NCERT कक्षा 6 हिंदी मल्हार अध्याय 10 परीक्षा
परीक्षा कक्षा 6 प्रश्न उत्तर
पाठ से
मेरी समझ से
(क) आपकी समझ से नीचे दिए गए दिए गए वास्तुकला का उत्तर कौन-सा है? उसका प्रकट तारा (★) बना हुआ-
प्रश्न 1.
महाराज ने अनुयायियों को ही उनके पद पर नियुक्त किया, उनके कौन से गुण का कारण बताया गया है?
• सरलता
• उदारता
• बल
• नीतिकुशलता
उत्तर:
• नीतिकुशलता
प्रश्न 2.
आशिक साहब द्वारा नौकरी छूटने का कारण क्या था?
• भगवान की याद
• राज-काज संभालने योग्य शक्ति न होना
• बदनामी का भय
• चालीस वर्ष की नौकरी पूरी हो गई
उत्तर:
• राज-काज संभालने योग्य शक्ति न होना
(ख) अब अपने दोस्तों के साथ चर्चा करें कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुना?
उत्तर:
- पाठ में उदारता के गुण को ही महत्व दिया गया है और सुजानसिंह भी इसी गुण की खोज कर रहे थे।
- राज्य के दीवान सुजानसिंह बूथ होने के कारण अब राज-काज संभाल नहीं पा रहे थे।
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, उसका नाम प्रेमचंद ने 'परीक्षा' रखा है। अपने समूह में चर्चा करते हुए लिखें कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर का कारण भी लिखें।
उत्तर:
'प्रेमचंद' ने कहानी का नाम 'परीक्षा' रखा। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
- इसमें नए दीवान का चुनाव परीक्षा के माध्यम से ही होना था।
- पाठ में सुजानसिंह ने परीक्षा लाचार किसान बन कर ही ली।
- पूरे एक महीने तक सभी साथियों के व्यवहार की परीक्षा ली गयी।
(ख) अगर आपको इस कहानी को कोई और नाम दिया जाए तो क्या नाम दिया जाएगा? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताओ?
उत्तर:
- इस कहानी का नाम 'दीवान का चुनाव' इसलिए भी रखा गया क्योंकि यह कहानी दीवान का चुनाव पर ही आधारित है।
- इसका एक अन्य नाम 'परोपकार: एक श्रेष्ठ धर्म' भी रखा जा सकता है क्योंकि कहानियों में विद्वानों की मदद और उपकार की बात को ही बल दिया गया है और इसी आधार पर नए अनुयायियों का चुनाव किया जाना था।
कहानी की रचना
"लोगों के किरदारों से तार हो गए। खून की गर्म आंख और चेहरे से झलक रही थी।" यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान दें तो इस पाठ में ऐसी और भी कई विशेष बातें आपको दिखाई देंगी।
कहानी को एक बार ध्यान से पढ़ें। इस कहानी में और कौन-कौन सी विशेष बातें दिखाई दे रही हैं? अपने ग्रुप में मिलकर उनकी बनी सूची।
जब कोई रेखा लागे को चित्रात्मकता आँखों के आगे आती है तो वहाँ चित्रात्मकता होती है। पाठ में निम्नतम सिद्धांत में चित्रात्मकता प्रस्तुत होती है-
- देवगढ़ में नये-नये और रंग-बिरंगे इंसान नजर आने लगे।
- रंग-बिरंगे इमामे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे और कंटोप देवगढ़ में अपनी साज-धज उतारने लगे।
- वह कभी बैलों को ललकारता, तो कभी हाथों से इंडेंटलता।
- गाड़ी को ऊपर न चढ़ाएं और न चढ़ाएं तो कुछ दूरी तय करके फिर नीचे खिसकाकर पहुंचें।
- इधर-उधर निराश्रित बस्ता ताकता।
- बार-बार झुंझलाकर बैलों को मारता।
- किसान ने अपनी तरफ सही आँखों से देखा।
- वास्तविकता बहुत अधिक थी। वह जमीन तक डूब गया।
- बदमाशों के कलेजे धड़क रहे थे।
- उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में चाहत।
हद पर चर्चा
कहानी में से चुनकर यहां कुछ पंक्तियां दी गई हैं। ध्यान से पढ़ें और इन पर विचार करें। आपको इसका अर्थ क्या समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा करें और अपनी पुस्तक पुस्तक में लिखें।
"इस पैड के लिए ऐसी पुरुषों की जरूरत थी, जो दिल में दवा हो और साथ-साथ आत्मबल। दिल वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो इच्छाओं का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले दुनिया में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मन के साथ पर बैठे हैं
।
" उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने आप में बल पर विश्वास रखता है और जो विषम परिस्थिति में भी अपनी वीरता से अपने गुणों का प्रमाण देता है। वो दुनिया में यश कमाता है। उसकी सदाबहार संस्थाएँ और ऐसे गुणवान व्यक्ति दुनिया में बहुत कम होते हैं।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़ें, निम्नलिखित के बारे में जानें और लिखें-
प्रश्न (क) नौकरी की चाहत में लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए?
उत्तर:
अपनी नौकरी की चाहत में लोगों ने अच्छा दिखने का प्रयास किया, देर से शुरुआत वाले सुबह काल का रिव्यू करने लगे, नौकरों की नाक में दम करने वाले नौकरों से प्यार से बोलने लगे और डर से घृणा करने वाले बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने का दिखावा करने लगे।
(ख) “उसे किसान की सूरत देखकर ही सारी बातें पता चल गईं।” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चलीं?
उत्तर:
जब खिलाड़ी ने किसान को गाड़ी सहित गाड़ी में डाला देखा तो वह किसान की सूरत में देखकर समझ गया कि यह गाड़ी गाड़ी से नहीं निकल रही है और बहुत देर से परेशान और दुखी है।
(छ) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में चाहत ।” किनकी आँखों में थी दिलचस्पी और किनकी आँखों में थी चाहत? क्यों?
उत्तर:
युवाओं की उदारता के कारण उन्हें दीवानी का पद मिला, जिस कारण सुजानसिंह और अन्य दरबारियों की आँखों में युवाओं के प्रति साकर की भावना थी लेकिन अन्य युवाओं की आँखों में चाहत थी क्योंकि उन्हें यह पद नहीं मिला था।
खोजबीन
कहानी में वे वाक्य खोजकर लिखे गए हैं, जिनमें रैना का पता चलता है-
(क) युवा वयस्क किसान की असलियत पहचानी गई थी।
उत्तर:
"युवक ने किसान की तरफ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ, ये सुजानसिंह तो नहीं हैं? आवाजें हैं, चेहरा-मोहरा भी वही।"
(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पाना चाहते थे।
उत्तर:
"वह बात है कि, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना, जो लोग अविस्मरणीय थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, जहां काम सिद्ध हो गया तो कौन पूछ रहा है?"
समस्या और समाधान
इस कहानी में कुछ समस्याएँ और उनके समाधान भी हैं। एक बार फिर से कहानी को बताएं -
(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? वे क्या समाधान ढूंढते हैं?
उत्तर:
महाराज की सामने समस्या थी कि उनके रियासत के दीवान सुजानसिंह ने दीवानी पद से त्यागपत्र देने की बात कही थी।
राजा की समस्या का यह समाधान खोजना होगा कि यदि कोई व्यक्ति यहां जाना चाहता है तो उन्हें ही इस राज्य में जाने के लिए उपयुक्त स्थान मिल सकता है।
(ख)आश्विन के सामने क्या समस्या थी? वे क्या समाधान ढूंढते हैं?
उत्तर:
देखने के लिए उपयुक्त अभ्यर्थी बहाली की समस्या थी। इसके लिए उन्होंने निकेलवाया का विज्ञापन किया और लिखा कि शिक्षा नहीं, बल्कि आचार, व्यवहार और योग्यता को एक महीने तक परखकर उम्मीदवार का चयन करना होगा।
(छ) नौकरी के लिए लोगों के सामने क्या समस्या थी? वे क्या समाधान ढूंढते हैं?
उत्तर:
नौकरी के लिए आए लोगों को अच्छा प्रदर्शन करना था इसके लिए उन्होंने पोलिंग शो शुरू कर दिया। उन्होंने मीठा और नम्र व्यवहार शुरू कर दिया। प्रात:काल उठना, पुस्तकें पुस्तकें इत्यादि शुरू कर दिया।
मन के भाव
" स्वार्थ था, पागल था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी नहीं था।"
इस वाक्य में कुछ शब्दों की पंक्तियाँ खानी हुई हैं। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तु, लोक या स्थान के नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप अपनी कहानी में ऐसे ही अन्य महलों की खोज के लिए नीचे दिए गए रिक्त स्थानों की सूची लिखें।
अभिनय
कहानी में युवा और किसान की बातचीत संवाद के रूप में दी गई है। यह भी बताया गया कि उन दोनों ने ये बातें कैसी बोलीं। अपने समूह के साथ मिलकर तैयार करें कलाकार और कहानी के इस भाग को कक्षा में अभिनय के प्रस्तुतकर्ता के साथ प्रस्तुत करें। प्रत्येक समूह से अभिनेता या अभिनेत्री वर्ग सामने आएंगे और एक-एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखेंगे।
अध्यापिका की मदद से छात्र-संवाद रचना कर प्रदर्शन कौशल का प्रदर्शन करें।
विशेष- 'इससे छात्रों की अभिव्यक्ति क्षमता स्थापित होती है। '
विपरीतार्थक शब्द
"विद्या का कम, परंतु अनुकूलता का अधिक विचार।"
'कम' का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द 'अधिक' है। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे प्रकट-प्रमुख नहीं हैं। रेखाएं खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़ बनाएं-
| स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. आना | 1. निर्दयी |
| 2. गुण | 2. निराशा |
| 3. आदर | 3. जीत |
| 4. स्वस्थ | 4. अवगुण |
| 5. कम | 5. |
| 6. देय | 6. अधिक |
| 7. योग्य | 7. जाना |
| 8. हार | 8. अयोग्य |
| 9. आशा | 9. अनादर |
उत्तर:
1. → 7
2. → 4
3. → 9
4. → 5
5. → 6
6. → 1
7. → 8
8. → 3
9. → 2
कहावत
“गहरे पानी में पत्थरों से ही मोती दिखता है।”
यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि प्रयास करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है, "जिन्हें देखो तिन पियास गहरे पानी पैठ" यानी परिश्रम का फल मिलता है।
कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिनमें लोग अपनी बात को और अधिक अमूर्त बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर के पास और पड़ोस में भी लोग कई कहावतों का उपयोग करते होंगे।
नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिये गये हैं। आप इन कहावतों को कहानी से संकलित करके अपनी पुस्तक-पुस्तक में लिखें।
- अधजल गगरी छलकत जाए जिसके पास थोड़ा सा ज्ञान होता है, वह दिखाता है।
- अब पछताए होत क्या जबरिया चुग गया खेत - समय निकलने के बाद पछताना वतन होता है 'है।
- एक अनार सौ बीमार कोई ऐसी एक चीज़, साझा वाले कई लोग।
- जो बढ़ते हैं वे घूमते नहीं हैं-जो अधिक बढ़ते-चढ़ते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
- जहां चाह, वहां राह-जब किसी काम की चाहत होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
(संकेत - विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार और गए हजारों। इसे कहते हैं - एक अनार सौ बीमार।)
उत्तर:
- ज्ञान में अधिक रुचि ना होने पर भी कुछ उम्मीदवार बड़े-बड़े ग्रंथ में डूबे रहते हैं और अकड़कर यही कहते हैं - अधजल गगरी छलकत जाए।
- जब पंडित जानकीनाथ के अनुयायी चुनाव के लिए आये तब अन्य दावेदारों का विचार आया! हमने उस समय किसान की मदद की थी तो आज हमारा चयन होता है पर अब पछताए होत जब किसान की चुग्गे खेत।
- देवगढ़ में सभी अभ्यर्थी नम्रता की मूर्ति बनाये गये। लेकिन जब किसान पर दया की बात आई तब सब पीछे हट गए। इसी प्रकार कहते हैं जो गरमाते हैं वे गरमाते नहीं हैं।
- किसान घायल था लेकिन उसकी मदद के लिए उसकी तलाश जारी थी। कहते हैं- जहां चाह वहां राह।
पाठ से आगे
अनुमान या कल्पना से
(के) “दूसरे दिन के प्रसिद्ध कलाकारों में यह विज्ञापन निकलेगा”
देश के प्रसिद्ध कलाकारों में नौकरी का विज्ञापन निकलेगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर:
देश के मशहूर कलाकारों में दीवान सुजानसिंह जी ने विज्ञापन निकालावाया होगा क्योंकि नए दीवानों को फिल्मांकन की जिम्मेदारी दी गई थी और इसी के लिए उन्होंने यह उपाय सोचा होगा।
(ख) “इस विज्ञापन ने सारे में मुज़ाहिरा मचा दिया”।
विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?
उत्तर:
विज्ञापन में रियासत के नए दीवान के चयन के बारे में लिखा था कि दीवान का चयन किसी शिक्षा की डिग्री के आधार पर नहीं, बल्कि आचार-व्यवहार के आधार पर होगा। लोगों को ऐसे ऊँचे पद में किसी प्रकार का बंधन नहीं दिखता। इसलिए सबकी ख़ुशी से तहलका मच गया।
विज्ञापन - विज्ञापन एसोसिएटेड वर्क छात्र अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें। यह रचना कौशल से संबंधित कार्य है।
विज्ञापन
"दूसरे दिन के प्रसिद्ध राजनेताओं में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की बर्बादी है।"
(क) कहानी में इस विज्ञापन की सामग्री को पढ़ें। इसके बाद अपने ग्रुप में मिलकर इस विज्ञापन को अपनी कल्पना का उपयोग करते हुए बनाया।
(संकेत- विज्ञापन बनाने के लिए आप एक चौकोर कागज़ पर हाशिया बना सकते हैं। इसके बाद इस हाशिया के अंदर के खाली स्थान पर सुंदर साहित्य, पासपोर्ट, रंग आदि की सहायता से सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लें। आप बिना रंग या साहित्य के भी विज्ञापन बना सकते हैं।)
(ख) आपने भी अपने आस-पास की दीवारों पर, समाचार-पत्रों में या किताबों में, फ़ोन मोबाइल पर या दूरदर्शन पर अनेक विज्ञापन देखे होंगे। अपने किसी मनपसंद विज्ञापन को याद करें। तुम्हें वह अच्छा क्यों लगता है? अपने ग्रुप में बताएं। अपने 'समूह के बिंदुओं को लिखें।
(छ) कच्चे माल से लाभ होता है, हानि होती है, या दोनों? अपने समूह में चर्चा किग और चर्चा
के बिंदु रिकॉर्डिंग क्लास में साझा किग।
आगे की कहानी
प्रश्न:
'परीक्षा' कहानी जहां खत्म होती है, उसके आगे क्या होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनी।
उत्तर:
कहानी का अंत इस पर हुआ कि पंडित जानकीनाथ की बात को सुजानसिंह ने अपने आज्ञाकारी सरकारी सेवक के रूप में घोषित कर दिया। इसके बाद सभी पंडित लागे जानकीनाथ की जय जयकार करें। राजा ने उन्हें भी दीवान के पद पर नियुक्त करते हुए बहुत से उपहार दिए। सुजानसिंह की भव्य विदाई समारोह हुआ और सभी पेजों ने अपने प्रिय प्रेमी सुजानसिंह को नम आंखों से विदाई दी। साथ में ही नये दीवान पंडित जानकीनाथ को भी स्वीकार किया गया। जानकीनाथ भी सबसे पहले आस्थावान की ही भाँति प्रजा का ध्यान रखते हुए काम करने लगे।
आपकी बात
(क) यदि कहानी में आस्थावान साहब के स्थान पर आप होते हैं तो उपयुक्त व्यक्ति को कैसा दर्जा मिलता है?
उत्तर:
यदि हम आशिक के स्थान पर रहते हैं तो हम रुचि रखते हैं कि उन्हें कोई समस्या है या नहीं, उनके हल ढूंढने के लिए साथ ही बताएं कि वे अपने समसामयिक न्याय के बारे में कुछ अंधविश्वासी व्यक्तित्व पेश करते हैं और देखते हैं कि वे कैसे न्याय कर रहे हैं। साथ ही ज्ञान के कुछ प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं।
(ख) अगर आपको क्लास का मॉनिटर फोटोग्राफर के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? किन-किन गुणों को सम्मिलित करता है? गुणवत्ता की जांच के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर:
यदि मुझे कक्षा का प्रदर्शन करने वालों के लिए कहा जाए तो मैं कक्षा में उस बच्चे का चुनाव मूल्यांकन करता हूं जो पढ़ने में अच्छा हो, सबसे प्रिय से बात करता हो, पढ़ाई में और काम पूरा करने में दस्तावेजों की सहायता करता हो। इसके लिए हम उसे कुछ दिनों का मॉनिटर का कार्य पर्यवेक्षक परख भी सकते हैं।
आपकी परीक्षाएँ
हम सभी अपने जीवन में अनेक प्रकार के परीक्षण लेते और देते हैं। आप अपने साज-सज्जा के आधार पर कुछ गांवों के उदाहरण बताएं | यह भी बताएं कि उसने परीक्षा ली क्या, कब, कैसे और क्यों ली।
(संकेत- जैसे, किसी को विश्वास दिलाने के लिए उसके सामने के चित्र, स्कूल या घर पर कोई परीक्षा देना, किसी को किसी काम की चुनौती देना आदि।)
उत्तर:
एक बार मैं नामांकन पर गया। वहां पर युवाओं के साथी सब नीचे उतर रहे थे और पहाड़ों पर चढ़ रहे थे। सब जानते थे कि मैं अर्थशास्त्री से डरता हूँ। लेकिन सभी को विश्वास के लिए मैंने भी उस पर भरोसा किया। ये मेरे लिए चुनौती थी। लेकिन मैंने टिकट से इसे पूरा किया। जब मैं पहाड़ी के ऊपर पहुंचा तो सबने मेरी सराहना की। मैं एक मिनट की परीक्षा में पास हो गया था।
झरोखे से
पाठ में दिए गए क्यू.आर. कोड के माध्यम से आप एक और कहानी पढ़ेंगे। इस कहानी में भी कोई किसी की परीक्षा ले रहा है। यह कहानी हमारे देश के बहुत ही होनहार बालक और उनके गुरु चाणक्य के बारे में है। इसे हिंदी के प्रसिद्ध लेखक जयशंकर प्रसाद ने लिखा है।
बाकी के लिए
पुस्तक में दिए गए क्यू. आर. कोड की सहायता से आप प्रेमचंद के बारे में और जान-समझ सकते हैं, साथ ही उनकी अन्य तस्वीरों का आनंद भी उठा सकते हैं-
- ईदगाह
- नादान दोस्त
- दो बैलों की कहानी