NCERT Class 7 Hindi Chapter 4 पानी रे पानी

NCERT Class 7th Hindi Chapter 4 पानी रे पानी Question Answer

पाठ से

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

प्रश्न 1.
हमारा भूजल भंडार निम्नलिखित में से किससे समृद्ध होता है?

  • नल सूख जाने से ।
  • पानी बरसने से।
  • तालाब और झीलों से।
  • बाढ़ आने से ।

उत्तर:

  • पानी बरसने से।
  • तालाब और झीलों से।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन – सी बात जल चक्र से संबंधित है?

  • वर्षा जल का संग्रह करना ।
  • समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना ।
  • नदियों का समुद्र में जाकर मिलना ।
  • बरसात में चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देना ।

उत्तर:

  • समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना । (★)
  • नदियों का समुद्र में जाकर मिलना ।

प्रश्न 3.
“इस बड़ी गलती की सजा अब हम सबको मिल रही है।” यहाँ किस गलती की ओर संकेत किया गया है?

  • जल – चक्र की अवधारणा को न समझना ।
  • आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग करना ।
  • तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना ।
  • भूजल भंडारण के विषय में विचार न करना ।

उत्तर:

  • तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना । (*)
  • भूजल भंडारण के विषय में विचार न करना। (*)

(ख) अब अपने मित्रों के साथ संवाद कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर:

  1. पाठ में भूजल भंडार को समृद्ध करने में वर्षा, तालाब और झीलों को महत्वपूर्ण माना गया है। अतः मेरे द्वारा इन विकल्पों का चयन किया गया है।
  2. मेरे द्वारा इस प्रश्नं के चुने हुए दोनों विकल्प इसलिए तर्क संगत हैं क्योंकि यही दोनों जल-चक्र की प्राकृतिक प्रक्रिया के अंग हैं।
  3. मेरे द्वारा इस प्रश्न के दोनों विकल्प चुनने का कारण यह है कि पाठ में ‘बड़ी गलती’ तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करने को माना गया। इस गलती के पीछे हमारी अदूरदर्शिता है। साथ ही भूजल भंडारण पर हमने विचार नहीं किया, जिसकी वजह से जल – संचयन की परंपरागत व्यवस्था को हमने बरबाद कर दिया है।

(विद्यार्थी अपने मित्रों के साथ चर्चा करके बताएँगे कि उनके द्वारा विकल्प चुनने के क्या कारण हैं।)

मिलकर करें मिलान

• पाठ में से कुछ शब्द समूह या संदर्भ चुनकर स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके अर्थ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए-

उत्तर:
1. – 2
2. – 3
3. – 4
4. – 1

पंक्तियों पर चर्चा

इस पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और अपने सहपाठियों से चर्चा कीजिए ।

  • “पानी आता भी है तो बेवक्त।”
  • “देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं।”
  • “कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है। “
  • ‘अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’

उत्तर:
विद्यार्थी निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखकर इन पंक्तियों का चर्चा कर सकते हैं-

चर्चा हेतु संकेत- बिंदु-

• “पानी आता भी है तो बेवक्त।
कारण-

  1. पानी की आपूर्ति में अनियमितता
  2. पाइप लाइन में लीकेज
  3. पंपिंग स्टेशन की समस्या
  4. जल-संचयन और आपूर्ति में असमानता

समाधान-

  1. पाइप लाइन की मरम्मत में तत्परता
  2. पंपिंग स्टेशन का समुचित रखरखाव
  3. जल-संचयन और जल – आपूर्ति में समानता

• “देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं।”
कारण-

  1. बारिश की कमी
  2. जल संसाधन का अभाव
  3. जनसंख्या में वृद्धि
  4. जल की बरबादी
  5. ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण

समाधान-

  1. जल-संचयन
  2. जल-प्रबंधन
  3. जल-प्रदूषण का नियंत्रण
  4. पेड़-पौधा का रोपण एवं संरक्षण

• “कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है। ”
कारण-

  1. जल – भराव
  2. जल-निकासी की समुचित व्यवस्था का अभाव
  3. अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा
  4. अतिक्रमण

समाधान-

  1. जल-निकासी की समुचित व्यवस्था
  2. बुनियादी ढाँचे में सुधार
  3. जल-संचयन पर बल
  4. अतिक्रमण पर रोक

• ‘अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ”
कारण-

  1. बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग
  2. वनस्पतियों का विनाश
  3. जल-संरक्षण की उपेक्षा

समाधान-

  1. प्राकृतिक ऊर्जा का उपयोग
  2. वनस्पति संरक्षण पर बल
  3. जल-संरक्षण की परंपरागत विधियों को अपनाना

सोच-विचार के लिए

लेख को एक बार पुनः पढ़िए और निम्नलिखित के विषय में पता लगाकर लिखिए-

(क) पाठ में धरती को एक बहुत बड़ी गुल्लक क्यों कहा गया है?
उत्तर:
‘पानी रे पानी’ पाठ में धरती को एक बहुत बड़ी गुल्लक कहा गया है क्योंकि इसमें पानी का भंडार है और यह पानी को संचित करती है। गुल्लक में पैसे जमा करने की तरह, धरती में पानी जमा होता है और इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

(ख) जल-चक्र की प्रक्रिया कैसे पूरी होती है ?
उत्तर:
जल-चक्र की प्रक्रिया एक प्राकृतिक एवं सतत प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पृथ्वी पर जल निरंतर संचरण करता रहता है। यह प्रक्रिया सूर्य की गर्मी से शुरू होती है, जब समुद्र, नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों का पानी वाष्पित होकर आकाश में चला जाता है, इसे वाष्पीकरण (Evaporation) कहा जाता है। पेड़-पौधे भी अपने पत्तों के माध्यम से जल को वाष्प के रूप में छोड़ते हैं, जिसे संवहन (Transpiration) कहते हैं।

जब जल-वाष्प ऊँचाई पर पहुँचता है, तो ठंडी हवा से मिलने पर संघनित होकर बादलों का रूप ले लेता है। इस प्रक्रिया को संघनन (Condensation) कहते हैं। बादलों में जल की मात्रा अधिक हो जाने पर वह पानी, हिम या ओलों के रूप में पृथ्वी पर वापस गिरता है, जिसे वर्षा (Precipitation) कहते हैं। यह जल पुन: नदियों, झीलों, समुद्रों और भू-जल में एकत्र होता है। इस प्रकार यह पानी फिर से वाष्पित होकर जल चक्र को जारी रखता है। यह चक्र पृथ्वी पर जल की निरंतर उपलब्धता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और जीवन के अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है।

(ग) यदि सारी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि सारी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ तो इसके परिणाम बहुत गंभीर होंगे। कुछ संभावित परिणाम निम्नलिखित हैं-

  1. पानी की कमी – सबसे पहले और सबसे बड़ा प्रभाव पानी की कमी होगी। पीने के पानी की कमी के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा ।
  2. कृषि पर प्रभाव – कृषि के लिए पानी की कमी के कारण फसलों की उत्पादकता कम हो जाएगी, जिससे खाद्य-सुरक्षा पर प्रभाव पड़ेगा।
  3. जलवायु परिवर्तन – जल- स्रोतों के सूखने से जलवायु- परिवर्तन की समस्या और भी गंभीर हो जाएगी, जिससे तापमान में वृद्धि और मौसम की अनियमितता बढ़ जाएगी।
  4. जैव विविधता पर प्रभाव – नदियों, झीलों और तालाबों के सूखने से जैव विविधता पर भी प्रभाव पड़ेगा, जिससे कई प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा हो जाएगा।
  5. आर्थिक प्रभाव – जल स्रोतों के सूखने से आर्थिक गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ेगा, जैसे कि जल विद्युत परियोजनाओं, मत्स्य पालन और पर्यटन उद्योग आदि।
  6. मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव- पानी की कमी के कारण मानव स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ेगा, जैसे कि जलजनित रोगों की वृद्धि और पोषण की कमी।

इन परिणामों को देखते हुए, जल स्रोतों का संरक्षण और प्रबंधन करना बहुत ज़रूरी है। हमें जल संचयन तथा जल संरक्षण के लिए काम करना होगा ताकि जल- ल-स्रोतों को बचाया जा सके।

(घ) पाठ में पानी को रुपयों से भी कई गुना मूल्यवान क्यों बताया गया है ?
उत्तर:
‘पानी रे पानी’ पाठ में पानी को रुपये से भी कई गुना मूल्यवान बताया गया है क्योंकि पानी जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। पानी के बिना जीवन असंभव है, जबकि रुपये की अनुपस्थिति में भी जीवन चल सकता है।

पानी की महत्ता को इस प्रकार समझा जा सकता है-

  1. जीवन के लिए आवश्यक – पानी जीवन के लिए आवश्यक है। यह मनुष्य की प्रथम आवश्यकता है, जबकि रुपये की आवश्यकता बाद में आती है।
  2. स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण – पानी स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, जबकि रुपये से स्वास्थ्य नहीं खरीदा जा सकता है।
  3. अनिवार्य आवश्यकता – पानी एक अनिवार्य आवश्यकता है, जबकि रुपये की आवश्यकता वैकल्पिक है।
    इन कारणों से पानी को रुपये से भी कई गुना मूल्यवान बताया गया है।

शीर्षक

(क) इस पाठ का शीर्षक ‘पानी रे पानी’ दिया गया है। पाठ का यह नाम क्यों दिया गया होगा? अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करके लिखिए। अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
उत्तर:
पाठ का शीर्षक ‘पानी रे पानी’ दिया गया है क्योंकि यह शीर्षक पाठ के मुख्य विषय को दर्शाता है, जो पानी की महत्ता को समझाने के लिए है।
इस शीर्षक के पीछे के कारण हो सकते है-

  1. पानी की महत्ता – पाठ में पानी की महत्ता और इसके महत्व को समझाया गया है, जो शीर्षक से प्रतिबिंबित होता है।
  2. भावनात्मक अपील- शीर्षक ‘पानी रे पानी’ में एक भावनात्मक अपील है, जो पाठक को पानी के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करती है।
  3. सरल और स्पष्ट – शीर्षक सरल और स्पष्ट है, जो पाठक को पाठ के मुख्य विषय को समझने में मदद करता है।
    इन कारणों से स्पष्ट है कि यह शीर्षक पाठ के लिए उपयुक्त है और पाठक को पाठ के मुख्य विषय को समझने में मदद करता है।

(इस प्रश्न के उत्तर को और गहराई से समझने के लिए सहपाठियों के साथ चर्चा भी करें ।)

(ख) आप इस पाठ को क्या नाम देना चाहेंगे? इसका कारण लिखिए।
उत्तर:
‘पानी रे पानी’ का दूसरा नाम या शीर्षक ‘पानी की महत्ता ‘ या ‘जीवन में पानी का महत्व’ दिया जा सकता है। यह शीर्षक पाठ के मुख्य विषय को स्पष्ट रूप से दर्शाता है और पाठक को पाठ के उद्देश्य को समझने में मदद करता है। इस शीर्षक को देने के कारण हैं-

  1. स्पष्टता- यह शीर्षक पाठ के मुख्य विषय को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
  2. प्रासंगिकता – यह शीर्षक पाठ के विषय के साथ प्रासंगिक है और पाठक को पाठ के उद्देश्य को समझने में मदद करता है।
  3. सरलता – यह शीर्षक सरल और समझने में आसान है, जो पाठक को आकर्षित करता है।

शब्दों की बात

बात पर बल देना

  • “हमारी यह धरती भी इसी तरह की एक गुल्लक है। “
  • “हमारी यह धरती इसी तरह की एक गुल्लक है।’

(क) इन दोनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए। दूसरे वाक्य में कौन-सा शब्द हटा दिया गया है? उस शब्द को हटा देने से वाक्य के अर्थ में क्या अंतर आया है, पहचान कर लिखिए।
उत्तर:
हटा हुआ शब्द ‘भी’ है, जिसका अर्थ है ‘सहित’ या ‘अतिरिक्त’। ‘भी’ एक निपात है। यह शब्द को बल प्रदान करता है। अत: इसका जिस स्थान पर प्रयोग हुआ, उससे पहले वाले शब्द यानी धरती पर बल प्रदान कर रहा है। जिससे दोनों वाक्यों में प्रभावगत अंतर देखने को मिल रहा है।

(ख) पाठ में ऐसे ही कुछ और शब्द भी आए हैं जो अपनी उपस्थिति से वाक्य में विशेष प्रभाव उत्पन्न करते हैं। पाठ को फिर से पढ़िए और इस तरह के शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए ।
उत्तर:

  1. एक सुंदर – सा चित्र भी होता है।
  2. चित्र में कुछ तीर भी बने होते हैं।
  3. यह तो हुई जल – चक्र की किताबी बात।
  4. अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू है।

(इसी तरह के अन्य वाक्य पाठ में ढूँढ़कर लिखने का प्रयास विद्यार्थी स्वयं करें।)

समानार्थी शब्द

• नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के स्थान पर समान अर्थ देने वाले उपयुक्त शब्द लिखिए। इस कार्य के लिए आप बादल में से शब्द चुन सकते हैं।
Class 7 Hindi Chapter 4 Question Answer पानी रे पानी 16

(क) सूरज की किरणें पड़ते ही फूल खिल उठे।
(ख) समुद्र का पानी भाप बनकर ऊपर जाता है।
(ग) अचानक बादल गरजने लगा।
(घ) जल-चक्र में हवा की भी बहुत बड़ी भूमिका है।
उत्तर:
(क) सूर्य, भास्कर, दिवाकर, दिनकर
(ख) वाष्प, नीर
(ग) मेघ, जलद, वारिद समीर
(घ) वायु, पवन,

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) धरती की गुल्लक में जलराशि की कमी न हो इसके लिए आप क्या-क्या प्रयास कर सकते हैं, अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करके लिखिए।
उत्तर:
धरती की गुल्लक में जलराशि की कमी न हो इसके लिए हम निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं:

  1. जल संचयन- वर्षा जल संचयन करके हम जलराशि को बढ़ा सकते हैं। इससे भूजल स्तर में सुधार होगा और जल संकट कम होगा।
  2. जल बचत – जल का सही तरीके से उपयोग करके हम जलराशि को बचा सकते हैं। जैसे कि नहाते समय शॉवर के बजाय बाल्टी का उपयोग करना, पानी को बर्बाद न करना आदि।
  3. वृक्षारोपण- वृक्षारोपण करके हम जल-चक्र को बनाए रख सकते हैं और जलराशि को बढ़ा सकते हैं।
  4. जल प्रदूषण नियंत्रण – जल प्रदूषण को नियंत्रित करके हम जलराशि को सुरक्षित रख सकते हैं।
  5. जागरूकता- जल संचयन और जल बचत के बारे में लोगों को जागरूक करके हम जलराशि की कमी को रोक सकते हैं।

(ख) इस पाठ में एक छोटे से खंड में जल चक्र की प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है। उस खंड की पहचान करें और जल चक्र को चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

(ग) अपने द्वारा बनाए गए जल चक्र के चित्र का विवरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

पानी रे पानी

नीचे हम सबकी दिनचर्या से जुड़ी कुछ गतिविधियों के चित्र हैं। उन चित्रों पर बातचीत कीजिए जो धर पानी के संकट को कम करने में सहायक हैं और उन चित्रों पर भी बात करें जो पानी की गुल्लक को जल्दी ही खाली कर रहे हैं।

• (प्रश्न पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 50 पर देखें ।)
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

सबका पानी

• ‘सभी को अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी कैसे मिले’ इस विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन करें। परिचर्चा के मुख्य बिंदुओं को आधार बनाते हुए रिपोर्ट तैयार करें।
उत्तर:
विषय : सभी को अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी कैसे मिले
स्थान : सर्वोदय विद्यालय, सभा कक्ष
तिथि : 23 अप्रैल, 20xx
परिचय : पानी मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और जल संसाधनों का असंतुलित दोहन इसे संकट में डाल रहा है। इसी समस्या की गंभीरता को समझने के लिए हमारे विद्यालय में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।

परिचर्चा के मुख्य बिंदु:

  1. जल संरक्षण के तरीके-
    • वर्षा जल संचयन को अपनाना घरेलू जल का पुन: उपयोग करना
    • नलों से टपकते पानी को रोकना
  2. समान जल वितरण-
    • सभी क्षेत्रों तक समान रूप से जल आपूर्ति
    • सरकारी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन
    • जल वितरण में पारदर्शिता लाना
  3. जन-जागरूकता अभियान-
    • जल ही जीवन है” जैसे अभियानों को बढ़ावा देना
    • लोगों को कम पानी में अधिक कार्य करने की आदत डालना
    • स्कूलों और पंचायतों में ‘जल बचाओ’ कार्यक्रम आयोजित करना
  4. तकनीकी उपायों का प्रयोग-
    • ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का उपयोग
    • पानी की गुणवत्ता और मात्रा की जाँच के लिए सेंसर लगाना
  5. सामुदायिक भागीदारी और नीति निर्माण-
    • गाँव और शहर में जल प्रबंधन समितियाँ बनाना
    • जल संबंधी कानूनों का कड़ाई से पालन कराना

निष्कर्ष : परिचर्चा में सभी छात्रों और अध्यापकों ने यह माना कि यदि हम जल के महत्व को समझें और जागरूक हों, तो हर व्यक्ति को उसकी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त जल मिल सकता है। इसके लिए सरकार, समाज और हर नागरिक को मिलकर प्रयास करना होगा।
सुझाव :

  • प्रत्येक घर में वर्षा जल संचयन अनिवार्य किया जाए।
  • स्कूली पाठ्यक्रम में जल संरक्षण पर विशेष अध्याय हो।
  • हर मोहल्ले में जल संरक्षण जागरूकता शिविर लगाए जाएँ।

रिपोर्ट प्रस्तुतकर्ता-
संतोष शर्मा
सर्वोदय विद्यालय
23 अप्रैल, 20xx

दैनिक कार्यों में पानी

(क) क्या आपने कभी यह जानने का प्रयास किया है कि आपके घर में एक दिन में औसतन कितना पानी खर्च होता है? अपने घर में पानी के उपयोग से जुड़ी एक तालिका बनाइए। इस तालिका के आधार पर पता लगाइए-

  • घर के कार्यों में एक दिन में लगभग कितना पानी खर्च होता है? (बालटी, घड़े या किसी अन्य बर्तन को मापक बना सकते हैं)
  • आपके माँ और पिता या घर के अन्य सदस्य पानी बचाने के लिए क्या-क्या उपाय करते हैं?

(ख) क्या आपको अपनी आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध हो जाता है? यदि हाँ, तो कैसे? यदि नहीं, तो क्यों?
(ग) आपके घर में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पानी का संचयन कैसे और किन पात्रों में किया जाता है?

• (प्रश्न पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ संख्या – 51 पर देखें।)
उत्तर:
विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन के अनुभव के आधार पर स्वयं करें।

जन सुविधा के रूप में जल

नीचे दिए गए चित्रों को ध्यान से देखिए —

इन चित्रों के आधार पर जल आपूर्ति की स्थिति के बारे में अपने साथियों से चर्चा कीजिए और उसका विवरण लिखिए |

• (प्रश्न पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ संख्या – 51 पर देखें।)
उत्तर:
विद्यार्थी जल आपूर्ति की स्थिति के बारे में अपने साथियों से चर्चा करके उसका विवरण स्वयं लिखें।

बिना पानी सब सून

(क) पाठ में भूजल स्तर के कम होने के कुछ कारण बताए गए हैं, जैसे- तालाबों में कचरा फेंककर भरना आदि। भूजल स्तर कम होने के और क्या-क्या कारण हो सकते हैं? पता लगाइए और कक्षा में प्रस्तुत कीजिए ।
(इसके लिए आप अपने सहपाठियों, शिक्षकों और घर के सदस्यों की सहायता भी ले सकते हैं ।)
उत्तर:
तालाबों में कचरा भरने के अलावा और भी कारण हैं, जैसे-

  1. अत्यधिक जल दोहन – ज़रूरत से ज़्यादा पानी खींचना, खासकर खेती और उद्योगों में।
  2. बारिश का जल ज़मीन में न समाना- जमीन पक्की होने के कारण पानी नीचे नहीं जा पाता ।
  3. पेड़-पौधों की कटाई- वृक्ष जल को जमीन में जाने में मदद करते हैं, उनके कटने से जल संरक्षण घटता है।
  4. तालाबों और कुओं का नष्ट होना- पारंपरिक जल स्रोतों को बंद कर देना ।
  5. जनसंख्या वृद्धि- अधिक लोग, अधिक पानी की ज़रूरत, जिससे भूजल अधिक खींचा जाता है।

(ख) भूजल स्तर की कमी से हमें आजकल किन कठिनाइयों का समाना करना पड़ता है?
उत्तर:
भूजल स्तर की कमी से होने वाली कठिनाइयाँ-

  1. पानी की कमी- पीने, नहाने और खाना पकाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता।
  2. खेती पर असर – सिंचाई के लिए पानी न मिलने से फसलें खराब हो जाती हैं।
  3. हैंडपंप और बोरवेल सूख जाते हैं- जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में खास परेशानी होती है।
  4. महँगे पानी के साधन – टैंकर और बोतल का पानी खरीदना पड़ता है।
  5. पानी को लेकर झगड़े- एक ही स्रोत से कई लोगों को पानी चाहिए होता है।

(ग) आपके विद्यालय, गाँव या शहर के स्थानीय प्रशासन द्वारा भूजल स्तर बढ़ाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे है, पता लगाकर लिखिए।
उत्तर:
स्थानीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास –

  1. जल संरक्षण अभियान – ‘जल शक्ति अभियान’, ‘जल बचाओ’ जैसी योजनाएँ।
  2. वर्षा जल संचयन- घरों, स्कूलों और सरकारी इमारतों में अनिवार्य किया गया है।
  3. तालाबों और झीलों का पुनर्जीवन – पुराने जल स्रोतों को साफ कर फिर से उपयोग में लाना।
  4. जन जागरूकता अभियान- लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करना ।
  5. पेड़ लगाओ अभियान – जल संरक्षण में सहायक ।

यह भी जानें

वर्षा जल संग्रहण

वर्षा के जल को एकत्र करना और उसका भंडारण करके बाद में प्रयोग करना जल की उपलब्धता में वृद्धि करने का एक उपाय है। इस उपाय द्वारा वर्षा का जल एकत्र करने को ‘वर्षा जल संग्रहण’ कहते हैं। वर्षा जल संग्रहण का मूल उद्देश्य यही है कि “जल जहाँ गिरे वहीं एकत्र कीजिए।” वर्षा जल संग्रहण की एक तकनीक इस प्रकार है—

छत के ऊपर वर्षा जल संग्रहण

इस प्रणाली में भवनों की छत पर एकत्रित वर्षा जल को पाइप द्वारा भंडारण टंकी में पहुँचाया जाता है। इस जल में छत पर उपस्थित मिट्टी के कण मिल जाते हैं। अत: इसका उपयोग करने से पहले इसे स्वच्छ करना आवश्यक होता है।

(‘वर्षा-जल संग्रहण’ से संबंधित अंश पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या- 52 पर देखें।)

• अपने घर या विद्यालय के आस-पास, मुहल्ले या गाँव में पता लगाइए कि वर्षा जल संग्रहण की कोई विधि अपनाई जा रही है या नहीं? यदि हाँ, तो कौन-सी विधि है? उसके विषय में लिखिए। यदि नहीं, तो अपने शिक्षक या परिजनों की सहायता से इस विषय में समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए ।
उत्तर:
सेवा में
संपादक,
दैनिक भास्कर,
दिल्ली

विषय- वर्षा जल संचयन पर ध्यान आकर्षित करने के संबंध में।

महोदय/ महोदया,

सविनय निवेदन है कि हमारे क्षेत्र चंदन विहार में वर्षा जल संचयन की कोई विधि अपनाई नहीं जा रही है। वर्षा का पानी पूरी तरह से बहकर नालों में चला जाता है, जिससे जल संकट का सामना करना पड़ता है। हम जानते हैं कि वर्षा जल संचयन हमारे जल संसाधनों को बचाने का एक प्रभावी तरीका है।

आपसे अनुरोध है कि आप हमारे क्षेत्र में वर्षा जल संचयन के महत्व को उजगार करते हुए इस विषय पर लोगों को जागरूक करें। यदि प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं, तो कृपया इस पर ध्यान दें और हमारे क्षेत्र में जल संचयन की विधियाँ अपनाने के लिए पहल करें।

हम मानते हैं कि यदि इस दिशा में कार्य किया जाता है, तो आने वाले समय में जल की समस्या से निजात मिल सकती है और पर्यावरण को भी लाभ होगा।

सहायता और इस विषय पर ध्यान देने के लिए हम आपके आभारी होंगे।

धन्यवाद ।

भवदीय
क० ख०ग०

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