NCERT Class 8 Hindi Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

पाठ का सार

14 मार्च, 1931 को ‘आलम आरा’ से देश की पहली सवाक् फ़िल्म की शुरुआत हुई। इस दौर में मूक सिनेमा लोकप्रियता के शिखर पर था। इसी वर्ष कई मूक फ़िल्में भी प्रदर्शित हुईं। ‘आलमआरा’ के फ़िल्मकार थे ‘अर्देशिर एम. इरानी’ । इन्होंने 1929 में हालीवुड की एक बोलती फ़िल्म ‘शो बोट’ देखी थी। पारसी रंगमच के एक लोकप्रिय नाटक को आधार बनाकर इन्होंने यह फ़िल्म बनाई। इस नाटक के कई गाने फ़िल्म में लिये गए। इनके पास कोई संवाद लेखक, गीतकार या संगीतकार नहीं था। स्वयं धुनें चुनीं। संगीत में सिर्फ तबला, हारमोनियम और वायलिन का इस्तेमाल किया। इस फ़िल्म के पहले गायक बने डब्लू. एम. खान। गाना था-‘दे दे खुदा के नाम पर प्यारे, अगर देने की ताकत है।’ इसका संगीत डिस्क फॉर्म में रिकार्ड नहीं किया जा सका। इसकी शूटिंग साउंड के कारण रात में करनी पड़ी। प्रकाश की व्यवस्था की गई।

अर्देशिर की कंपनी ने डेढ़ सौ से अधिक मूक और लगभग सौ सवाक् फ़िल्में बनाईं। आलम आरा ‘अरेबियन नाइट्स’ जैसी फैंटेसी थी। इस फ़िल्म में हिन्दी-उर्दू के मिलजुले रूप की भाषा का प्रयोग किया गया। इस फ़िल्म की नायिका जुबैदा तथा नायक बिट्ठल थे। बिट्ठल की उर्दू अच्छी नहीं थी अतः उन्हें हटाकर मेहबूब को नायक बना दिया। बिट्ठल मुकदमा लड़े और जीत गए। फिर वही नायक बने ‘आलमआरा’ में सोहराब मोदी, पृथ्वीराज कपूर, याकूब और जगदीश सेठी जैसे अभिनेता भी थे जो बाद में फ़िल्म उद्योग के स्तम्भ बने।

‘आलमआरा’ 8 सप्ताह तक हाउसफुल चली। समीक्षकों ने इसे ‘भड़कीली फैंटेसी’ फ़िल्म करार दिया। यह 10 हजार फुट लम्बी फ़िल्म थी। सवाक् फिल्मों के लिए पौराणिक कथाएँ, पारसी नाटक और अरबी प्रेम कथाएँ आधार बनाई गईं। ऐसी ही एक फिल्म थी ‘खुदा की शान’ इसमें एक पात्र महात्मा गांधी जैसा था। निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को 1956 में ‘आलमआरा’ के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर सम्मानित किया गया। सवाक् फिल्मों में संवाद भी बोलने थे, केवल स्टंट करने या उछलकूद से काम चलने वाला नहीं था। गायन की भी कद्र होने लगी। कई गायक अभिनेता बड़े पर्दे पर नज़र आने लगे। हिन्दी-उर्दू भाषा को महत्त्व बढ़ने लगा। आने वाला सिनेमा हमारे जीवन को प्रतिबिम्बित करने लगा।

अभिनेता-अभिनेत्रियों की लोकप्रियता का असर दर्शकों पर खूब पड़ा। ‘आलमआरा’ श्रीलंका, वर्मा और पश्चिम एशिया में भी पसंद की गई, भारतीय सिनेमा के जनक दादा फाल्के ने ‘सवाक्’ सिनेमा के ‘पिता’ अर्देशिर ईरानी की उपलब्धि को अपनाना ही था। सिनेमा का एक नया युग शुरू हो गया।

शब्दार्थ : सवाक् फ़िल्म-मूक फ़िल्म के बाद वनी बोलती फ़िल्म; लोकप्रियता-प्रसिद्धि; शिखर-चोटी; विभिन्न-भिन्न-भिन्न, अलग-अलग; फ़िल्मकार-फ़िल्म बनाने वाले; पटकथा-फ़िल्म के लिए लिखी जाने वाली कथा; संवाद-बातचीत, फ़िल्म में की जाने वाली बातचीत; महज़-सिर्फ पार्श्वगायक-पर्दे के पीछे से गाने वाला; डिस्क फॉर्म-रिकार्डिंग का एक रूप; कृत्रिम-बनावटी; प्रणाली-विधि, तरीका; निर्माण-बनाना; संयोजन-मेल; सर्वाधिक-सबसे अधिक; पारिश्रमिक-मेहनताना, मानदेय; बतौर-तौर पर (‘व’ उपसर्ग + तौर); चयन-चुनाव; समीक्षक-समीक्षा करने वाले, गुण-दोप पर निष्पक्ष रूप से विचार करने वाले फैंटेसी-काल्पनिकता से पूर्ण अनोखी कथा; किरदार-भूमिका, चरित्र; खिताब-सम्मान, उपाधि; स्टंट-ध्यान आकर्षित करने की ट्रिक, कलावाजी, कमाल, पाखंड; उपलब्धि-प्राप्ति; प्रतिबिम्ब-झलक, परछाईं; केशसज्जा-सिर के बालों की सजावट।

पाठ से

प्रश्न 1. जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर कौन-से वाक्य छापे गए? उस फिल्म में कितने चेहरे थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर छापा गया था ‘वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इंसान जिंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखो।’ उस फिल्म में अठहत्तर चेहरे थे। अर्थात् उस फिल्म (आलम आरा) में अठहत्तर कलाकार काम कर रहे थे।

प्रश्न 2. पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा कहाँ से मिली? उन्होंने आलमआरा फिल्म के लिए आधार कहाँ से लिया? विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम.ईरानी को प्रेरणा हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म देखकर मिली। इस फिल्म का नाम ‘शोबोट’ था। सवाक् फिल्म आलम आरा बनाने के लिए पारसी रंगमंच के नाटक को आधार बनाकर पटकथा तैयार की गई। उसके गीतों को भी इस फिल्म में ज्यों-का त्यों रखा गया।

प्रश्न 3. विट्ठल का चयन आलम आरा फिल्म के नायक के रूप हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों गया? विट्ठल ने पुनः नायक होने के लिए क्या किया? विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
जिस समय ‘आलम आरा’ फिल्म बनने वाली भी उस समय विट्ठल प्रसिद्ध अभिनेता के रूप में जाने जाते थे। उनका चयन फिल्म के नायक के लिए कर लिया गया पर उन्हें उर्दू बोलने में परेशानी होती थी, इसलिए उन्हें हटाया गया। विठ्ठल ने पुनः नायक बनने के लिए मुकदमा कर दिया। तत्कालीन सुप्रसिद्ध वकील मोहम्मद अली जिन्ना ने उनका मुकदमा लड़ा। इस मुकदमें में विठ्ठल जीत गए और वे फिल्म के नायक पुनः बने।

प्रश्न 4. पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओं ने उनके लिए क्या कहा था? अर्देशिर ने क्या कहा? और इस प्रसंग में लेखक ने क्या टिप्पणी की है? लिखिए।
उत्तर :
पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओं ने उन्हें ‘ भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता’ कहकर उनका सम्मान किया। इस अवसर पर निर्देशक ने कहा-“मुझे इतना बड़ा सम्मान देने की आवश्यकता नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।” इस प्रसंग में लेखक ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि वे अत्यंत विनम्र व्यक्ति थे। वे उस सवाक् सिनेमा के जनक थे, जिनकी उपलब्धि को भारतीय सिनेमा के जनक फाल्के को भी अपनाना पड़ा, क्योंकि वहाँ से सिनेमा का एक नया युग शुरू हो गया था।

पाठ से आगे

प्रश्न 1. मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते, उसमें दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है। पर, जब सिनेमा बोलने लगा उनमें अनेक परिर्वतन हुए। उन परिवर्तनों को अभिनेता, दर्शक और कुछ तकनीकी दृष्टि से पाठ का आधार लेकर खोजें, साथ ही अपनी कल्पना का भी सहयोग लें।
उत्तर :
मूक सिनेमा अर्थात ऐसा सिनेमा जिसमें हम कलाकारों को अभिनय करते हुए देखते हैं, पर उनकी आवाज नहीं सुन पाते हैं। उसमें शारीरिक अभिनय की प्रधानता होती है। यही सिनेमा जब बोलने लगा तो उसमें अनेक परिवर्तन हुए। अभिनेता, दर्शक और तकनीकी दृष्टि से जो महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए वे निम्नलिखित हैं

अभिनेता – मूक फिल्मों में काम करने वाले नायकों में पहलवान जैसा शरीर होना, स्टंट तथा उछल-कूद करने की क्षमता पर ध्यान देकर चुना जाता था। किंतु सवाक् सिनेमा में इन्हीं अभिनेताओं को संवादकला में निपुण होना आवश्यक हो गया । इसके अलावा गायन की योग्यता रखने वाले अभिनेताओं की कद्र बढ़ गई।

दर्शक – यूँ तो उस समय मूक सिनेमा भी अपनी लोकप्रियता के शिखर पर था और दर्शक उन्हें पसंद भी कर रहे थे, किंतु सवाकु फिल्मों में लोगों की रुचि क्रमशः बढ़ती गई। इसमें उमड़ती भीड़ को नियंत्रित करना पुलिस के लिए। कठिन होता था। सवाक् सिनेमा दर्शकों के लिए नया अनुभव था।।

तकनीकी दृष्टि – सिनेमा के सवाक् होने से उसके तकनीकी स्वरूप में भी पर्याप्त परिवर्तन आ गया। पहले शूटिंग जहाँ दिन में ही पूरी कर ली जाती थी, वहीं अब रात में भी शूटिंग होने लगी। सिनेमा में आवाज का होना अलग प्रभाव छोड़ता था। हिंदी-उर्दू के मेल वाली ‘हिंदुस्तानी भाषा’ की लोकप्रियता बढ़ी। वाद्ययंत्रों और गीत-संगीत का प्रयोग भी बढ़ गया।

प्रश्न 2. डब फिल्में किसे कहते हैं? कभी-कभी डब फिल्मों में अभिनेता के मुंह खोलने और आवाज में अंतर आ जाता है। इसका कारण क्या हो सकता है?
उत्तर :
कभी-कभी सवाक् सिनेमा में अभिनय करने वाले अभिनेता और अभिनेत्रियाँ संवाद बोलते तो हैं पर उनकी अपनी आवाज नहीं होती है। अर्थात वे किसी और के बोले संवाद पर अभिनय करते हैं। ऐसी फिल्में डब फिल्में कहलाती हैं। कभी-कभी फिल्मों में अभिनेता के मुँह खोलने और आवाज में अंतर आ जाता है। इसका कारण यह है कि अभिनय और संवाद संयोजन में कमी, संयोजनकर्ता का पूरी तरह दक्ष न होना, डब आवाज तथा अभिनय करने वाले के मुँह खोलने-बंद करने की असमान गति तथा अभिनेता की तालमेल बिठाने की असफलता के कारण ऐसा हो जाता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी

प्रश्न 1.
'जब सिनेमा ने पाठ्यपुस्तकें लिखीं' पुस्तक पूर्वजों द्वारा लिखी गई है?
(के) सुभाष गताडे
(ख) प्रदीप तिवारी
(जी) अरविंद कुमार सिंह
(जी) रामदरश मिश्र
उत्तर:
(के) प्रदीप तिवारी

प्रश्न 2.
देश की पहली सवाक (बोलती) फिल्म कौन सी थी?
(क) आलम आरा
(ख) देवदास
(जी) आग
(घ) मदरसा इंडिया
उत्तर:
(क) आलम आरा

प्रश्न 3.
पहली बोली फिल्म कब सिनेमा पर प्रदर्शित हुई?
(क) 14 मई, सन् 1947 को
(ख) 14 मई, सन् 1931 को
(घ) 14 जनवरी, सन् 1930 को
(घ) 14 मार्च, सन् 1931 को
उत्तर:
(घ) 14 मार्च, सन् 1931 को

प्रश्न 4.
पहली बोलती फिल्म बनाई गई ?
(क) मधुर भंडारकर
(ख) बी. आर. चोपड़ा
(जी) अर्देशिर एम. ईरानी
(जी) इस्मत चुगताई
उत्तर:
(जी) आर्देशिर एम. ईरानी

प्रश्न 5.
'आलम आरा' फिल्म में पार्श्व गायक कौन थे?
(क) आकाशगंगा लाल सहगल
(ख) डब्ल्यू. एम. खान
(जी) कमल बारोट
(घ) सुरेंद्र
उत्तर:
(ख) डब्ल्यू. एम. खान

प्रश्न 6.
'आलम आरा' फिल्म के नायक और अभिनेता कौन थे?
(क) नायक के. एल. सहगल कलाकार सुरैया
(ख) नायक सुरेंद्र अभिनेता मधु
(जी) नायक विठ्ठल नायक जुबैदा
(जी) के। एल. सहगल
उत्तर:
(जी) नायक विट्ठल नायक जुबैदा

प्रश्न 7.
इनमें से कौन सा कलाकार 'आलम आरा' में नहीं था?
(के) सोहराब मोदी
(के) पृथ्वीराज कपूर
(जी) जगदीश सेठी
(जी) के। एल. सहगल
उत्तर:
(घ) के. एल. सहगल

प्रश्न 8.
'आलम आरा' फिल्म किस सिनेमा हॉल में चित्रित हुई?
(के) मैजेस्टिक
(के) कुमार
(जी) लिबर्टी
(जी) अरविंद
उत्तर:
(के) मैजेस्टिक

प्रश्न 9.
'आलम आरा' फिल्म की कीमत कितनी थी?
(क) पांच हजार फुट
(ख) दस
हजार फुट
(घ) दस हजार फुट
उत्तर:
(ख) दस हजार फुट

प्रश्न 10.
'माधुरी' फिल्म के अभिनेता कौन थे?
(क) जुबैदा
(ख) सुलोचना
(ग) सुरैया
(घ) मधुबाला
उत्तर:
(ख) सुलोचना

Previous Post Next Post