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 JAC Board Jharkhand Class 10th Social Science Geography Solutions chapter -1- संसाधन एवं विकास

JAC Board Jharkhand Class 10th Social Science Geography Solutions chapter -1- संसाधन एवं विकास

                     समकालीन भारत 
                      संसाधन एवं विकास
                        वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है ?
(a) नवीकरण योग्य,

(b) जैव,

(c) प्रवाह,

(d) अनवीकरण योग्य।
                                 उत्तर-(d)

प्रश्न 2. ज्वारीय ऊर्जा निम्नांकित में से किस प्रकार का संसाधन है ?
(a) पुनः पूर्ति योग्य,

(b) मानवकृत,

(c) अजैव,

(d) अचक्रीय ।
                     उत्तर-(a)

प्रश्न 3. पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नांकित में से मुख्य कारण क्या है ?
(a) गहन खेती,

(b) वनोन्मूलन,

(c) अधिक सिंचाई,

(d) अति पशुचारण ।
                             उत्तर-(c)

प्रश्न 4. निम्नांकित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?
(a) पंजाब,

(b) हरियाणा,

(c) उत्तर प्रदेश के मैदान,

(d) उत्तराखंड ।
                       उत्तर-(d)

प्रश्न 5. किस राज्य में काली मृदा पाई जाती है ?
(a) जम्मू और कश्मीर,

(b) गुजरात,

(c) राजस्थान,

(d) झारखण्ड ।
                      उत्तर-(b)

प्रश्न 6. नवीकरणीय योग्य संसाधन है-
(a) वन,

(b) जल,

(c) पवन ऊर्जा,

(d) इनमें सभी ।
                        उत्तर-(d)

प्रश्न 7. निम्न में कौन राष्ट्रीय संसाधन है ?
(a) बाग,

(b) जल संसाधन,

(c) शमशान,

(d) चारण भूमि ।
                         उत्तर-(b)

प्रश्न 8. उत्तरी भारत की सबसे आम मिट्टी कौन-सी है ?
(a) लाल मिट्टी,

(b) काली मिट्टी,

(c) लेटेराइट मिट्टी,

(d) जलोढ़ मिट्टी।
                         उत्तर-(d)

प्रश्न 9. निम्नांकित में से कौन-सा प्राकृतिक संसाधन नहीं है ?
(a) जल,

(b) खनिज,

(c) भूमि,

(d) भवन ।
                 उत्तर-(d)

प्रश्न 10. इनमें से कौन-सा एक संसाधन नवीकरणीय संसाधन है ?
(a) ज्वारीय ऊर्जा,

(b) गैस,

(c) कोयला,

(d) खनिज तेल ।
                           उत्तर-(a)

प्रश्न 11. नवीकरण योग्य संसाधन का एक उदाहरण है।
(a) सौर ऊर्जा,

(b) बॉक्साइड,

(c) कोयला,

(d) पेट्रोलियम ।
                       उत्तर-(a)

प्रश्न 12. पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं में किस प्रकार की मृदा पाई जाती है?
(a) जलोढ़ मृदा,

(b) काली मृदा,

(c) लाल मृदा,

(d) लैटेराइट मृदा ।
                            उत्तर-(a)

प्रश्न 13. उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है ?
(a) जैव एवं अजैव,

(b) नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य,

(c) व्यक्तिगत और सामुदायिक,

(d) संभावी और विकसित।
                                       उत्तर-(a)

प्रश्न 14. नवीकरण योग्य संसाधन नहीं है-
(a) जीवाश्म ईंधन 

(b) सौर ऊर्जा,

(c) पवन ऊर्जा,

(d) जल ।
                 उत्तर-(a)

प्रश्न 15. किस मिट्टी में लौह धातु की अधिकता होती है ?
(a) लाल मिट्टी,

(b) काली मिट्टी,

(c) लैटेराइट मिट्टी,

(d) इनमें कोई नहीं।
                             उत्तर-(b)

प्रश्न 16. निम्नांकित में से कौन-सा जैव संसाधन है ?
(a) भूमि,

(b) जल,

(c) मानव,

(d) चट्टानें।
                उत्तर-(c)

प्रश्न 17. कपास उत्पादन के लिए निम्नांकित में से कौन-सी मृदा उपयुक्त होती है ?
(a) जलोढ़ मृदा,

(b) काली मृदा,

(c) लाल मृदा,

(d) लेटराइट मृदा ।
                            उत्तर-(b)

प्रश्न 18. निम्न में से कौन-सी मृदा आमतौर पर रेतीली और लवणीय होती है ?
(a) मरुस्थली मृदा,

(b) लेटेराइट मृदा,

(c) वन मृदा,

(d) लाल और पीली मृदा ।
                                     उत्तर-(a)

प्रश्न 19. निम्नांकित में से किस तरीके द्वारा मृदा संरक्षण नहीं होता ?
(a) समोच्च जुताई,

(b) पट्टी कृषि,

(c) रक्षक मेखला बनाना,

(d) ढाल पर ऊपर से नीचे की ओर हल चलाना ।
                                                                    उत्तर-(d)

प्रश्न 20. निम्नांकित में से किस मुदा को रगर मृदा कहा जाता है ?
(a) काली मृदा,

(b) लाल मृदा,

(c) लेटराइट मृदा, 

(d) रेतीली मृदा ।
                         उत्तर-(a)

प्रश्न 21. किस प्रकार की मुदा में कंकर अधिक पाए जाते हैं ?
(a) खादर,

(b) बांगर,

(c) लाल,

(d) काली ।
                उत्तर-(b)

प्रश्न 22. रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया था-
(a) भारत,

(b) ब्राजील,

(c) स्पेन,

(d) फ्रांस ।
               उत्तर-(b)

प्रश्न 23. भारत का कितने प्रतिशत भू-भाग पर मैदान है ?
(a) 41,

(b) 43,

(c) 45,

(d) 47.
         उत्तर-(b)

प्रश्न 24. निम्नांकित में से कौन-सा जैविक संसाधनों का एक उदाहरण है ?
(a) चट्टान,

(b) लौह अयस्क,

(c) सोना,

(d) पशु ।
             उत्तर-(d)

प्रश्न 25. सड़के व नहरें किस प्रकार की संसाधन है ?
(a) राष्ट्रीय संसाधन,

(b) व्यक्तिगत संसाधन,

(c) विकसित संसाधन,

(d) सामुदायिक स्वामित्व संसाधन । 
                                                    उत्तर-(a)

प्रश्न 26. उत्पति के आधार पर संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
(a) दो,

(b) तीन,

(c) चार,

(d) इनमें कोई नहीं।
                             उत्तर-(a)

प्रश्न 27. प्रथम पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन किस वर्ष किया गया ?
(a) 1992 ई०,

(b) 1997 ई०,

(c) 2005 ई०,

(d) 2012 ई०।
                     उत्तर-(a)

प्रश्न 28. किस राज्य में काली मृदा मुख्य रूप से नहीं पाई जाती है ?
(a) महाराष्ट्र,

(b) गुजरात,

(c) मध्य प्रदेश,

(d) राजस्थान ।
                     उत्तर-(d)

प्रश्न 29. समाप्यता के आधार पर संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
(a) दो,

(b) तीन,

(c) चार,

(d) इनमें कोई नहीं।
                            उत्तर-(a)

प्रश्न 30. हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप में संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, उसे क्या कहते है ?
(a) विकास,

(b) संसाधन,

(c) पर्यावरण,

(d) नियोजन 
                  उत्तर-(b)

प्रश्न 31. भूमि निम्नीकरण में निम्नांकित में से किसकी भूमिका नहीं है ? 1
(a) वनों को काटना,

(b) अति पशुचारण,

(c) खनन,

(d) मधुमक्खी पालन ।
                                 उत्तर-(d)

प्रश्न 32. आपके घर में एक दूध देने वाली गाय है, आप इसे किस तरह का संसाधन मानते हैं ?
(a) जैव,

(b) अजैव,

(c) राष्ट्रीय,

(d) सामुदायिक ।
                         उत्तर-(a)

प्रश्न 33. जिस भूमि पर खेती की जाती है उसे क्या कहते हैं ?
(a) कृषि योग्य भूमि,

(b) बंजर भूमि,

(c) चारागाह,

(d) वन भूमि
                  उत्तर-(a)

प्रश्न 34. बांगर और खादर किस मिट्टी के प्रकार हैं ?
(a) लाल पीली मिट्टी,

(b) काली मिट्टी,

(c) जलोढ़ मिट्टी,

(d) पर्वतीय मिट्टी 
                         उत्तर-(c)

प्रश्न 35. इनमें से कौन-सा नवीकरणीय संसाधन नहीं है ?
(a) जल संसाधन

(b) पवन

(c) सौर ऊर्जा

(d) कोयला ।
                  उत्तर-(d)

प्रश्न 36. कितने किलोमीटर के बाद किसी देश का महासागरीय संसाधन न पर नहीं है ?
(a) 100 किमी० के बाद

(b) 150 किमी० के बाद

(c) 200 किमी० के बाद

(d) 180 किमी० के बाद।
                                   उत्तर-(c)

प्रश्न 37. भारत के कुल क्षेत्रफल में कितने प्रतिशत क्षेत्र पर पठारी भाग है ?
(a) 43 प्रतिशत

(b) 27 प्रतिशत

(c) 30 प्रतिशत

(d) 40 प्रतिशत
                      उत्तर-(b)

प्रश्न 38. मृदा अपरदन का कौन-सा कारण नहीं है ?
(a) जल

(b) वायु

(c) हिम

(d) वन।
         उत्तर-(c)

प्रश्न 39. पवन द्वारा मैदान अथवा ढालू क्षेत्र से मृदा को उड़ा ले जाने के प्रक्रिया को क्या कहा जाता है ?
(a) पवन अपरदन,

(b) चादर अपरदन,

(c) मृदा अपरदन,

(d) परतदार अपरदन ।
                                  उत्तर-(a)

प्रश्न 40. निम्न में से भारत के किन राज्यों में खनिजों और कोयले के प्रचुर भंडार है ?
(a) झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश,

(b) झारखण्ड, ओडिशा, राजस्थान,

(c) झारखण्ड, गोवा, असम,

(d) झारखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़।
                                                       उत्तर- (d)

प्रश्न 41. देश के क्षेत्रफल का लगभग 27 प्रतिशत हिस्सा खनिजों, जीवाश्म ईंधन और वनों के अपार संचय के रूप में किस क्षेत्र को जाना जाता है ?
(a) पठारी,

(b) मैदानी,

(c) पर्वतीय,

(d) इनमें सभी ।
                       उत्तर-(a)

* कोष्ठक में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को भरें-
प्रश्न 1. ------- भारत की विस्तृत रूप से फैली हुई और महत्त्वपूर्ण मृदा है। (लाल मृदा / जलोढ़ मृदा)
उत्तर- जलोढ़ मृदा

प्रश्न 2. ------ मृदा की नमी धारण करने की क्षमता बहुत होती है ? (जलोढ़ मृदा / काली मृदा)
उत्तर- काली मृदा

प्रश्न 3. बहता हुआ जल मृत्तिकायुक्त मृदाओं को काटते हुए गहरी वाहिकाएँ बनाता है, जिन्हें ---- कहते हैं। (चादर अपरदन / अवनालिक अपरदन)
उत्तर- अवनालिक अपरदन

प्रश्न 4. अवनालिका अपरदन--------में आम पाया जाता है। (चंबल बेसिन / गंगा बेसिन)
उत्तर- चंबल बेसिन

प्रश्न 5. ----- मृदा चाय और कॉफी उगाने के लिए उपयुक्त है। (लेटराइट / लाल)
उत्तर- लेटराइट

प्रश्न 6. -------- मृदा रवेदार आग्नेय चट्टानों पर कम वर्षा वाले भागों में विकसित होती है। (लाल / जलोढ़)
उत्तर- लाल

                     अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. समाप्यता के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण करें।
उत्तर- नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य ।

प्रश्न 2. संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर- आर्थिक विकास के लिए मानव जिन साधनों का उपयोग करता है, वे सभी 'संसाधन' कहलाते हैं। जैसे- मिट्टी, वन, कल-कारखाने ।

प्रश्न 3. प्राकृतिक संसाधन क्या हैं ?
उत्तर - प्रकृति द्वारा प्रदत्त वे सभी वस्तुएँ जो मनुष्य द्वारा उपयोग में लाई जाती हैं उन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। जैसे- वन, भूमि, पर्वत, पठार आदि।

प्रश्न 4. प्राकृतिक संसाधन कितने प्रकार के है ?
उत्तर- प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के हैं- जैविक तथा अजैविक। भूमि जल तथा मृदा अजैविक संसाधन हैं जबकि वन, जीव-जन्तु जैविक संसाधन हैं।

प्रश्न 5. मानव निर्मित संसाधनों के चार उदाहरण दें।
उत्तर- मानव निर्मित संसाधनों के उदाहरण-
(क) बाँध, 

(ख) उद्योग, 

(ग) मशीन, 

(घ) मकान।

प्रश्न 6. नवीकरणीय संसाधन किसे कहते हैं ? इसके दो उदाहरण दें।
उत्तर- वे सभी संसाधन जो कभी समाप्त नहीं होते तथा एक बार प्रयोग करने के उपरांत उन्हें निश्चित समय में दोबारा प्राप्त किया जा सकता है नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं।
नवीकरणीय संसाधनों के दो उदाहरण-
(क) जल, 

(ख) पेड़-पौधे और जीव-जन्तु।

प्रश्न 7. अनवीकरणीय संसाधन किसे कहते हैं ? इसके दो उदाहरण दें।
उत्तर- वे सभी संसाधन जो एक बार प्रयोग के उपरांत समाप्त हो जाते हैं तथा उन्हें निश्चित समयावधि में दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है, अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं।
अनवीकरणीय संसाधनों के दो उदाहरण-
(क) खनिज

(ख) गैस एवं कोयला

प्रश्न 8. परंपरागत ऊर्जा के दो स्रोतों का नाम लिखें।
उत्तर- (क) कोयला,

             (ख) पेट्रोलियम ।

प्रश्न 9. संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर- पृथ्वी पर कुछ संसाधन ऐसे हैं जो समाप्त नहीं होते हैं। कुछ संसाधन ऐसे भी हैं जो कभी भी समाप्त हो सकते हैं। जो समाप्त होने वाले संसाधन हैं उनका संरक्षण आवश्यक है जैसे- पेट्रोलियम, कोयला आदि। इन संसाधनों को संरक्षण प्रदान नहीं किया गया तो आने वाले पीढ़ी के लिए समस्या उत्पन्न हो सकती है।

प्रश्न 10. जैविक और अजैविक संसाधनों के दो-दो उदाहरण दें।
उत्तर- वन और जीव-जन्तु जैविक संसाधन हैं जबकि भूमि, जल, मृदा आदि अजैविक संसाधन हैं।

प्रश्न 11. नियोजन की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर- संसाधन सीमित हैं। हमारे देश में उनका वितरण असमान है। अतः संसाधनों के विकास के लिए नियोजन आवश्यक है। 
 संसाधन नियोजन के तीन स्तर हैं-
(क) संसाधनों के अन्वेषण की तैयारी,

(ख) विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धता का मूल्यांकन,

(ग) संसाधनों के शोषण की योजना ।

प्रश्न 12. सतत् पोषणीय विकास का क्या अर्थ है ?
उत्तर- सतत् पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ है कि विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करे।

प्रश्न 13. आयु के आधार पर जलोढ़ मृदाएँ कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर- आयु के आधार पर जलोढ़ मृदाएँ दो प्रकार की हैं-
(क) पुराना जलोढ़ (बांगर),

(ख) नया जलोढ़ (खादर) ।

* बांगर मृदा में 'कंकड़' ग्रंथियों की मात्रा ज्यादा होती हैं।

* खादर मृदा में बांगर मृदा की तुलना में ज्यादा महीन कण पाए जाते हैं।

प्रश्न 14. पंजाब में भूमि के निम्नीकरण का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर- पंजाब में भूमि के निम्नीकरण का मुख्य कारण अत्यधिक सिंचाई है।

प्रश्न 15. पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है ? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर- पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं में जलोढ़ मुदा पाई जाती है। 
इस प्रकार की मृदा की मुख्य विशेषताएँ हैं-
(क) जलोढ़ मिट्टी का निर्माण नदियों द्वारा लाए गए अवसादों से होता है।

(ख) जलोढ़ मिट्टी सभी फसलों के लिए उपयुक्त होती है और काफी उपजाऊ होती है।

(ग) यह देश की महत्त्वपूर्ण मृदा है जो देश के एक विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई है।

प्रश्न 16. मृदा किस प्रकार बनती हैं ?
उत्तर- मृदा का अपरदन कई प्रकार से होता है जैसे-
(क) नदियों द्वारा लाये गये अवसादों से,

(ख) ज्वालामुखी उद्गारों से,

(ग) जैविक कारणों (जन्तुओं और पौधों की क्रियाओं) से।

प्रश्न 17. तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन-सी फसल उगाई जाती है ?
उत्तर- तीन राज्य जहाँ काली मृदा पाई जाती है- गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश। ऐसी मिट्टी में मुख्य रूप से कपास की फसल उगाई जाती है।

प्रश्न 18. जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर- जैव संसाधन वे हैं जिनमें जीवन व्याप्त होता है, जैसे- मनुष्य, पशु और वनस्पति आदि । अजैव संसाधन वे हैं जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं। जैसे- चट्टानें एवं धातुएँ आदि।

प्रश्न 19. मृदा का अपरदन किस प्रकार होता है ?
उत्तर- मृदा का अपरदन प्रवाहित जल और पवन द्वारा होता है। मृदा अपरदन अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों और पर्वतीय भागों में भी अधिक होता है।

प्रश्न 20. भूक्षरण या भूमि निम्नीकरण का क्या अर्थ है ?
उत्तर- कुछ प्राकृतिक कारणों (जैसे- मृदा अपक्षय आदि) तथा मानव की गतिविधियों द्वारा भूमि अनुपजाऊ होती जा रही है। इसे भूक्षरण कहते हैं। वनों की कटाई तथा पशुओं की अधिक चराई इसके दो मुख्य कारण हैं।

प्रश्न 21. काली मिट्टी की दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर- काली मिट्टी की दो विशेषताएँ-
(क) इस मिट्टी में नमी सोखने की क्षमता अधिक होती है।

(ख) कैल्सियम कार्बोनेट, पोटाश, मैग्नीशियम काबोनेट और चूना इसके मुख्य पोषक तत्व हैं।

प्रश्न 22. लैटेराइट मिट्टी की दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर- लेटेराइट मिट्टी की दो विशेषताएँ-
(क) इसमें चूने और मैग्नेशियम का अंश कम होता है।

(ख) नाइट्रोजन की कमी और फास्फोरिक एसिड की मात्रा अधिक होती है।

प्रश्न 23. काली मिट्टी कौन-सी फसलों के लिए उपयुक्त है ?
उत्तर- काली मिट्टी कपास, तिलहन आदि फसलों के लिए उपयुक्त है।

प्रश्न 24. भारत के किन राज्यों में काली मिट्टी पाई जाती है ?
उत्तर- काली मिट्टी भारत के आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उतर प्रदेश आदि राज्यों में पाई जाती है ?

प्रश्न 25. लाल मिट्टी की रचना कैसे होती है ?
उत्तर- लाल मिट्टी की रचना ग्रेनाइट और नीस जैसी वेदार चट्टानों से होती है। लोहे के यौगिकों की अधिकता के कारण इसका रंग लाल होता है।

प्रश्न 26. उत्खात भूमि क्या है ?
उत्तर- बहता हुआ जल मिट्टी को काटते हुए गहरी नालियाँ बना लेता है जिन्हें अवनलिकाओं के नाम से जाना जाता है। ऐसी भूमि कृषि योग्य नहीं रह जाती है, अतः इसे उत्खात भूमि के नाम से जाना जाता है।

                      लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर- पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए निम्नांकित कदम उठाने चाहिए-
(क) वन रोपण या काफी मात्रा में पेड़ों के लगाने से अपरदन की प्रक्रिया को रोकी जा सकती है। पेड़ों का बंजर भूमि तथा पहाड़ी ढालों पर लगाना अधिक लाभदायक सिद्ध होता है। इस ढंग से वायु अपरदन को भी रोका जा सकता है।

(ख) पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर अवनालिका अपरदन को रोका जा सकता है। इससे जल प्रवाह का समुचित प्रयोग किया जा सकता है।

(ग) पर्वतीय ढालों पर बाँध बनाकर जल प्रवाह को समुचित ढंग से खेती के काम में लाया जा सकता है। मिट्टी रोध बाँध अवनालिकाओं (या पानी से बनने वाली गहरी खाइयों) के फैलाव को रोक सकते हैं।

(घ) भूमि संरक्षण के लिए आवश्यक है कि वहाँ हो रहे मिट्टी के अपरदन प्रसार को पहचान कर उसकी रोक के लिए उपयुक्त ढंग अपनाए जाएँ।

(ङ) मृदा के अपरदन को रोकने का एक अन्य साधन भी है पशुओं द्वारा चराई, विशेषकर पहाड़ी भागों में सीमा से अधिक न हो।

प्रश्न 2. भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है ?
उत्तर- भूमि एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है क्योंकि मानव की अधिकांश आवश्यकताओं
की पूर्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भूमि से ही पूरी होती है। अतः मानव की समृद्धि भूमि के उचित उपयोग द्वारा ही संभव है। भारत में भूमि-उपयोग का वर्तमान प्रारूप भू-आकृतिक बनावट, जलवायु, मिट्टी तथा मानवीय क्रियाकलापों का परिणाम है। भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग कि०मी० है, जिसका 93% भाग का ही भूमि उपयोग आँकड़े उपलब्ध है। विवरण निम्नांकित
है-
(क) भारत के कुल क्षेत्रफल के 51% भाग पर कृषि की जाती है यदि इसमें परती भूमि को भी शामिल कर लिया जाए तो यह बढ़कर लगभग 54% हो जाएगा।

(ख) वनों के अन्तर्गत भूमि का हिस्सा लगभग 22% है जो कि पारिस्थितिकी संतुलन के लिए आवश्यक 33% से काफी कम है।

(ग) हमारे देश में 4% चारागाह भूमि है। यद्यपि भारत में पशुओं की संख्या विश्व में सर्वाधिक है। अतः पशु संख्या के अनुपात में चारागाह भूमि भी कम है।

(घ) लगभग 6.2% भूमि बंजर भूमि है जो कृषि के लिए अयोग्य है।

(ङ) इसके अतिरिक्त शेष भूमि गैर कृषि कार्य जैसे बस्तियाँ, नगर, नदी, तालाब, सड़कें, रेलमार्ग, मंदिर, मस्जिद इत्यादि के अंतर्गत उपयोग में आती है।

वर्ष 1960-61 से वनों के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि न होने के निम्नांकित कारण हैं-
(क) भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण अतिरिक्त जनसंख्या के भरण पोषण के लिए भूमि का उपयोग किया जा रहा है।

(ख) वनों की अंधाधुंध कटाई हुई है तथा अपेक्षाकृत नए पेड़ कम लगाए गए हैं।

(ग) उद्योगों का विस्तार, खनन, बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के विकास के कारण वनों का हास हुआ है।

(घ) नगरों, बस्तियों, सड़कों एवं रेलमार्गों के विस्तार के कारण भी वन क्षेत्र के विस्तार में कभी आई है।

प्रश्न 3. प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपयोग कैसे हुआ ?
उत्तर- (क) संसाधनों का अधिक उपयोग प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास से संबंधित है। प्रौद्योगिकी के विकास के कारण संसाधनों का दोहन भारी पैमाने पर संभव हुआ तथा आर्थिक विकास के लिए अधिक से अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ी।

(ख) संसाधनों की उपलब्धता अपने आप में विकास का कारण नहीं बन सकती, जब तक कि उसे उपयोग में लाने लायक प्रौद्योगिकी अथवा कौशल का विकास नहीं किया जाय । जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का विकास होता गया संसाधनों का दोहन भारी पैमाने पर किया जाने लगा।

(ग) जितना अधिक संसाधनों का दोहन हुआ आर्थिक विकास भी उतना आगे बढ़ा।

(घ) औपनिवेशिक काल में संसाधनों का दोहन बड़े पैमाने पर हुआ क्योंकि साम्राज्यवादी देशों ने अपने उच्च प्रौद्योगिकी के माध्यम से संसाधनों का दोहन किया। इससे साम्राज्यवादी देशों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। भले ही इसका लाभ उपनिवेशों को प्राप्त नहीं हुआ।

प्रश्न 4. भूमि क्षरण या भूमि निम्नीकरण किसे कहते हैं ? भूमि क्षरण के चार कारणों की व्याख्या करें ।
अथवा, भू-क्षरण का क्या अर्थ है ?
उत्तर- प्राकृतिक तथा मानव निर्मित कारणों से मृदा की उर्वरा शक्ति या उपजाऊपन में लगातार होने वाली कमी को भूमि क्षरण या भूमि निम्नीकरण के नाम से जाना जाता है।

भूमि क्षरण के निम्नांकित कारण हैं-
(क) भूमि अपरदन- भूमि अपरदन, भूमि क्षरण का प्रमुख कारक है। पवन, जल तथा हिमनद आदि भूमि की ऊपरी परत को नष्ट कर देते हैं जिसे भूमि अपरदन के नाम से जाना जाता है। इससे मिट्टी का उपजाऊपन कम हो जाता है।

(ख) भूमि प्रदूषण- उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल तथा कूड़ा-करकट के एक ही स्थान पर लम्बे समय तक पड़े रहने के कारण भूमि के आवश्यक तत्व समाप्त हो जाते हैं तथा भूमि उपयोग के लायक नहीं रह जाती है। इसे भूमि प्रदूषण के नाम से जाना जाता है।

(ग) दोषपूर्ण कृषि पद्धति– एक ही भूमि पर अनेक फसलों के उत्पादन से भी मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।

(घ) पशुचारण तथा वनों की कटाई- पशुओं द्वारा अति चराई तथा वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण भूमि का क्षरण होता है अर्थात् उसकी उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है।

(ङ) उद्योग धंधे- सीमेंट उद्योग के लिए चूना पत्थर की पिसाई, क्रेशर द्वारा चट्टानों की तुड़ाई तथा चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने वाले उद्योगों से भारी मात्रा में धूल उड़कर खेतों में जमा हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप मृदा के उपजाऊपन में कमी हो जाती है।

प्रश्न 5. मृदा अपरदन या भू-क्षरण को रोकने के कुछ उपाय बताएँ।
उत्तर- मृदा अपरदन या भू-क्षरण को रोकने के उपाय-
(क) पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेती करने से भूमि क्षरण की मात्रा को कम किया जा सकता है।

(ख) मरुस्थलीय भाग के चारों ओर वृक्ष लगाकर भूमि क्षरण को रोका जा सकता है।

(ग) अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे-छोटे पौधे तथा घास आदि लगाकर भूमि क्षरण को नियंत्रित किया जा सकता है।

(घ) एक ही भूमि पर बदल-बदल कर विभिन्न फसलों की खेती से भी भूमि क्षरण पर नियंत्रित पाया जा सकता है।

(ङ) औद्योगिक इकाइयों में स्क्रवर यंत्र का प्रयोग करने से धूल खेतों में जमा नहीं होती तथा भू-क्षरण कम हो जाता है।

(च) उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल को बाहर निकालने के लिए पृथककारी छन्ना का प्रयोग कर भू-क्षरण को नियंत्रित किया जा सकता है।

प्रश्न 6. मिट्टी के संरक्षण से आप क्या समझते हैं? मिट्टी (मृदा) का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- मृदा का अपरदन रोककर उसके मूल गुणों को बनाए रखने को मृदा का संरक्षण कहते हैं भारत कृषि प्रधान देश है। इसे कृषि प्रधान बनाने में मृदा का विशेष योगदान है। भारतीय मृदा बहुत ही उपजाऊ, गहरी एवं विविधता लिए है, जिससे भारत में न केवल विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं, बल्कि कई फसलों के उत्पादन एवं निर्यात में यह संसार का अग्रणीय निर्यातक देश बन सकता है। यह सब कुछ तब संभव है, जबकि हम अपनी मृदा का संरक्षण बराबर करते रहे।

प्रश्न 7. प्राकृतिक सम्पदा अथवा संसाधनों का क्या महत्व है ?
उत्तर- प्राकृतिक सम्पदा अथवा संसाधनों का महत्व -
(क) वे हमारी कृषि सम्बन्धी गतिविधियों के मुख्य साधन हैं।

(ख) वे हमारे उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं।

(ग) हमारी सभी व्यापारिक गतिविधियाँ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में उन पर निर्भर करती हैं।

(घ) वे प्राकृतिक सौन्दर्य को बनाए रखते हैं और जैवमण्डल के विभिन्न जीवों के साथ संतुलन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 8. संसाधनों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार क्या है ?
उत्तर- संसाधनों का वर्गीकरण निम्नांकित आधारों पर किया जा सकता है-
(क) उत्पत्ति के आधार पर - जैव और अजैव

(ख) समाप्यता के आधार पर - नवीकरणीय और अनवीकरणीय

(ग) स्वामित्व के आधार पर व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय, वैश्विक

(घ) विकास के स्तर के आधार पर।

प्रश्न 9. संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता की विवेचना करें।
उत्तर- जनसंख्या की वृद्धि और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का निरंतर उपयोग हुआ है, यदि उपभोग की यही गति रही तो एक दिन आर्थिक विकास रुक जाएगा और मानव सभ्यता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। अतः संसाधनों का संरक्षण अनिवार्य हो गया है।

संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से है-
(क) मानव-आवास के कारण बसे प्रदेशों में भूमि दुर्लभ हो गई है। कृषि के लिए उपयोगी भूमि पर मकान बन रहे हैं। अतः यह आवश्यक हो गया है कि उपलबध भूमि का योजनाबद्ध उपयोग किया जाए।

(ख) भूमिगत जल के निरंतर उपयोग से जल-स्तर नीचा हो गया है जिससे कृषि पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए भूमिगत जल का संरक्षण आवश्यक हो गया है।

(ग) वनों का निरंतर कटाई से वातावरण प्रदूषित होता जा रहा हैं यदि वनों के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो प्रदूषण इतना अधिक बढ़ जाएगा कि मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा।

(घ) खनिज संसाधनों तथा शक्ति संसाधनों के बिना कारखाने लगाना और चलाना असंभव हो जाएगा। इसलिए खनिज संसाधनों का उपयोग बड़ी सूझ-बूझ से करना होगा।

प्रश्न 10. स्वामित्व के आधार पर संसाधनों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से होते हैं ?
उत्तर- स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को निम्नांकित भागों में बाँटा जाता है-
(क) व्यक्तिगत संसाधन- व्यक्तिगत स्वामित्व के अधीन भूमि, मकान, बाग-बगीचे आदि ।

(ख) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन- गाँव की शामिलात भूमि (चारण भूमि श्मशान भूमि, तालाब आदि), शहर की सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल के मैदान आदि।

(ग) राष्ट्रीय संसाधन- राष्ट्रीय सीमाओं के अन्दर आने वाली सड़कें, नहरें, रेलवे लाइनें, सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, वन, सरकारी भूमि एवं सरकारी भवन आदि ।

(घ) अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन– अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा अधिकृत 200 कि०मी० की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधन ।

प्रश्न 11. विकास के स्तर के आधार पर संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर- विकास के स्तर के आधार पर संसाधन के प्रकार निम्नांकित हैं-
(क) संभावी संसाधन,

(ख) विकसित संसाधन ।

संभावी संसाधन वे संसाधन हैं जो किसी भी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परन्तु उनका उपभोग नहीं किया जाता, जैसे- राजस्थान में सौर ऊर्जा और गुजरात में पवन शक्ति के अपार भंडार हैं परन्तु अभी तक ठीक ढंग से उनका विकास नहीं हुआ है।
      वे संसाधन जिनका मूल्यांकन किया जा चुका है और उनका प्रयोग भी हो रहा है उन्हें विकसित संसाधन कहते हैं।

प्रश्न 12. संसाधनों के संरक्षण का क्या अभिप्राय है ? संसाधनों के संरक्षण के दो उद्देश्य
बताएँ ।
उत्तर- प्राकृतिक संसाधनों के न्यायसंगत और योजनाबद्ध उपयोग को ही संसाधनों का संरक्षण कहते हैं।
संसाधनों के संरक्षण के दो उद्देश्य-
(क) इसका पहला उद्देश्य यह है कि वर्तमान पीढ़ी को इन संसाधनों का पूरा लाभ प्राप्त कराया जाए।

(ख) इसका दूसरा मुख्य उद्देश्य यह है कि हम अपनी पीढ़ी के हितों को ध्यान में रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की पूर्ति का भी पूरा-पूरा ध्यान रखें।

प्रश्न 13. कब और क्यों रियो डी जेनेरो का पृथ्वी सम्मेलन हुआ ?
उत्तर- रियो डी जेनेरो का पृथ्वी सम्मेलन 1992 ई० में ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरों में हुआ ताकि विश्व भर के देशों के सतत पोषणीय विकास के लिए, 21 वीं शताब्दी को ध्यान में रखते हुए, सोच-विचार किया जा सके। इसमें यह तय हुआ कि समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं तथा सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा कैसे पर्यावरणीय क्षति, गरीबी और रोगों से निपटा जाए।

प्रश्न 14. संसाधन नियोजन क्या है ? भारत में संसाधन नियोजन के सोपानों का विवरण दें।
                                  अथवा, 
संसाधन नियोजन का क्या अर्थ है ? संसाधन नियोजन के किन्हीं दो स्तरों का उल्लेख करें।
उत्तर- संसाधनों के योजनाबद्ध तथा न्याय संगत उपयोग को संसाधन नियोजन के नाम से जाना जाता है। संसाधनों का नियोजन निम्नांकित दो कारणों से आवश्यक है-
(क) संसाधनों की मात्रा सीमित है,

(ख) संसाधनों का वितरण असमान है।

संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें निम्नांकित सोपान है-
(क) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है।

(ख) संसाधन विकास योजनाएँ लागू करने के लिए उपयुक्त प्रोद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढ़ाँचा तैयार करना।

(ग) संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना।

प्रश्न 15. जलोढ़ मृदा के मुख्य विशेषताओं को लिखें ?
उत्तर- जलोढ़ मृदाएँ बहुत उपजाऊ होती हैं। अधिकतर जलोढ़ मृदाएँ पोटाश, फॉस्फोरस और चूनायुक्त होती हैं, जो इनको गन्ने, चावल, गेहूँ और अन्य अनाजों और दलहन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त बनाती है। अधिक उपजाऊपन के कारण जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि की जाती है और यहाँ जनसंख्या घनत्व भी अधिक है। सूखे क्षेत्रों की मृदाएँ अधिक क्षारीय होती हैं। इन मृदाओं का सही उपचार और सिंचाई करके इनकी पैदावार बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 16. खादर और बांगर मिट्टी में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- खादर और बांगर में अंतर-

खादर                                                               बांगर
(a) गंगा के मैदान में नयी जलोढ़          (a) गंगा के मैदान में पुरानी जलोढ़
को खादर कहते हैं।                                  को बांगर कहते हैं।
(b) बाढ़ के समय नदी का पानी सारे    (b) निरन्तर जलोढ़ के जमने से यह
क्षेत्र में फैल जाता है तथा नयी                    निक्षेप चबूतरा जैसा ऊँचा हो
जलोढ़ की परत जम जाती है।                   जाता है और बाढ़ का पानी यहाँ
                                                              नहीं पहुँच पाता।
(c) यह अधिक उपजाऊ होती है।        (c) यह कम उपजाऊ होती है।  
(d) यह बाढ़ के मैदान का अभिन्न         (d) यह बाढ़ के मैदान से अलग ऊँचा भूखण्ड है।
अंग है।                          

प्रश्न 17. लाल मिट्टियों और लैटेराइट मिट्टियों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- लाल मिट्टियों और लैटेराइट मिट्टियों में अंतर-

लाल मिट्टियाँ                                               लैटेराइट मिट्टियाँ
(a) आग्नेय और कायान्तरित शैलों                 (a) उष्ण कटिबंधीय भारी वर्षा वाले से
बनी मिट्टियाँ लाल मिट्टियाँ                                  क्षेत्रों में निक्षालन प्रक्रिया से बनी
कहलाती है।                                                     मृदा को लैटेराइट मिट्टी कहते है।
(b) इन मिट्टियों में लोहा,                           (b) इन मिट्टियों में चूना और मैग्नेशियम 
एल्यूमिनियम और चूना पर्याप्त                        कम होता है।
मात्रा में होता है।                                        
(c) इन मिट्टियों में फॉस्फोरस और             (c) इन मिट्टियों में फास्फोरिक
वनस्पति का अंश कम होता है।                      अम्ल की मात्रा अधिक होती है। 
(d) लाल मिट्टी लैटेराइट मिट्टी से                (d) यह मिट्टी बहुत कम उपजाऊ होती।
अधिक उपजाऊ है।                                        

प्रश्न 18. प्राकृतिक और मानव निर्मित संसाधन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- प्राकृतिक संसाधन और मानव निर्मित संसाधन में अंतर-
प्राकृतिक संसाधन                                      मानव निर्मित संसाधन
(a) प्रकृति प्रदत्त संसाधन प्राकृतिक             (a) मानव द्वारा विकसित संसाधन      
संसाधन कहलाते हैं।                                        मानव निर्मित संसाधन कहलाते हैं।
(b) भूमि, जल, खनिज पदार्थ और               (b) इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, मशीनें,
वन प्राकृतिक संसाधन हैं।                                भवन, सड़कें, रेलमार्ग, चित्रकलाएँ
                                                                      तथा सामाजिक संस्थाएँ, मानव
                                                                      निर्मित संसाधन है।

प्रश्न 19. जैविक तथा अजैविक संसाधन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- जैविक तथा अजैविक संसाधन में अंतर-

जैविक संसाधन                                             अजैविक संसाधन
(a) पर्यावरण के सभी सजीव तत्त्वों               (a) पर्यावरण के सभी निर्जीव तत्त्वों
तथा उनसे प्राप्त संसाधनों को                           को अजैविक संसाधन कहा जाता है।
जैविक संसाधन कहते हैं।                           
(b) यह संपूर्ति संसाधन होते हैं।                   (b) यह संपूर्ति तथा अनापूर्ति दोनों
                                                                      प्रकार के होते हैं।
(c) वनस्पति, कोयला, जैविक खाद,            (c) भूमि, मृदा, प्रकाश, वायु, जल,    
खनिज तेल, जीव-जंतु इसके                            लोहा, सोना आदि इसके प्रमुख
प्रमुख उदाहरण हैं।                                         उदाहरण हैं।

प्रश्न 20. नवीकरणीय संसाधन और अनवीकरणीय संसाधन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- नवीकरणीय और अनवीकरणीय संसाधन में अंतर- 
नवीकरणीय संसाधन                             अनवीकरणीय संसाधन
(a) इनका उपयोग बार-बार किया       (a) इनका एक बार उपयोग करने के
जा सकता है।                                          उपरांत दुबारा उपयोग नहीं किया
                                                              जा सकता है।
(b) नवीकरणीय संसाधनों के               (b) अनीवकरणीय संसाधनों में खनिज
उदाहरण- जल, पेड़-पौधे,                         आते हैं।
जीव-जन्तु और पवन ऊर्जा हैं।

                        दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. संसाधनों का उपयोग करते समय हमें किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
                                    अथवा, 
संसाधनों के संरक्षण के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जाने चाहिए ?
उत्तर- संसाधनों का उपयोग करते समय हमें निम्नांकित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
(क) प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग करते समय हमें उनकी प्रकृति, प्रकार और निक्षेपों के भण्डारों को ध्यान में रखना चाहिए।

(ख) यदि भण्डार सीमित हैं तो हमें उनकी कुछ मात्रा आने वाले समय और भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखनी चाहिए।

(ग) महासागरीय जल, सौर ऊर्जा और जलवायु जैसे संसाधन नवीकरणीय हैं। ये प्रकृति के उत्तम उपहार हैं। हमें यह देखना चाहिए कि कहीं इनका दुरुपयोग न हो।

(घ) अनवीकरण योग्य संसाधन का उचित मात्रा में ही उपयोग किया जाना चाहिए।

(ङ) अपशिष्ट सामग्री का पुनः चक्रण या पुनः उपयोग।

(च) संरक्षण के नियमों को कड़ाई से लागू करना ।

प्रश्न 2. संसाधनों के अन्धाधुन्ध उपयोग से क्या-क्या समस्याएँ पैदा हो सकती हैं ?
उत्तर- संसाधन प्रकृति की महान देन है, जो मनुष्य के अस्तित्व और विकास के लिए अति आवश्यक है परन्तु यदि इनका अन्धाधुन्ध उपयोग किया जाता रहा तो इससे अनेक समस्याएँ पैदा हो सकती हैं-
(क) पहली समस्या तो यह पैदा हो जाएगी कि हमारे संसाधन जल्दी-जल्दी समाप्त होते चले जाएँगे।

(ख) दूसरी समस्या यह हो जाएगी कि अपने लालच के कारण समाज के कुछ वर्ग इन संसाधनों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लेंगे जबकि समाज के अन्य वर्ग उनके प्रयोग से वंचित रह जाएंगे। इसका यह परिणाम होगा कि समाज दो वर्गों- संसाधन सम्पन्न और संसाधनहीन या अमीर और गरीब वर्गों में
बंट कर रह जाएगा।

(ग) संसाधनों के अन्धाधुन्ध प्रयोग से कई वैश्विक संकट पैदा हो जाएँगे जैसे- पर्यावरण प्रदूषण, भूमि निम्नीकरण, भूमण्डलीय तापन का बढ़ना तथा ओजोन परत का गायब होते जाना। यह सभी चीजें मानव के विनाश का कारण बन सकती हैं।

प्रश्न 3. भारत में पाई जाने वाली मृदाओं के प्रमुख प्रकारों का संक्षेप में विवरण दें।
अथवा, भारत में जलोढ़ और काली मृदाओं के वितरण संक्षेप में लिखें।
उत्तर- भारत जैसे विशाल देश में कई प्रकार की मृदाएँ पाई जाती हैं जैसे लैटराइट मृदा, लाल मृदा, जलोढ़ मृदा आदि ।

जलोढ़ मृदा- जलोढ़ मृदा देश के एक बड़े क्षेत्र में पाई जाती है। यह मुख्यतः उत्तरी मैदानों, तटीय मैदानों तथा छत्तीसगढ़ बेसन में विशेष रूप से मिलती है। यह मृदा बहुत अधिक उर्वर होने के कारण कृषि के लिए बहुत उपयोगी है। यह मृदा निरन्तर चलने वाली नदियों द्वारा लाए गए माल-मसाले (अर्थात् रेत, गाद, मृत्तिका आदि) से बनती है। ऐसी मृदा सतलुज, गंगा ब्रह्मपुत्र (जो उत्तरी-पूर्वी
भारत में बहती है), महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी (जो तमिलनाडु में बहती है) आदि नदियों की घाटियों में अधिकतर मिलती है। उत्तरी मैदान की जलोढ़ मृदा दो प्रकार की होती है- बांगर और खादर।

काली मृदा- यह लावा के फैलाव से बनी हुई है, इसलिए इसका रंग काला होता है। काली मृदा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, काठियावाड़ (गुजरात), कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश और तमिलनाडु में पाई जाती है। काली मृदा को रेगड़ मृदा भी कहते हैं। कही ये मृदा गहरी और कही कम गहरी होती है। यह मृदा काफी उर्वर होती है और कपास की खेती के लिए विशेषतः उपयोगी होती है। इस मृदा में दालों
आदि का उत्पादन उत्तम होता है।

लाल और पीली मृदा- इस मृदा में लोहे की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसका रंग लाल होता है। यह मृदा तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखण्ड में पाई जाती है। इसका विकास पठारों पर पाए जाने वाले शैलों से जलवाष्प परिवर्तनों के प्रभाव से होता है। यह मृदा उर्वर होती है और कृषि योग्य होती है। निम्न भागों में लाल मृदा पाई जाती है-

लेटराईट मृदा- लेटराईट मृदा मुख्यतः दक्कन की पहाड़ियों, कर्नाटक, केरल उड़ीसा, असम व मेघालय के कुछ भागों में पाई जाती है। इस प्रकार की मृदा का निर्माण अधिक वर्षा के कारण होने वाली तीव्र निक्षालन क्रिया के परिणामस्वरूप हुआ है। यह मृदा की धरातल पर पड़ी लाल परत-सी दिखाई पड़ती है और कृषि के योग्य न होने के कारण इसे वनरोपण के लिए अधिक उपयुक्त माना गया है। इस मृदा के क्षेत्रों में यूकेलिप्टस, काजू तथा अनेक पेड़ों के वन लगाए गए हैं।

पर्वतीय व वनीय मृदा- इस प्रकार की मृदाएँ प्रायः पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। ऐसी मृदाएँ वनस्पति और जैविक अंशों के एकत्रित होने से बनती है। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न होती हैं। इस प्रकार की मिट्टियों का विस्तार पहाड़ी राज्यों विशेषकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, पूर्वी श्रेणियों और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में पाई जाती हैं। ऐसी अरुणाचल प्रदेश एवं मेघालय में देखा जा सकता है।

मरुस्थलीय मृदा- ऐसी मृदाएँ शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है ऐसी मृदा में रेत के कण अधिक होते हैं इसलिए यह उतनी उपजाऊ नहीं होती। परन्तु सिंचाई की सुविधा मिल जाने से इन मृदाओं का भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे राजस्थान के गंगानगर क्षेत्र में किया जा रहा है। मरुस्थलीय मृदाएँ राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के एक विस्तृत क्षेत्रों में मिलती हैं।


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