकरों को अधिक कर्ज दिया जाने लगा ज्यादा कमाई की आस में बुनकर पेशगी स्वीकार कर लेते थे।

(च) यूरोप में भारतीय कपड़ों की भारी माँग को देखते हुए बुनकर और आपूर्ति की सौदागरों पर नियंत्रण करना आवश्यक समझा। कंपनी ने प्रतिस्पर्धा समाप्त करने, लागतों पर अंकुश रखने और कपास एवं रेशम से बनी चीजों की नियमित आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधन और नियंत्रण की एक नई व्यवस्था लागू कर दी।

प्रश्न 7. 1840 के दशक के बाद किन कारणों से रोजगार के साधन बढ़े ?
उत्तर- (क) सड़कों को चौड़ा करने में।

(ख) नए रेलवे स्टेशनों के निर्माण में।

(ग) रेलवे लाइनों के विकास में।

(घ) गुफाओं की खुदाई में।

प्रश्न 8. मैनचेस्टर में बने कपड़े के आयात से भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- (क) इस आयात से भारतीय कपड़ा उद्योग को बड़ी हानि हुई क्योंकि अब भारतीय कपड़े के उपभोक्ता बहुत कम रह गए क्योंकि मैनचेस्टर का कपड़ा सस्ता और चमकदार था।

(ख) इससे बहुत से बुनकर बेकार हो गए जिन्हें आस-पास के नगरों में जाकर मजदूरों का सा काम करना पड़ा।

प्रश्न 9. औद्योगिक क्रांति का अर्थ समझाएँ ।
उत्तर- औद्योगिक क्रांति हम उस क्रांति को कहते हैं जिसने अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उत्पादन की तकनीक और संगठन में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिए। ये परिवर्तन इतनी तेज रफ्तार से आए और इतने प्रभावशाली सिद्ध हुए कि उन्हें क्रांति का नाम दे दिया गया। इस क्रांति ने घरेलू उद्योग-धन्धों के स्थान पर फैक्ट्री सिस्टम को जन्म दिया, कार्य हाथों के स्थान पर मशीनों से होने लगा और छोटे कारीगरों का स्थान पूँजीपति श्रेणी ने ले लिया।

प्रश्न 10. गाँव के बुनकरों और गुमाश्तों के बीच झगड़े क्यों हो रहे थे ?
उत्तर- जल्दी ही बहुत सारे बुनकर गाँवों में बुनकरों और गुमाश्तों के बीच टकराव की खबरें आने लगीं। इससे पहले आपूर्ति सौदागर अक्सर बुनकर गाँवों में ही रहते थे और बुनकरों से उनके नजदीकी तालुक्कात होते थे वे बुनकरों की जरूरतों का ख्याल रखते थे और संकट के समय उनकी मदद करते थे नए गुमाश्ता बाहर के लोग थे। उनका गाँवों से पुराना सामाजिक सम्बन्ध नहीं था वे दंभपूर्ण व्यवहार करते थे, सिपाहियों व चपरासियों को लेकर आते थे और माल समय पर तैयार न होने की स्थिति में बुनकरों को सजा देते ।। सजा के तौर पर बुनकरों को अक्सर पीटा जाता था और कोड़े बरसाए जाते थे अब बुनकर न तो दाम पर मोलभाव कर सकते थे और न ही किसी और को माल बेच सकते थे। उन्हें कंपनी से जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम थी पर वे कर्मों की वजह से
कंपनी से बंधे हुए थे।

प्रश्न 11. नए उपभोक्ता पैदा करने में विज्ञापन मदद करता है। कैसे ? कारण बताएँ ।
उत्तर- नए उपभोक्ता पैदा करने का एक तरीका विज्ञापनों का है। जब नयी चीजें बनती हैं, तो लोगों को उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित भी करना पड़ता है। लोगों को लगना चाहिए कि उन्हें उस उत्पाद की जरूरत है। जैसा कि हम जानते हैं, विज्ञापन विभिन्न उत्पादों को जरूरी और वांछनीय बना लेते हैं। वे लोगों की सोच बदल देते हैं और नयी जरूरतें पैदा कर देते हैं। आज हम एक ऐसी दुनिया में हैं जहाँ चारों तरफ विज्ञापन छाए हुए हैं। अखबारों, पत्रिकाओं, होर्डिंग्स, दीवारों, टेलीविजन के परदे पर सब जगह विज्ञापन छाए हुए हैं। लेकिन अगर हम इतिहास में पीछे मुड़कर देखें तो पता चलता है कि औद्योगीकरण की शुरुआत से ही विज्ञापनों ने विभिन्न उत्पादों के बाजार को फैलाने में और एक नयी उपभोक्ता संस्कृति रचने में अपनी भूमिका निभाई है। जब मेनचेस्टर के उद्योगपतियों ने भारत में कपड़ा बेचना शुरू किया तो वे कपड़े के बंडलों पर लेबल लगाते थे। लेबल का फायदा यह होता था कि खरीदारों को कंपनी का नाम व उत्पादन की जगह पता चल जाती थी। लेबल ही चीजों की गुणवत्ता का प्रतीक भी था। जब किसी लेबल पर मोटे अक्षरों में 'मेड इन मेनचेस्टर' लिखा दिखाई देता तो खरीदारों को कपड़ा खरीदने में किसी तरह का डर नहीं रहता था। इस प्रकार स्पष्ट है कि विज्ञापन नए उपभोक्ता पैदा करने में काफी मदद करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे ?
उत्तर - 19 वीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाए हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे। उनके ऐसा करने के पीछे अनेक कारण उपस्थित किए जाते थे-
(क) विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में मानव श्रम की कोई कमी नहीं थी इसलिए कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे।

(ख) कुछ उद्योगपति बड़ी मशीनों पर भारी खर्चा करने से हिचकिचाते थे क्योंकि मशीने लगाने में यह जरूरी नहीं था कि उनको ऐसा करने से लाभ रहेगा।

(ग) बहुत से ऐसे उद्योग हैं जहाँ श्रमिकों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है जैसे- गैसघरों, शराबखानों, बंदरगाहों में जहाजों की मरम्मत और साफ-सफाई के काम में मजदूरों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। ऐसे उद्योगों में उद्योगपति मशीनों की बजाय मजदूरों को ही काम पर रखना पसन्द करते थे।

(घ) यदि थोड़ी मात्रा में चीजें तैयार करनी होती थी तो भी मशीनों की बजाय मजदूरों से काम करवाना बेहतर समझा जाता था ।

(ङ) कुछ वस्तुओं में लोग खास डिजाइनों की मांग करते थे जिन्हें मशीनों पर बनाना बहुत महंगा पड़ता था और कठिन भी होता था। इसलिए ऐसे कामों में भी मशीनों की अपेक्षा मजदूरों को अच्छा समझा जाता था वहाँ यांत्रिक प्रौद्योगिकी की नहीं वरन् इंसानी निपुणता की आवश्यकता पड़ती थी ।

(च) विक्टोरिया काल के कुछ उच्च वर्ग के लोग जैसे- कुलीन और पूँजीपति वर्ग हाथों से बनी चीजों को अधिक पसंद करते थे। हाथ से बनी चीजों को सत्कार और उच्च समाज का प्रतीक माना जाता था। क्योंकि उनको एक-एक करके बनाया जाता था इसलिए हाथ से बने माल के डिजाइन उत्तम होते थे और उनकी फिनिशिंग अच्छी होती थी।

प्रश्न 2. पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा ?
उत्तर- पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा इसके अनेक कारण दिए जाते हैं जिनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं-
(क) प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ऐसे उलझ गया कि उसका ध्यान अपने बचाओ में लग गया। वह अब भारत में अपने माल का निर्यात न कर सका जिसके कारण भारत के उद्योगों को पनपने का सुअवसर प्राप्त हो गया।

(ख) इंग्लैंड के सब कारखाने निर्यात की विभिन्न चीजें बनाने की बजाय सैनिक सामग्री बनाने में लग गई इसलिए भारतीय उद्योगों को रातोरात एक विशाल देशी बाजार मिल गया।

(ग) एक विशाल देशी बाजार मिलने के अतिरिक्त भारतीय उद्योगों को जब सरकार द्वारा भी अनेक चीजें जैसे- फौज के लिए वर्दियों, बूट आदि बनाने, टेंट आदि बनाने, घोड़ों के लिए अनेक प्रकार का सामान बनाने आदि के ऑर्डर मिल गए तो उनमें नई जान आ गई। जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ता गया भारतीय उद्योग भी प्रगति करते गया ।

(घ) पुराने कारखानों के साथ-साथ बहुत सारे नए कारखाने खुल गए जिससे उद्योगपतियों को ही नहीं, वरन् मजदूरों और कारीगरों की भी चाँदी हो गई, उनके वेतन बढ़ गए जिससे उनकी काया पलट गई।

(ङ) प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को फंसा देखकर भारतीय नेताओं ने स्वदेशी पर अधिक बल देना शुरू कर दिया तो भारतीय उद्योगों के लिए सोने पर सुहागा वाली बात हो गई। इस प्रकार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में प्रथम विश्वयुद्ध भारतीय उद्योगों के लिए एक वरदान सिद्ध हुआ।

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