प्रौद्योगिकी विज़न 2035 (Technology Vision 2035)



3 जनवरी, 2016 को 103वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस का उद्घाटन करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने 'प्रौद्योगिकी विज़न दस्तावेज़ 2035' का
अनावरण किया। दस्तावेज़ में 2035 के भारतीयों का उल्लेख करते हुए उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये आवश्यक प्रौद्योगिकियों का विवरण दिया गया है। यह वर्ष 2035 में उपलब्ध होने वाली प्रौद्योगिकियों का उल्लेख मात्र नहीं है बल्कि एक विज़न है, जिसके तहत हमारे देश के नागरिक वर्ष 2035 में किस प्रकार प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करेंगे, इसका ब्योरा भी है। इस दस्तावेज़ को भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित किया गया है।

दस्तावेज़ की प्रस्तावना में प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की है कि प्रौद्योगिकी, सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद् (टाइफैक) द्वारा तैयार
12 क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी रोडमैप वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को प्रेरित करेगा। उल्लेखनीय है कि टाइफैक के चेयरमैन व न्यूक्लियर साइंटिस्ट प्रो. अनिल काकोडकर के निर्देशन में 'प्रौद्योगिकी विज़न 2035' का दस्तावेज़ तैयार किया गया है। 

नोट: इससे पहले 1996 में टाइफैक ने 'विजन 2020' तैयार किया था, तब डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम टाइफैक के चेयरमैन थे।
● प्रो. काकोडकर के मुताबिक 'विज़न 2035' देश के बारे में भविष्यवाणी, दूरदर्शी परिकल्पनाओं और मंसूबों का दस्तावेज़ नहीं है। यह दस्तावेज़ बताता है कि अभी हम कहाँ हैं? अगले दो दशक में हम कहाँ जाना चाहते हैं? यहाँ से वहाँ पहुँचने का श्रेष्ठ तरीका क्या है? कौन-सी तकनीक हमें लक्ष्य तक पहुँचाने में मदद कर सकती है? इस रास्ते में क्या-क्या चुनौतियाँ हैं और क्या-क्या तकनीकी बाधाएँ आ सकती हैं?
● टाइफैक के मुताबिक डॉ. कलाम के निर्देशन में तैयार हुए 'टेक्नोलॉजी विज़न 2020' में 1996 का दृष्टिकोण था और विज़न 2035 में
2014-15 का दृष्टिकोण है। विज़न 2035 को तैयार करने में करीब 3 वर्ष लगे और 5000 से ज्यादा विशेषज्ञों का परामर्श लिया गया।

विज़न दस्तावेज़ के 12 चिह्नित क्षेत्र

1. शिक्षा
2. चिकित्सा विज्ञान एवं स्वास्थ्य सेवा
3. खाद्य एवं कृषि 4. जल
5. ऊर्जा
6. पर्यावरण
7. आवास
8. यातायात
9. बुनियादी ढाँचा 
10. निर्माण
11. सामग्री
12. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी

प्रौद्योगिकी विज़न 2035 का लक्ष्य

'प्रौद्योगिकी विज़न 2035' का लक्ष्य सुरक्षा, समृद्धि में बढ़ोतरी और प्रत्येक भारतीय की अस्मिता को सुनिश्चित करना है। इसका उल्लेख
संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित सभी भाषाओं के संबंध में दस्तावेज़ में 'हमारी आकांक्षा' या 'विज़न वक्तव्य' के रूप में प्रस्तुत
किया गया है। विज़न दस्तावेज़ में 12 विशेषाधिकारों (छह वैयक्तिक और छह सामूहिक) का उल्लेख भी किया गया है जो सभी भारतीय
नागरिकों को उपलब्ध होंगे। ये इस प्रकार हैं-

वैयक्तिक विशेषाधिकार

1. स्वच्छ वायु और पेयजल
2. खाद्य एवं पोषण सुरक्षा
3. सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधा और सार्वजनिक स्वच्छता. 
4.24x7 बिजली
5. बेहतर आवास
6. बेहतर शिक्षा, आजीविका और सर्जनात्मक अवसर

सामूहिक विशेषाधिकार

1. सुरक्षित और तेज आवागमन
2. सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा
3. सांस्कृतिक विविधता और जीवंतता
4. पारदर्शी और प्रभावशाली शासन
5. आपदा और जलवायु लोच
6. प्राकृतिक संसाधनों का पारिस्थितिकीय अनुकूल संरक्षण विज़न दस्तावेज के अनुसार ये विशेषाधिकार भारत के प्रौद्योगिकी विजन के केंद्र में हैं। इन विशेषाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिये प्रौद्योगिकियों का निर्धारण किया गया है - 
• जिन्हें तेजी से तैनात किया जा सके।
• जिन्हें प्रयोगशाला से व्यवहार में लाया जा सके।
• जिनके लिये लक्ष्य अनुसंधान आवश्यक है, और
• जो अभी भी कल्पना में हैं।

प्रौद्योगिकियों के इन अंतिम वर्गों के संबंध में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वियरेबल टेक्नोलॉजी, सिंथेटिक बायोलॉजी, ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस, बायो
प्रिंटिंग और रिजनरेटिव मेडिसिन जैसे उत्कृष्ट 'ब्लू स्काई' अनुसंधान उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा सटीक कृषि और रोबोट आधारित खेती,
वर्टिकल खेती, इंटरेक्टिव फूड, ऑटोनोमस व्हीकल, बायोलूमिनेसंस, इमारतों की 3डी प्रिंटिंग, भूकंप की भविष्यवाणी, मौसम प्रौद्योगिकियाँ,
हरित खनन आदि ऐसी अन्य प्रौद्योगिकियाँ हैं जिनसे मानव की वर्तमान और भावी पीढ़ियों की आवश्यकताएँ पूरी की जा सकेंगी।

दस्तावेज़ में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियाँ

दस्तावेज़ में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों का हवाला भी दिया गया है, जिन्हें हम एक राष्ट्र के रूप में हल करेंगे-
• पोषण सुरक्षा की गारंटी और महिलाओं तथा बच्चों में खून की कमी को समाप्त करना
• सभी नदियों और जल स्रोतों में पानी की बेहतर गुणवत्ता और मात्रा सुनिश्चित करना;
• सभी के लिये शिक्षा और भाषा संबंधी सुविधाएँ प्रदान करना बिजली के विकेंद्रीकृत वितरण के लिये विकास करना;
• देश के आकार को देखते हुए महत्त्वपूर्ण संसाधनों को सुरक्षित करनाः पारिस्थितिकीय हालात के मद्देनजर कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करना;
• लेह और तवांग तक रेल सुविधा बढ़ाना;
• राष्ट्र के जलवायु पैटर्न को समझना और उसके अनुकूल काम करना;
• स्वतंत्र निर्वाचन प्रक्रिया और वित्तीय अधिकारिता सुनिश्चित करना..

भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस एसोसिएशन (The Indian Science Congress Association)

• भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन (ISCA) की स्थापना वर्ष 1914 में दो ब्रिटिश रसायनविदों- जे.एल. साइमनसेन और पी.एस. मैकमोहन की पहल पर हुआ।
• वर्ष 1914 से भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन द्वारा विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है। भारत में आधुनिक विज्ञान को आगे
बढ़ाना एवं समाज के विकास के लिये इसका उपयोग करना इस संस्था की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य है।
• 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' की समृद्ध विरासत रही है। जगदीश चंद्र बोस, सी.वी. रमन, मेघनाद साहा तथा सत्येंद्रनाथ बोस जैसे भारत के दिग्गज वैज्ञानिकों द्वारा इसका नेतृत्व किया गया है।
• वार्षिक विज्ञान कांग्रेस की पहली बैठक एशियाटिक सोसायटी, कलकत्ता के परिसर में 15-17 जनवरी, 1914 के दौरान हुई, जिसके
अध्यक्ष कलकत्ता विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति (Vice- Chancellor) माननीय न्यायमूर्ति सर आशुतोष मुखर्जी थे।

108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस

● इसका आयोजन 3-7 जनवरी, 2022 के मध्य सिम्बिओसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी), पुणे (महाराष्ट्र) में किया जाएगा।
नोट: पहले इसका आयोजन 3-7 जनवरी, 2021 में होना था, लेकिन कोविड-19 की वजह से 3-7 जनवरी, 2022 में स्थानांतरित
कर दिया गया।
◆ थीमः 'महिला सशक्तीकरण के साथ सतत विकास के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' (Science and Technology for Sustainable Development with Women Empowerment)
● गौरतलब है कि 107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का आयोजन 3-7 जनवरी, 2020 के मध्य यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज़
GKVK कैंपस, बंगलूरू में किया गया था।
◆ थीम: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी : ग्रामीण विकास (Science & Technology : Rural Development)

Previous Post Next Post