NCERT Class 7 Hindi Chapter 3 फूल और काँटा

NCERT Class 7th Hindi Chapter 3 फूल और काँटा Question Answer

पाठ से

मेरी समझ से

(क) कविता के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है ? उनके सामने तारा (★) बनाइए । कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

प्रश्न 1.
कविता में काँटे के बारे में कौन-सा वाक्य सत्य है?

  • काँटा अपने आस-पास की सुगंध को नष्ट करता है।
  • काँटा तितलियों और भौंरों को आकर्षित करता है। काँटा उँगलियों को छेदता है और वस्त्र फाड़ देता है।
  • काँटा पौधे को हानि पहुँचाता है।

उत्तर:

  • काँटा उँगलियों को छेदता है और वस्त्र फाड़ देता है। (★)

प्रश्न 2.
कविता में फूल और काँटे में समानताओं और विभिन्नताओं का उल्लेख किया गया है। निम्नलिखित में से कौन-सा वाक्य इन्हें सही रूप में व्यक्त करता है?

  • फूल सुंदरता का प्रतीक है और काँटा कठोरता का ।
  • फूल और काँटे के बारे में लोगों के विचार समान होते हैं।
  • फूल और काँटे एक ही पौधे पर उगते हैं, लेकिन उनके स्वभाव भिन्न होते हैं।
  • फूल और काँटे को समान देखभाल मिलती है फिर भी उनके रंग-ढंग अलग होते हैं।

उत्तर:

  • फूल और काँटे एक ही पौधे पर उगते हैं, लेकिन उनके स्वभाव भिन्न होते हैं। (★)
  • फूल और काँटे को समान देखभाल मिलती है फिर भी उनके रंग-ढंग अलग होते हैं। (★)

प्रश्न 3.
कविता के आधार पर कौन-सा निष्कर्ष उपयुक्त है ?

  • व्यक्ति का कुल ही उसके सम्मान का आधार होता है।
  • व्यक्ति के कार्यों के कारण ही लोग उसका सम्मान करते हैं।
  • कुल की प्रतिष्ठा हमेशा व्यक्ति के गुणों से बड़ी होती है।
  • यदि व्यक्ति अच्छे कार्य करता है तो उसके कुल को प्रसिद्धि मिलती है।

उत्तर:

  • व्यक्ति के कार्यों के कारण ही लोग उसका सम्मान करते हैं। (★)
  • यदि व्यक्ति अच्छे कार्य करता है तो उसके कुल को प्रसिद्धि मिलती है। (★)

प्रश्न 4.
कविता के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ‘बड़प्पन’ के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है ?

  • धन-दौलत और ताकत से व्यक्ति के बड़प्पन का पता चलता है।
  • कुल के बड़प्पन की प्रशंसा व्यक्ति की कमियों को ढक देती है।
  • बड़प्पन व्यक्ति के गुणों, स्वभाव और कर्मों से पहचाना जाता है।
  • कुल का नाम व्यक्ति में बड़प्पन की पहचान का मुख्य आधार है।

उत्तर:

  • बड़प्पन व्यक्ति के गुणों, स्वभाव और कर्मों से पहचाना जाता है। (★)

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-
अलग या एक से अधिक उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर:
(1) कविता में काँटे के नकारात्मक स्वभाव का वर्णन है, इसी कारण इस विकल्प का चयन किया गया है।

(2) मेरे अनुसार इस प्रश्न के दो विकल्प चुनने का कारण है कि फूल और काँटा दोनों एक ही समान पालन-पोषण प्राप्त करने के बाद भी अलग-अलग प्रवृत्ति अपनाते हैं। फूल हम सभी को प्यारे लगते हैं किंतु काँटा जब हमें चुभता है तो हमें उस पर क्रोध ही आता है।

(3) मेरे द्वारा इस प्रश्न के भी दो विकल्पों का चयन किया गया क्योंकि मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने द्वारा किए अच्छे कार्यों तथा अपने उदार स्वभाव से ही पहचाना जाता है और इसी कारण उसके परिवार या कुल का मान बढ़ता है। अन्यथा कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उच्च कुल में जन्म लेने के पश्चात अपने बुरे कार्यों से अपने वंश का नाश करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

(4) मेरे अनुसार ‘बड़प्पन’ का अर्थ व्यक्ति के द्वारा किए अच्छे कर्मों, दूसरों के प्रति उसके स्वभाव तथा उसके भीतर छिपे गुणों से है जो दूसरों की मौलिकता का हनन न करके उन्हें अपने साथ लेकर चलते हैं। ऐसे व्यक्ति जग में प्रसिद्धि पाते हैं क्योंकि उनका स्वभाव छल-कपट से रहित होता है तथा वे दूसरों के लिए भी हितकारी होते हैं।

(विद्यार्थी अपने मित्रों के साथ चर्चा करके बताएँगे कि उनके द्वारा विकल्प चुनने के क्या कारण हैं ।)

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-

(क) “मेह उन पर है बरसता एक सा,
एक सी उन पर हवायें हैं बही।
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उनके एक से होते नहीं।’
उत्तर:
प्रकृति की परिस्थितियाँ जैसे बादल का बरसना, हवाओं का बहना आदि सभी परिस्थितियाँ फूल और काँटे के लिए समान होती हैं, फिर भी इनमें स्वभावगत अंतर होता है। ठीक इसी तरह से हालात समान होने पर भी व्यक्ति स्वभाव या व्यवहार में भिन्न हो सकते हैं। फूल और काँटे का प्रतीकात्मक प्रयोग कर कवि ने हमें अप्रत्यक्ष रूप से यह समझाने का प्रयास किया है कि व्यक्ति के स्वभाव और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि वह फूल की तरह सुख दे या काँटे के समान दुख ।

(ख) “किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर । ”
उत्तर:
उच्च कुल में जन्म लेना ही मात्र किसी की विशेषता या गुण नहीं है, जब तक कि व्यक्ति के व्यवहार में विनम्रता, दया, परोपकारिता आदि का भाव विद्यमान न हो। यदि किसी व्यक्ति के भीतर गुणों की कमी हो, उसके व्यवहार या चरित्र में महानता न हो, तो एक श्रेष्ठ कुल या ऊँचे परिवार में उसका जन्म लेना व्यर्थ हो जाता है।

कहने का अभिप्राय यह है कि व्यक्ति स्वयं अपने आचरण तथा गुणों से अपने कुल का नाम ऊँचा करता है तथा उसे सार्थक बनाता है। इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि रावण, जो कि परम ज्ञानी तथा शक्तिशाली था, वह उच्च कुल में जन्मा था, किंतु अहंकार और अधर्म के कारण उसका नाश हुआ। वहीं दूसरी ओर राम भी श्रेष्ठ कुल से संबंधित थे, किंतु अपने व्यवहार, सहिष्णुता एवं धर्म का पालन करने के कारण उन्होंने श्रेष्ठता अर्जित की और महान बने ।

अतः व्यक्ति को इस बात का घमंड नहीं करना चाहिए कि वह किस कुल में जन्मा है, अपितु वह अपने आचरण से समाज को क्या दे रहा है, यह उसके लिए आवश्यक होना चाहिए।

सोच-विचार के लिए

कविता को एक बार पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) कविता में ऐसी कौन-कौन सी समानताओं का उल्लेख किया गया है जो सभी पौधों पर समान रूप से लागू होती हैं?
उत्तर:
सभी पौधों पर समान रूप से लागू होने वाली समानताएँ, जिनका उल्लेख कविता में किया गया है। वे हैं-

  1. एक ही धरती पर जन्म लेना ।
  2. रात में चाँद की चाँदनी समान रूप से पड़ना ।
  3. बादलों का समान रूप से बरसना ।
  4. हवा का समान रूप से मिलना।

(ख) आपको फूल और काँटे के स्वभाव में मुख्य रूप से कौन – सा अंतर दिखाई दिया?
उत्तर:
फूल कोमल, सुखदायी, सुगंध देने वाला तथा प्रेमपूर्वक व्यवहार करने वाला है किंतु इसके विपरीत काँटा कठोर, कष्टदायी तथा अहंकारी प्रवृत्ति वाला है।

(ग) कविता में मुख्य रूप से कौन-सी बात कही गई है? उसे पहचानिए, समझिए और अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
इस कविता में मुख्य रूप से यह बात कही गई है कि व्यक्ति का स्वभाव ही उसे महानता या हीनता की ओर अग्रसर करता है। हमें फूल की भाँति विनम्र, सेवा-भाव से युक्त तथा दूसरों को आनंद देने वाला होना चाहिए, न कि काँटे जैसा जो दूसरों को पीड़ा और दुख ही प्रदान करता है। कुल, जाति या परिस्थितियाँ नहीं, अपितु व्यक्ति का आचरण, उसका अच्छा स्वभाव तथा उसके कर्म ही उसकी असली पहचान बनते हैं।

(घ) “किस तरह कुल की बड़ाई काम दे, जो किसी में हो बड़प्पन की कसर ।” उदाहरण देकर समझाइए |
उत्तर:
इस पंक्ति में यह बताया गया है कि कुल की प्रतिष्ठा तब तक कोई मायने नहीं रखती जब तक कि व्यक्ति के स्वभाव या उसके कर्मों से बड़प्पन न दिखे। इस बात को इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि दुर्योधन जो धृतराष्ट्र का पुत्र और कुरु वंश का राजकुमार था, वह अपने अहंकार, द्वेष और अधर्म के कारण निंदनीय बना।

(ङ) “ है खटकता एक सब की आँख में, दूसरा है सोहता सुर शीश पर । ” लोग कैसे स्वभाव के व्यक्तियों की प्रशंसा करते हैं और कैसे स्वभाव वाले व्यक्तियों से दूर रहना पसंद करते हैं?
उत्तर:
लोग ऐसे स्वभाव के व्यक्तियों की प्रशंसा करते हैं जो फूल की भाँति विनम्र, हितकारी, दयालु तथा सुखदायी हों और ऐसे स्वभाव वाले लोगों से दूर रहना पसंद करते हैं जो काँटे की भाँति कठोरता रखने वाले, स्वार्थी तथा अहित कर हों।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) कल्पना कीजिए कि चाँदनी, हवा और मेघ केवल एक पौधे पर बरसते हैं। बाकी पौधे इन सबके बिना कैसे दिखेंगे और उनके जीवन पर इसका क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
चाँदनी के बिना पौधे अंधकार में रहेंगे, वे मुरझाने लगेंगे, क्योंकि उन्हें रात में चंद्रमा की शीतलता प्राप्त नहीं हो सकेगी। हवा के बिना बाकी पौधे ठीक से बड़े नहीं हो पाएँगे, कुम्हलाने लगेंगे। उनकी पत्तियाँ सूखने व गिरने लगेंगी। मेघ के जल के बिना अन्य पौधे प्यासे रह जाएँगे, उनका जीवन खत्म हो जाएगा, क्योंकि उनकी मिट्टी सूख जाएगी। इन सबके बिना बाकी पौधे मुरझाए हुए लगेंगे तथा उनकी जीवन-शक्ति खत्म – सी हो जाएगी।

(ख) यदि सभी पौधे एक जैसे होते तो दुनिया कैसी लगती ?
उत्तर:
यदि सभी पौधे एक जैसे होते जो दुनिया में सब जगह एक ही आकार की पत्तियों, रंग तथा सुगंध वाले फूल होते । इस एकरूपता से दुनिया नीरस और उबाऊ लगती। कहीं कोई नयापन, विविधता नहीं होती। मनुष्य को प्रकृति से किसी प्रकार की प्रेरणा नहीं मिलती तथा वह प्रेरणा रहित हो जाता।

(ग) यदि काँटे न होते और हर पौधा केवल फूलों से भरा होता तो क्या होता?
उत्तर:
काँटे पौधों के सुरक्षा कवच होते हैं। यदि हर पौधा केवल फूलों से भरा होता तो फूलों की रक्षा करने वाला कोई नहीं होता । पशु-पक्षी उनको आसानी से खराब कर देते। कई स्थानों पर विशेष कर रेगिस्तानी और कठोर जलवायु वाले क्षेत्रों में पौधों का अस्तित्व संकट में पड़ जाता क्योंकि बिना काँटों के वे जीवित नहीं रह पाते।

(घ) कल्पना कीजिए कि एक तितली काँटे से मित्रता करना चाहती है, उनके बीच कैसा संवाद होगा ?
उत्तर:
तितली का काँटे से संवाद कुछ इस प्रकार का होगा-
तितली – काँटे भैया! आज तो बहुत चमचमाती धूप है, पर तुम अब भी पहले जैसे ही दिख रहे हो।
काँटा – तितली बहन मैं तो ऐसा ही हूँ । तुम्हारी तरह रंग-बिरंगी और मुलायम होना मेरे नसीब में नहीं!
तितली – अरे नहीं भैया! तुम अपने को कम मत समझो। तुम्हारे बिना तो फूलों की रक्षा ही नहीं होती।
काँटा – (आश्चर्य से) क्या सच में? मुझे तो सब दूर से देखकर डरते हैं।
तितली – (हँसते हुए) तुम बाहर से कठोर हो, लेकिन तुम्हारे अंदर भी जीवन के लिए प्रेम है। तुम तो फूलों के रक्षा कवच हो ।
काँटा – (मुसकराकर) शुक्रिया तितली बहन, तुम्हारी बातें सुनकर अच्छा लगा। चलो, आज से हम अच्छे दोस्त हुए !
तितली – हाँ-हाँ, क्यों नहीं। आज से हम पक्के दोस्त हैं।

(ङ) कल्पना कीजिए कि आपको किसी काँटे, फूल या दोनों के गुणों के साथ जीवन जीने का अवसर मिलता है। आप किसके गुणों को अपनाना चाहेंगे? कारण सहित बताइए ।
उत्तर:
मैं काँटे और फूल दोनों के गुणों को अपनाना चाहूँगा/चाहूँगी क्योंकि फूल हमें कोमलता, मधुरता, प्रेम, करुणा आदि की बात, सिखाते हैं। वहीं दूसरी ओर काँटे से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें कठिन परिस्थितियों में कैसे टिके रहना है। ये हमें शक्तिशाली बनने तथा कठिनाइयों का सामना करने की सीख देते हैं।

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) यदि आपको फूल और काँटे में से किसी एक को चुनना हो तो आप किसे चुनेंगे और क्यों ?
उत्तर:
मैं फूल को चुनूँगा / चुनूँगी क्योंकि वह दूसरों को खुशियाँ बाँटता है। लोगों के जीवन में सुगंध और सुंदरता भर देता है। फूल की भाँति हम भी लोगों में प्रेम, खुशियाँ आदि बाँटने का कार्य कर सकते हैं।

(ख) कविता में बताया गया है कि फूल अपनी सुगंध और व्यवहार से चारों ओर प्रसन्नता और आनंद फैला देता है। आप अपने मित्रों या परिवार के जीवन में प्रसन्नता और आनंद लाने के लिए क्या-क्या करते हैं और क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
क्या-क्या करते हैं- मैं अपने परिवार के सदस्यों के जीवन में प्रसन्नता और आनंद लाने के लिए बड़ों की सभी बातों का पालन करता/करती हूँ, घर के छोटे-छोटे कामों में अपनी माँ का हाथ बँटाता/बँटाती हूँ; जैसे- चीज़ों को सही जगह पर रखना आदि ।

मित्रों के जीवन में प्रसन्नता लाने के लिए मैं उन्हें हँसाता/हँसाती हूँ। उनसे ईर्ष्या नहीं करता/करती। अपना सामान साझा करता / करती हूँ ।
क्या – क्या कर सकते हैं- परिवार के सदस्यों व मित्रों से हम अपनी गलती के लिए क्षमा माँग सकते हैं। एक अच्छा श्रोता बनकर उनकी बात सुन सकते हैं। बड़ों के साथ बैठकर बातें कर सकते हैं। मित्रों को सरप्राइज़ दे सकते हैं। खुले दिल से सराहना कर सकते हैं। दादा-दादी / नाना-नानी के साथ समय बिता सकते हैं।

(ग) ‘फूल’ और ‘काँटे’ एक-दूसरे से बिलकुल भिन्न हैं। फिर भी साथ-साथ पाए जाते हैं। अपने आस-पास से ऐसे अन्य उदाहरण दीजिए ।
(संकेत – वस्तुएँ, जैसे- नमक और चीनी; स्वभाव, जैसे- शांत और क्रोधी; स्वाद, जैसे- खट्टा-मीठा; रंग, जैसे- काला- सफेद, अनुभव, जैसे- सुख-दुख आदि)
उत्तर:

  • वस्तुएँ – आग – पानी
  • स्वभाव – दयालु, निर्दयी
  • स्वाद – फ़ीका – चटपटा
  • रंग – श्वेत – श्याम
  • अनुभव – आशा – निराशा

(घ) “छेद कर काँटा किसी की उँगलियाँ, फाड़ देता है किसी का वर बसन। ” आप अपने आस-पास की किसी समस्या का वर्णन कीजिए, जिसे आप ‘काँटे’ के समान महसूस करते हैं। उस समस्या का समाधान भी सुझाइए |
उत्तर:
मेरे आस-पास की एक समस्या जो काँटे के समान चुभती है, वह है- कठोर भाषा में की गई ‘शब्दों की चोट ‘ ।
कई बार लोग गुस्से में या मज़ाक में ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो हमारे मन को गहरी चोट पहुँचाते हैं। जैसे काँटा उँगली में चुभता है, वैसे ही ये कठोर या अपमानजनक शब्द हमारे हृदय में भीतर तक चुभते हैं।

काँटे जैसी इस समस्या का समाधान- शब्दों में बहुत ताकत होती है, इसलिए पहले रुककर सोचें, क्या कह रहे हैं और फिर बोलें। हर व्यक्ति के भीतर भावनाएँ होती हैं। हमें सीखना चाहिए कि दूसरों की भावनाओं की कद्र कैसे करें। अगर गलती से कुछ कठोर कह दिया हो, तो माफ़ी माँगें और सुधार लाएँ। इससे संबंधों में मज़बूती आती है और हम खुद भी बेहतर बनते हैं।

सृजन

(क) इस कविता के बारे में एक चित्र बनाइए। आप चित्र में जहाँ चाहें, अपने मनोनीत रंग भर सकते हैं। आप बिना रंगों या केवल उपलब्ध रंगों की सहायता से भी चित्र बना सकते हैं। चित्र बिलकुल मौलिक लगे इसकी चिंता करने की भी आवश्यकता नहीं है। आप अपनी कल्पना को जैसे मन करे, वैसे साकार कर सकते हैं।
उत्तर:
(विद्यार्थी अपनी कल्पना को उड़ान देते हुए इस कविता पर आधारित चित्र बनाएँगे।)

(ख) मान लीजिए कि फूल और काँटे के बीच बातचीत हो रही है। उनकी बातचीत या संवाद अपनी कल्पना से लिखिए । संवाद का विषय निम्नलिखित हो सकता है-

  • उनके गुणों और विशेषताओं पर चर्चा ।
  • यह समझाना कि उनका जीवन में क्या योगदान है।

उदाहरण-

फूल – मैं दूसरों के जीवन में सुगंध और सुख फैलाने आया हूँ।
काँटा – और मैं संघर्ष की याद दिलाने और सुरक्षा देने के लिए आया हूँ।
उत्तर:
फूल – (मुसकराते हुए) नमस्ते काँटे भाई ! लोग मुझे देखकर खुश होते हैं, मेरी खुशबू से महकते हैं। कहते हैं कि मैं सुंदरता और प्रेम का प्रतीक हूँ।
काँटा – (थोड़ा गंभीर होकर) नमस्ते फूल भाई ! तुम्हारी कोमलता और महक सचमुच मन को भाती है। लेकिन क्या तुम जानते हो कि अगर मैं न होता, तो तुम्हारी यह सुंदरता कोई भी आसानी से छीन लेता ।
फूल – (चौंकते हुए) बिलकुल सही कहा ! तुम तो मेरी रक्षा करते हो। जब भी कोई मुझे तोड़ने आता है, उसका पहले तुमसे सामना होता है।
काँटा – (गर्व से) हाँ, मैं भले ही कठोर हूँ, पर मेरा उद्देश्य सिर्फ़ सुरक्षा है। मैं संघर्ष और सहनशीलता का प्रतीक हूँ। जीवन में हर चीज़ कोमल नहीं होती, कभी-कभी कठोरता भी ज़रूरी होती है।
फूल – (सोचते हुए) सच है । मैं तो सभी को सौंदर्य, प्रेम और शांति देता हूँ, लेकिन तुम्हारे बिना मेरी पहचान अधूरी है। अगर तुम न हो, तो मैं सुरक्षित नहीं।
काँटा – और मैं, जिसे लोग नापसंद करते हैं, दरअसल उन्हें यह सिखाता हूँ कि जीवन में हर सुंदर चीज़ के साथ कुछ कठिनाइयाँ भी होती हैं, जैसे तुम्हारे साथ मैं हूँ।
फूल – (मुसकराकर) तुम्हारी बातों से तो आज मुझे भी नई सीख मिली। कोमलता और कठोरता, दोनों मिलकर ही जीवन को संतुलित बनाते हैं।
काँटा – हाँ, और इसी से हमारी पहचान है कि एक प्रेम और सौंदर्य देता है, दूसरा साहस और सुरक्षा । दोनों की बराबर ज़रूरत है।

वाद-विवाद

विभिन्न समूह बनाकर कक्षा में एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए। इसके लिए विषय है— ‘जीवन में फूल और काँटे, दोनों की आवश्यकता होती है’।

कक्षा में वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन करने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं-

  1. आपकी कक्षा में पहले से सात-आठ समूह बने होंगे। आधे समूह ‘फूल’ के पक्ष में तर्क देंगे। आधे समूह ‘काँटे’ के पक्ष में तर्क देंगे।
  2. एक समूह निर्णायक मंडल की भूमिका निभाएगा। निर्णायक मंडल का काम होगा—
    • तर्कों को ध्यान से सुनना।
    • प्रस्तुति शैली और तर्कों की गहराई के आधार पर अंकों का निर्धारण करना।
  3. प्रत्येक समूह को तैयारी के लिए 15 मिनट का समय मिलेगा ताकि वे अपने तर्क तैयार कर सकें। सभी समूह अपने-अपने तर्क मिलकर सोचेंगे और लिखेंगे।
  4. प्रत्येक समूह को अपने पक्ष में बोलने के लिए तीन-चार मिनट का समय मिलेगा। दूसरा समूह पहले समूह के तर्कों पर एक-दो मिनट में उत्तर देगा या उनसे प्रश्न पूछेगा।
  5. सभी प्रतिभागियों को एक-दूसरे की बात ध्यान से सुननी होगी। बीच में टोकने की अनुमति किसी को नहीं होगी।
  6. सभी समूहों का क्रम तय किया जाएगा। वाद-विवाद के लिए क्रम इस प्रकार हो सकता है—
    • समूह 1 (फूल के पक्ष में)
    • समूह 2 (काँटे के पक्ष में)
    • समूह 3 (फूल के पक्ष में)
    • समूह 4 (काँटे के पक्ष में)
  7. जो और इसी क्रम से आगे बढ़ें।
    समूह निर्णायक मंडल का कार्य कर रहा है, वह वाद-विवाद के अंतराल में तर्क, भाषा कौशल और प्रस्तुति शैली के आधार पर अंकों का निर्धारण करेगा।
  8. निर्णायक मंडल अंकों के आधार पर विजेता समूह का निर्णय करेगा।
  9. समूहों के प्रयासों के लिए तालियाँ बजाएँ और उनकी प्रशंसा करें। संभव हो तो विजेता समूह को कोई पुरस्कार या प्रमाणपत्र दिया जा सकता है।
  10. विद्यार्थी वाद-विवाद गतिविधि के अनुभवों पर एक अनुच्छेद भी लिख सकते हैं।


उत्तर:

  • कक्षा में विद्यार्थियों के विभिन्न समूह बनाकर इस वाद – विवाद गतिविधि का आयोजन किया जाएगा तथा पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या-38 पर दिए गए सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर समूह अपनी प्रस्तुति देंगें।
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